वीर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक

✍️हरीश मैखुरी

भारत के वीर सेनानी जिन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया जिनका नाम लेकर गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। उनके जीवन से भारतीय प्रेरणा लेते हैं और उनके मार्गदर्शन पर चलने का सदैव प्रयास करते हैं। जो नाम भारतीय इतिहास में बहुत  गर्व से लिया जाता है, “विनायक दामोदर सावरकर” जो एक भारतीय राष्ट्रवादी के रूप में सदैव देखे जाते हैं। 

*सावरकर संसार के अकेले स्वातंत्र्य योद्धा थे जिन्हें दो-दो आजीवन कारावास की सजा मिली, उन्हें सबसे क्रूरतापूर्ण स्थिति में कालापानी की सेल्यूलर जेल में तन्हाई में रखा गया। जहां उन्होंने कविताओं के माध्यम से दीवारों पर खुरच कर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास लिखते और अंग्रेजों की अमानवीय और क्रूरूर यातनाएं सहते हुए करीब 22 वर्ष की सजा को पूरा किया और फिर से राष्ट्र जीवन में सक्रिय हो गए। 

*बहुत कम लोगो को इसकी जानकारी है कि उन्होंने भी अपने स्व. मोतीलाल नेहरु , प. जवाहर लाल नेहरु जी और महात्मा गाँधी की तरह बार एट लॉ की परीक्षा पास की थी। पर इंग्लैंड मे उन्हे बैरिस्टर की डिग्री सिर्फ इसीलिए नही मिली क्योंकि उन्होने अंग्रेज़ो की वफ़ादारी की शपथ लेने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया था। 

*वे भारत के पहले नेता थे जिन्होंने महात्मा गाँधी से 17 वर्ष पहले ही नवम्बर 1905 में भारत मे पहली बार विदेशी वस्त्रों की होली जलायी  थी। 

*जब कॉंग्रेस के अधिवेशन मे “लॉंग लिव द किंग” गाया जाता था तब वीर सावरकर कोल्हू में बैल की जगह जुतकर 30 सेर तेल रोज निकलते थे, और नारियल के रेशे से रस्सी बुनते थे। 

*1908 मे उन्होने “भारत का स्वाधीनता संग्राम 1857” लिखा जिसे अँग्रेज़ों ने छपने से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया था। इसे भारत में स्वयं भगत सिंह के छपवा कर बंटवाया था। इस ग्रंथ को क्रांतिकारियों की गीता कहा जाता था। विडंबना देखिये आज भगत सिंह के कथित समर्थक ही वीर सावरकर पर अशोभनीय टिप्पणियां करते हैं। 

*अँग्रेज़ों के शासन काल मे वो अकेले ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्हे 2 बार काले पानी की सज़ा दी गयी थी, इस पर जब उनसे पूछा गया कि वो इस सजा को किस रूप में देखते हैं तो उन्होंने कहा था कि ” 2 जन्म की छोडिये मुझे तो इस पर हंसी आती है कि अंग्रेज सरकार ये समझती है कि ये लोग भारत पर शासन करते रहेंगे “

* एक महान क्रांतिकारी होने के साथ साथ वो एक महान कवि भी थे उन्होंने अंडमान की जेल मे उन्होने कील से दीवारों पर खुरच कर लगभग 10000 पंक्तियो का महाकाव्य लिखा था। 

* डॉ. हेडगेवार जी, आंबेडकर और गाँधी की तरह ही वीर सावरकर जी बड़े समाज सुधारक  थे  ब्राह्मण होते हुए भी वो छुआछूत के सबसे बड़े विरोधी थे  1931 मे उन्होने “पतित पावन मंदिर” की स्थापना की थी जिसमे सभी हिंदू बिना किसी भेदभाव के पूजा कर सकते थे। 

*1937 मे उन्हें हिंदू महासभा का अध्यक्ष चुना गया था  उसके बाद उन्होंने इस संगठन को एक नयी दिशा दी। 

* वे विश्व के ऐसे पहले लेखक थे जिनकी कृति 1857 का प्रथम स्वतंत्रता को दो-दो देशों ने प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया।

* सावरकर पहले ऐसे भारतीय राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने सर्वप्रथम विदेशी वस्त्रों की होली जलाई।

* वे पहले स्नातक थे जिनकी स्नातक की उपाधि को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण अँगरेज सरकार ने वापस ले लिया।

* वीर सावरकर पहले ऐसे भारतीय विद्यार्थी थे जिन्होंने इंग्लैंड के राजा के प्रति वफादारी की शपथ लेने से मना कर दिया। फलस्वरूप उन्हें वकालत करने से रोक दिया गया।

* वीर सावरकर ने राष्ट्र ध्वज तिरंगे के बीच में धर्म चक्र लगाने का सुझाव सर्वप्रथम ‍दिया था, जिसे राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने माना।

* उन्होंने ही सबसे पहले पूर्ण स्वतंत्रता को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का लक्ष्य घोषित किया। वे ऐसे प्रथम राजनैतिक बंदी थे जिन्हें विदेशी (फ्रांस) भूमि पर बंदी बनाने के कारण हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामला पहुँचा।

विनायक दामोदर सावरकर
वीर सावरकर जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि कोटि नमन। मंगल पांडे, सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, आदि कुछ नाम छोड़ दें तो ऐसे योद्धा भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में कम ही हैं।