आज का पंचाग आपका राशि फल, जाने मार्कंडेय की कथा जिस निमित्त भगवान शंकर द्वारा अकाल मृत्यु और दुख नाशक मृत्युंजय महामंत्र का प्राकाट्य हुआ, लाता नंदा देवी देवरा यात्रा की तिथियां निश्चित

 लाता नंदा देवी देवरा यात्रा की तिथियां हुई निश्चित      
जोशीमठ चमोली जोशीमठ में आयोजित एक बैठक में लाता नंदा देवी  देवरा रथ यात्रा की रूपरेखा तय की गई नन्दा देवी सिद्ध पीठ लाता मंदिर मे नीती घाटी के समस्त देवी देवता पश्वा,जनप्रतिनिधि व नन्दा देवी सेवा समिति के अध्यक्ष डॉ0 मान सिंह राणा जी  उपाध्यक्ष धुरुगरुडया जी सचिव लक्ष्मण सिंह बुटोला  कोषाध्यक्ष नन्दन सिंह  सरक्षण  श्री ठाकुर सिंह राणा एवं समस्त कार्यकारणी सदस्य नीती घाटी नन्दा देवी दयोरा यात्रा के तिथि एवं लग्न के विषय में  मां नन्दा देवी व भूमियाल देवता को अवतारित किया गया। सिद्ध पीठ माँ भगवती लाता नन्दा देवी ने आज्ञा दी कि नन्दा अष्टमी त्यौहार  के बाद 10वी तिथि (06 सितम्बर ) से  सिद्ध पीठ मां नन्दा देवी नीती घाटी मे भ्रमण के लिए लाता गॉव से प्रस्थान करेगी। यह देव डोली पूरे नीति घाटी के गांव में भ्रमण करेगी यह कार्यक्रम 6 से 12 वर्ष के अंतराल में किया जाता है नीति घाटी में सुख समृद्धि के लिए भगवती की रथ यात्रा का आयोजन विशेष महत्व रखता है भगवती नंदा को 1 शक्तिपीठ के रूप में माना जाता है और इस वर्ष होने वाले आयोजन में गांव-गांव में यात्रा की जाएगी आयोजन की तैयारियां शुरू हो गई है लाता भगवती नहीं यात्रा की अनुमति दे दी है और यात्रा पूरे क्षेत्र में होगी इस शुभावसर पर समिति के अध्यक्ष व समिति के कार्यकारणी सदस्य देहरादून से डॉ राम कृष्ण सिंह रावत जी लाता,श्री ठाकुर सिंह राणा जी मलारी ,श्री चंद्र सिंह राणा मलारी,गुलाब सिंह राणा जेलम,नरेंद्र सिंह राणा जेलम,श्री बसु खाती जी नीती व पुष्कर सिंह राणा जी मीडिया प्रभारी लाता मंदिर सेवा समिति नीती घाटी,समस्त लाता गॉव के गणमान्य सदस्य, समस्त नीती घाटी के जनप्रतिनिधि व बुद्धिजीवी ब्यक्ति शामिल थे। लक्ष्मण सिंह नेगी की रिपोर्ट। 

#महामृत्युंजय_मंत्र की रचना कैसे हुई
किसने की महामृत्युंजय मंत्र की रचना और जाने इसकी शक्ति___

#शिवजी के अनन्य भक्त मृकण्ड ऋषि संतानहीन होने के कारण दुखी थे. विधाता ने उन्हें संतान योग नहीं दिया था.

*मृकण्ड ने सोचा कि महादेव संसार के सारे विधान बदल सकते हैं. इसलिए क्यों न भोलेनाथ को प्रसन्नकर यह विधान बदलवाया जाए.

*मृकण्ड ने घोर तप किया. भोलेनाथ मृकण्ड के तप का कारण जानते थे इसलिए उन्होंने शीघ्र दर्शन न दिया लेकिन भक्त की भक्ति के आगे भोले झुक ही जाते हैं.

*महादेव प्रसन्न हुए. उन्होंने ऋषि को कहा कि मैं विधान को बदलकर तुम्हें पुत्र का वरदान दे रहा हूं लेकिन इस वरदान के साथ हर्ष के साथ विषाद भी होगा.

*भोलेनाथ के वरदान से मृकण्ड को पुत्र हुआ जिसका नाम मार्कण्डेय पड़ा. ज्योतिषियों ने मृकण्ड को बताया कि यह विलक्ष्ण बालक अल्पायु है. इसकी उम्र केवल 12 वर्ष है.

*ऋषि का हर्ष विषाद में बदल गया. मृकण्ड ने अपनी पत्नी को आश्वत किया- जिस ईश्वर की कृपा से संतान हुई है वही भोले इसकी रक्षा करेंगे. भाग्य को बदल देना उनके लिए सरल कार्य है.

*मार्कण्डेय बड़े होने लगे तो पिता ने उन्हें शिवमंत्र की दीक्षा दी. मार्कण्डेय की माता बालक के उम्र बढ़ने से चिंतित रहती थी. उन्होंने मार्कण्डेय को अल्पायु होने की बात बता दी.

*मार्कण्डेय ने निश्चय किया कि माता-पिता के सुख के लिए उसी सदाशिव भगवान से दीर्घायु होने का वरदान लेंगे जिन्होंने जीवन दिया है. बारह वर्ष पूरे होने को आए थे.*

*मार्कण्डेय ने शिवजी की आराधना के लिए महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और शिव मंदिर में बैठकर इसका अखंड जाप करने लगे.*

#ॐ_त्र्यम्बकं_यजामहे_सुगन्धिं_पुष्टिवर्धनम्_उर्वारुकमिव_बन्धनान्_मृत्योर्मुक्षीय_मामृताता॥

समय पूरा होने पर यमदूत उन्हें लेने आए. यमदूतों ने देखा कि बालक महाकाल की आराधना कर रहा है तो उन्होंने थोड़ी देर प्रतीक्षा की. मार्केण्डेय ने अखंड जप का संकल्प लिया था.

यमदूतों का मार्केण्डेय को छूने का साहस न हुआ और लौट गए. उन्होंने यमराज को बताया कि वे बालक तक पहुंचने का साहस नहीं कर पाए.

*इस पर यमराज ने कहा कि मृकण्ड के पुत्र को मैं स्वयं लेकर आऊंगा. यमराज मार्कण्डेय के पास पहुंच गए.*

बालक मार्कण्डेय ने यमराज को देखा तो जोर-जोर से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग से लिपट गया.

*यमराज ने बालक को शिवलिंग से खींचकर ले जाने की चेष्टा की तभी जोरदार हुंकार से मंदिर कांपने लगा. एक प्रचण्ड प्रकाश से यमराज की आंखें चुंधिया गईं.

शिवलिंग से स्वयं महाकाल प्रकट हो गए. उन्होंने हाथों में त्रिशूल लेकर यमराज को सावधान किया और पूछा तुमने मेरी साधना में लीन भक्त को खींचने का साहस कैसे किया?

*यमराज महाकाल के प्रचंड रूप से कांपने लगे. उन्होंने कहा- प्रभु मैं आप का सेवक हूं. आपने ही जीवों से प्राण हरने का निष्ठुर कार्य मुझे सौंपा है.

*भगवान चंद्रशेखर का क्रोध कुछ शांत हुआ तो बोले- मैं अपने भक्त की स्तुति से प्रसन्न हूं और मैंने इसे दीर्घायु होने का वरदान दिया है. तुम इसे नहीं ले जा सकते.

*यम ने कहा- प्रभु आपकी आज्ञा सर्वोपरि है. मैं आपके भक्त मार्कण्डेय द्वारा रचित महामृत्युंजय का पाठ करने वाले को त्रास नहीं दूंगा.

#महाकाल की कृपा से मार्केण्डेय दीर्घायु हो गए. उनके द्वारा रचित महामृत्युंजय मंत्र काल को भी परास्त करता है.

#जय_श्रीमहाकाल 🙏
#रण_में_भगवाधारी 🚩