आज का पंचाग आपका राशि फल, संस्कृत सप्ताह की शुभकामनाएं, आज है भद्रा जाने भद्रा क्या है और भद्रा काल में शुभ कार्य क्यों नहीं होते! संसार का सबसे कठिन कार्य आत्म साक्षात्कार ही है, साधना, ध्यान, मन्त्र जप आदि के नियम 

संस्कृत राजमाता है, हिन्दी बहुरानी है और अंग्रेजी नौकरानी है- (फादर कामिल बुल्के)

सर्वेभ्यः संस्कृतसप्ताहस्य शुभकामना:

🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻बुधवार, ३० अगस्त २०२३🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:०९

सूर्यास्त: 🌅 ०६:४६

चन्द्रोदय: 🌝 १८:३३

चन्द्रास्त: 🌜०५:५१

अयन 🌖 दक्षिणायणे (उत्तरगोलीय)

ऋतु: 🏔️ शरद

शक सम्वत: 👉 १९४५ (शोभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०८० (नल)

मास 👉 श्रावण (द्वितीय, शुद्ध)

पक्ष 👉 शुक्ल

तिथि 👉 चतुर्दशी (१०:५८ से पूर्णिमा)

नक्षत्र 👉 धनिष्ठा (२०:४७ से शतभिषा)

योग 👉 अतिगण्ड (२१:३३ से सुकर्मा)

प्रथम करण 👉 वणिज (१०:५८ तक)

द्वितीय करण 👉 विष्टि (२१:०१ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 सिंह

चंद्र 🌟 कुम्भ (१०:१८ से)

मंगल 🌟 कन्या (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 सिंह (अस्त, पश्चिम, वक्री)

गुरु 🌟 मेष (उदित, पश्चिम, मार्गी)

शुक्र 🌟 कर्क (उदित, पश्चिम)

शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, वक्री)

राहु 🌟 मेष

केतु 🌟 तुला

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ❌️❌️❌️

अमृत काल 👉 ११:४२ से १३:०६

विजय मुहूर्त 👉 १४:२६ से १५:१७

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:४२ से १९:०५

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:४२ से १९:४९

निशिता मुहूर्त 👉 २३:५५ से ००:४०

ब्रह्म मुहूर्त 👉 ०४:२३ से ०५:०८

राहुकाल 👉 १२:१७ से १३:५४

राहुवास 👉 दक्षिण-पश्चिम

यमगण्ड 👉 ०७:२९ से ०९:०५

होमाहुति 👉 चन्द्र

दिशाशूल 👉 उत्तर

अग्निवास 👉 पृथ्वी

भद्रावास 👉 मृत्यु (१०:५८ से २१:०१)

चन्द्रवास 👉 दक्षिण (पश्चिम १०:१९ से)

शिववास 👉 भोजन में (१०:५८ से श्मशान में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥

१ – लाभ २ – अमृत

३ – काल ४ – शुभ

५ – रोग ६ – उद्वेग

७ – चर ८ – लाभ

॥रात्रि का चौघड़िया॥

१ – उद्वेग २ – शुभ

३ – अमृत ४ – चर

५ – रोग ६ – काल

७ – लाभ ८ – उद्वेग

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।

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शुभ यात्रा दिशा

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पश्चिम-दक्षिण (गुड़ अथवा दूध का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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रक्षाबंधन (भद्रा के बाद), श्रीसत्यनारायण (पूर्णिमा) व्रत, हयग्रीव अवतार जन्मोत्सव, पंचक आरम्भ १०:१८ से कजरी पर्व, विवाहादि मुहूर्त सिंह- तुला लग्न (प्रात: ०६:०९ से १०:५७) तक, गृह प्रवेश मुहूर्त प्रातः ०६:०९ से ०९:१७ तक आदि ।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण

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आज २०:४७ तक जन्मे शिशुओ का नाम धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (गी, गू, गे) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (गो) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

सिंह – ०४:५८ से ०७:१७

कन्या – ०७:१७ से ०९:३५

तुला – ०९:३५ से ११:५६

वृश्चिक – ११:५६ से १४:१५

धनु – १४:१५ से १६:१९

मकर – १६:१९ से १८:००

कुम्भ – १८:०० से १९:२६

मीन – १९:२६ से २०:४९

मेष – २०:४९ से २२:२३

वृषभ – २२:२३ से ००:१८

मिथुन – ००:१८ से ०२:३३

कर्क – ०२:३३ से ०४:५५

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पञ्चक रहित मुहूर्त

मृत्यु पञ्चक – ०५:५२ से ०७:१७

अग्नि पञ्चक – ०७:१७ से ०९:३५

शुभ मुहूर्त – ०९:३५ से १०:५८

रज पञ्चक – १०:५८ से ११:५६

शुभ मुहूर्त – ११:५६ से १४:१५

चोर पञ्चक – १४:१५ से १६:१९

शुभ मुहूर्त – १६:१९ से १८:००

रोग पञ्चक – १८:०० से १९:२६

शुभ मुहूर्त – १९:२६ से २०:४७

मृत्यु पञ्चक – २०:४७ से २०:४९

रोग पञ्चक – २०:४९ से २२:२३

शुभ मुहूर्त – २२:२३ से ००:१८

मृत्यु पञ्चक – ००:१८ से ०२:३३

अग्नि पञ्चक – ०२:३३ से ०४:५५

शुभ मुहूर्त – ०४:५५ से ०५:५३

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन आपको धन के साथ ही सम्मान भी दिलाएगा। समाज के उच्च प्रतिष्ठित लोगो से जान-पहचान बढ़ेगी भविष्य में इसका लाभ भी अवश्य मिलेगा। आज लोगो की खातिरदारी पर खर्च भी करना पड़ेगा। कार्य-व्यवसाय में भी आकस्मिक वृद्धि होने से आर्थिक स्थिति बेहतर बनेगी। आज आप सांसारिक कार्यो में अधिक रुचि लेंगे। मनोरंजन के अवसर भी मिलेंगे। प्रेम प्रसंगों में निकटता आएगी। अविवाहितों के लिए योग्य रिश्ते आएंगे। आज आप जिस भी कार्य का प्रयास करेंगे देर अबेर उसमे सफल अवश्य होंगे।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज का दिन शांति से बीतेगा। आज कार्यो के आरम्भ में ज्यादा काम देख कर घबराहट होगी परन्तु थोड़े परिश्रम के बाद सफलता मिल जाएगी। व्यवसायी लोगो को सरकारी सहायता मिलने की संभावना आज अधिक है अन्य सरकार संबंधित कार्य भी सहज पूर्ण होंगे। आर्थिक लेन देन भी आज निर्विघ्न चलते रहंगे धन संबंधित मामलों में आपकी छवि ईमानदार वाली बनेगी। घरेलू वातावरण में छोटी मोटी उलझने रहने पर भी परस्पर एकता दिखेगी। आज किसी के बहकावे में ना आये।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन आपके अंदर नई चेतना जागृत होगी। धर्म-कर्म का प्रचार-प्रसार करने में रुचि लेंगे किसी तीर्थ स्थान पर यात्रा की योजना भी बन सकती है। व्यवसाय में थोड़ी परेशानी के बाद निर्वाह योग्य आय हो जाएगी लेकिन आज सहकर्मियों का प्रति सकारात्मक सोच रखें अन्यथा मतभेद भी हो सकते है। नौकरी पेशा जातको को अतिरिक्त कार्य मिलने से कुछ समय के लिए परेशानी रहेगी। घर के सदस्य इच्छा पूर्ति के लिए जिद करेंगे जिसे पूर्ण करने पर खर्च होगा। दूर स्थान की यात्रा में आ रही बाधा शांत होगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज के दिन आप अपनी ही किसी गलती से हानि कराएंगे। अपने निर्णय पर नही टिकने के कारण सार्वजनिक क्षेत्र अथवा परिवार में आपकी आलोचना होगी। कार्य स्थल पर भी अधिकांश समय अस्त-व्यस्त कार्यो को सुधारने में बीतेगा। धन लाभ के लिए अधिक परिश्रम करना पड़ेगा फिर भी आशाजनक नही होगा। कार्यो का विस्तार एवं निवेश आज ना करें। संभव हो तो यात्रा भी टालें वाहन चलाते समय सावधानी रखें चोट लगने का भय है। परिवारके आवश्यकता पूर्ति में देरी होने से कलह होगी।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज का दिन आपके लिए उन्नति कारक रहेगा। कार्य क्षेत्र पर आशानुकूल सहयोगी वातावरण मिलने से सुव्यवस्था बनाने में सफल रहेंगे इसका फल धन लाभ के रूप में अवश्य मिलेगा। आज आपके पास किसी आशा से आया कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नही जाएगा। कार्य क्षेत्र के साथ ही परोपकार पर भी ध्यान देंगे सामाजिक कार्यो में समय कम दे पाएंगे फिर भी आर्थिक सहयोग करने से मान बढ़ेगा। प्रतिस्पर्धी आपके आगे टिक नही सकेंगे। गृहस्थ में आपके निर्णयों को सम्मान मिलेगा पारिवारिक सदस्यों को आपकी आवश्यकता भी रहेगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज का दिन आपके लिये लाभ के साथ ही खर्च वाला भी रहेगा। व्यवसायी वर्ग आज संबंधों से ज्यादा धन को अधिक महत्त्व देंगे धन लाभ आवश्यकता से अधिक होगा लेकिन संबंधों में खटास आएगी। घर की अपेक्षा बाहर के लोग आप पर अधिक विश्वास करेंगे। लेकिन रोजगार संबंधित कार्य स्वयं के बल पर ही करने होंगे। दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर खर्च होगा महिलाये आज ज्यादा खर्चीली रहेंगी जिससे घर का बजट प्रभावित हो सकता है। घर के बुजुर्ग पुरानी बीमारी के कारण परेशान रहेंगे। आत्मसंतोष की कमी रहेगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज आप प्रत्येक कार्यो में आवश्यकता से कुछ अधिक दिमाग लगाएंगे स्वयं को लेकर भ्रम की स्थिति में रहेंगे हद से ज्यादा आत्मविश्वास भी हानि का कारण बन सकता है। कार्य व्यवसाय में आज कार्यो को स्वाभाविक ही होने दें सहकर्मियों के कार्यो में टांग अड़ाना भारी पड़ेगा। व्यवसाय नए प्रयोग आज ना करें हानि हो सकती है। सेहत में उतार चढ़ाव बना रहेगा हाथ पैरों में शिथिलता आएगी। आज किसी भी प्रकार के जोखिम वाले कार्य से बचें। परिजनों के लिए थोड़ा समय अवश्य निकालें इससे घर मे शांति बनी रहेगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आपका आज का दिन प्रतिकूल फलदायी रहेगा। आपको आज किसी की भलाई करने पर भी बदले में बुराई ही मिलेगी। बिना मांगे किसी को सलाह ना दें एवं ना ही किसी के व्यक्तिगत कार्यो में दख़ल दें सम्मान हानि हो सकती है। दिन के अधिकांश समय घरेलू उलझनों के कारण मानसिक रूप से विचलित रहेंगे। भले बुरे का विवेक कम ही रहेगा। व्यवसाय में भी असफलता मिलने पर मन अनैतिक साधनों से कमाई की ओर आकर्षित होगा लेकिन इससे स्थिति और ज्यादा खराब हो सकती है। धैर्य से आज का दिन व्यतीत करें। धन को ज्यादा महत्त्व ना दें।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज का दिन आपके लिये लाभदायक रहेगा। दिन के पूर्वार्ध से ही धन संबंधित कार्यो की जोड़ तोड़ में लग जाएंगे लेकिन सफलता मध्यान के बाद ही मिलेगी। कार्य व्यवसाय के साथ ही आज अतरिक्त आय के स्त्रोत्र भी बनेंगे लंबी यात्रा के योग भी बन रहे है जो कि अंत समय मे टल भी सकते है फिर भी यात्रा में सामान की सुरक्षा निश्चित करें। घर मे आज आनंददाय वातावरण रहेगा परिजनों की खुशि के लिये बजट से ज्यादा खर्च करेंगे लेकिन धन लाभ भी साथ होने से आर्थिक स्थिति स्थिर बनी रहेगी। महिलाये मनपसंद वस्तु पाकर खुश रहेंगी। स्वास्थ्य की अनदेखी करेंगे।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन आप निश्चिन्त होकर बिताएंगे कार्य स्थल पर आज व्यवसाय कुछ खास नही रहेगा फिर भी आत्मसंतोष की भावना रहने से मन विचलित नही होगा। समस्त कार्यो में अधिक प्रयास के बाद ही सफलता मिलेगी इसलिए आज के दिन अतिमहत्त्वपूर्ण कार्यो को टालना ही बेहतर रहेगा। आय की अपेक्षा व्यय अधिक होगा परन्तु आवश्यक कार्यो पर ही खर्च करेंगे। मध्यान के बाद लाभ के सौदे हाथ लगेंगे निकट भविष्य में इनसे धन लाभ होगा। घरेलू वातावरण किसी सदस्य के गलत आचरण के कारण कुछ समय के लिए अशांत बनेगा। बुजुर्गो की नाराजगी झेलनी पड़ेगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज के दिन आपके अंदर चंचलता अधिक रहेगी। मन किसी एक निर्णय पर नही टिकने से लाभ के अवसर हाथ से निकल सकते है। आज आप किसी पर भी जल्दी से विश्वास नही करेंगे। घर के सदस्यों को भी शक की दृष्टि से देखने पर माहौल खराब होगा। पूजा पाठ में श्रद्धा रहेगी फिर भी मन इधर उधर भटकने से एकाग्रता नही रहेगी। नौकरी पेशा जातक कामो में लापरवाही दिखाने पर अपमानित हो सकते है। काम चलाने लायक आर्थिक लाभ संध्या के आसपास हो जाएगा। पारिवारिक सदस्यों को आज संतुष्ट नही कर पाएंगे।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन आपके लिए हानिकारक रहेगा। सेहत में प्रातः काल से ही गिरावट बनेगा जिसका प्रभाव समस्त दिनचार्य पर पड़ेगा। अधिकतर कार्य मजबूरी में करने पड़ेंगे। व्यवसायी वर्ग किसी सौदे के निरस्त होने अथवा कार्यो में त्रुटि रहने से निराश होंगे। सरकारी एवं सम्पति संबंधित मामलों में उलझने बढ़ेंगी इन्हें यथा सम्भव आज ना करें। आज किसी पर भी बिना विचार किये विश्वास ना करें किसी अपरिचित द्वारा धोखा हो सकता है। दाम्पत्य में खर्च करने पर भी शांति स्थापित करने में असफल रहेंगे।🙏राधे राधे🙏

*🌹भद्रा क्या है : भद्रा क्या होती है, जानिए इसके बारे में🌹*

*किसी भी शुभ कार्यों में मुहूर्त का विशेष महत्व है। मुहूर्त गणना के लिए पंचांग का होना आवश्यक है। तिथि, वार, नक्षत्र, योग व करण इन 5 अंगों को मिलाकर ही ‘पंचांग’ बनता है।* 

*करण पंचांग का पांचवां अंग है। तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं। तिथि के पहले आधे भाग को प्रथम करण तथा दूसरे आधे भाग को द्वितीय करण कहते हैं। इस प्रकार 1 तिथि में दो करण होते हैं। करण कुल 11 प्रकार के होते हैं इनमें से 7 चर व 4 स्थिर होते हैं।*

*चर करण- 1. बव 2. बालव 3. कौलव 4. तैतिल 5. गर 6. वणिज 7. विष्टि (भद्रा)।*

*🚩स्थिर करण-* 8. शकुनि 9. चतुष्पद 10. नाग 11. किंस्तुघ्न।

 

*📿इसमें विष्टि करण को ही भद्रा कहते हैं। समस्त करणों में भद्रा का विशेष महत्व है।* 

 

शुक्ल पक्ष अष्टमी (8) पूर्णिमा (15) तिथि के पूर्वाद्ध में, चतुर्थी (4) व एकदशी (11) तिथि के उत्तरार्द्ध में, एवं कृष्ण पक्ष की तृतीया (3) व दशमी (10) तिथि के उत्तरार्द्ध में, सप्तमी (7) व चतुर्दशी (14) तिथि के पूर्वाद्ध में ‘भद्रा’ रहती है अर्थात् विष्टि करण रहता है। 

पूर्वार्द्ध की भद्रा दिन में व उत्तरार्द्ध की भद्रा रात्रि में त्याज्य है। यहां विशेष बात यह है कि भद्रा का मुख भाग ही त्याज्य है जबकि पुच्छ भाग सब कार्यों में शुभ फलप्रद है। भद्रा के मुख भाग की 5 घटियां अर्थात 2 घंटे त्याज्य है। इसमें किसी भी प्रकार का शुभ कार्य करना वर्जित है। पुच्छ भाग की 3 घटियां अर्थात् 1 घंटा 12 मिनट शुभ हैं। 

सोमवार व शुक्रवार की भद्रा को कल्याणी, शनिवार की भद्रा को वृश्चिकी, गुरुवार की भद्रा को पुण्यवती तथा रविवार, बुधवार, मंगलवार की भद्रा को भद्रिका कहते हैं। इसमें शनिवार की भद्रा विशेष अशुभ होती है।*🚩#हरिऊँ🚩* ✍️आचार्य पांडुरंगराव शास्त्री*

संसार में सब से कठिन क्या है?अपने आप को जानना अपने कमी को पकड़ना एवं अपने अन्दर परमात्मा भगवान नारायण को आत्मसात करना। अपने आप को क्यों नहीं जान पाते हैं? क्योंकि हमारे अन्दर परमात्मा के प्रति दुबिधा या संदेह बना रहता है कि परमात्मा भगवान नारायण अन्दर हैं कि नहीं है और कोई कहता है कि अन्दर ही हैं, लेकिन दिखाई तो देते नहीं हैं। क्या अंदर ऐसा लगता है? ऐसा अन्दर कुछ नहीं लगता है। फिर ऐसा लगेगा कैसे? क्योंकि हमारा हृदय कहीं और है,और मन कहीं और है काम कुछ और कर रहे हैं। क्योंकि हम लोगों की द्वैत बुद्धि के कारण दृष्टि में भ्रम  हो गया है, हम लोगों की द्वैत बुद्धि कैसे होती है ?जब राग संसारिक वस्तुओं से और द्वेष या संदेह भगवान के प्रति हो बस यही कारण होता है। जबकि अथाह अनुराग भगवान के प्रति होना चाहिए और संसारिक वस्तुओं को केवल काम चलाने की वस्तु समझना चाहिए। क्योंकि ना कुछ लेकर आये ना कुछ लेकर जाना है तो संसारिक वस्तुओं से इतना लगाव या मोह हमारी मुक्ति में बाधक बन सकता है और हमें यहीं अन्य पशुवत योनियों में भटका अटका सकता है इसलिए साधक बनो। जब दया के धाम तथा करुणा के सागर हम लोगों के ऊपर कृपा करते हैं,फिर ज्ञान भक्ति और वैराग्य के रूप में प्रकट होते हैं, उसके बाद दृष्टि के दोष का निवारण होता है। फिर राग और द्वेष के भाव से ऊपर उठते हैं। राग और द्वेष के भाव से ऊपर उठते ही शरीर रूपी धनुष का अहंकार बीचो- बीच से टूट जाता है। ज्ञान और भक्ति दोनों के चरणों से जुट जाते हैं,फिर दोनों आँखों से राग और द्वेष के भाव शून्य हो जाता है, और ज्ञान और बैराग्य आ जाता है, उसके बाद स्नेह रूपी भक्ति का धारा बहने लगती है। जब धर्म से धुल जाते हैं और प्रेम के रंग में रंग जाते हैं। फिर दुर्लभ परमात्मा का दर्शन सुलभ हो जाता है।उसके बाद हम लोग अपने आप को जान पाते हैं । जय जय श्रीमन् नारायण जी की सरकार ✍️हरीश मैखुरी


साधना, ध्यान, मन्त्र जप आदि के नियम 
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01👉  जिस आसन पर आप अनुष्ठान, पूजा या साधना करते है उसे कभी पैर से नहीं सरकाना चाहिए, कुछ लोगो कि आदत होती है कि आसन पर बैठने के पहले खड़े खड़े ही आसन को पैर से सरका कर अपने बैठने के लिए व्यवस्थित करते है, ऐसा करने से आसन दोष लगता है और उस आसन पर कि जाने वाली साधनाये सफल नहीं होती है,अतः आसन को केवल हाथो से ही बिछाये।
02👉  अपनी जप माला को कभी खुटी या कील पर न टांगे, इससे माला कि सिद्धि समाप्त हो जाती है, जप के पश्चात् या तो माला को किसी डिब्बी में रखे,गौ मुखी में रखे या किसी वस्त्र आदि में भी लपेट कर रखी जा सकती है, जिस माला पर आप जाप कर रहे है उस पर किसी अन्य कि दृष्टि या स्पर्श न हो इसलिए उसे साधना के बाद वस्त्र में लपेट कर रखे, इससे वो दोष मुक्त रहेगी, साथ ही कुछ लोगो कि आदत होती है जिस माला से जप करते है उसे ही दिन भर गले में धारण करके भी रहते है, जब तक किसी साधना में धारण करने का आदेश न हो जप माला को कभी धारण ना करे।
03👉  साधना के मध्य जम्हाई आना,छिक आना,गैस के कारन वायु दोष होना,इन सभी से दोष लगता है, और जाप का पुण्य क्षीण होता है। इस दोष से मुक्ति हेतु आप जप करते समय किसी ताम्र पात्र में थोडा जल तथा कुछ तुलसी पत्र डालकर रखे, जब भी आपको जम्हाई या छीक आये या वायु प्रवाह कि समस्या हो,तो इसके तुरंत बाद पात्र में रखे जल को मस्तक तथा दोनों नेत्रो से लगाये इससे ये दोष समाप्त हो जाता है साथ ही साधको को नित्य सूर्य दर्शन कर साधना में उत्पन्न हुए दोषो कि निवृति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। इससे भी दोष समाप्त हो जाते है, साथ ही यदि साधना काल में हल्का भोजन लिया जाये तो इस प्रकार कि समस्या कम ही उत्पन्न होती है।
04👉 ज्यादातर देखा जाता है कि कुछ लोग बैठे बैठे बिना कारन पैर हिलाते रहते है या एक पैर के पंजे से दूसरे पैर के पंजे या पैर को आपस में अकारण रगड़ते रहते है ऐसा करने से साधको को सदा बचना चाहिए, क्युकी जप के समय आपकी ऊर्जा मूलाधार से सहस्त्रार कि और बढ़ती है परन्तु सतत पैर हिलाने या आपस में रगड़ने से वो ऊर्जा मूलाधार पर पुनः गिरने लगती है क्युकी आप देह के निचले हिस्से में मर्दन कर रहे है और ऊर्जा का सिद्धांत है जहा अधिक ध्यान दिया जाये ऊर्जा वहाँ जाकर स्थिर हो जाती है इसलिए ही तो कहा जाता है कि जप करते समय आज्ञा चक्र या मणिपुर चक्र पर ध्यान लगाना चाहिए। अतः अपने इस दोष को सुधारे।
05👉  साधना काल में अकारण क्रोध करने से बचे,साथ ही यथा सम्भव मौन धारण करे और क्रोध में अधिक ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने से बचे इससे संचित ऊर्जा का नाश होता है और सफलता शंका के घेरे में आ जाती है।
06👉  साधक जितना भोजन खा सकते है उतना ही थाली में ले यदि आपकी आदत है अन्न जूठा फेकने कि है तो इस आदत में सुधार करे क्युकी अन्नपूर्णा शक्ति तत्त्व है, अन्न जूठा फेकने वालो से शक्ति तत्त्व सदा रुष्ट रहता है और शक्ति तत्त्व कि जिसके जीवन में कमी हो जाये वो साधना में सफल हो ही न नहीं सकता है क्युकी शक्ति ही सफलता का आधार है।
07👉  हाथ पैर कि हड्डियों को बार बार चटकाने से बचे ऐसा करने वाले व्यक्ति अधिक मात्रा में जाप नहीं कर पाते है क्युकी, उनकी उंगलिया माला के भार को अधिक समय तक सहन करने में सक्षम नहीं होती है और थोड़े जाप के बाद ही उंगलिओ में दर्द आरम्भ हो जाता है साथ ही पुराणो के अनुसार बार बार हड्डियों को चटकाने वाला  रोगी तथा दरिद्री होता है अतः ऐसा करने से बचे ।
08👉  मल त्याग करते समय बोलने से बचे,आज के समय में लोग मल त्याग करते समय भी बोलते है, गाने गुन गुनाते है, गुटखा खाते है, या मोबाइल से बाते करते है आपकी आदत ऐसी है तो ये सब करने से बचे क्युकी ऐसा करने से जिव्हा संस्कार समाप्त हो जाता है और ऐसी जिव्हा से जपे गए मंत्र कभी सफल नहीं होते है। आयुर्वेद तथा स्वास्थ्य कि दृष्टि से भी ऐसा करना ठीक नहीं है 
अतः ऐसा ना करे।
09👉  यदि आप कोई ऐसी साधना कर रहे है, जिसमे त्राटक करने का नियम है तो आप नित्य बादाम के तैल कि मालिश अपने सर में करे और नाक के दोनों नथुनो में एक एक बूंद बादाम का तेल डाले। इससे सर में गर्मी उत्पन्न नहीं होगी और नेत्रो पर पड़े अतिरक्त भार कि थकान भी समाप्त हो जायेगी। साथ ही आवला या त्रिफला चूर्ण का सेवन भी नित्य करे तो सोने पर सुहागा।
10👉  जप करते समय अपने गुप्तांगो को स्पर्श करने से बचे साथ ही माला को भूमि से स्पर्श न होने दे , यदि आप ऐसा करते है तो जाप कि तथा माला कि ऊर्जा भूमि में समा जाती है ।
11👉  जब जाप समाप्त हो जाये तो आसन से उठने के पहले आसन के निचे थोडा जल डाले और इस जल को मस्तक तथा दोनों नेत्रो पर अवश्य लगाये। ऐसा करने से आपके जप का सफल होता है।
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