आज का पंचाग आपका राशि फल, धर्म का मर्म, पितृदेवताओं और पितृ पक्ष का वैज्ञानिक अन्वेषण, गोपेश्वर में मंचित होगा ‘आषाढ़ का एक दिन’

​                     𝕝𝕝 🕉 𝕝𝕝

                    श्री हरिहरो 

                   विजयतेतराम

        *🌹।।सुप्रभातम्।।🌹*

        🗓 आज का पञ्चाङ्ग 🗓

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*रविवार, १८ सितम्बर २०२२*

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सूर्योदय: 🌄 ०६:१५

सूर्यास्त: 🌅 ०६:२०

चन्द्रोदय: 🌝 २३:३९

चन्द्रास्त: 🌜१३:३७

अयन🌖दक्षिणायने(उत्तरगोलीय)

ऋतु: ❄️ शरद 

शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)

विक्रम सम्वत:👉२०७९ (राक्षस)

मास 👉 आश्विन

पक्ष 👉 कृष्ण

तिथि👉अष्टमी(१६:३२से नवमी)

नक्षत्र👉मृगशिरा(१५:११से आर्द्रा

योग👉सिद्धि(०६:३४से व्यतीपात

प्रथम करण 👉 कौलव

(१६:३२ तक)

द्वितीय करण 👉 तैतिल

(२९:४६ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 कन्या

चंद्र 🌟 मिथुन

मंगल🌟वृष(उदित,पश्चिम,मार्गी)

बुध🌟कन्या(अस्त,पूर्व,मार्गी)

गुरु🌟मीन (उदित, पूर्व, वक्री)

शुक्र 🌟 सिंह (उदित, पूर्व)

शनि🌟मकर(उदित,पूर्व,वक्री)

राहु 🌟 मेष

केतु 🌟 तुला

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    शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४६ से १२:३५

विजय मुहूर्त 👉 १४:१३ से १५:०३

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:०७ से १८:३१

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:१९ से १९:२९

निशिता मुहूर्त 👉 २३:४८ से २४:३५

राहुकाल 👉 १६:४७ से १८:१९

राहुवास 👉 उत्तर

यमगण्ड 👉 १२:११ से १३:४३

होमाहुति 👉 गुरु (१५:११ से राहु)

दिशाशूल 👉 पश्चिम

अग्निवास 👉 आकाश 

चन्द्रवास 👉 पश्चिम

शिववास 👉 गौरी के साथ (१६:३२ से सभा में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – उद्वेग २ – चर

३ – लाभ ४ – अमृत

५ – काल ६ – शुभ

७ – रोग ८ – उद्वेग

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – शुभ २ – अमृत

३ – चर ४ – रोग

५ – काल ६ – लाभ

७ – उद्वेग ८ – शुभ

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।

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शुभ यात्रा दिशा

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पश्चिम-दक्षिण (पान का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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अष्टमी तिथि का श्राद्ध, जीवित पुत्रीका व्रत, अशोकाष्टमी आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण

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आज १५:११ तक जन्मे शिशुओ का नाम 

मृगशिरा नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (क, की) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम आर्द्रा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (कु, घ, ङ) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

कन्या – ३०:०२ से ०८:१९

तुला – ०८:१९ से १०:४०

वृश्चिक – १०:४० से १३:००

धनु – १३:०० से १५:०३

मकर – १५:०३ से १६:४४

कुम्भ – १६:४४ से १८:१०

मीन – १८:१० से १९:३४

मेष – १९:३४ से २१:०७

वृषभ – २१:०७ से २३:०२

मिथुन – २३:०२ से २५:१७

कर्क – २५:१७ से २७:३

सिंह – २७:३९ से २९:५८

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पञ्चक रहित मुहूर्त

रोग पञ्चक – ०६:०३ से ०८:१९

शुभ मुहूर्त – ०८:१९ से १०:४०

मृत्यु पञ्चक – १०:४० से १३:००

अग्नि पञ्चक – १३:०० से १५:०३

शुभ मुहूर्त – १५:०३ से १५:११

रज पञ्चक – १५:११ से १६:३२

शुभ मुहूर्त – १६:३२ से १६:४४

चोर पञ्चक – १६:४४ से १८:१०

शुभ मुहूर्त – १८:१० से १९:३४

शुभ मुहूर्त – १९:३४ से २१:०७

चोर पञ्चक – २१:०७ से २३:०२

शुभ मुहूर्त – २३:०२ से २५:१७

रोग पञ्चक – २५:१७ से २७:३९

शुभ मुहूर्त – २७:३९ से २९:५८

मृत्यु पञ्चक – २९:५८ से ३०:०३

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज के दिन आप आर्थिक मामलों को लेकर संतुष्ट रहेंगे। व्यवसायी वर्ग किसी बड़ी योजना अथवा अनुबंध पर कार्य करेंगे इसका लाभ भी शीघ्र ही मिलना आरम्भ हो जाएगा। धन की आमाद आज कई स्त्रोतों से एक साथ हो सकती है इसके लिए आपको सामाजिक व्यवहारिकता भी बढ़ानी पड़ेगी। कुछ समय से चल रही आर्थिक उलझनों में कमी आएगी धन कोष में वृद्धि होगी भविष्य के लिए संचय भी कर सकेंगे साथ ही आज दान पुण्य करने का भी मन बनेगा। मित्र मंडली में आपके उदार स्वभाव का गलत फायदा उठाया जा सकता है। दाम्पत्य जीवन मे भी सरसता बनी रहेगी। परिजन आज आपसे कोई आशा लागये रहेंगे इसको थोड़े विलम्ब से परन्तु पूरी अवश्य करेंगे। पुरानी बीमारी के दोबारा जोर पकड़ने पर तकलीफ हो सकती है।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज के दिन विवेकी व्यवहार अपनाएंगे जिससे व्यर्थ के झगड़ो से बचे रहेंगे। कार्य व्यवसाय में आज कुछ विशेष सफलता नही मिलेगी फिर भी जितना मिले उसी में संतोष का परिचय देंगे। लेकिन परिवार में आज किसी सदस्य की इच्छा पूर्ति ना होने पर वातावरण खराब हो सकता है। नए कार्य की योजना बना रहे है तो अभी रुके वार्ना धन संबंधित उलझनों में फंस सकते है। नौकरी पेशा जातक काम मे ऊबन अनुभव करेंगे। मनोरंजन के अवसर नही मिलने से निराशा बढ़ेगी। संध्या का समय दिन की तुलना में मानसिक रूप से शांति दिलाएगा। सेहत लगभग ठीक ही रहेगी।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन व्यस्तता से भरा रहेगा मनोरंजन के विचार आज मन मे ही रह जाएंगे। कार्य क्षेत्र पर काम अधिक रहने से दिनचार्य बिगड़ेगी परन्तु आर्थिक लाभ बीच-बीच मे होते रहने से खान पान का भी ध्यान नही रहेगा। सरकारी कार्यो में दौड़ धूप का सकारात्मक परिणाम मिलेगा इसके अतिरिक्त घरेलू कार्यो में भी आज आपके सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी जिससे कुछ समय के लिए परेसानी होंगी। सार्वजनिक क्षेत्र पर नए लाभदायक संबंध बनाने आसान रहेंगे लेकिन बोल चाल में सावधानी बरतें तो आपके व्यक्तित्व से हर कोई सहज आकर्षित हो जाएगा। दाम्पत्य जीवन प्रेम पूर्ण रहेगा। गैस की पुरानी समस्या के चलते मध्यान तक शरीर के अन्य अंगों में दर्द की शिकायत रहेगी।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आपका आज का दिन भी कुछ विशेष नही रहेगा कल की ही भांति आज भी कारोबार अथवा अन्य धन संबंधित कार्य बाधा आने से अटके रहेंगे फिर भी आज खर्च लायक आमद जोड़ तोड़ करने से हो ही जाएगी। पारिवारिक अथवा अन्य कारणों से यात्रा करनी पड़ेगी आज धन खर्च के साथ आकस्मिक दुर्घटना अथवा चोटादि लग्ने का भी भय है सावधानी रखें। स्वभाव में स्वार्थ सिद्धि दिखेगी इस कारण अन्य लोग भी आज आपसे मतलब से ही बात करेंगे। धार्मिक कार्य मे अरुचि रहेगी फिर भी आज किये गए पूण्य कर्म शीघ्र फलदायी रहेंगे। घर का वातावरण अस्तव्यस्त रहेगा आज का दिन धैर्य से बिताएं।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज के दिन का आरंभ सामान्य रहेगा लेकिन धीरे धीरे प्रतिकूलता आती जाएगी पूर्व निर्धारित कार्य मे विघ्न आने से आरंभ करने में परेशानी होगी। सार्वजनिक क्षेत्र पर आपको आदर की दृष्टि से देखा जाएगा लेकिन व्यावसायिक दृष्टिकोण से इसका लाभ नही उठा पाएंगे। कार्य क्षेत्र पर आज अनुभव होने के बाद भी लगभग सभी कार्यो में कुछ ना कुछ त्रुटि रहेगी व्यवसाय में किसी अन्य के भरोसे रहने से हानि उठानी पड़ेगी। आज स्वयं के बल पर ही लाभ की संभावना रहेगी। परिवार में किसी सदस्य का गलत आचरण आपको आहत करेगा। थोड़ा बहुत मानसिक क्लेश दिन भर बना रहेगा। आज आप जैसा औरो के लिए सोचेंगे वैसी ही प्रतिक्रिया आपको मिलेगी। धन लाभ भागदौड़ के बाद भी सीमित रहेगा। बदहजमी अथवा कान संबंधित व्याधि हो सकती है।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज का दिन आपके लिए लाभदायक रहेगा दिन के आरम्भ में स्वभाव से त्यागी संतोषि रहेंगे लेकिन मध्यान बाद इसके विपरीत आर्थिक भूख बढ़ेगी कार्य व्यवसाय से लाभ के अवसर मिलते रहने से धैर्य बना रहेगा सहकर्मी बिना बोले सहयोग करने के लिए तैयार रहेंगे लेकिन मन मे कोई न कोई स्वार्थ अवश्य छुपा रहेगा। जोखिम वाले कार्य शेयर सट्टे आदि से धन कोष में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा अंत समय पर टल सकती है। आज आप मन इच्छित वस्तुओं पर आसानी से खर्च कर सकेंगे। घर मे सुख सुविधा के साधन बढ़ेंगे परिजन भी आज आपके व्यवहार से प्रसन्न रहेंगे। प्रेम प्रसंगों में समय एवं धन खर्च करेंगे लेकिन इसका सार्थक परिणाम भी मिलेगा। संध्या के समय आकस्मिक लाभ होने से रोमांचित रहेंगे। पेट मे गैस के कारण सीने में दर्द एवं गिरने से चोटादि का भय है।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज का दिन आप शांति से बिताएंगे। दिन के आरंभ में किसी कार्य को लेकर जल्दबाजी रहेगी इसके बाद लगभग सभी कार्यो को आराम से ही करेंगे। आज आप किसी भी काम को लेकर ज्यादा भागदौड़ करने के मूड में नही रहेंगे। सहज जितना प्राप्त होगा उसी में संतोष कर लेंगे। व्यवसाय में निवेश करेंगे परन्तु इसका लाभ शीघ्र नही मिल सकेगा निकट भविष्य में अवश्य ही धन दुगना होकर मिलेगा। घर का वातावरण भी आज सुख की अनुभूति कराएगा परिजनों के साथ हास्य परिहास ने समय व्यतीत होगा। परिजन मनोकामना पूर्ति करेंगे। लंबी यात्रा की योजना बनेगी लेकिन इससे लाभ होने संदिग्ध ही रहेगा। सर्द गरम की शिकायत हो सकती है वाणी में आज अशुद्धि भी रहेगी।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन प्रतिकूल फलदायी रहेगा। सेहत का आज विशेष ध्यान रखें पेट खराब होने से मुख में छाले अथवा हिचकिया अधिक आएंगी। आकस्मिक चोटादि लगने का भी भय है। दिन शारीरिक रूप से कष्टदायक रहेगा। आज दैनिक के साथ व्यर्थ के खर्च रहने से ज्यादा परेशानी बनेगी। आज आप स्वभाव से भी अत्यंत संदेही रहेंगे जिससे स्नेहीजनों के दिल को ठेस पहुच सकती है इस कारण ही आवश्यकता पड़ने पर किसी सहकर्मी का सहयोग नही मिलेगा। कार्य व्यवसाय में आज महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से बचें हानि हो सकती है। घरवाले थोड़ी बहुत मदद करने का प्रयास करेंगे परन्तु स्वभाव में अहम की भावना रहने से आपको पसंद नही होगा। आर्थिक रूप से भी दिन परेशानी वाला रहेगा। उधार लेने की नौबत आ सकती है। दाम्पत्य जीवन मे नीरसता का अहसास होगा।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज का दिन भी आपके लिए शुभ बना रहेगा कुछ मामूली उलझनों को छोड़ दैनिक कार्य सामान्य गति से चलते रहेंगे। नौकरी धंधे से अपेक्षित लाभ कमाने के लिए आज किसी के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन आपके उदासीन व्यवहार के कारण सहयोग प्राप्त करने में थोड़ा विलंब हो सकता है। व्यवसायी वर्ग दिन के आरंभ में परेशान रहेंगे लेकिन बाद में आर्थिक समस्या का समाधान होने से शांति मिलेगी। पारिवारिक सुख आज सामान्य रहेगा। कुछ समय के लिये शारीरिक स्फूर्ति खत्म जैसी लगेगी दवा लेने पर सामान्य हो सकती है।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन सामान्य फलदायी रहेगा फिर भी व्यवहारों में अधिक सतर्कता बरते आपका गलत आचरण किसी के दिल को ठेस पहुचायेगा आप स्वयं को अन्य लोगो पर बोझ जैसा समझेंगे। लोग आपके सामने नही बोल सकेंगे परन्तु पीछे से सारी कसर निकाल लेंगे। झूठी चुगली के कारण अपमानित होना पड़ सकता है जिससे कलह के भी प्रसंग बनेंगे। आर्थिक रूप से भी आज का दिन सामान्य ही रहेगा काम धंदे से खर्च की अपेक्षा कम ही आय होगी। संचित धन के ऊपर ज्यादा निर्भर रहना पड़ेगा। नौकरी पेशा जातक कार्यो के प्रति ज्यादा गंभीर नही रहेंगे। घरेलू कार्यो की अनदेखी बाद में भारी पड़ेगी। सेहत वैसे तो सामान्य रहेगी लेकिन कार्य करते समय सतर्कता बरते चोट जख्म आदि का भय है।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज के दिन आपमे वैचारिक शक्ति अधिक रहेगी सोच समझ कर ही कोई निर्णय लेंगे परन्तु आज किसी की जमानत अथवा अन्य भरोसे वाले कार्य मे ना पढ़ें स्वयं के साथ परिजनों के सम्मान को ठेस लग सकती है। दिन के आरंभ में सेहत नरम रहेगी धीरे धीरे सुधार आ जायेगा। कार्यो के प्रति गंभीर रहने पर भी व्यवसाय में मंदी के कारण ज्यादा लाभ नही कमा सकेंगे। बुद्धि बल से ही आज आशाजनक लाभ प्राप्त किया जा सकता है परन्तु आज धन खर्च करने पर ही धन की प्राप्ति संभव है। संध्या के समय किसी परिचित से झगड़ा होने की संभावना है। आपके चिड़चिड़े स्वभाव के कारण परिवार में अशांति रहेगी परिजनों पर अनैतिक दबाव डालना आगे भारी पड़ सकता है। सरकारी कार्य से यात्रा होगी। गले संबंधित तकलीफ भी रहने की संभावना है।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन आपके लिए कलहकारी रहेगा। घर के सदस्यों में आपसी तालमेल की कमी रहेगी भाई बंधुओ को भी आपके द्वारा किसी न किसी रूप में कष्ट पहुचेगा। एक दूसरे के प्रति गलतफहमियां ना पाले अन्यथा बाद में पछतावा होगा। कार्य क्षेत्र पर भी सहकर्मियों से विचार मेल ना खाने से काम की गति प्रभावित हो सकती है। अधिकारियों से आज बच कर रहना होगा लोग आपकी गलती करने की प्रतीक्षा में रहेंगे। घर मे भी महत्त्वपूर्ण कार्य सबकी सलाह लेकर ही करें अन्यथा रूठने मनाने में ही दिन निकल जायेगा। धन का खर्च बचाते भी अनर्गल वस्तुओं पर होगा। संतानो के विषय मे राहत रहेगी। महिलाओ को मासिक धर्म एवं अन्य जातको को भी रक्त संबंधित शिकायत रह सकती है धारदार औजारों से सावधान रहें।

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*आहार निद्रा भय मैथुनं च सामान्यमेतत् पशुभिर्नराणाम्।*धर्मो हि तेषामधिको विशेष: धर्मेण हीनाः पशुभिः समानाः॥

भावार्थ :-
आहार, निद्रा, भय और मैथुन– ये तो इन्सान और पशु में समान है। इन्सान में विशेष केवल धर्म है, अर्थात् बिना धर्म के लोग पशुतुल्य है।

🌹सुप्रभात🌹

💐जय श्रीमन् नारायण जी की सरकार 💐

पितर शब्द के अर्थ-वेद के आधार पर इसका विस्तृत वर्णन दो पुस्तकों में है-(१) पण्डित मधुसूदन ओझा की पितृ-समीक्षा-हिन्दी व्याख्या सहित जोधपुर विश्वविद्यालय के मौधुसूदन ओझा शोध प्रकोष्ठ से प्रकाशित। (२) ओझा जी के शिष्य पण्डित मोतीलाल शर्मा का श्राद्ध विज्ञान, खण्ड-२, राजस्थान पत्रिका, जयपुर से प्रकाशित।

श्रुति में पितर शब्द कई अर्थों में प्रयुक्त हुआ है-१. अग्नि (सघन ताप या तेज, सीमाबद्ध पिण्ड अग्नि है), २. सोम (विरल फैला हुआ तेज या पदार्थ), ३. ऋतु (समरूप परिवेश या क्षेत्र), ४. संवत्सर (पृथ्वी कक्षा, कक्षा में पृथ्वी का परिक्रमा काल, सौर-चान्द्र मास का समन्वय जिसके अनुसार समाज चलता है, गुरु का मध्यम गति से १ राशि का भ्रमण काल, सौर मण्डल जहां तक १ वर्ष में सूर्य किरण पहुंचती है), ५. विट् (समाज, उसका पालक वैश्य), ६. मास, ७. ओषधि (जो वृक्ष फल पकने पर समाप्त होता है, बाकी वनस्पति हैं), ८. यम (अष्टाङ्ग योग का प्रथम अङ्ग, निषेध के नियम, नियन्त्रण, भारतवर्ष की पश्चिमी सीमा के राजा, शनि का अन्धकार भाग, दक्षिण दिशा), ९. अपराह्ण (दिन का अन्तिम भाग), १०. कूप (पानी के लिये खोदा गया गड्ढा, खाली स्थान जैसे रोमकूप, नदी के बीच वृक्ष), ११. नीवि (वस्त्र को कमर में बान्धने का नाड़ा, मूलधन या सम्पत्ति), १२. मघा (इस नक्षत्र के पितर देवता हैं), १३. मन, १४. ह्लीक (लज्जा या संकोच, पिता, नेवला, दीवाल की नींव या आधार), १५. ऊष्मा (पितरों का एक गण जो यमसभा में यमराज की उपासना करता है। महाभारत, सभा पर्व ८/३०-अग्निष्वात्ताश्च पितरः फेनपाश्चोष्मपाश्च ये। स्वधावन्तो वर्हिषदो मूर्तिमन्तस्तथापरे॥, गीता, ११/२२, महाभारत सभापर्व, १०९/२ के अनुसार दक्षिण दिशा में ऊष्मपा पितर रहते हैं-अत्र लोकत्रयस्यास्य पितृपक्षः प्रतिष्ठितः। अत्रोष्मपाणां देवानां निवासः श्रूयते द्विज॥), १६. ऊम (मित्र, सहचर), १७. ऊर्व (वड़वानल = समुद्र के भीतर की अग्नि, जल का पात्र, या समुद्र, मेघ, पशु रखने का स्थान, एक प्रकार के पितर, और्व ऋषि द्वारा सगर का जन्म), १८. काव्य (सृष्टि रचना, रसात्मक वाक्य, किसी तात्कालिक घटना का वर्णन वाक्य, उसका शाश्वत रूप काव्य), १९. देव (आकाश, पृथ्वी या शरीर के भीतर प्राण, एक मनुष्य जाति जो अपने यज्ञ या उत्पादन पर निर्भर है, असुर लूट पर निर्भर, जिस प्राण से सृष्टि होती है वह देव प्राण, निष्क्रिय असुर प्राण), २०.-प्राण (ऊर्जा, गति या क्रियात्मक शक्ति, जीवन), २१. रात्रि (शान्त अवस्था में सृष्टि या निर्माण होता है), २२. अवान्तर दिशायें (एक दिशा में गति होने से निर्माण नहीं होता, सांख्य अनुसार सञ्चर-प्रतिसञ्चर दोनों होना चाहिये, ईशावास्योपनिषद् का सम्भूति-असम्भूति), २३. तिर (तिरछा, पार करना, ऋग्वेद १०/१२९/५ के नासदीय सूक्त में सृष्टि का प्रकार-तिरश्चीनो विततो रश्मिरेषा), २४. सुप्त भाव (शान्त अवस्था में सृष्टि), २५. अग्नि से खाया जाने वाला तत्त्व (अग्निष्वात, निर्माण स्थान में ऊर्जा द्वारा कुछ वस्तु का उपयोग होने से नया निर्माण), २६. मर्त्य तत्त्व (निर्माण के लिये पुराना रूप नष्ट होकर नया बनता है), २७. प्रजापति (प्रजा का पालन, उसके लिये निर्माण), २८. गृहपति (यह भी परिवार का पालन करता है), २९. वाक्-मन का समुच्चय (वाक् = क्रिया या उसका क्षेत्र, मन -निर्माण के लिये चेतन तत्त्व), ३०. अन्न-मूल कृषि यज्ञ के प्रसंग में गीता ३/११-१३ में इसका प्रयोग है-यज्ञ से पर्जन्य तथा पर्जन्य से अन्न होता है। बाकी यज्ञों में कोई भी दृश्य या अदृश्य उत्पाद अन्न है, उत्पादन के साधन पर्जन्य हैं, एक यज्ञ के अन्न से अन्य यज्ञ में उत्पादन-पुरुष सूक्त-यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवाः)। ३१. मित्र, वरुण-अर्यमा (इनकी व्याख्या नीचे है)। अन्य भी कई अर्थ हैं।  

पितृ शब्द की उत्पत्ति पा रक्षणे (धातुपाठ २/४९) धातु से है। जो पालन या रक्षण करे वह पितृ है। इसका एकवचन रूप पिता = जन्म या पालन करने वाला पुरुष है। द्विवचन पितरौ का अर्थ माता-पिता है। बहुवचन पितरः का अर्थ सभी पूर्वज हैं। व्यापक अर्थ में पितर के लिये जितने शब्द प्रयुक्त हैं, वे किसी न किसी प्रकार सृष्टि की उत्पत्ति या पालन करते हैं। ऋषिभ्यः पितरो जाताः पितृभ्यो देवदानवाः। देवेभ्यश्च जगत् सर्वं चरं स्थाण्वनुपूर्वशः॥ (मनुस्मृति, ३/२०१)

= ऋषियों से पितर हुए, पितरों से देव-दानव, देवों से पूरा जगत् हुआ। जगत् में अनुपूर्वशः चर और स्थाणु लिखा है। यह निश्चित रूप से मनुष्य या अचर नहीं है जो आगे पीछे के क्रम से हों (अनुपूर्वशः)। इसमें चर-अचर का कोई निश्चित क्रम नहीं है। जो आज चर है, वह प्राण या शक्ति समाप्त होने पर अचर हो जायेगा। यहां केवल अचर नहीं, स्थाणु अर्थात् धुरी जैसा स्थिर कहा है। ये ३ प्रकार के परमाणु के कण हैं। स्थाणु = भारी, परमाणु की नाबि के कण, जिनको संयुक्त रूपसे बेरिओन (भारी) कण कहते हैं। हलके चक्कर लगाने वाले सभी कणों को लेप्टान कहते हैं। विभिन्न कणों को जोड़ने वाले कण मेसोन (राज मिस्त्री) हैं। यह जगत् का सूक्ष्म रूप है। इनकी उत्पत्ति देवों से हुई। दानव या असुर प्राण उत्पादक नहीं हैं। देव-दानव पितरों से हुए, इनको आज की भाषा में क्वार्क कहा जा सकता है। यहां पितर का अर्थ हुआ प्रोटो-टाईप, निर्माणाधीन अवस्था।

मनुष्य से छोटे विश्व के ७ स्तर क्रमशः १-१ लाख भाग छोटे हैं-१. कलिल (सेल), २. जीव (अणु, श्वेताश्वतर उपनिषद् ५/९ के अनुसार यह बालाग्र का १०,००० भाग, अर्थात् परमाणू है जो कल्प या रासायनिक क्रिया में नष्ट नहीं होता है), ३. कुण्डलिनी (परमाणु की नाभि), ४. जगत्-परमाणु के ३ प्रकार के कण, ५. देव-दानव, ६. पितर, ऋषि (रस्सी, दो कणों को जोड़े, ब्रह्म-मनुष्य को जोड़े, वंश क्रम को जोड़े)।

वालाग्र शत साहस्रं तस्य भागस्य भागिनः। तस्य भागस्य भागार्धं तत्क्षये तु निरञ्जनम् ॥ (ध्यानविन्दु उपनिषद् , ४)

= (मनुष्य से छोटे स्तर ७ हैं) वालाग्र १०० हजार भाग है, इतना ही भाग पुनः ६ बार करें।

वालाग्रमात्रं हृदयस्य मध्ये विश्वं देवं जातरूपं वरेण्यं (अथर्वशिर उपनिषद् ५)

अनाद्यनन्तं कलिलस्य मध्ये विश्वस्य स्रष्टारमनेकरूपम् । 

विश्वस्यैकं परिवेष्टितारं ज्ञात्वा देवं मुच्यते सर्व पाशैः ॥ (श्वेताश्वतर उपनिषद्, ५/१३) = कलिल भी विश्व का एक रूप है।

वालाग्र शत भागस्य शतधा कल्पितस्य च ॥ 

भागो जीवः स विज्ञेयः स चानन्त्याय कल्पते ॥ (श्वेताश्वतर उपनिषद्, ५/९)

षट्चक्र निरूपण, ७-एतस्या मध्यदेशे विलसति परमाऽपूर्वा निर्वाण शक्तिः कोट्यादित्य प्रकाशां त्रिभुवन-जननी

कोटिभागैकरूपा । केशाग्रातिगुह्या निरवधि विलसत .. ।९। अत्रास्ते शिशु-सूर्यकला चन्द्रस्य षोडशी शुद्धा नीरज 

सूक्ष्म-तन्तु शतधा भागैक रूपा परा ।७। = बालाग्र का कोटि भाग। इसका १००वां भाग सूक्ष्म तन्तु, परमाणु की नाभि के बराबर है।

असद्वा ऽइदमग्र ऽआसीत् । तदाहः – किं तदासीदिति । ऋषयो वाव तेऽग्रेऽसदासीत् । तदाहुः-के ते ऋषय इति ।

ते यत्पुराऽऽस्मात् सर्वस्मादिदमिच्छन्तः श्रमेण तपसारिषन्-तस्मादृषयः (शतपथ ब्राह्मण, ६/१/१/१) = जो श्रम और तप से खींचते हैं (रस्सी की तरह) वे ऋषि हैं।

इस क्रम में ऋषि का आकार मनुष्य आकार १.३५ मीटर (लम्बाई चौड़ाई का औसत) का १० घात ३५ भाग छोटा होगा। यह आधुनिक भौतिक विज्ञान में सबसे छोटी दूरी है जिसे प्लाङ्क दूरी कहते हैं। भागवत पुराण (३/११/४) के अनुसार इस दूरी को प्रकाश जितने समय में पार करता है, वह काल का परमाणु है (१ सेकण्ड का १० घात ४३ भाग)-स कालः परमाणुर्वै यो भूङ्क्ते परमाणुताम्। इसी कालमान से स्टीफेन हाकिंस ने समय का इतिहास शुरु किया है (A Brief History of Time)।

आकाश के पितर-आकाश में ३ मुख्य धाम हैं-१०० अरब ब्रह्माण्डों का समूह दृश्य जगत् उत्तम धाम, हमारा ब्रह्माण्ड (आकाशगङ्गा) मध्यम धाम, सौर मण्डल (अवम धाम)। रस रूप अव्यक्त स्रोत परम धाम है। हर धाम में १ पृथ्वी (माता) तथा उसका आकाश (पिता) है। विष्णु पुराण (२/७/३-४) के अनुसार इनका विभाजन सूर्य-चन्द्र के प्रकाशित भाग से है। दोनों से प्रकाशित पृथ्वी ग्रह है। सूर्य द्वारा प्रकाशित भाग सौर मण्डल की पृथ्वी है। सूर्य प्रकाश की अन्तिम सीमा (विष्णु का परम पद) जहां वह विन्दु मात्र दीखता है वह तीसरी पृथ्वी ब्रह्माण्ड है। मनुष्य से पृथ्वी जितनी बड़ी है (१ कोटि गुणा), हर पृथ्वी से उसका आकाश उतना ही बड़ा है। अर्थात् अम्नुष्य से आरम्भ कर पृथ्वी, सौर पृथ्वी, ब्रह्माण्ड, दृश्य जगत् क्रमशः १-१ कोटि गुणा बड़े हैं। विश्व का मूल स्रोत आदित्य था जिससे ३ धामों का निर्माण का आदि हुआ। अभी प्रायः वैसा रूप अन्तरिक्ष (हर धाम में भूमि-द्यौ के बीच का स्थान) में दीखता है। उत्तम धाम का आदित्य अर्यमा (ब्रह्माण्डों के बीच का स्थान का पदार्थ) है। ब्रह्माण्ड का आदित्य वरुण (ताराओं के बीच का पदार्थ) है, यह मद्य है, अतः वारुणि का अर्थ मद्य है-ऋक् १/१५४/४)। सौर मण्डल का आदित्य मित्र है जो ग्रहों के बीच का पदार्थ है। आर्यमा, वरुण, मित्र-ये ३ धामों के पितर हुए। अतः सबसे बड़े धाम के पितर अर्यमा को भगवान् ने अपना रूप कहा है (गीता, १०/२९)। पृथ्वी पर इनके अलग अर्थ हैं-मित्र देश ईरान, वरुण देश इराक-अरब है। अर्यमा स्पष्ट नहीं है, पर इसका शाब्दिक अर्थ देश का प्रमुख है (अर्यमा = आजम)। मित्र का अर्थ निकट, वरुण क अर्थ दूर, अर्यमा = पूरा समाज। आकाश में पूर्व क्षितिज मित्र तथा पश्चिमी क्षितिज वरुण है। स्थिर आधार अर्यमा है। यज्ञ में स्थिर यूप दण्ड अर्यमा का प्रतीक है। 

तिस्रो भूमीर्धारयन् त्रीरुत द्यून्त्रीणि व्रता विदथे अन्तरेषाम् ।

ऋतेनादित्या महि वो महित्वं तदर्यमन् वरुण मित्र चारु ॥ (ऋग्वेद २/२७/८)

या ते धामानि परमाणि यावमा या मध्यमा विश्वकर्मन्नुतेमा । (ऋग्वेद १०/८१/४)

रवि चन्द्रमसोर्यावन्मयूखैरवभास्यते । स समुद्र सरिच्छैला पृथिवी तावती स्मृता ॥

यावत्प्रमाणा पृथिवी विस्तार परिमण्डलात्। नभस्तावत्प्रमाणं वै व्यास मण्डलतो द्विज ॥ (विष्णु पुराण २/७/३-४)

✍🏻अरुण उपाध्याय

अक्षत नाट्य संस्था गोपेश्वर चमोली के कलाकारों द्वारा ‘आषाढ़ का एक दिन ‘ नाटक का राजकीय इंटर कालेज गोपेश्वर के गौरा देवी सभागार में रविवार आज शाम ०६ बजे से मंचन किया जायेगा। बता दें कि अक्षत नाट्य संस्था दशकों से अनेक सामाजिक सांस्कृतिक विषयों पर बिना किसी सहायता के ‘करलत भीक्षा तरूतल वासा’ करके गोपेश्वर में सामाजिक सांस्कृतिक अलख जगाये हुए है शहर को जीवंत बनाये हुए हैं अब तक अक्षत नाट्य संस्था द्वारा दर्जनों गढवाली हिंदी नाटक नाटिकायें, रामलीला मंचन, और संस्कृति संरक्षण के कार्य किए गये और यहां से बहुत से कलाकार जिनमें जगत रावत, जगत गैरोला, संगीता किमोठी, किशन महिपाल, कान्ता प्रसाद आदि राष्ट्रीय स्तर के अभिनेता भी अक्षत नाट्य संस्था से ही आगे बढ़े और और फिल्म अभिनय के संसार में एक बड़ा फलक स्थापित किया। संस्था के प्रमुख और नाट्य निर्देशक विजय वशिष्ठ का तो पूरा परिवार ही अभिनय करता है। तो आषाढ़ का एक दिन इसी कड़ी में एक सुन्दर प्रस्तुति है। ✍️हरीश मैखुरी
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