भारत में आतंकियों के मारे जाने या भ्रष्टाचारियों के जेल जाने पर डीप स्टेट के इकोसिस्टम की हताशा और विदेशों के पेट में मरोड़ का कनैक्शन समझें

जब चारा घोटाले में लालू गिरफ्तार, अमेरिका/संयुक्त राष्ट्र/जर्मनी से कोई शोर नहीं

जेजे को गिरफ्तार कर लिया गया, अमेरिका/संयुक्त राष्ट्र/जर्मनी से कोई शोर नहीं हुआ

जब अकारण महाराष्ट्र के गृहमंत्री अमित शाह गिरफ्तार हुए अमेरिका/संयुक्त राष्ट्र/जर्मनी से कोई शोर नहीं

महाराष्ट्र के गृह मंत्री और अन्य गिरफ्तार, अमेरिका/संयुक्त राष्ट्र/जर्मनी से कोई शोर नहीं

लेकिन जब एक राज्य का भी नहीं, केवल एक केंद्र शासित प्रदेश का सीएम, जो मेयर स्तर का भी नहीं है, गिरफ्तार किया जाता है, तो नरक टूट जाता है

क्योंकि 18-20 वर्षों तक CIA ने उसमें भारी निवेश किया है और एक ऐसी संपत्ति तैयार की है जो मुख्य रूप से अराजकतावादी थी और है। भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में अपनी संपत्ति स्थापित करने में उन्हें 20 साल लग गए

मोदी सरकार ने एक बड़ी मछली पकड़ी जिसे डीप स्टेट ने पाला और पोसा था

आपमें से ज्यादातर लोग मज़ाक उड़ाते हैं या अपनी मूर्खता दिखाते हैं लेकिन आप नहीं जानते कि मोदी जी क्या लड़ और किससे रहे हैं

 यह प्रकरण भ्रष्टाचार से कहीं अधिक बड़ा है राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ भी है

ये दलाल महासचिव कराह रहा  है

डीप स्टेट इतना हताश क्यों है? 

बात सिर्फ शराब घोटाले की नहीं है। इसके आगे भी बहुत कुछ है।

सड़ जी की गिरफ्तारी के बाद अमेरिका की डीप स्टेट सकते में है। चीख निकल रही है, लेकिन सधे अंदाज में।

उन्हे बर्दाश्त ही नहीं हो रहा कि उनके पाले हुए किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाए। इसलिए अपने पालतू के पक्ष में बयान दिया गया।

बात सिर्फ भारत की नहीं है, डीप स्टेट किसी भी देश के किसी राष्ट्रवादी नेता को बर्दाश्त नहीं कर पाता। किसी भी कीमत पर नष्ट कर देता है। चाहे वह इराक का सद्दाम हो, या लीबिया का गद्दाफी।

खलिस्तानी आतंकवादी पन्नू का अमरीका में होना, उसे संरक्षण देना यह सबित करता है कि खालिस्तान अमरीका का मुद्दा है। खालिस्तान के फाउंडर जगजीत सिंह चौहान भी काफी समय तक अमेरिका की मेहमान नवाजी में रहा है।

तथाकथित किसान आंदोलन में कनाडा से ज्यादा अमेरिका से फंडिंग कर रहे थे।

पन्नू के हालिया वीडियो ने ठग्गू के खेल का खुलासा कर दिया है।  

अब भारत ने भी इन डीप स्टेट के राजदूतों को बुलाकर तुरंत हड़काया कि होंगे तुम महाशक्ति लेकिन हमारे आंतरिक सुरक्षा के मामलों में दखल नहीं दे सकते, अन्यथा अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर निकल लो, ये नया भारत है, ये समझना होगा आप लोगों को।

इस समय डीप स्टेट के देशों को चीनी और अन्य भारत विरोधियों के पैड एजेंट पप्पू पगलेट से ज्यादा ठग्गू पर भरोसा था। उन्हें भी पप्पू पगलेट से ज्यादा संभावना दिल्ली के ठग्गू के साथ दिखती थी। अब इनका ये घोड़ा भी लंगड़ा हो चुका है।

भारत की डपट से अमेरिकी राजदूत का उतरा हुआ मुंह देखने योग्य हो गया है।  वंदे मातरम

लंदन में बराक ओबामा और जॉर्ज सोरोस का होना और भारत विरोधियों से मिलना कोई इत्तेफाक नहीं है।

बार बार एक ‘डीप स्टेट’ का जिक्र होता है, जिनके ये हिस्सा हैं, जो भारत में अपने एजेंट्स और दलालों के माध्यम से मोदी सरकार को उखाड़ फेकना चाहते है। हर दिन एक नया बवाल खड़ा करते है।

आखिर यह डीप स्टेट है क्या, क्यों पूरी दुनिया में उथल पुथल करते रहते हैं।

डीप स्टेट उन धनाढ्यों का एक गैंग है जो पूरी दुनिया की आधी संपत्ति और दौलत की मालिक है।

एक एक मेंबर की दौलत दुनियां के कई देशों के GDP से ज्यादा है। ये पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को कंट्रोल करते हैं।

डीप स्टेट के जरिए ही धनकुबेर पूरी दुनिया का व्यापार अपने कंट्रोल में रखना चाहते हैं चाहे इसके लिए हजारों लोगों की जान ही क्यों ना लेनी पड़े।

इसी डीप स्टेट ने इराक, यमन, सीरिया, लीबिया को तबाह किया है। इनके मनमाफिक सरकार नहीं है तो तख्ता पलटने की साजिश रचते हैं।

इसी डीप स्टेट के कैपिटलिस्ट अमेरिका, यूरोप में सरकारें चलाते हैं। यही लोग अफ्रीकी देशों में उथल पुथल करते हैं। यही डीप स्टेट अमेरिकी सरकार की मदद से पाकिस्तान में सरकारें बनाते बिगाड़ते हैं। यही डीप स्टेट भारत में भी अपने पाले हुए गुलामों के जरिए उथल पुथल कर रहे हैं।

ये चाहते हैं कि भारत की जनता उनके लिए गुलामी करे, उनका सामान खरीदे। डीप स्टेट ईस्ट इंडिया कंपनी की मोडिफाइड वर्जन है जो किसी भी तरीके से भारतीयों का अपना आर्थिक गुलाम बनाना चाहती है।

डीप स्टेट में सबसे बड़ा गैंग अमेरिका की हथियार लॉबी है जो वहां की सरकार को अपना कठपुतली बना कर रखती हैं।

अमेरिका के अंदर हजारों लोग हर साल अंधाधुंध गोलियों के शिकार होते हैं। हर हत्याकांड, विशेषकर स्कूलों में हत्या के बाद हर सरकार लाइसेंस की बात करती है लेकिन हथियार लॉबी के दबाव में चुप हो जाती है।

यही हथियार लॉबी दशकों से पूरी दुनिया में युद्ध करा रही है।

वियतनाम में खत्म हुआ तो अफ्रीकन देशों में शुरु किया। इराक में खत्म हुआ तो सीरिया, यमन में शुरु हुआ। लीबिया के तानाशाह गद्दाफी को ख़त्म कर दिया।

अफ़गानिस्तान में खत्म हुआ तो यूक्रेन में शुरु हो गया। यूक्रेन युद्ध का अंत तभी होगा जब हथियार लॉबी को नया युद्ध क्षेत्र मिल जायेगा।

हथियार लॉबी नहीं चाहता है कि कोई ओर देश, दुनियां के हथियार बाजार में प्रवेश करे। रूस बड़ा हथियार निर्माता और निर्यातक है लेकिन इस समय उसे ही चीन से आयात करना पड़ रहा है।

यूएस के हथियार लॉबी को यह बिल्कुल पसंद नहीं है कि भारत उनके अलावा किसी अन्य देश से हथियार आयात करे या निर्माण करे।

लेकिन मोदी अलग मिट्टी के बने हैं, इनके दबाव में नहीं आते। आयात भी रूस और फ्रांस से करते हैं और बहुत बड़े पैमाने पर निर्यात भी कर रहे हैं।

हर दिन एक नए रॉकेट, मिसाइल, टैंक, हेवी गन का परीक्षण हो रहा है। हथियारों का निर्यात हो रहा है।

अगले 5 साल में निर्यात में कई गुना बढ़ोत्तरी की योजना बनाई जा चुकी है।

ऐसे हालात में डीप स्टेट का बौखला जाना स्वाभाविक है। वे अपने NGOs और हवाला के जरिए करोड़ो, अरबों रुपए भारत में भेज रहे हैं। 

देशद्रोही भारतीयों को क्या चाहिए, पैसा…

वह भर भर कर देशद्रोहीयों को मिल रहा है। इसलिये हर दिन किसी ना किसी बहाने सड़के जाम करते हैं, रेल रोकते हैं, जिससे भारत देश को हर रोज करोड़ों का नुकसान होता है।

ओपन सोसायटी फाउंडेशन, राकफेलर फाउंडेशन, फोर्ड फाउंडेशन, बिल गेट फाउंडेशन ने सैकड़ों की तादात में भारत के भीतर NGOs खुलवा दिए हैं।

भारत के भीतर शायद ही कोई नेता हो जिसका एक या अनेक NGO ना हो, शायद ही कोई ब्यूरोक्रेट हो जिसके परिवार के पास NGO ना हो। शायद ही कोई पत्रकार हो जिसके पास NGO ना हो। केजरीवाल ने 2000 में ही NGO शुरू कर दिया था जब वह सरकारी नौकरी में था।

इन सभी को भर भर कर विदेश से पैसा आ रहा है। जाहिर है जो पैसा देगा, वह अपना काम कराएगा इनसे।

मेरा कहने का मतलब यह नहीं है कि सारे NGO बुरे होते हैं। बहुत NGO गरीबों और देश की भलाई के लिए काम कर रहे हैं।

लेकिन कुछ NGOs तो सिर्फ़ और सिर्फ़ भारत विरोधी कामों में जुटी हुई है। देश के विकास को अवरूद्ध करना, रोकना इनके एजेंडे में है।

भारत विकास करेगा तो डीप स्टेट के व्यापार का नुकसान होगा। 

इन्ही NGOs के जरिए डीप स्टेट ने भारत में सिंचाई के लिए डैम बनाने में रोड़ा अटकाया, पर्यावरण के नाम पर सीमा पर सड़कों के निर्माण को रूकवाने के लिए Supreme Court में याचिकाएं दायर करते रहे। हाईवे और एक्सप्रेस वे बनाने में रोड़ा अटकाते हैं। जंगलों में सड़के और ट्रांसमिशन लाइन नहीं ले जानें देते। और इन सब के लिए यहां के देशद्रोही उनकी मदत करते है पैसों के लिये।

भारत मे सैकड़ों NGOs आज भी धर्मांतरण में जुटे हुए हैं।

हजारों NGOs के लाइसेंस रद्द किए जा चुके हैं, लेकिन फिर भी किसी ना किसी अवैध रास्ते से भारत में देशद्रोहियों के पास पहुंचा ही देते हैं।

(साभार: पवन त्रिपाठीt.me/modified_hindu…) 

एक और जानकारी शोशल मीडिया पर वायरल है

“*राघव चड्ढा का इलाज के लिए लंदन जाना… खलिस्तानी समर्थक एमपी प्रीत गिल के साथ MI5 और CIA हेड क्वार्टर के पास दिखाई देना…. बराक ओबामा को लंदन में होना…. फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर फाउंडेशन, सोरोस के ओपन सोसायटी फाउंडेशन का भारत के दर्जनों NGOs, जिनमे केजरीवाल के कई NGO भी शामिल हैं, को भर-भर कर मदद देना, चुनाव के ही मौके पर ही पंजाब के तथाकथित किसानों का आन्दोलन का होना, केजरीवाल के घर में ईडी अफसरों के सर्विलेंस के लिए उनका डिटेल कागजों का मिलना, किसी बड़े खेल की तरफ इशारा कर रहा है……*

लोगों का पूरा अनुमान था कि शराब घोटाले के लिए केजरीवाल को अगर गिरफ्तार करना भी है तो वह चुनाव बाद होगा लेकिन उनकी अचानक गिरफ्तारी के पीछे और भी बहुत कुछ है। पूर्व IPS और UP के पूर्व DGP Dr Vikram Singh का माननाघ है कि भारत के खिलाफ बहुत बड़ा अंतरराष्ट्रीय साजिश रची जा रही है….

केजरीवाल ने हिरासत में जाते वक्त V का निशान नहीं बनाया, हँसते हुए मुट्ठी बाँध कर अपनी बाँहें नहीं लहराईं, कोई मुस्कुराते हुए मुद्रा नहीं दिखाई जैसा कि सिसोदिया और संजय सिंह ने किया था बल्कि मासूम सा चेहरा बनाकर victim Card खेलते हुए ऐसे खुद को दिखाया मानों एक सामान्य आम आदमी को परेशान किया जा रहा हो, आपको इसकी वह मुद्रा भी याद होगी जब विधानसभा के अंदर डकरा कर कह रहा था .. *दिल्ली के मालिक हम हैं..* और गिरफ़्त में मोदी का डायलाग चुराते हुए कहा कि *मेरे लिए राष्ट्र प्रथम है,* यह राष्ट्र प्रथम का अर्थ भारत नहीं बल्कि पाकिस्तान और ISI है….

इसके कुछ प्रमाण हैं… इसने दिल्ली का ४० दिन CM बंनने के बाद चंदा माँगने के लिये अपनी website पर जो भारत का नक़्शा दिया था उसमें कश्मीर कटा हुआ था व भारत हरे रंग से था…पूरा भारत हरे रंग से करने का इशारा गजवा ए हिंद की तरफ़ था और कश्मीर कटा हुआ भारत दिखाने का मतलब यही था कि कश्मीर मानो इसने पाकिस्तान को अर्पण कर दिया था….यह कोई अनपढ़ या गँवार नहीं है जो भारत के नक़्शे में यह गलती हो जाये इसके बाद ही प्रशांत भूषण ने कश्मीर को पाकिस्तान को देने की बात की थी तब तक प्रशांत भूषण इसी की पार्टी में था…यह कश्मीर कटा हुआ भारत का नक़्शा कई दिन तक website पर रहा और इसका विरोध सबसे पहले नवभारत टाइम्स ने किया, उसके बाद अन्य और लोगों के विरोध के बाद ठीक किया गया…..

इसने *कमल मित्र चिनाय* को अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया जो कश्मीर के अलगाववादियों से एक होकर भारत सरकार से लड़ने का आह्वान व कश्मीर अलग करने के लिये सेमिनार करता था व बार बार UN में कश्मीर के लिये ज्ञापन भेजा करता था…. 

केजरीवाल ने कश्मीर में मुज़फ़्फ़र बट को टिकट दिया जो एक अलगाववादी नेता था व कश्मीर को भारत से आज़ाद होने की वकालत करता था…. 

विनायक सेन को इसने पुलिस रिफार्म कमेटी का वरिष्ठ सदस्य बनाया, विनायक सेन को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने देशद्रोह में उम्र क़ैद की सजा दी है….

इसके कुछ नेताओं के रिश्ते ख़ालिस्तानी नेताओं से भी बताये जाते हैं…. 

ख़ालिस्तान को लेकर इसके इरादे कुमार विश्वास ने भी अनेक बार ज़ाहिर किये हैं….

इसका राष्ट्र्द्रोह तब सामने आया जब इसने अपने विरोधियों की जासूसी करने के लिये ‘पेगासस‘ का बाप Military Grade snooping device ख़रीदने के लिये इज़रायल को ऑर्डर दिया किंतु इज़रायल ने यह कह कर मना कर दिया कि वे यह device राज्य को नहीं बेचते.. इसके लिये देश की अनुमति होनी चाहिये.. इस नटवर लाल ने इसे ख़रीदने की गृह मंत्रालय से अनुमति माँगी, तभी मोटा भाई समझ गये थे…..

क्या आपने पहले कभी सुना है कि किसी मुख्यमंत्री ने जासूसी करने की device ख़रीदने की इच्छा जताई हो…..? 

इससे आप इसके शातिराना मंसूबो का अंदाज़ा लगा सकते हैं…. इस device के माध्यम से यह प्रधानमंत्री से लेकर सेना के अधिकारी, अपने अधिकारी, जज, वकील, अपने मंत्री, नौकरशाह व उनके बेटा-बेटी व पत्नी की जासूसी करना चाहता था…. अमृतपाल के मामले में भी इसकी साज़िश सामने आई थी….

राष्ट्र्द्रोह की सूची तो बहुत लम्बी है, अभी तो ED है… कुछ समय बाद अगर *आपको NIA जाँच करती हुई दिखाई दे तो आश्चर्य न कीजियेगा…*” (साभार शोशल मीडिया)