हरीश मैखुरी
सहारनपुर जनपद के बेहट रोड़ स्थित बालाजी धाम के एक कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जताई सहारनपुर को उतराखण्ड में मिलाने की इच्छा जताई। इससे पूर्व हरक सिंह रावत भी बिजनौर के कुछ गांवों को उत्तराखंड में मिलाने की बात कह चुके हैं। इन क्षेत्रों को उत्तराखंड में मिलाने से पश्चिम उत्तर प्रदेश के बदमाशों और अपराधियों का अड्डा बनाना चाहते हैं? गैरसैंण राजधानी का मुद्दा ठंडे बस्ते में डालने की स्कीम है? नजीबाबाद मिलाने से तो उत्तराखंड को सिर्फ़ और सिर्फ़ अपराधियों की खेप मिलेगी और स्वस्थ सेवा के क्षेत्र में उत्तराखण्ड को बहुत घाटा भी उठाना पडे़गा। लेकिन सहारनपुर मिलाने से उत्तराखंड को सरसावा का हवाई अड्डा और सैन्चुरी पेपर मिल व रेड एण्ड व्हाईट सिगरेट जैसी कम्पनियों से अच्छा टैक्स मिलने की संभावना है। साथ ही देहरादून की जमीनों का लोड शिफ्ट होने से भाव और लोड दौनों कम होगा। सहारनपुर का लगभग सारा व्यापार उत्तराखंड पर निर्भर है। उत्तराखंड को भी होलसेल मार्केट मिलेगा। सहारनपुर के व्यापारी भी सहनशील और उत्तराखंड के लोगों पर भरोसा करते हैं। इनकी आपस में अच्छी साख भी है। इसका लाभ उत्तराखंड को मिल सकता है। लेकिन यदि इस उतावलेपन का एकमात्र उद्देश्य स्थाई राजधानी के मुद्दे को गैरसैंण से भटकाना है तो यह उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन की मंशा के विपरीत है और उत्तराखंड राज्य के साथ एक तरह का धोखा भी होगा। गैरसैंण राजधानी के मुद्दे पर किसी भी स्थिति में समझौता नहीं किया जा सकता। गैरसैण उत्तराखंड की आत्मा है इसलिए सहारनपुर मिलाने की बात बाद में पहले गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करना अनिवार्य है।