उत्तराखंड की लोक संस्कृति को अपने अभिनय से जीवंत करने वाली अभिनेत्री गीता उनियाल का असमय चलेजाना….

हम निःशब्द हैं और काल के इस क्रूर निर्णय😢 से बहुत दुखी हैं। अपनी लोक संस्कृति के लिए अपने अभिनय द्वारा समर्पित हमारे उत्तराखंड की एक  लोकप्रिय कलाकार हम सब की प्यारी गीता उनियाल आज हमारे बीच नहीं रही ……..

 एक बार गीता उनियाल ने बताया था कि 2020 में उन्हें कैंसर ने जकड़ लिया था, एक बार सफल सर्जरी होने के बाद दोबारा वे कैंसर ग्रसित हो गईं। उत्तराखंड फिल्म इंडस्ट्री में उनका सफर 20 साल का है. जिसमें 5 बड़े पर्दे की फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं। इन 20 साल में वह अनगिनत गढ़वाली म्यूजिक एल्बम में काम कर चुकी थी। उत्तराखंड के लोगों के हौसले भी यहां के पहाड़ों की तरह सुदृढ़ हैं. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि कैंसर पीड़ित होने के बावजूद उत्तराखंडी फिल्मों की नामी अभिनेत्री गीता उनियाल ने हार नहीं मानी, उन्हें 3 साल से कैंसर है और पिछले साल उनका कैंसर का ऑपरेशन भी हुआ है. गंभीर बीमारी होने के बावजूद भी उन्होंने काम के प्रति अपने लगाव को कभी कम न होने दिया, हाल ही में रिलीज हुई जय मां धारी देवी में भी उन्होंने शानदार अभिनय किया है। फिल्म में उनके काम को देख कर कभी नहीं लगा कि वे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं। अभिनेत्री गीता उनियाल बताया था कि वह 2020 से ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं शुरू में उनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। उन्होंने अपनी बीमारी का पूरा खर्च खुद वहन किया, लेकिन जब दोबारा जब उन्हें कैंसर हुआ तो वह आर्थिक तौर पर पूरी तरह से टूट चुकी थीं, वे बताती हैं कि एक समय पर कैंसर ने उनके मनोबल को तोड़कर रख दिया था, उन्होंने कहा 20 साल उत्तराखंड फिल्म में काम करने के बाद और उत्तराखंड की लोक संस्कृति को बचाने के तमाम संघर्ष करने वाले कलाकारों की मदद करने कोई आगे नहीं आया फिर उत्तराखंड के कुछ कलाकारों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री धामी से भेंट की जहाँ से उन्हें कुछ सहायता भी मिली, लेकिन अंततोगत्वा काल के क्रूर हाथों ने उन्हें हम से छीन ही लिया। उत्तराखंड की लोक संस्कृति को अपने अभिनय से जीवंत करने वाली अभिनेत्री गीता उनियाल का असमय चलेजाना…. बहुत दुखद है। हे भगवान बद्रीविशाल जी उनके परिवार को ये दुःख सहन करने की शक्ति देना ।

😢 ॐ शांति शांति शांति ॐ 😥

✍️हरीश मैखुरी 

         *प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में छोटे बड़े लक्ष्य होते हैं। “उन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए जब पुरुषार्थ किया जाता है, तो आलंकारिक भाषा में उसे लक्ष्य प्राप्ति की यात्रा भी कह देते हैं।”*

         *”कोई भी लक्ष्य प्राप्ति करनी हो, तो उसकी यात्रा कहीं न कहीं से तो आरंभ करनी ही होगी। जो लोग लक्ष्य प्राप्ति के लिए चल पड़ते हैं, वही धीरे-धीरे अथवा तेज़ी से पहुंचकर लक्ष्य को प्राप्त कर पाते हैं।”*

          *”चाहे लक्ष्य छोटा हो, चाहे बड़ा हो, अर्थात यात्रा छोटी हो चाहे बड़ी हो, कहीं न कहीं से तो आरंभ करनी ही होगी।” “जो लोग यात्रा आरंभ ही नहीं करते, केवल सोचते ही रहते हैं, वे अपने जीवन में किसी भी लक्ष्य को ठीक प्रकार से प्राप्त नहीं कर पाते।”*

          *”चाहे छोटे कदम से आरंभ करें, चाहे बड़े कदम से, आरंभ किए बिना न तो व्यक्ति आगे बढ़ पाएगा, और न ही लक्ष्य को प्राप्त कर पाएगा।”*

       *”इसलिए अपने लक्ष्य की प्राप्ति की यात्रा आरंभ करें। चाहे छोटे कदम से ही सही, परंतु आरंभ तो अवश्य ही करें, तभी आप आगे बढ़ पाएंगे और तभी लक्ष्य मिलेगा, अन्यथा नहीं।”*

🙏गीता उनियाल को भावभीनी श्रध्दांजलि 🙏