आज का पंचाग आपका राशि फल, जीवन को विख्यात और उदात्त बनाने के लिए सूर्य अर्घ्य देते हुए करें इस सूर्य मंत्र का जप

*_भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।_*

ॐ श्री आदित्याय नम 🙏🏻🙏🏻

प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं रूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्

भावार्थ : सूर्य का वह प्रशस्त रुप जिसका मण्डल ऋग्वेद, कलेवर यजुर्वेद तथा किरणें सामवेद हैं जो सृष्टि आदि के कारण हैं, ब्रह्मा और शिव के स्वरूप हैं तथा जिनका रुप अचिन्त्य और अलक्ष्य है, प्रातःकाल मैं उनका स्मरण करता हूँ🙏🏻🙏🏻

सुप्रभात मित्रों—आपका आज का दिवस शुभ एवं मंगलमय हो, श्री सूर्यदेव भगवान् , आपकी समस्त कामनाओं की पूर्ति करें, आपका सदा कल्याण करें—-जीवन को विख्यात और उदात्त बनाने के लिए सूर्य अर्घ्य देते हुए करें इस सूर्य मंत्र का जप

किस समय दें भगवान सूर्य को अर्घ्य

 

पुराणों के अनुसार सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देना सबसे उत्तम माना गया है। सूर्योदय हो जाने के बाद यदि आप अर्घ्य देते है तो उसे प्रायश्चित का अर्घ्य कहा जाता है। सूर्योदय हो जाने के पश्चात आप दो घंटे तक भगवान सूर्य नारायण को अर्घ्य दे सकते हैं उसमें कोई दोष नहीं लगता है। सूर्योदय हो जाने के बाद यदि आप अर्घ्य देते हो तो आपको एक और अर्घ्य देना है जिसे हम प्रायश्चित का अर्घ्य भी कहते हैं।

 

अर्घ्य कैसे देना चाहिए

 

अर्घ्य देते समय अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर रखना है। थोड़ा सा सिर झुकाकर मंत्र बोलते-बोलते भगवान सूर्य नारायण को अर्घ्य देना चाहिए। और ध्यान रहे अर्घ्य किसी पवित्र जगह पर ही देना चाहिए। या फिर किसी ताम्र पात्र में अर्घ्य दें। अर्घ्य देने के बाद उस जल से अपनी दोनों आंखें और कानों को स्पर्श करें। उसके बाद फिर उस जल में से थोड़ा सा जल आपको ग्रहण करना चाहिए। यानि जल आपको पीना है।अर्घ्य देने की विधि

 

नारद पुराण के अनुसार जल, दूध, कुशा, थोड़ासा घी, शहद, लाल चंदन, लाल कनेर के पुष्प और गुड़ ये आठों दृव्य मिलाकर एक ताम्र कवच में उसे रखना है। और उसे मिश्रित करना है। और पूर्व दिशा की ओर अपना मुख करके अर्घ्य देना है। यह अर्घ्य देने का सबसे उत्तम विधि मानी जाती है।

सूर्य मंत्र

ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घ्यं नमोस्तुते।

अगर नारद पुराण के अनुसार आठ सामग्री को इक्ट्ठा करने में आप असमर्थ हैं तो नारद मुनि ने एक संक्षिप्त विधि भी अर्घ्य देने की बताई है जोकि बहुत ही सरल है। इस विधि के अनुसार आपको सिर्फ जल में चंदन या कुमकुम, पुष्प, अक्षत डालना है।मंत्र

 

ऊं अर्घ्यं गृहाण देवेश गन्धपुष्पाक्षतैः सह। करुणां कुरु मे देव गृहाणार्घ्यं नमोस्तुते।

 

इस मंत्र के द्वारा आपको भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना है। नारद पुराण के अनुसार यह सूर्य को जल अर्पित करने की बहुत सरल और संक्षिप्त विधि है। भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पण कर देने के बाद या आपने ताम्र पात्र में अर्घ्य दिया है और उस ताम्र पात्र में जो जल इक्ट्ठा हुआ है। उसमें से आपको थोड़ासा जल अपने हाथ पर लेना है और आपको फिर स्वयं जल ग्रहण का मंत्र बोलना चाहिए।

 

मंत्र

 

अकाल-मृत्यु-हरणं सर्व-व्याधि-विनाशनम सूर्य-पादोदकं-तीर्थं जठरे धारयामि अहम्।

इसके बाद फिर उस जल को आपको पीना है। इसका मतलब यह है कि जो भी मनुष्य भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद उस जल को ग्रहण करके अगर घर के बाहर जाता है। तो उसकी कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होती है। ऐसा शास्त्रों में वर्णित है। तो इस प्रकार से अर्घ्य भगवान सूर्य नारायण को देना चाहिए। जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं।

तमोरिसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं ।। (रवि) 

जो जपा पुष्प के समान अरुणिमा वाले महान तेज से संपन्न अंधकार के विनाशक सभी पापों को दूर करने वाले तथा महर्षि कश्यप के पुत्र हैं उन सूर्य को मैं प्रणाम करता हूं

दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवं।

नमामि शशिनं सोंमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।। (चंद्र)

जो दधि, शंख तथा हिम के समान आभा वाले छीर समुद्र से प्रादुर्भूत भगवान शंकर के सिरो भूषण तथा अमृत स्वरूप है उन चंद्रमा को मैं नमस्कार करता हूं।

धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांतीं समप्रभं।

कुमारं शक्तिहस्तंच मंगलं प्रणमाम्यहं ।। (मंगळ)

जो पृथ्वी देवी से उद्भूत विद्युत की कांति के समान प्रभाव आ दें कुमारावस्था वाले तथा हाथ में शक्ति लिए हुए हैं उन मंगल को मैं प्रमाण प्रणाम करता हूं।

प्रियंगुकलिका शामं रूपेणा प्रतिमं बुधं।

सौम्यं सौम्य गुणपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहं ।।(बुध)

जो प्रियंगु लता की कली के समान गहरे हरित वर्ण वाले अतुलनीय सौंदर्य वाले तथा सौम्य गुण से संपन्न है उन चंद्रमा के पुत्र बुद्ध को मैं प्रणाम करता हूं।

देवानांच ऋषिणांच गुरुंकांचन सन्निभं

बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं (गुरु)

जो देवताओं और ऋषियों के गुरु हैं स्वर्णिम आभा वाले हैं ज्ञान से संपन्न है तथा तीनों लोकों के स्वामी हैं उन बृहस्पति को मैं नमस्कार करता हूं।

हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूं।

सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहं।। (शुक्र)

जो हिमकुंद पुष्प तथा कमलनाल के तंतु के समान श्वेत आभा वाले, दैत्यों के परम गुरु, सभी शास्त्रों के उपदेष्टा तथा महर्षि ध्रुव के पुत्र हैं, उन शुक्र को मैं प्रणाम करता हूं।

नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्वरं।। (शनि)

जो नीले कज्जल के समान आभा वाले, सूर्य के पुत्र यम के जेष्ठ भ्राता तथा सूर्य पत्नी छाया तथा मार्तंड से उत्पन्न है उन शनिश्चर को मैं नमस्कार करता हूं।

“विद्वान लोग कहते हैं, ‘इच्छाओं और आशाओं पर ही संसार जीवित रहता है।’ इसलिए कुछ मात्रा में इच्छा और आशा तो सदा रखनी ही चाहिए। पूरी तरह से निराश कभी नहीं होना चाहिए।”

व्यक्ति के दुखों के दो बड़े-बड़े कारण हैं, इच्छाएं और आशाएं। इन दोनों का एक ही नियम है। इनको जितना जितना अधिक पूरा करते जाएंगे, ये दोनों उतने ही बढ़ते जाएंगे, और आपको परेशान करेंगे। यदि इन पर नियंत्रण लगाया जावे, तो ये नियंत्रित भी हो जाएंगे। और आपको परेशान नहीं करेंगे।

‘इच्छा’ का अर्थ होता है, “मैं चाहता हूं कि मुझे अमुक वस्तु मिल जाए। मैं इतना धन प्राप्त कर लूं, इतना बड़ा और ऐसा मकान बना लूं, ऐसा कर लूं, वैसा कर लूं, आदि।” इस प्रकार की स्थिति को ‘इच्छा’ कहते हैं। यह स्वयं से संबंधित है। अर्थात व्यक्ति इच्छाएं स्वयं ही अपने मन में उठाता रहता है। इच्छा को अंग्रेजी भाषा में ‘डिज़ायर’ ‘Desire’ कहते हैं।
और ‘आशा’ दूसरों से संबंधित है, कि “दूसरा व्यक्ति मेरे लिए ऐसा करे, वैसा करे, आदि।” इसे ‘आशा या उम्मीद’ कहते हैं। अंग्रेजी में इसे ‘एक्सपेक्टेशन’ ‘Expectation’ कहते हैं।

सामान्य नियम तो यही है कि यदि आपकी इच्छाएं और आशाएं पूरी हो जाएं, तो आपका जीवन सुखमय हो सकता है। यदि ये पूरी नहीं हो पाईं, तो आप चारों ओर से दुखों में घिर जाएंगे।

“इच्छाएंं तीन प्रकार की होती हैं। पहली — जिन वस्तुओं की प्राप्ति के बिना जीवन जीना संभव नहीं है, उतनी वस्तुओं की प्राप्ति करने की इच्छाएं तो रखनी चाहिएं। जैसे रोटी कपड़ा मकान कोई वाहन आदि। दूसरी — जिन इच्छाओं को पूरा करना आपके सामर्थ्य से बाहर है, ऐसी बड़ी बड़ी इच्छाओं को छोड़ दें। जैसे रातों रात करोड़पति बनना, आदि। तीसरी — और कुछ इच्छाएं दूसरों के सहयोग से पूरी हो सकती हैं। अर्थात यदि दूसरों का सहयोग ठीक समय पर मिल गया, तो आपकी वे इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। यदि सहयोग ठीक समय पर नहीं मिला, तो वे इच्छाएं पूरी नहीं हो पाएंगी। ऐसी स्थिति में दूसरे लोगों से कुछ मात्रा में आशा रखनी पड़ती है, और रखनी चाहिए। इसी से जीवन ठीक प्रकार से चल सकता है।”

“अब जो दूसरों से आशाएं रखनी हैं, वे भी सौ प्रतिशत नहीं रखनी। दोनों संभावनाएं अपने मन में रखें। यदि दूसरों का सहयोग ठीक समय पर मिल गया, तब तो आपकी इच्छा पूरी हो सकती है। यदि ठीक समय पर सहयोग नहीं मिला, तो आपकी इच्छा पूरी नहीं हो पाएगी।” दोनों संभावनाएं हैं, इसलिए दोनों के लिए तैयार रहें। ऐसा विचार अपने मन में सदा रखें। ऐसा करने से इच्छाओं और आशाओं पर आपका नियंत्रण बना रहेगा।

तब यदि वे इच्छाएं और आशाएं पूरी हो गईं, तो भी आपको अच्छा लगेगा। और यदि वे इच्छाएं और आशाएं पूरी नहीं हो पाई, तब भी आप दुखी नहीं होंगे, क्योंकि आप उस स्थिति के लिए मानसिक रूप से पहले से तैयार हैं। “इस प्रकार से अपने जीवन में अपनी इच्छाओं और आशाओं का नियंत्रण रखना ही, सुखी जीवन जीने का सही उपाय है।”

फिर जीवन में कुछ न कुछ समस्याएं भी आती रहती हैं, आगे भी आएंगी। ऐसा न सोचें, कि “मेरे जीवन में कोई समस्या न आए, अथवा नहीं आएगी।” समस्याएं चारों ओर हैं। कभी भी कहीं से भी कोई भी समस्या जीवन में आ सकती है। “ऐसी स्थिति में यही सोचना उत्तम है, कि जब जो समस्या आएगी, तब उसको देख लेंगे। ईश्वर तथा अन्य महानुभावों से शक्ति और सहयोग प्राप्त करके उस से युद्ध करेंगे और उसे जीत लेंगे।” ऐसी आशा सदा अपने मन में रखनी चाहिए। हो सकता है, कि “जो समस्या आज है, आपके पुरुषार्थ करने पर वह समस्या कल न रहे, दूर हो जाए।” यदि ऐसा हो गया, तो बहुत है। बस यही जीवन जीने की सही कला है।

केदारनाथ मंदिर की रात्रि छवि

🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
*********|| जय श्री राधे ||*********
🌺🙏 *महर्षि पाराशर पंचांग* 🙏🌺
🙏🌺🙏 *अथ पंचांगम्* 🙏🌺🙏
*********ll जय श्री राधे ll*********
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺

*दिनाँक-:20/03/2022,रविवार*
द्वितीया, कृष्ण पक्ष
चैत्र
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

तिथि——– द्वितीया 10:05:55 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र——— चित्रा 22:39:14
योग———— ध्रुव 18:31:30
करण———– गर 10:05:54
करण—— वणिज 21:14:27
वार——————— रविवार
माह————————- चैत्र
चन्द्र राशि —— कन्या 11:09:49
चन्द्र राशि ———————- तुला
सूर्य राशि——————- मीन
रितु———————-वसन्त
आयन—————- उत्तरायण
संवत्सर——————- प्लव
संवत्सर (उत्तर)————-आनंद
विक्रम संवत————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)—- 2078
शाका संवत—————1943

वृन्दावन
सूर्योदय————- 06:24:39
सूर्यास्त————– 18:29:02
दिन काल———– 12:04:22
रात्री काल———– 11:54:30
चंद्रास्त————– 07:41:52
चंद्रोदय————– 20:39:53

लग्न—- मीन 5°14′ , 335°14′

सूर्य नक्षत्र——– उत्तराभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र—————- चित्रा
नक्षत्र पाया—————–रजत

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

पो—- चित्रा 11:09:49

रा—- चित्रा 16:54:56

री—- चित्रा 22:39:14

रू—- स्वाति 28:22:47

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मीन 05:12 ‘उ o भा o , 1 दू
चन्द्र =कन्या 27°23, चित्रा , 2 पो
बुध = कुम्भ 22 ° 07′ पूo भा o ‘ 1 से
शुक्र=मकर 18°05, श्रवण ‘ 3 खे
मंगल=मकर 16°30 ‘ श्रवण ‘ 2 खू
गुरु=कुम्भ 23°30 ‘ पू o भा o, 2 सो
शनि=मकर 25°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 01°20′ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 01°20 विशाखा , 4 तो

*🚩💮🚩 मुहूर्त प्रकरण 🚩💮🚩*

राहू काल 16:58 – 18:29 अशुभ
यम घंटा 12:27 – 13:57 अशुभ
गुली काल 15:28 – 16:58 अशुभ
अभिजित 12:03 -12:51 शुभ
दूर मुहूर्त 16:52 – 17:41 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:25 – 07:55 अशुभ
चर 07:55 – 09:26 शुभ
लाभ 09:26 – 10:56 शुभ
अमृत 10:56 – 12:27 शुभ
काल 12:27 – 13:57 अशुभ
शुभ 13:57 – 15:28 शुभ
रोग 15:28 – 16:58 अशुभ
उद्वेग 16:58 – 18:29 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
शुभ 18:29 – 19:58 शुभ
अमृत 19:58 – 21:28 शुभ
चर 21:28 – 22:57 शुभ
रोग 22:57 – 24:26* अशुभ
काल 24:26* – 25:56* अशुभ
लाभ 25:56* – 27:25* शुभ
उद्वेग 27:25* – 28:54* अशुभ
शुभ 28:54* – 30:24* शुभ

💮होरा, दिन
सूर्य 06:25 – 07:25
शुक्र 07:25 – 08:25
बुध 08:25 – 09:26
चन्द्र 09:26 – 10:26
शनि 10:26 – 11:26
गुरु 11:26 – 12:27
मंगल 12:27 – 13:27
सूर्य 13:27 – 14:28
शुक्र 14:28 – 15:28
बुध 15:28 – 16:28
चन्द्र 16:28 – 17:29
शनि 17:29 – 18:29

🚩होरा, रात
गुरु 18:29 – 19:29
मंगल 19:29 – 20:28
सूर्य 20:28 – 21:28
शुक्र 21:28 – 22:27
बुध 22:27 – 23:27
चन्द्र 23:27 – 24:26
शनि 24:26* – 25:26
गुरु 25:26* – 26:25
मंगल 26:25* – 27:25
सूर्य 27:25* – 28:24
शुक्र 28:24* – 29:24
बुध 29:24* – 30:24

*🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩*

मीन > 06:14 से 07:45 तक
मेष > 07:45 से 10:28 तक
वृषभ > 10:28 से 12:09 तक
मिथुन > 12:09 से 13:33 तक
कर्क > 13:33 से 15:53 तक
सिंह > 15:53 से 16:57 तक
कन्या > 16:57 से 08:09 तक
तुला > 08:09 से 10:40 तक
वृश्चिक > 10:40 से 01:52 तक
धनु > 01:52 से 02:56 तक
मकर > 02:56 से 04:46 तक
कुम्भ > 04:46 से 06:14 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौंजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

15 + 2 + 1 + 1 = 19 ÷ 4 = 3 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

मंगल ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

17 + 17 + 5 = 39 ÷ 7 = 4 शेष

सभायां = सन्ताप कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

रात्रि 21:13 से प्रारम्भ

पाताल लोक = धनलाभ कारक

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

* रंगजी ब्रह्मोत्सव उत्सव वृन्दावन

*गांगलभट्टाचार्य पाटोत्सव

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

गुरुरग्निर्द्वि जातीनां वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः ।
पतिरेव गुरुः स्त्रीणां सर्वस्याभ्यागतो गुरुः ।।
।।चा o नी o।।

ब्राह्मणों को अग्नि की पूजा करनी चाहिए . दुसरे लोगों को ब्राह्मण की पूजा करनी चाहिए . पत्नी को पति की पूजा करनी चाहिए तथा दोपहर के भोजन के लिए जो अतिथि आये उसकी सभी को पूजा करनी चाहिए .

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग अo-13

क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोरेवमन्तरं ज्ञानचक्षुषा ।,
भूतप्रकृतिमोक्षं च ये विदुर्यान्ति ते परम्‌ ॥,

इस प्रकार क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के भेद को (क्षेत्र को जड़, विकारी, क्षणिक और नाशवान तथा क्षेत्रज्ञ को नित्य, चेतन, अविकारी और अविनाशी जानना ही ‘उनके भेद को जानना’ है) तथा कार्य सहित प्रकृति से मुक्त होने को जो पुरुष ज्ञान नेत्रों द्वारा तत्व से जानते हैं, वे महात्माजन परम ब्रह्म परमात्मा को प्राप्त होते हैं॥,34॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
व्यवसाय ठीक चलेगा। पुराने मित्र व संबंधियों से मुलाकात होगी। व्यय होगा। प्रसन्नता रहेगी। व्यापार में नए अनुबंध लाभकारी रहेंगे। परिश्रम का अनुकूल फल मिलेगा। परिजनों के स्वास्थ्य और सुविधाओं की ओर ध्यान दें।

🐂वृष
विवाद से क्लेश होगा। फालतू खर्च होगा। पुराना रोग परेशान कर सकता है। जोखिम न लें। जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद हो सकते हैं। विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता प्राप्ति के योग हैं। सावधानी व सतर्कता से व्यापारिक अनुबंध करें। दांपत्य जीवन अच्छा रहेगा।

👫मिथुन
यात्रा, नौकरी व निवेश मनोनुकूल रहेंगे। रोजगार‍ मिलेगा। अप्रत्याशित लाभ संभव है। जोखिम न लें। धर्म के कार्यों में रुचि आपके मनोबल को ऊंचा करेगी। मिलनसारिता व धैर्यवान प्रवृत्ति जीवन में आनंद का संचार करेगी। कई दिनों से रुका पैसा मिल सकेगा।

🦀कर्क
चोट व रोग से बचें। कानूनी अड़चन दूर होगी। धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। प्रसन्नता रहेगी। क्रय-विक्रय के कार्यों में लाभ होगा। योजनाएं बनेंगी। उच्च और बौद्धिक वर्ग में विशेष सम्मान प्राप्त होगा। भाइयों से अनबन हो सकती है। अपनी वस्तुएं संभालकर रखें।

🐅सिंह
राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रमाद न करें। जायदाद संबंधी समस्या सुलझने के आसार बनेंगे। अनुकूल समाचार मिलेंगे तथा दिन आनंदपूर्वक व्यतीत होगा। नए संबंध लाभदायी सिद्ध होंगे।

🙍‍♀️कन्या
मेहनत का फल मिलेगा। कार्य की प्रशंसा होगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रसन्नता रहेगी। संतान की शिक्षा की चिंता समाप्त होगी। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। महत्व के कार्य को समय पर करें। व्यावसायिक श्रेष्ठता का लाभ मिलेगा।

⚖️तुला
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा, नौकरी व निवेश मनोनुकूल रहेंगे। जोखिम न उठाएं। आज का दिन आपके लिए शुभ रहने की संभावना है। स्थायी संपत्ति में वृद्धि होगी। रोजगार के अवसर मिलेंगे। परिवार में खुशी का माहौल रहेगा।

🦂वृश्चिक
मेहनत का फल मिलेगा। योजना फलीभूत होगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कर्ज से दूर रहना चाहिए। खर्च में कमी होगी। कानूनी विवादों का निपटारा आपके पक्ष में होने की संभावना है। प्रतिष्ठितजनों से मेल-जोल बढ़ेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

🏹धनु
कुसंगति से हानि होगी। वाहन मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। वाणी प‍र नियंत्रण रखें, जोखिम न लें। परेशानियों का मुकाबला करके भी लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे। व्यापारिक लाभ होगा। संतान के प्रति झुकाव बढ़ेगा। शिक्षा व ज्ञान में वृद्धि होगी।

🐊मकर
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का मौका मिलेगा। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। लाभ होगा। धन संचय की बात बनेगी। परिवार के कार्यों पर ध्यान देना जरूरी है। रुका कार्य होने से प्रसन्नाता होगी। आर्थिक सलाह उपयोगी रहेगी। कर्ज की चिंता कम होगी।

🍯कुंभ
संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें। धैर्य एवं शांति से वाद-विवादों से निपट सकेंगे। दुस्साहस न करें। नए विचार, योजना पर चर्चा होगी। स्वयं की प्रतिष्ठा व सम्मान के अनुरूप कार्य हो सकेंगे।

🐟मीन
बुरी खबर मिल सकती है। दौड़धूप अधिक होगी। वाणी पर नियंत्रण रखें। थकान रहेगी। व्यापार-व्यवसाय संतोषप्रद रहेगा। आपसी संबंधों को महत्व दें। अल्प परिश्रम से ही लाभ होने की संभावना है। खर्चों में कमी करने का प्रयास करें। अति व्यस्तता रहेगी।

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺
*आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)*
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
09897565893,09412618599