धधक रहे हैं उत्तराखंड के जंगल 6 लोगों की मृत्यु 1316 हेक्टेयर जंगल राख, वन विभाग की नाकामी पर मुख्यमंत्री हुए सख्त17 अधिकारियों/कार्मिकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही

मैखुरा तहसील कर्णप्रयाग जनपद चमोली हरे जंगलों में भड़की आग, आगे बुझाते हुए झुलसे कुछ ग्रामीण। पिछले चार दिनों से धधक रहे जंगल। सूचना के उपरांत भी नहीं पंहुचे वन कर्मी। उत्तराखंड के अधिकांश जंगलों में आग ने तांडव मचा रखा है अब तक आग से जलकर 6 लोगों की जान जा चुकी है जबकि 1316 हेक्टेयर जंगल राख हो चुके हैं।

मुख्यमंत्री सचिवालय में वनाग्नि नियंत्रण के संबंध में पूर्व में दिए गए निर्देशों की समीक्षा करते हुए लापरवाही बरतने वाले वन विभाग के 17 अधिकारियों/कार्मिकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की। वन विभाग एवं स्थानीय लोगों के सहयोग से काफ़ी हद तक वनाग्नि पर काबू पाया जा चुका है और जल्द ही हम जंगल की आग को पूरी तरह बुझाने में कामयाब होंगे।*

*बैठक के दौरान फायर स्टेशनों पर वनाग्नि की सूचनाओं पर त्वरित कार्रवाई करने और इसकी तत्काल सूचना DFO, CCF, PCCF के कंट्रोल रूम में दिए जाने की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया। जंगल की आग को कम करने के उद्देश्य से पिरूल को एकत्रित करने के लिए ‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ’ मिशन को शुरू करने हेतु अधिकारियों को निर्देश दिए।*

*साथ ही मानसून सीजन के दृष्टिगत कम से कम रिस्पॉन्स टाइम के साथ राहत एवं बचाव कार्य शुरू करने और इस अवधि में सड़क, बिजली एवं पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों के लिए खाद्य सामग्री, दवाओं एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की पूर्ण व्यवस्था अभी से सुनिश्चित की जाएगी।*

*चारधाम यात्रा को सुगम एवं सुरक्षित करने के अन्तर्गत अधिकारियों को यात्रा की साप्ताहिक समीक्षा करने के साथ ही श्रद्धालुओं की सुविधाओं के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करने के निर्देश दिए। चारधाम यात्रा मार्गों पर प्लास्टिक एवं अपशिष्ट प्रबंधन की बेहतर व्यवस्था की जाएगी जिससे यहां आने वाला प्रत्येक श्रद्धालु पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश लेकर जाएगा।*

इस बार उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग विकराल रूप लेती जा रही है। चिंता की बात यह है कि वनाग्नि से इस फायर सीजन अब तक छह लोग जान गंवा चुके हैं। 2016 के बाद वनाग्नि से राज्य में मौतों का यह आंकड़ा सर्वाधिक है। राज्य में अब तक आग अब तक आग 1316 हेक्टेयर जंगल को अपनी चपेट में ले चुकी है।

आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तराखंड में पिछले साल जंगल की आग से तीन लोगों की मौत हुई थी। वहीं वर्ष 2022, 2021 और 2020 में दो-दो लोगों ने जांन गंवाई थी। 2019 में एक मौत हुई। जबकि 2018 और 2017 में कोई मौत नहीं हुई। साल 2016 में पूरे सीजन में वनाग्नि से छह मौतें हुई थीं। इस बार आधा फायर सीजन ही बीता है और छह लोगों की जान जंगलों की आग लील चुकी है। हालांकि, पौड़ी जिले में एक व्यक्ति की मौत को लेकर वन विभाग की ओर से स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।

उत्तराखंड में आग का तांडव: अब तक आग से जलकर 6 लोगों की जा चुकी है जान, 1316 हेक्टेयर जंगल वैसे तो गर्मियों के सीजन में उत्तराखंड के जंगलों में आग लगना आम बात है। परतुं इस बार उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग विकराल रूप लेती जा रही है। चिंता की बात यह है कि वनाग्नि से इस फायर सीजन अब तक छह लोग जान गंवा चुके हैं। 2016 के बाद वनाग्नि से राज्य में मौतों का यह आंकड़ा सर्वाधिक है। राज्य में अब तक आग अब तक आग 1316 हेक्टेयर जंगल को अपनी चपेट में ले चुकी है।

आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तराखंड में पिछले साल जंगल की आग से तीन लोगों की मौत हुई थी। वहीं वर्ष 2022, 2021 और 2020 में दो-दो लोगों ने जांन गंवाई थी। 2019 में एक मौत हुई। जबकि 2018 और 2017 में कोई मौत नहीं हुई। साल 2016 में पूरे सीजन में वनाग्नि से छह मौतें हुई थीं। इस बार आधा फायर सीजन ही बीता है और छह लोगों की जान जंगलों की आग लील चुकी है। हालांकि, पौड़ी जिले में एक व्यक्ति की मौत को लेकर वन विभाग की ओर से स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।

राज्य में जंगलों के धधकने का सिलसिला मंगलवार को भी जारी रहा। बीते 24 घंटों में वनाग्नि की 68 नई घटनाएं सामने आईं। वन विभाग के मुताबिक, मंगलवार को गढ़वाल में पांच, कुमाऊं में 55 और वन्य जीव क्षेत्रों में आठ जगह जंगलों में आग लगी। इस दौरान 119.7 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आया है। अब तक आग की कुल 998 घटनाओं में 1316.12 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है।

अब तक 390 मुकदमे दर्ज

राज्य में अब तक आग लगाने की घटनाओं को लेकर 390 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से 330 अज्ञात व 60 नामजद मामले हैं। इस बार 60 से अधिक लोगों की पहचान कर उनको गिरफ्तार भी किया जा चुका है। जो राज्य बनने के बाद से अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। राज्य बनने के बाद से आज तक कभी सौ से ज्यादा मुकदमे पूरे सीजन में जंगल जलाने के नहीं हुए। यह कार्रवाई भी एक नया रिकार्ड है।

अल्मोड़ा में जंगल की आग से 30 गांवों के लोग आपदा में

अल्मोड़ा जिले में जंगल की आग ने 30 गांवों के ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। यहाँ कड़ी मेहनत से विकसित किए गए 7.5 हेक्टेयर में फैले जिले के आदर्श जंगल के रूप में पहचाने जाने वाले स्याहीदेवी-शीतलाखेत जंगल के साथ ही अपने खेत-खलिहानों को बचाने के लिए गांव की महिलाएं, बुजुर्ग, युवा रात-दिन बारी-बारी से जंगल में पहरेदारी कर रहे हैं। यहां तक कि उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था भी जंगल में ही हो रही है। वर्ष 2003 में विलुप्त हो गए स्याहीदेवी-शीतलाखेत जंगल को बगैर पौधरोपण के फिर से विकसित करने की पहल शुरू हुई थी। जंगल बचाओ… जीवन बचाओ अभियान चलाकर संयोजक के तौर पर स्वास्थ्य विभाग के फार्मासिस्ट गजेंद्र कुमार पाठक के नेतृत्व में धामस, नौला, भाकड़, गणस्यारी, स्याहीदेवी, रौन, डाल, डोबा, जूट, कसून, रैंगल, बलम, तल्ला रौतेला, देवलीखान सहित 30 गांवों के ग्रामीणों ने वन विभाग के सहयोग से बांज, बुरांश, फल्यांट सहित अन्य प्रजातियों का जंगल विकसित किया।

 वैसे तो गर्मियों के सीजन में उत्तराखंड के जंगलों में आग लगना आम बात है। परतुं इस बार उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग विकराल रूप लेती जा रही है। चिंता की बात यह है कि वनाग्नि से इस फायर सीजन अब तक छह लोग जान गंवा चुके हैं। 2016 के बाद वनाग्नि से राज्य में मौतों का यह आंकड़ा सर्वाधिक है। राज्य में अब तक आग अब तक आग 1316 हेक्टेयर जंगल को अपनी चपेट में ले चुकी है।

आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तराखंड में पिछले साल जंगल की आग से तीन लोगों की मौत हुई थी। वहीं वर्ष 2022, 2021 और 2020 में दो-दो लोगों ने जांन गंवाई थी। 2019 में एक मौत हुई। जबकि 2018 और 2017 में कोई मौत नहीं हुई। साल 2016 में पूरे सीजन में वनाग्नि से छह मौतें हुई थीं। इस बार आधा फायर सीजन ही बीता है और छह लोगों की जान जंगलों की आग लील चुकी है। हालांकि, पौड़ी जिले में एक व्यक्ति की मौत को लेकर वन विभाग की ओर से स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।

राज्य में जंगलों के धधकने का सिलसिला मंगलवार को भी जारी रहा। बीते 24 घंटों में वनाग्नि की 68 नई घटनाएं सामने आईं। वन विभाग के मुताबिक, मंगलवार को गढ़वाल में पांच, कुमाऊं में 55 और वन्य जीव क्षेत्रों में आठ जगह जंगलों में आग लगी। इस दौरान 119.7 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आया है। अब तक आग की कुल 998 घटनाओं में 1316.12 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है।

अब तक 390 वाद पंजीकृत 

राज्य में अब तक आग लगाने की घटनाओं को लेकर 390 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से 330 अज्ञात व 60 नामजद मामले हैं। इस बार 60 से अधिक लोगों की पहचान कर उनको गिरफ्तार भी किया जा चुका है। जो राज्य बनने के बाद से अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। राज्य बनने के बाद से आज तक कभी सौ से ज्यादा मुकदमे पूरे सीजन में जंगल जलाने के नहीं हुए। यह कार्रवाई भी एक नया रिकार्ड है।

पूरी रात नहीं सोए ग्रामीण, आग बुझाने में जुटे रहे…ताड़ीखेत के दूर के गांव तक जंगल की आग पहुंच गई। अपने घर, खेत, खलिहान की चिंता से ग्रामीण पूरी रात नहीं सो सके और आग बुझाने में जुटे रहे। सुबह चार बजे के करीब ग्रामीणों ने कड़ी मशक्कत के बाद जंगल की आग को गांव पहुंचने से रोका।

पौड़ी के जंगलों में सेना के हेलीकॉप्ट से किया जा रहा है पानी का छिड़काव

पौड़ी जिले में मंगलवार को 5 बड़ी वनाग्नि की घटनाएं घटी है। जिसमें अदवाणी का रिजर्व फॉरेस्ट, खिर्सू का जंगल और पाबौ का जंगल समेत अन्य क्षेत्र में जंगल धू-धू कर जले। जिलाधिकारी डॉ. आशीष चैहान के निर्देश पर पौड़ी जिले में वनाग्नि को बुझाने के लिए वायुसेना की ओर से चलाया जा रहा ऑपरेशन फिर से शुरू हो गया है। ऑपरेशन के तहत वायुसेना ने एमआई-17 की मदद से मंगलवार को पौड़ी के अदवाणी में आग बुझाने का काम किया। इससे पहले सोमवार को एयर फोर्स का एमआई-17 हेलीकॉप्टर श्रीनगर के समीप कोटेश्वर हेलीपेड में उतरा। हेलीकॉप्टर ने अलकनंदा झील से बांबी बैकेट में पानी भरकर डोभ श्रीकोट में आग बुझाने का कार्य किया। पहले दिन हेलीकॉप्टर ने दो राउंड में लगभग पांच हजार लीटर पानी का छिड़काव किया। वहीं आज मंगलवार दोपहर बाद भी एयर फोर्स के हेलीकॉप्टर ने श्रीनगर के समीप कोटेश्वर हेलीपेड से उड़ान भरकर अलकनंदा नदी से बांबी बैकेट में पानी भरकर आदवानी के जंगलों और आस–पास के प्रभावित क्षेत्र में आग बुझाने का कार्य किया किया। दूसरे दिन हेलीकॉप्टर ने 5 राउंड लगाकर वनाग्नि प्रभावित क्षेत्रों में पानी का छिड़काव किया।