जब चार साल में सीरियल ब्लास्ट भूल गया देश, तब नसीरुद्दीन शाह को डर लग रहा?

वाराणसी सीरियल ब्लास्ट,
पटना सीरियल ब्लास्ट,
दिल्ली सीरियल ब्लास्ट,
अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट,
जयपुर सीरियल ब्लास्ट,
श्रमजीवी एक्सप्रेस ब्लास्ट,
बंगलोर सीरियल ब्लास्ट,
गुवाहाटी सीरियल ब्लास्ट,
मुम्बई लोकल सीरियल ब्लास्ट,
मुबई अटैक,
समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट,
हैदराबाद सीरियल ब्लास्ट,
पुणे ब्लास्ट..
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… लगता था कि हर जगह डर, दहशत का माहौल…. हर तरफ असुरक्षा का माहौल। बड़े शहरों में शाम छह बजे के बाद किसी भी दिन कहीं भी ब्लास्ट हो सकता था। सिमी, इंडियन मुजाहिद्दीन का खौप था। मधुबनी मॉड्यूल, दरभंगा मॉड्यूल, आजमगढ़ मॉड्यूल की चर्चा हर तरफ थी। टीवी न्यूज़ चैनलों पर सिर्फ यही छाया रहता था।
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नसीरुद्दीन शाह ने भी तो इस मुद्दे को ‘ए वेडनेसडे’ फ़िल्म में भुना लिया था।
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आज जब मोदी सरकार की सशक्त आंतरिक सुरक्षा की बदौलत साढ़े चार साल बिना किसी ब्लास्ट के गुजर गए, सिमी विलुप्त हो गया, इंडियन मुजाहिद्दीन विलीन हो गया… शहरों से दहशत का माहौल खत्म हो गया तो नसीरुद्दीन शाह को डर लगने लगा है।

आज डर सिर्फ नसीरुद्दीन शाह, आमिर खान को लग रहा है  वे ठीक चुनाव से पहले ऐसी बयान बाजी करते हैं। लेकिन आम हिंदुस्तानी खुश है क्योंकि उसे पता है कि बस, ट्रेन में जाते समय किसी ब्लास्ट में उसके चिथड़े उड़ने की संभावना समाप्त हो गयी है …
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आनन्द प्रकाश …