आज का पंचाग आपका राशि फल, शरीर को पुष्ट बनाने के आयुर्वेदिक उपाय, “सठेशाठ्यं समाचरेत् करने वाला पहला योद्धा तक्षक

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻शुक्रवार, २ जुलाई २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०५:३२
सूर्यास्त: 🌅 ०७:१४
चन्द्रोदय: 🌝 २४:४७
चन्द्रास्त: 🌜१२:४३
अयन 🌕 दक्षिणायने (उत्तरगोलीय)
ऋतु: 🌦️ वर्षा
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (राक्षस)
मास 👉 आषाढ़
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 अष्टमी (१५:२८ तक)
नक्षत्र 👉 रेवती (पूर्ण रात्रि)
योग 👉 शोभन (१०:५४ तक)
प्रथम करण 👉 कौलव (१५:२८ तक)
द्वितीय करण 👉 तैतिल (२८:२५ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
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सूर्य 🌟 मिथुन
चंद्र 🌟 मीन
मंगल 🌟 कर्क (उदित, पूर्व, मार्गी)
बुध 🌟 वृष (उदय, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 कुम्भ (उदय, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 कर्क (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५३ से १२:४९
अमृत काल 👉 २७:३५ से ०५:२१ बजे
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 पूरे दिन
अमृतसिद्धि योग 👉 पूरे दिन
विजय मुहूर्त 👉 १४:४१ से १५:३८
गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:०८ से १९:३२
निशिता मुहूर्त 👉 २४:०१ से २४:४१
राहुकाल 👉 १०:३६ से १२:२१
राहुवास 👉 दक्षिण-पूर्व
यमगण्ड 👉 १५:५२ से १७:३७
होमाहुति 👉 राहु
दिशाशूल 👉 पश्चिम
अग्निवास 👉 पाताल (१५:२८ से पृथ्वी)
चन्द्रवास 👉 उत्तर
शिववास 👉 गौरी के साथ (१५:२८ से सभा में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – चर २ – लाभ
३ – अमृत ४ – काल
५ – शुभ ६ – रोग
७ – उद्वेग ८ – चर
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – रोग २ – काल
३ – लाभ ४ – उद्वेग
५ – शुभ ६ – अमृत
७ – चर ८ – रोग
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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उत्तर-पश्चिम (दहीलस्सी अथवा राई का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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विवाहादि मुहूर्त मिथुन लग्न प्रातः ०५:४१ से ०६:४३ तक, सिंह-कन्या लग्न प्रातः दोपहर ०९:०२ से दोपहर ०१:३४, वृश्चिक लग्न दोपहर ०३:५१ से सायं ०६:१०, गौधुली लग्न सायं ०७:०८ से ०८:१८ तक, मेष-वृष लग्न रात्रि १२:५५ से ०४:२९ तक, देवप्रतिष्ठा+व्यवसाय आरम्भ+नींव खुदाई एवं गृहारम्भ+गृहप्रवेश मुहूर्त प्रातः ०५:४१ से १०:४७ तक, वाहनादि+भूमि-भवन क्रय-विक्रय+चूड़ाकर्म मुहूर्त दोपहर १२:३१ से ०२:१४ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज २९:३० तक जन्मे शिशुओ का नाम
रेवती नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (दे, दो, च, ची) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
मिथुन – २८:१२ से ०६:२७
कर्क – ०६:२७ से ०८:४८
सिंह – ०८:४८ से ११:०७
कन्या – ११:०७ से १३:२५
तुला – १३:२५ से १५:४६
वृश्चिक – १५:४६ से १८:०५
धनु – १८:०५ से २०:०९
मकर – २०:०९ से २१:५०
कुम्भ – २१:५० से २३:१६
मीन – २३:१६ से २४:३९
मेष – २४:३९ से २६:१३
वृषभ – २६:१३ से २८:०८
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०५:१९ से ०६:२७
चोर पञ्चक – ०६:२७ से ०८:४८
शुभ मुहूर्त – ०८:४८ से ११:०७
रोग पञ्चक – ११:०७ से १३:२५
शुभ मुहूर्त – १३:२५ से १५:२८
मृत्यु पञ्चक – १५:२८ से १५:४६
अग्नि पञ्चक – १५:४६ से १८:०५
शुभ मुहूर्त – १८:०५ से २०:०९
रज पञ्चक – २०:०९ से २१:५०
शुभ मुहूर्त – २१:५० से २३:१६
चोर पञ्चक – २३:१६ से २४:३९
रज पञ्चक – २४:३९ से २६:१३
शुभ मुहूर्त – २६:१३ से २८:०८
चोर पञ्चक – २८:०८ से २९:२०
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आज का राशिफल
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आपके लिए आज का दिन हानि वाला रहेगा। व्यवहारिकता की कमी रहने के कारण बेवजह लोगो से उलझेंगे। आज आप अपने काम से मतलब रखने की जगह औरो की काम मे दखल देंगे जिससे सम्मान में कमी आएगी। गलत निर्णय अथवा सहकर्मियों से तालमेल की कमी के कारण आपके अधिकांश कार्य आज विलम्ब से चलेंगे कार्य क्षेत्र पर लाभ की जगह हानि अधिक होगी। असफलता मिलने पर क्रोध आएगा। व्यवसाय की निराशा घर मे निकालने अथवा अनदेखी करने पर घर मे नई परेशानी खड़ी हो सकती है। सेहत में गिरावट आएगी सरदर्द नेत्र विकार की संभावना ज्यादा है।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज आपके समस्त जरूरी कार्य दिन रहते पूर्ण करले इसके बाद परिस्थितियां विपरीत होने पर विघ्न-बाधाएं आने लगेगी। आज दिन का आरंभ सुख-शान्ति से होगा घर के सदस्य से शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। तन एवं मन मे नई स्फूर्ति का संचार रहेगा। मध्यान तक प्रत्येक कार्यो को गंभीरता से करेंगे इसका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलेगा। महिला वर्ग आज कार्य कुशलता के लिए प्रशंशा की पात्र बनेंगी। लेकिन अतिआत्मविश्वास में आकर कोई नुकसान भी हो सकता है इसका ध्यान रखें। घरेलू आवश्यकताओं अथवा परिजनों की जिद पूर्ण करने में समर्थ तो रहेंगे लेकिन असुविधा भी होगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपको कार्यो में सफलता दिलाएगा लेकिन फिर भी मनमानी के कारण कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य अधूरे भी रह सकते है। आज आपका सामाजिक दायरा बढेगा इसका लाभ पारिवारिक प्रतिष्ठा के साथ ही व्यवसाय को भी मिलेगा। परिवार के बुजुर्गो से पूर्व में मिला मार्गदर्शन भी आज कार्यो को बेहतर बनाने में मदद करेगा। धन लाभ के आरंभ में कुछ अड़चने आयेंगी लेकिन थोड़े विलम्ब से ही सही आशा से अधिक ही रहेगा। बाहर की यात्रा भोजन का अवसर मिलेगा लेकिन आज ज्यादा तीखा खाने से उदर संबंधित शिकायत होगी। ना चाहते हुए भी फिजूल खर्च नही रोक सकेंगे।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज दिन आरम्भ होते ही आपके लिए राहत भरी खबर मिलेगी जिससे मानसिक चिंताओं में कमी आएगी। धर्म कर्म अथवा परिवार के प्रति ज्यादा लगाव रखेंगे जिस वजह से कार्यो में थोड़ा विलम्ब संभव है। नौकरी पेशा जातक के दिनों से मन मे चल रही इच्छापूर्ति होने से उत्साहित रहेंगे व्यवसायी वर्ग भी आज कुछ नई जोड़ तोड़ में लगे रहेंगे परन्तु धन लाभ आज मध्यम से कम ही रहेगा। नए अनुबंध मिलने पर हाथ मे अवश्य ले लेकिन आज इनपर कार्य आरंभ नाकरें दुविधा में फंस सकते है। घरवाले आज आपकी मनपसंद वस्तु उपहार में देंगे।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपके लिए विविध समस्याएं लाएगा। परिवार अथवा रिश्तेदारी में कोई दुख होने की संभावना है। स्वयं के साथ ही आज परिजनों की सेहत का भी विशेष ख्याल रखे। कार्य क्षेत्र पर आज कुछ ना कुछ कारण से विलम्ब होगा जिसके सीधा असर आज होने वाली आय पर भी पड़ेगा। लाभ की अपेक्षा आकस्मिक खर्च अधिक होने से आर्थिक स्थिति गड़बड़ायेगी संचित धन में भी कमी आने के आसार है। आज आप दूसरों के विवाद अथवा अनर्गल प्रवृतियों से स्वयं को दूर रखें किसी अन्य के झंझट में पड़ कर स्वयं की हानि करा लेंगे। परिजन आज आपकी भावनाओं को समझते हुए भी मदद करने की स्थिति में नही रहेंगे।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन आपकी आशाओ पर खरा उतरेगा आज सभी महत्त्वपूर्ण कार्य को प्राथमिकता दें सहज सफलता मिलेगी। सरकारी एवं कागजी कार्य भी आज करने शुभ रहेंगे। व्यवसायियों को सरकारी मदद मिलने की संभावना आज अधिक रहेगी प्रयास अवश्य करें। बेरोजगार लोगो को भी आज थोड़े परिश्रम के बाद एओजगार मिल सकता है। आर्थिक दृष्टिकोण से आज का दिन थोड़ा खींच तान वाला रहेगा बिना संधर्ष किये इसमे सफलता मुश्किल रहेगी। परिजन आज आपसे किसी स्वार्थ सिद्धि के लिये अत्यंत मीठा व्यवहार करेंगे जिसके पूर्ण होने पर घरेलू खुशियों में बढ़ोतरी होगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज दिन के आरंभ में आप शारीरिक रूप से कार्यो को करने में असमर्थ रहेंगे शारीरिक शिथिलता के कारण किसी भी कार्य को करने का मन नही करेगा। मध्यान तक स्थित सामान्य बनने लगेगी लेकिन मन मे चंचलता अधिक रहने के कारण किसी भी कार्य मे तुरंत निर्णय नही ले सकेंगे। ढुल मुल नीति से कार्य करने पर लाभ के अवसर हाथ से निकलने की संभावना अधिक रहेगी। संध्या का समय अवश्य धन लाभ कराएगा लेकिन आशानुकूल नही। परिवार में आज सोच समझ कर ही बोलें जुबान पर लगाम ना रहने से कलह हो सकती है।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज दिन के आरंभ में आपको मिश्रित फल मिलेंगे मन मे किसी कार्य को लेकर दुविधा रहेगी परन्तु इसके बाद धीरे-धीरे स्थिति में सुधार आने लगेगा। प्रातः काल मे जिस भी कार्य मे जुटेंगे मध्यान पश्चात तक उसे पूर्ण कर लेंगे धन लाभ भी आज संध्या के बाद अकस्मात होगा। आर्थिक स्थिति ज्यादा बेहतर तो नही फिर भी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए पर्याप्त रहेगी। सहकर्मी आज आपसे प्रसन्न रहेंगें। घर का वातावरण भी छोटी मोटी बीमारियों को छोड़ शांत रहेगा। संतानो की प्रगति से घर मे खुशहाली आएगी। मित्र रिश्तेदारों से आनंददायक भेंट होगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन आपके लिये मानसिक परेशानी वाला रहेगा। आज बोलने चालने में संयम ना रहने पर किसी से झगड़ा होने की संभावना है। कार्य क्षेत्र पर आज व्यवहार में अधिक नरमी बरते सहकर्मियों से छोटी छोटी बातो को लेकर मतभेद खड़े होंगे। व्यवसायी लोग पूरी तैयारी से अधूरे कार्य पूर्ण करने में जुटेंगे फिर भी आज आर्थिक लाभ ना के बराबर ही रहेगा। पारिवारिक जीवन मे भी वैर विरोध लगा रहेगा। आपसी संबंधों को आज धन से ना तोलें। मन किसी अरिष्ट की आशंका से व्याकुल रह सकता है। पूजा पाठ में रुचि रहेगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपको धन लाभ कराएगा। आज आपके समस्त कार्य थोड़े से परिश्रम से ही बनते चले जायेंगे प्रतिस्पर्धा भी कम ही रहेगी जिसका फायदा अवश्य मिलेगा। आज आपकी सोचने की क्षमता उच्च कोटि ही एवं अन्य लोगो से भिन्न रहेगी सार्वजनिक क्षेत्र पर आपनी कार्य कुशलता के बल पर सम्मान हांसिल करेंगे समाज के उच्चवर्गीय लोगो के साथ बैठने पर आपकी पहचान भी ऐसी ही बनेगी। धन की आमद रुक रुक कर होती रहने से आवश्यक खर्च चलते रहेंगे। परिवार में स्त्रियों को छोड़ शेष सभी शांत व्यवहार करेंगे। बुजुर्ग आपके कुछ आशा लगाए रहेंगें।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आपमें संतोष की भावना अधिक रहेगी दिन के आरंभ में कार्यो के प्रति आलस्य दिखाएंगे लेकिन इसके बाद कार्यो को जल्दबाजी में करने से कुछ ना कुछ गड़बड़ होने की आशंका है। व्यवसाय से आज कुछ ज्यादा उम्मीद ना रखें लेकिन परिश्रम जरूर करते रहे आज मेहनत करने पर निकट भविष्य में इसके लाभदायक परिणाम मिलेंगे। नए कार्य का आरंभ आज ना करें। मध्यान बाद का समय आर्थिक लाभ वाला तो रहेगा परन्तु आपकी निष्क्रियता के कारण उचित लाभ से वंचित रह जाएंगे। परिजनों का सुख सहयोग उत्तम रहेगा। सुख सुविधा मिलेगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिए कई संभावनाएं जगाएगा। दिन के आरंभ में वाणी को संयमित रखें अन्यथा सम्मान में कमी आने की सम्भावना है। धन लाभ की आशा प्रातः काल से ही लगी रहेगी इसके पूर्ण होने में मध्यान तक इंतजार करना पड़ेगा। आर्थिक एवं पारिवारिक दृष्टिकोण से आज दिन शुभ रहेगा। आशा से अधिक लाभ होने पर आनंदित रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर भी आज आपकी प्रसिद्धि बढ़ेगी। आज आप किसी की सहायता लेना पसंद नही करेंगे आर्थिक मामलों को भी स्वय के बल पर निपटा लेंगे। यात्रा पर्यटन की इच्छा मन मे रहेगी लेकिन आज इसके पूर्ण होने की संभावना कम ही है। परिजनों के साथ हास्य परिहास के अवसर मिलने से वातावरण आंनदित रहेगा।
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*🌹शरीरपुष्टि🌹*

*☘️पहला प्रयोगः 1 से 2 ग्राम सोंठ एवं उतनी ही शिलाजीत खाने से अथवा 2 से 5 ग्राम शहद के साथ उतनी ही अदरक लेने से शरीर पुष्ट होता है।*

*☘️दूसरा प्रयोगः 3 से 5 अंजीर को दूध में उबालकर या अंजीर खाकर दूध पीने से शक्ति बढ़ती है।*

*☘️तीसरा प्रयोगः 1 से 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को आँवले के 10 से 40 मि.ली. रस के साथ 15 दिन लेने से शरीर में दिव्य शक्ति आती है।*

*☘️चौथा प्रयोगः एक गिलास पानी में एक नींबू का रस निचोड़कर उसमें दो किसमिश रात्रि में भिगो दें। सुबह छानकर पानी पी जायें एवं किसमिश चबा जायें। यह एक अदभुत शक्तिदायक प्रयोग है।*

*☘️पाँचवाँ प्रयोगः शाम को गर्म पानी में दो चुटकी हल्दी पीने से शरीर सदा नीरोगी और बलवान रहता है।*

*”सठेशाठ्यं समाचरेत् करने वाला पहला योद्धा तक्षक*

*⚜️मुहम्मद बिन कासिम ने सन 712 में भारत पर आक्रमण किया। वह अत्यंत क्रूर और अत्याचारी था। उसने अपने आक्रमण में एक भी युवा को जीवित नहीं छोड़ा।*

*⚜️कासिम के इस नरसंहार को 8 वर्ष का बालक तक्षक चुपचाप देख रहा था। वही इस कथा का मुख्य पात्र है।*

*⚜️तक्षक के पिता सिन्धु नरेश राजा दाहिर के सैनिक थे।कासिम की सेना के साथ लड़ते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुए थे।*

*⚜️राजा दाहिर के मरने के बाद लूट मार करते हुए अरबी सेना तक्षक के गांव में पहुंची, तो गांव में हाहाकार मच गया। स्त्रियों को घरों से बाहर खींच-खींच कर सरे-आम इज्जत लूटी जाने लगी। भय के कारण तक्षक के घर में सब चिल्ला उठे। तक्षक की दो बहनें डर से कांपने लगीं।*

*⚜️तक्षक की मां सब परिस्थिति भांप चुकी थी। उसने कुछ पल अपने तीनों बच्चों की तरफ देखा। उन्हें गले लगा लियाऔर रो पड़ी।*

*🔱अगले ही क्षण उन क्षत्राणी ने तलवार से दोनों बेटियों का सिर धड़ से अलग कर दिया। उसकी मां ने तक्षक की ओर देखा और तलवार अपनी छाती में उतार ली।*

*⚜️यह सब घटना आठ वर्ष का अबोध बालक “तक्षक” देख रहा था। वह अबोध बालक अपने घर के पिछले दरवाजे से बाहर निकल कर खेतों की तरफ भागा और समय के साथ बड़ा होता गया। तक्षक भटकता हुआ कन्नौज के राजा “नागभट्ट” के पास पहुँचा। उस समय वह 25 वर्ष का हो चुका था। वह नागभट्ट की सेना में भर्ती हो गया।*

*⚜️अपनी बुद्धि बल के कारण वह कुछ ही समय में राजा का अंगरक्षक बन गया। तक्षक के चेहरे पर कभी न खुशी न दुःख दिखता था। उसकी आंखें हमेशा क्रोध से लाल रहतीं थीं। उसके पराक्रम के किस्से सेना में सुनाए जाते थे। तक्षक इतना बहादुर था कि तलवार के एक वार से हाथी का सिर धड़ से अलग कर देता था।*

*⚜️सिन्धु पर शासन कर रही अरब सेना कई बार कन्नौज पर आक्रमण कर चुकी थी लेकिन हमेशा नागभट्ट की बहादुर सेना उन्हें युद्ध में हरा देती थी।और वे भाग जाते थे। युद्ध के सनातन नियमों का पालन करते हुए राजा नागभट्ट की सेना इन भागे हुए जेहादियों का पीछा नहीं करती थी।*

*⚜️इसी कारण वे पुनः सक्षम होकर बार बार कन्नौज पर आक्रमण करते रहते थे। एक बार फिर अरब के खलीफा के आदेश से सिन्धु की विशाल सेना कन्नौज पर आक्रमण करने आयी।*

*⚜️यह सूचना पता चली तो कन्नौज के राजा नागभट्ट ने अपने सेनापतियों की बैठक बुलाई। सबअपने अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इतने में महाराजा का अंग रक्षक तक्षक खड़ा हुआ। उसने कहा महाराज हमें दुश्मन को उसी की भाषा में उत्तर देना होगा।*

*⚜️एक पल नागभट् ने तक्षक की ओर देखा, फिर कहा कि अपनी बात खुल कर कहो तक्षक क्या कहना चाहते हो।*

*⚜️तक्षक ने महाराजा नागभट्ट से कहा कि अरब सैनिक महा बरबर, क्रूर, अत्याचारी, जेहादी मानसिकता के लोग हैं। उनके साथ सनातन नियमों के अनुसार युद्ध करना अपनी प्रजा के साथ अन्याय होगा।उन्हें उन्हीं की भाषा में उत्तर देना होगा।*

*⚜️महाराजा ने कहा किन्तु हम धर्म और मर्यादा को कैसे छोड़ सकते हैं “तक्षक”।*

*⭕तक्षक ने कहा कि मर्यादा और धर्म का पालन उनके साथ किया जाता है जो मर्यादा और धर्म का मर्म समझें। इन राक्षसों का धर्म हत्या और बलात्कार है। इनके साथ वैसा ही व्यवहार करके युद्ध जीता जा सकता है । राजा का मात्र एक ही धर्म होता है – प्रजा की रक्षा। राजन: आप देवल और मुल्तान का युद्ध याद करें। मुहम्मद बिन कासिम ने युद्ध जीता, दाहिर को पराजित किया और उसके पश्चात प्रजा पर कितना अत्याचार किया।*

*⭕यदि हम पराजित हुए तो हमारी स्त्रियों और बच्चों के साथ वे वैसा ही व्यवहार करेंगे।महाराज आप जानते ही हैं कि भारतीय नारियों को किस तरह खुले बाजार में राजा दाहिर के हारने के बाद बेचा गया। उनका एक वस्तु की तरह भोग किया गया। महाराजा ने देखा कि तक्षक की बात से सभा में उपस्थित सारे सेनापति सहमत हैं।*

*⚜️महाराजा नागभट्ट गुप्त कक्ष की ओर तक्षक के साथ बढ़े और गुप्तचरों के साथ बैठक की।तक्षक के नेतृत्व में युद्ध लड़ने का फैसला हुआ।अगले ही दिन कन्नौज की सीमा पर दोनों सेनाओं का पड़ाव हो चुका था। आशा थी कि अगला प्रभात एक भीषण युद्ध का साक्षी होगा।*

*⚜️आधी रात बीत चुकी थी। अरब की सेना अपने शिविर में सो रही थी। अचानक ही तक्षक के नेतृत्व में एक चौथाई सेना अरब के सैनिकों पर टूट पड़ी। जब तक अरब सैनिक संभलते तब तक मूली गाजर की तरह हजारों अरबी सैनिकों को तक्षक की सेना मार चुकी थी। किसी हिंदू शासक से रात्री युद्ध की आशा अरब सैनिकों को न थी। सुबह से पहले ही अरबी सैनिकों की एक चौथाई सेना मारी जा चुकी थी। बाकी सेना भाग खड़ी हुई।*

*⚜️जिस रास्ते से अरब की सेना भागी थी उधर राजा नागभट्ट अपनी बाकी सेना के साथ खड़े थे। सारे अरबी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। एक भी सैनिक नहीं बचा। युद्ध समाप्त होने के बाद राजा नागभट्ट वीर तक्षक को ढूंढने लगे।*

*⚜️वीर तक्षक वीरगति को प्राप्त हो चुका था। उसने अकेले हजारों जेहादियों को मौत की नींद सुला दिया था। राजा नागभट ने वीर तक्षक की भव्य प्रतिमा बनवायी। कन्नौज में आज भी उस बहादुर तक्षक की प्रतिमा विद्यमान है।*

*⭕यह युद्ध सन् 733 में हुआ था। उसके बाद लगभग 300 वर्ष तक अरब से दूसरे किसी आक्रमणकारी को आक्रमण करने का साहस नहीं हुआ*

मोहम्मद बिन कासिम के आक्रमण से एक चौथाई सदी बीत चुकी थी। तोड़े गए मन्दिरों, मठों और चैत्यों के ध्वंसावशेष अब टीले का रूप ले चुके थे, और उनमे उपजे वन में विषैले जीवोँ का आवास था। कासिम ने अपने अभियान में युवा आयु वाले एक भी व्यक्ति को जीवित नही छोड़ा था, अस्तु अब इस क्षेत्र में हिन्दू प्रजा अत्यल्प ही थी। एक बालक जो कासिम के अभियान के समय मात्र “आठ वर्ष” का था, वह इस कथा का मुख्य पात्र है। उसका नाम था “तक्षक”।

तक्षक के पिता सिंधु नरेश दाहिर के सैनिक थे जो इसी कासिम की सेना के साथ हुए युद्ध में वीरगति पा चुके थे। लूटती अरब सेना जब तक्षक के गांव में पहुची तो हाहाकार मच गया। स्त्रियों को घरों से “खींच खींच” कर उनकी देह लूटी जाने लगी। भय से आक्रांत तक्षक के घर में भी सब चिल्ला उठे। तक्षक और उसकी दो बहनें “भय” से कांप उठी थीं। तक्षक की माँ पूरी परिस्थिति समझ चुकी थी, उसने कुछ देर तक अपने बच्चों को देखा और जैसे एक निर्णय पर पहुच गयी। माँ ने अपने तीनों बच्चों को खींच कर छाती में चिपका लिया और रो पड़ी। फिर देखते देखते उस क्षत्राणी ने म्यान से तलवार खीचा और अपनी दोनों बेटियों का “सर” काट डाला। उसके बाद बेटे की ओर अंतिम दृष्टि डाली और तलवार को अपनी “छाती” में उतार लिया।

आठ वर्ष का बालक एकाएक समय को पढ़ना सीख गया था, उसने भूमि पर पड़ी मृत माँ के आँचल से अंतिम बार अपनी आँखे पोंछी, और घर के पिछले द्वार से निकल कर खेतों से होकर जंगल में भागा। पचीस वर्ष बीत गए, तब का अष्टवर्षीय तक्षक अब बत्तीस वर्ष का पुरुष हो कर कन्नौज के प्रतापी शासक नागभट्ट द्वितीय का मुख्य अंगरक्षक था। वर्षों से किसी ने उसके चेहरे पर भावना का कोई चिन्ह नही देखा था। वह न कभी खुश होता था न कभी दुखी, उसकी आँखे सदैव अंगारे की तरह लाल रहती थीं।

उसके पराक्रम के किस्से पूरी सेना में सुने सुनाये जाते थे। अपनी तलवार के एक वार से हाथी को मार डालने वाला तक्षक सैनिकों के लिए आदर्श था। कन्नौज नरेश नागभट्ट अपने अतुल्य पराक्रम, विशाल सैन्यशक्ति और अरबों के सफल प्रतिरोध के लिए ख्यात थे। सिंध पर शासन कर रहे “अरब” कई बार कन्नौज पर आक्रमण कर चुके थे, पर हर बार योद्धा राजपूत उन्हें खदेड़ देते।

युद्ध के “सनातन नियमों” का पालन करते नागभट्ट कभी उनका “पीछा” नहीं करते, जिसके कारण बार बार वे मजबूत हो कर पुनः आक्रमण करते थे, ऐसा पंद्रह वर्षों से हो रहा था।

आज महाराज की सभा लगी थी, कुछ ही समय पुर्व गुप्तचर ने सुचना दी थी, कि अरब के खलीफा से सहयोग ले कर सिंध की विशाल सेना कन्नौज पर आक्रमण के लिए प्रस्थान कर चुकी है और संभवत: दो से तीन दिन के अंदर यह सेना कन्नौज की “सीमा” पर होगी। इसी सम्बंध में रणनीति बनाने के लिए महाराज नागभट्ट ने यह सभा बैठाई थी।

नागभट्ट का सबसे बड़ा गुण यह था, कि वे अपने सभी “सेनानायकों” का विचार लेकर ही कोई निर्णय करते थे। आज भी इस सभा में सभी सेनानायक अपना विचार रख रहे थे। अंत में तक्षक उठ खड़ा हुआ और बोला -“महाराज, हमे इस बार वैरी को उसी की शैली में उत्तर देना होगा” महाराज ने ध्यान से देखा अपने इस अंगरक्षक की ओर, बोले- अपनी बात खुल कर कहो तक्षक, हम कुछ समझ नही पा रहे।

तक्षक: महाराज, अरब सैनिक महा बर्बर हैं, उनके सतक्षकाथ सनातन नियमों के अनुरूप युद्ध कर के हम अपनी प्रजा के साथ “घात” ही करेंगे। उनको उन्ही की शैली में हराना होगा।

महाराज के माथे पर लकीरें उभर आयीं, बोले- “किन्तु हम धर्म और मर्यादा नही छोड़ सकते सैनिक”।

तक्षक ने कहा “मर्यादा का निर्वाह उसके साथ किया जाता है जो मर्यादा का अर्थ समझते हों, ये बर्बर धर्मोन्मत्त राक्षस हैं महाराज, इनके लिए हत्या और बलात्कार ही धर्म है। पर यह हमारा धर्म नही हैं, राजा का केवल एक ही धर्म होता है महाराज, और वह है प्रजा की रक्षा।

देवल और मुल्तान का युद्ध याद करें महाराज, जब कासिम की सेना ने दाहिर को पराजित करने के पश्चात प्रजा पर कितना “अत्याचार” किया था।

ईश्वर न करे, यदि हम पराजित हुए तो बर्बर अत्याचारी अरब हमारी स्त्रियों, बच्चों और निरीह प्रजा के साथ कैसा व्यवहार करेंगे, यह महाराज जानते हैं।”

महाराज ने एक बार पूरी सभा की ओर निहारा, सबका मौन तक्षक के तर्कों से सहमत दिख रहा था। महाराज अपने मुख्य सेनापतियों मंत्रियों और तक्षक के साथ गुप्त सभाकक्ष की ओर बढ़ गए। अगले दिवस की संध्या तक कन्नौज की पश्चिम सीमा पर दोनों सेनाओं का पड़ाव हो चूका था, और आशा थी कि अगला प्रभात एक भीषण युद्ध का साक्षी होगा।

आधी रात्रि बीत चुकी थी। अरब सेना अपने शिविर में निश्चिन्त सो रही थी। अचानक तक्षक के संचालन में कन्नौज की एक चौथाई सेना अरब शिविर पर टूट पड़ी।

अरबों को किसी हिन्दू शासक से रात्रि युद्ध की आशा न थी। वे उठते,सावधान होते और हथियार सँभालते इसके पुर्व ही आधे अरब गाजर मूली की तरह काट डाले गए। इस भयावह निशा में तक्षक का शौर्य अपनी पराकाष्ठा पर था। वह अपनी तलवार चलाते जिधर निकल पड़ता उधर की भूमि शवों से पट जाती थी। उषा की प्रथम किरण से पुर्व अरबों की दो तिहाई सेना मारी जा चुकी थी। सुबह होते ही बची सेना पीछे भागी, किन्तु आश्चर्य! महाराज नागभट्ट अपनी शेष सेना के साथ उधर तैयार खड़े थे। दोपहर होते होते समूची अरब सेना काट डाली गयी। अपनी बर्बरता के बल पर विश्वविजय का स्वप्न देखने वाले आतंकियों को पहली बार किसी ने ऐसा उत्तर दिया था।

विजय के बाद महाराज ने अपने सभी सेनानायकों की ओर देखा, उनमे तक्षक का कहीं पता नही था। सैनिकों ने युद्धभूमि में तक्षक की खोज प्रारंभ की तो देखा- लगभग हजार अरब सैनिकों के शव के बीच तक्षक की मृत देह दमक रही थी। उसे शीघ्र उठा कर महाराज के पास लाया गया। कुछ क्षण तक इस अद्भुत योद्धा की ओर चुपचाप देखने के पश्चात महाराज नागभट्ट आगे बढ़े और तक्षक के चरणों में अपनी तलवार रख कर उसकी मृत देह को प्रणाम किया।

युद्ध के पश्चात युद्धभूमि में पसरी नीरवता में भारत का वह महान सम्राट गरज उठा-

“आप आर्यावर्त की वीरता के शिखर थे तक्षक…. भारत ने अब तक मातृभूमि की रक्षा में प्राण न्योछावर करना सीखा था, आप ने मातृभूमि के लिए प्राण लेना सिखा दिया। भारत युगों युगों तक आपका आभारी रहेगा।”

इतिहास साक्षी है, इस युद्ध के बाद अगले तीन शताब्दियों तक अरबों में भारत की तरफ आँख उठा कर देखने की हिम्मत नही हुई।