आज का पंचाग आपका राशि फल, होलिका दहन का मुहूर्त, जम कर खेलें होली, होलिका दहन से बहुत सारे रोगाणु और विषाणु होते हैं नष्ट, हिरण्यकश्यप की बहन सिंहिका थी होलिका नहीं, होलिका अन्न दहन को भी कहा गया है? हेमवती नन्दन बहुगुणा की 29 वीं पुण्य तिथि आज

भद्रारहित प्रदोषकालव्यापनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है । जम कर खेलें होली, होलिका दहन से बहुत सारे रोगाणु और विषाणु होते हैं नष्ट। शरीर में बनता है एंटी एलर्जिक । 

इस वर्ष पूर्णिमा 17 मार्च,2022 को दोपहर 1:30 प्रारम्भ होकर 18 मार्च,2022 को दोपहर 12:47 पर समाप्त हो जाती है। इसलिए इस वर्ष होलिका दहन के प्रदोषकाल भद्रा से दूषित है । भद्रा में होलिका दहन का शास्त्र निषेध करता है-“भद्रायां द्वे न कतव्ये श्रावणी-फाल्गुनी तथा “।
भद्रा रात्रि 01:12 तक है शास्त्रों में यह भी लिखा है कि निशीथ काल समाप्ति रात्रि 01:09 के बाद भद्रा समाप्त हो तब इस आपात स्थिति धर्मशास्त्रियों ने भद्रापुच्छ में होलिका दहन का निर्देश दिया है,जिसे शुभ मानते है-,
” भद्रापुच्छे जय”

होलिका से हिरण्यकश्यप की बहन का कोई सम्बन्ध नहीं । होली या होरी अन्न को जलाने को कहते हैं।  हिरण्यकश्यपकी बहन सिंहिका थी होलिका नहीं ।
प्रजापति कश्यपकी १३ पत्नियोंमें दिति सबसे बड़ी थीं । उनकी तीन सन्तान थीं हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष यमल सन्तान थे और कनिष्ठ सन्तान सिंहिका थी जिसका विवाह दनु पुत्र विप्रचित्तिके साथ हुआ था और सिंहिकाका पुत्र राहु है जो नवगृहों में दो रूपों राहु-केतु हैं ।

होलिकादहन के दिन बच्चे गाते हैं –
सम्हति मइया जरि गइली
पुआ पका के ध गइली।
होलिकादहन के अगले दिन रंग होली पर पुये बनते हैं न? नये संवत्सर का नये अन्न से बने व्यञ्जन द्वारा स्वागत का चलन बहुत पुराना है। श्रौत सत्रों में देवताओं को इसकी आहुति दी जाती थी। इसे अपूप कहते थे। ऋषिका अपाला इन्द्र को अपूप अर्पित करती हैं।

नया संवत्सर तो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है किन्तु पूर्वाञ्चल में कभी होली के अगले दिन नया पत्रा ले पुरोहित पधारते और पूजा होती। अब लुप्तप्राय प्रथा है।
यहाँ होली तो ‘अब’ नहीं मनाई जाती किन्तु आज का दिन शुभ माना जाता है – मनकल नल्ल जैसा कुछ कहते हैं जिसे शुभ दिन समझा जा सकता है। नए यज्ञोपवीत धारण किए जाते हैं।

सूर्य अब बली हो रहे हैं न?

अथर्ववेद में पृथ्वी को धारण करने वाले सूर्य गन्धर्व (दिव्यो गन्धर्वो भुवनस्य यस्पतिरेक) और किरणें अप्सरा देवियाँ हैं। उनकी स्तुति इस प्रकार की गयी है:

दिवि स्पृष्टो यजत: सूर्यत्वगवयाता हरसो दैव्यस्य।
मृडाद् गन्धर्वो भुवनस्य यस्पतिरेक एव नमस्य: सुशेवा:॥
अनवद्याभि: समु जग्म आभिरप्सरास्वपि गन्धर्व आसीत्।
समुद्र आसां सदनं म आहुर्यत: सद्य आ च परा च यंति॥
अभ्रिये दिद्युन्नक्षत्रिये या विश्वावसुं गन्धर्व सचध्वे।
ताभ्यो वो देवीर्नम इत् कृणोमि॥

यहाँ समुद्र वह नहीं जो आप समझ रहे हैं। समुद्र अंतरिक्ष है। अथर्वण परम्परा का इक्ष्वाकु कुल से सम्बन्ध प्रसिद्ध है। वाल्मीकीय रामायण में लङ्का दहन के पश्चात लौटते हुये हनुमान जी की छलांग का जो भव्य वर्णन है उसमें समुद्र और अंतरिक्ष एक हो गये हैं। पहले उस पर आलेख लिखा था। आज यह मिल गया 🙂

सूर्य के बली होने से बसंत का भी सम्बन्ध है। आँखें बहकने लगती हैं, कामनायें चहकने लगती हैं। है न? गन्धर्व पत्नी अप्सराओं की स्तुति आँखों की इच्छाओं को पूर्ण करने वाली देवियों के रूप में की गयी है:
या: क्लन्दास्तमिषीचयोऽक्षकामा मनोमुह:।
ताभ्यो गन्धर्वपत्नीभ्योऽप्सराभ्योऽकरं नम:॥

मधु ऋतु में मातृनामा ऋषि द्वारा दर्शित इस भुवनपति सूक्त का पाठ प्रियतम के दर्शन कराने में सहायक है।
✍🏻सनातन कालयात्री

*बहकावे मे आकर संस्कृति को पर्वों को गलत बताने वालों इस लेख को पूरा पढ़ना होली का वास्तविक स्वरुप*

होली पर्व पर अपनी आदत के अनुसार *नवभौड सोशल मीडिया में चिल्ला रहे है कि होलिका दहन नारी अधिकारों का दमन है। मैं ऐसे त्योहार की बधाई किसी को क्यों दूँ। होलिका का दोष क्या था ? होलिका को किसने जलाया? ऐसा करना ब्राह्मणवादी और मनुवादी सोच है। बला बला* बला……….

अब आप होली का वास्तविक स्वरुप समझे।

इस पर्व का प्राचीनतम नाम *वासन्ती नव सस्येष्टि है अर्थात् बसन्त ऋतु के नये अनाजों से किया हुआ यज्ञ*, परन्तु होली होलक का अपभ्रंश है।

यथा–
*तृणाग्निं भ्रष्टार्थ पक्वशमी धान्य होलक: (शब्द कल्पद्रुम कोष) अर्धपक्वशमी धान्यैस्तृण भ्रष्टैश्च होलक: होलकोऽल्पानिलो मेद: कफ दोष श्रमापह।*(भाव प्रकाश)

*अर्थात्*―तिनके की अग्नि में भुने हुए (अधपके) शमो-धान्य (फली वाले अन्न) को होलक कहते हैं। यह होलक वात-पित्त-कफ तथा श्रम के दोषों का शमन करता है।

*(ब) होलिका*―किसी भी अनाज के ऊपरी पर्त को होलिका कहते हैं-जैसे-चने का पट पर (पर्त) मटर का पट पर (पर्त), गेहूँ, जौ का गिद्दी से ऊपर वाला पर्त। इसी प्रकार चना, मटर, गेहूँ, जौ की गिदी को प्रह्लाद कहते हैं। होलिका को माता इसलिए कहते है कि वह चनादि का निर्माण करती *(माता निर्माता भवति)* यदि यह पर्त पर (होलिका) न हो तो चना, मटर रुपी प्रह्लाद का जन्म नहीं हो सकता। जब चना, मटर, गेहूँ व जौ भुनते हैं तो वह पट पर या गेहूँ, जौ की ऊपरी खोल पहले जलता है, इस प्रकार प्रह्लाद बच जाता है। उस समय प्रसन्नता से जय घोष करते हैं कि होलिका माता की जय अर्थात् होलिका रुपी पट पर (पर्त) ने अपने को देकर प्रह्लाद (चना-मटर) को बचा लिया।

*(स)* अधजले अन्न को होलक कहते हैं। इसी कारण इस पर्व का नाम *होलिकोत्सव* है और बसन्त ऋतुओं में नये अन्न से यज्ञ (येष्ट) करते हैं। इसलिए इस पर्व का नाम *वासन्ती नव सस्येष्टि* है। यथा―वासन्तो=वसन्त ऋतु। नव=नये। येष्टि=यज्ञ। इसका दूसरा नाम *नव सम्वतसर* है। मानव सृष्टि के आदि से आर्यों की यह परम्परा रही है कि वह नवान्न को सर्वप्रथम अग्निदेव पितरों को समर्पित करते थे। तत्पश्चात् स्वयं भोग करते थे। हमारा कृषि वर्ग दो भागों में बँटा है―(1) वैशाखी, (2) कार्तिकी। इसी को क्रमश: वासन्ती और शारदीय एवं रबी और खरीफ की फसल कहते हैं। फाल्गुन पूर्णमासी वासन्ती फसल का आरम्भ है। अब तक चना, मटर, अरहर व जौ आदि अनेक नवान्न पक चुके होते हैं। अत: परम्परानुसार पितरों देवों को समर्पित करें, कैसे सम्भव है। तो कहा गया है–
*अग्निवै देवानाम मुखं* अर्थात् अग्नि देवों–पितरों का मुख है जो अन्नादि शाकल्यादि आग में डाला जायेगा। वह सूक्ष्म होकर पितरों देवों को प्राप्त होगा।

हमारे यहाँ आर्यों में चातुर्य्यमास यज्ञ की परम्परा है। वेदज्ञों ने चातुर्य्यमास यज्ञ को वर्ष में तीन समय निश्चित किये हैं―(1) आषाढ़ मास, (2) कार्तिक मास (दीपावली) (3) फाल्गुन मास (होली) यथा *फाल्गुन्या पौर्णामास्यां चातुर्मास्यानि प्रयुञ्जीत मुखं वा एतत सम्वत् सरस्य यत् फाल्गुनी पौर्णमासी आषाढ़ी पौर्णमासी* अर्थात् फाल्गुनी पौर्णमासी, आषाढ़ी पौर्णमासी और कार्तिकी पौर्णमासी को जो यज्ञ किये जाते हैं वे चातुर्यमास कहे जाते हैं आग्रहाण या नव संस्येष्टि।

*समीक्षा*―आप प्रतिवर्ष होली जलाते हो। उसमें आखत डालते हो जो आखत हैं–वे अक्षत का अपभ्रंश रुप हैं, अक्षत चावलों को कहते हैं और अवधि भाषा में आखत को आहुति कहते हैं। कुछ भी हो चाहे आहुति हो, चाहे चावल हों, यह सब यज्ञ की प्रक्रिया है। आप जो परिक्रमा देते हैं यह भी यज्ञ की प्रक्रिया है। क्योंकि आहुति या परिक्रमा सब यज्ञ की प्रक्रिया है, सब यज्ञ में ही होती है। आपकी इस प्रक्रिया से सिद्ध हुआ कि यहाँ पर प्रतिवर्ष सामूहिक यज्ञ की परम्परा रही होगी इस प्रकार चारों वर्ण परस्पर मिलकर इस होली रुपी विशाल यज्ञ को सम्पन्न करते थे। आप जो गुलरियाँ बनाकर अपने-अपने घरों में होली से अग्नि लेकर उन्हें जलाते हो। यह प्रक्रिया छोटे-छोटे हवनों की है। सामूहिक बड़े यज्ञ से अग्नि ले जाकर अपने-अपने घरों में हवन करते थे। बाहरी वायु शुद्धि के लिए विशाल सामूहिक यज्ञ होते थे और घर की वायु शुद्धि के लिए छोटे-छोटे हवन करते थे दूसरा कारण यह भी था।

*ऋतु सन्धिषु रोगा जायन्ते*―अर्थात् ऋतुओं के मिलने पर रोग उत्पन्न होते हैं, उनके निवारण के लिए यह यज्ञ किये जाते थे। यह होली हेमन्त और बसन्त ऋतु का योग है। रोग निवारण के लिए यज्ञ ही सर्वोत्तम साधन है। अब होली प्राचीनतम वैदिक परम्परा के आधार पर समझ गये होंगे कि होली नवान्न वर्ष का प्रतीक है।

*पौराणिक मत में कथा इस प्रकार है*―होलिका हिरण्यकश्यपु नाम के राक्षस की बहिन थी। उसे यह वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी। हिरण्यकश्यपु का प्रह्लाद नाम का आस्तिक पुत्र विष्णु की पूजा करता था। वह उसको कहता था कि तू विष्णु को न पूजकर मेरी पूजा किया कर। जब वह नहीं माना तो हिरण्यकश्यपु ने होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को आग में लेकर बैठे। वह प्रह्लाद को आग में गोद में लेकर बैठ गई, होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया। होलिका की स्मृति में होली का त्यौहार मनाया जाता है l जो नितांत मिथ्या हैं।।

*होली उत्सव यज्ञ का प्रतीक है*। स्वयं से पहले जड़ और चेतन देवों को आहुति देने का पर्व हैं। आईये इसके वास्तविक स्वरुप को समझ कर इस सांस्कृतिक त्योहार को बनाये। होलिका दहन रूपी यज्ञ में यज्ञ परम्परा का पालन करते हुए शुद्ध सामग्री, तिल, मुंग, जड़ी बूटी आदि का प्रयोग कीजिये।

आप सभी को होली उत्सव की हार्दिक शुभकामनायें।
भृगु वेदपाठी का हर महादेव जय परशुराम ।।
✍🏻वरुण शिवाय

★★होलिका★★
होली या होलिका आनन्द एवं उल्लास का उत्सव है ।
बंगाल को छोड़कर होलिका-दहन सर्वत्र देखा जाता है ।
यह बहुत प्राचीन उत्सव है ।
इसका आरम्भिक शब्दरूप होलाका था । (जैमिनि , १.३.१५-१६ )
जैमिनि एवं शबर के अनुसार होलाका समस्त भारती द्वारा सम्पादित होना चाहिए ।
“राका होलाके” | काठक गृह्य (७३.१ ) इस पर देवपाल की टीका है- ‘होला कर्मविशेष: सौभाग्याय स्त्रीणां प्रातरनुष्ठीयते । तत्र होलाके राका देवता । यास्ते राके सुमतय इत्यादि ।’
होला कर्मविशेष है जो स्त्रियों के सौभाग्य के लिए सम्पादित होता है । राका ( पूर्णचन्द्र ) देवता है ।
होलाका उन २० क्रीडाओं में से एक है , जो सम्पूर्ण भारत में प्रचलित हैं । इसका उल्लेख वात्स्यायन के कामसूत्र (१.४.४२ )
में भी हुआ है ।
लिंग, वराह पुराण में होली का उल्लेख है ।
हेमाद्रि ( काल ) में बृहद्यम का श्लोक उद्धृत है, जिसमें होलिका-पूर्णिमा को हुताशनी कहा गया है ।
हेमाद्रि (व्रत भाग) ने भविष्योत्तर (१३२.१.५१ ) से उद्धरण देकर एक कथा दी है – युधिष्ठिर-कृष्ण संवाद के रूप में । होली के लिए अडाडा नाम आया है । राजा रघु के काल का उल्लेख है ।
ऐसा कहा गया है कि जो व्यक्ति चंदन-लेप के साथ आम्र मंजरी खाता है वह आनन्द से रहता है ।
दक्षिण में होलिका के पाँचवें दिन (रंग-पंचमी ) मनाई जाती है ।
बंगाल में यह उत्सव दोलयात्रा के रूप में गोविन्द की प्रतिमा के साथ मनाते हैं ।
♪वर्षकृत्यदीपक ( पृ° ३०१ ) ब्राह्मणै: क्षत्रियैर्वैश्यै: शूद्रैश्चान्यैश्च जातिभि:| एकीभूय प्रकर्तव्या क्रीडा या फाल्गुने सदा |♪
🙂

होली के डांड़ (दण्ड) के पतन, उस पर लगी पताका और होली के धुंए से वायु परीक्षा की जाती थी। इससे राजा और प्रजा के भविष्‍य का अनुमान लगाया जाता था।

अथ होलिकावातपरीक्षा ।

पूर्वे वायौ होलिकायां प्रजाभूपालयो : सुखम्‌ । पलयनं च दुर्भिक्षं दक्षिणे जायते ध्रुवम्‌ ॥
पश्विमे तृणंसपत्तिरुत्तरे धान्यसंभव : । यदि खे च शिखा वृष्टर्दुंर्ग राजा च संश्रयेत्‌ ॥
नैऋत्यां चैव दुर्भिक्षमैशान्यां तु सुभिक्षकम्‌ । अग्नेर्भीतिरथाग्नेय्यां वायव्यां बाहवोऽजनला : ॥
अथ होलिकानिर्णय : । प्रतिपद्भूत भद्रासु याऽर्चिता होलिका दिवा । संवत्सरं तु तद्राष्ट्रं पुरं दहति सा द्रुतम्‌ ॥
प्रदोषव्यापिनी ग्राह्या पूर्णिमा फाल्गुनी सदातिस्यां भद्रामुखं त्यक्त्वा पूज्या होला निशामुखे ॥

( होली के वायु का फल ) होलीदीपन के समय में पूर्व की वायु चले तो प्रजा , राजा को सुख हो और दक्षिण की वायु हो तो भगदड़ पडे़ , या दुर्भिक्ष पडे़ ॥
पश्चिम की हो तो तृण बहुत हो , उत्तर की चले तो अन्न बहुत हो और आकाश में होली की लपट जावे तो वर्षा हो और राजा को किले का आश्रय लेना चाहिये कारण शत्रु का भय होगा ॥
नैऋत्यकोण की वायु हो तो दुर्भिक्ष पडे , ईशान की हो तो सुभिक्ष हो , अग्निकोण की वायु हो तो अग्नि का भय हो और वायुकोण की वायु हो तो संवत्‌ भर में पवन बहुत चले ॥
यदि होलिका प्रतिपदा चतुर्दशी , भद्राको जलाई जावे तो वर्षभर राज्य को और पुरुष को दग्ध करती है ॥
फाल्गुन सुदि पूर्णिमा प्रदोषकालव्यापिनी लेनी चाहिये उस समय में भद्रा हो तो भद्रा के मुख की घडी त्याग के प्रदोष में ही होली पूजनी जलानी शुभ है ॥

गोस्‍वामी तुलसीदास जी की गीतावली में वर्णित होलिकोत्‍सव :

खेलत बसंत राजाधिराज। देखत नभ कौतुक सुर समाज।
सोहे सखा अनुज रघुनाथ साथ। झोलिन्‍ह अबीर पिचकारी हाथ।
बाजहिं मृदंग, डफ ताल बेनु। छिरके सुगंध भरे मलय रेनुं।
लिए छरी बेंत सोंधे विभाग। चांचहि, झूमक कहें सरस राग।
नूपुर किंकिनि धुनिं अति सोहाइ। ललना-गन जेहि तेहि धरइ धाइ।
लांचन आजहु फागुआ मनाइ। छांड़हि नचाइ, हा-हा कराइ।
चढ़े खरनि विदूसक स्‍वांग साजि। करें कुट निपट गई लाज भाजि।
नर-नारि परस्‍पर गारि देत। सुनि हंसत राम भइन समेत।
बरसत प्रसून वर-विवुध वृंद जय-जय दिनकर कुमुकचंद।
ब्रह्मादि प्रसंसत अवध-वास। गावत कल कीरत तुलसिदास।
✍🏻अत्रि विक्रमार्क अन्तर्वेदी

देश की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले, असाधारण व्यक्तित्व के धनी स्वर्गीय श्री हेमवती नन्दन बहुगुणा जी की 29वीं पुण्यतिथि पर उनको विनम्र श्रद्धांजलि। आपके विचार एवं आपके द्वारा दिखाया गया समाजवाद एवं नैतिकता का मार्ग हम सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।

..एक दुर्लभ छवि चित्र ,

पुण्य आत्मा वीर चन्र्दसिंह गढवाली के पार्थिव शरीर को कंधा देते पहाड पुत्र स्व० हेमवंती नन्दन बहुगुणा व स्व० शिवानन्द नौटियाल।

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻गुरूवार, १७ मार्च २०२२🌻

 

सूर्योदय: 🌄 ०६:३१

सूर्यास्त: 🌅 ०६:२७

चन्द्रोदय: 🌝 १७:३४

चन्द्रास्त: 🌜❌️❌️❌️

अयन 🌕 उत्तरायने (दक्षिणगोलीय

ऋतु: 🌿 बसंत

शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)

विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)

मास 👉 फाल्गुन

पक्ष 👉 शुक्ल

तिथि 👉 चतुर्दशी (१३:२९ तक)

नक्षत्र 👉 पूर्वाफाल्गुनी (२४:३४ तक)

योग 👉 शूल (२५:०९ तक)

प्रथम करण 👉 वणिज (१३:२९ तक)

द्वितीय करण 👉 विष्टि (२५:१२ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 मीन

चंद्र 🌟 कन्या (३०:३२ से)

मंगल 🌟 मकर (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 कुम्भ (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

गुरु 🌟 कुंम्भ (अस्त, पश्चिम , मार्गी)

शुक्र 🌟 मकर (उदित, पूर्व, वक्री)

शनि 🌟 मकर (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 वृष

केतु 🌟 वृश्चिक

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०१ से १२:४९

अमृत काल 👉 १८:०७ से १९:४३

विजय मुहूर्त 👉 १४:२६ से १५:१४

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:१४ से १८:३८

निशिता मुहूर्त 👉 २४:०१ से २४:४९

राहुकाल 👉 १३:५६ से १५:२६

राहुवास 👉 दक्षिण

यमगण्ड 👉 ०६:२५ से ०७:५५

होमाहुति 👉 चन्द्र

दिशाशूल 👉 दक्षिण

नक्षत्र शूल 👉 उत्तर (२४:३४ से)

अग्निवास 👉 पृथ्वी (१३:२९ तक)

भद्रावास 👉 मृत्यु (१३:२९ से २५:१२)

चन्द्रवास 👉 पूर्व

शिववास 👉 भोजन में (१३:२९ से श्मशान में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥

१ – शुभ २ – रोग

३ – उद्वेग ४ – चर

५ – लाभ ६ – अमृत

७ – काल ८ – शुभ

॥रात्रि का चौघड़िया॥

१ – अमृत २ – चर

३ – रोग ४ – काल

५ – लाभ ६ – उद्वेग

७ – शुभ ८ – अमृत

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।

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शुभ यात्रा दिशा

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दक्षिण-पूर्व (दही का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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श्री सत्यनारायण (पूर्णिमा) व्रत, होलिकादहन रात्रि ०९:०२ से १०:११ तथा रात्रि १२:१५ के बाद आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण

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आज २४:३४ तक जन्मे शिशुओ का नाम

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (टा, टी, टू) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमश: (टे) नामाक्षर रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

मीन – ३०:२२ से०७:४५

मेष – ०७:४५ से ०९:१९

वृषभ – ०९:१९ से ११:१४

मिथुन – ११:१४ से १३:२९

कर्क – १३:२९ से १५:५०

सिंह – १५:५० से १८:०९

कन्या – १८:०९ से २०:२७

तुला – २०:२७ से २२:४८

वृश्चिक – २२:४८ से २५:०७

धनु – २५:०७ से २७:११

मकर – २७:११ से २८:५२

कुम्भ – २८:५२ से ३०:१८

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पञ्चक रहित मुहूर्त

चोर पञ्चक – ०६:२५ से ०७:४५

रज पञ्चक – ०७:४५ से ०९:१९

शुभ मुहूर्त – ०९:१९ से ११:१४

चोर पञ्चक – ११:१४ से १३:२९

शुभ मुहूर्त – १३:२९ से १३:२९

रोग पञ्चक – १३:२९ से १५:५०

शुभ मुहूर्त – १५:५० से १८:०९

मृत्यु पञ्चक – १८:०९ से २०:२७

अग्नि पञ्चक – २०:२७ से २२:४८

शुभ मुहूर्त – २२:४८ से २४:३४

रज पञ्चक – २४:३४ से २५:०७

शुभ मुहूर्त – २५:०७ से २७:११

चोर पञ्चक – २७:११ से २८:५२

शुभ मुहूर्त – २८:५२ से ३०:१८

रोग पञ्चक – ३०:१८ से ३०:२३

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आज का राशिफल

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज के दिन आपकी वैचारिक स्थिति प्रखर रहेगी सार्वजनिक कार्यो में सम्मानित होंगे आपकी छवि भी बुद्धिमानो जैसी बनेगी। परन्तु आर्थिक रूप से इसका लाभ नही ले पाएंगे। कार्य व्यवसाय मंदा रहने से उदासीनता आएगी। आज आपका मन भी एक जगह केंद्रित नही रहेगा। धैर्य से कार्य करते रहें संध्या तक संतोषजक लाभ अवश्य मिलेगा पारिवार में भी आपके विचारो की प्रशंसा होगी लेकिन केवल व्यवहार मात्र के लिए ही। आर्थिक विषयो को लेकर किसी से विवाद ना करें धन डूबने की आशंका है। गृहस्थ में प्रेम स्नेह तो मिलेगा परन्तु स्वार्थ सिद्धि की भावना भी अधिक रहेगी। महिलाये अधिक बोलने की समस्या से ग्रस्त रहेंगी।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज का दिन आपको धैर्य से बिताने की सलाह है। आज आप निरंतर मिल रही असफलता अथवा कलह-क्लेश के वातावरण से क्षुब्ध होकर अनुचित कदम उठा सकते है जिसका स्वयं एवं पारिवारिक प्रतिष्ठा पर गलत प्रभाव पड़ेगा। परिजनों की असंतोषी प्रवृति के कारण घरेलू वातावरण आज लगभग अशांत ही रहेगा। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मी अथवा अन्य लोगो के आश्रित रहना पड़ेगा फिर भी जरूरत के अनुसार लाभ अवश्य हो जायेगा। किसी भी महत्त्वपूर्ण निर्णय को लेने से पहले एक बार लाभ हानि की समीक्षा अवश्य करें।महिलाये आज व्यवहार संयमित रखें मान हानि की संभावना है। आडम्बर के ऊपर खर्च होगा।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन आपको धन लाभ के योग बन रहे है लेकिन आज आपके बनते कार्यो में टांग अड़ाने वालो का भी सामना करना पड़ेगा। व्यवसायी वर्ग आज निवेश का जोखिम ले सकते है अवश्य लाभ होगा। शेयर सट्टे आदि कार्यो में धन दुगुना होकर मिलेगा। परिवार में सुख के साधनों की वृद्धि होगी इसपर खर्च भी अधिक रहेगा। आध्यत्म अथवा साधना क्षेत्र से जुड़े जातको को साधना में सिद्धि की दिव्य अनुभूति होगी। नौकरी पेशा लोगो का आज काम के समय भी मन इधर उधर ज्यादा भटकेगा। मन में चल रही कामना अतिशीघ्र पूर्ण होने के योग है। ध्यान रहे आज किसी भी कार्य में आलस्य किया तो दोबारा अवसर नही मिल सकेगा।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज आपका संतोषी स्वभाव आपको बेवजह की उलझनों से दूर रखेगा फिर भी आज किसी के दबाव में आकर आपको कोई अप्रिय कार्य करना पड़ेगा मन में इसका पश्चाताप भी रहेगा। आमदनी आज स्थिर रहेगी संचित कोष से खर्च चलाने पड़ेंगे। मित्र परिचितों के साथ संध्या के समय मौज शौक पूरे करेंगे परन्तु रंग में भंग पड़ने वाली स्थिति बन सकती है सतर्क रहें। विपरीत लिंगीय वर्ग से आकर्षण बढेगा। प्रेम प्रसंगों में नजदिकी आएगी। संताने जिद पर अड़ेंगी जिससे घर मे अशांति फैलेगी। असंयमित दिनचार्य के कारण स्वास्थ्य प्रतिकूल होने की संभावना है। बुजुर्गो की चिंता रहेगी।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज का दिन आपको मिला जुला फल देगा। मन आज मनोरंजन की ओर अधिक आकर्षित रहेगा इसपर फिजूल खर्ची करने से पीछे नही हटेंगे। कार्य व्यवसाय से आर्थिक लाभ पाने के लिये ज्यादा परिश्रम करना पड़ेगा। स्वास्थ्य में कमी रहेगी कमजोरी अथवा पेट संबंधित व्याधि परेशान करेगी। घर एवं व्यवसाय में तालमेल बैठाने के कारण दुविधा में रहेंगे। एक कार्य को करने के चक्कर मे अन्य आयवश्यक कार्य अधूरे रहेंगे। सरकारी अथवा किसी भी प्रकार के जमीन-जायदाद संबंधित कार्य मे उलझने पड़ेंगी यथा संभव आज टालें। आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग लेने से थोड़ी मानसिक शांति मिलेगी। धन के व्यवहारों में जबरदस्ती ना करें।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज भी परिस्थितियां आपकी आशाओ के अनुकूल रहेंगी। लेकिन आज आपका सनकी स्वभाव कुछ ना कुछ हानि भी करायेगा। धन संबंधित कार्य आपकी व्यवहार शून्यता के कारण उलझेंगे परन्तु शीघ्र ही किसी के सहयोग मिलने से सुलझ जाएंगे। कार्य व्यवसाय से प्रारंभिक परिश्रम के बाद दोपहर के समय से धन की आमद शुरू हो जाएगी जो संध्या तक रुक रुक कर चलती रहेगी। मितव्ययी रहने के कारण खर्च भी हिसाब से करेंगे। महिलाये किसी मनोकामना पूर्ति से उत्साहित होंगी। महिला वर्ग से कोई भी काम निकालना आसान रहेगा मना नही कर सकेंगी। दाम्पत्य सुख में भी वृद्धि होगी। पर्यटन की योजना बनेगी।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज आपका ध्यान मनोरंजन पर अधिक रहेगा आज आपकी मानसिकता भी कम परिश्रम से अधिक लाभ पाने की रहेगी।इसके कारण कार्यो पर उचित ध्यान नही दे पाएंगे परन्तु फिर भी आकस्मिक लाभ के योग बन रहे है। दौड़ धूप अधिक रहने से शारीरिक शिथिलता बनेगी। मध्यान के बाद किसी अभीष्ट सिद्धि के योग बन रहे है आलस्य ना करें अन्यथा लाभ से वंचित रह सकते है। प्रियजनों के साथ आनंद के क्षण बिताने का समय मिलेगा। घर मे स्थिति सामान्य रहेगी। आज आर्थिक मामलों के प्रति बेपरवाह भी रहेंगे। आवश्यक कार्य संध्या से पहले करले इसके बाद विविध हानि के योग बनने लगेंगे।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज अधूरे कार्यो को पूर्ण करने का दिन है अगर आज आलस्य किया तो बाद में पछताना पड़ेगा। सभी प्रकार के कागजी अथवा सरकारी कार्य अधिकारी वर्ग की मेहरबानी से निर्विघ्न पूर्ण होंगे। कार्य व्यवसाय से भी आशानुकूल लाभ मिल सकेगा। आज आपका मन लंबी यात्रा की योजना बनाएगा शीघ्र ही इसके फलीभूत होने की सम्भवना है। चल- अचल संपत्ति से लाभ होगा। प्रतिस्पर्धी आज आपके आगे ज्यादा देर नही टिक पाएंगे। हृदय में आज कोमलता अधिक रहेगी परोपकार के लिए प्रेरित होंगे। महिलाओ का जिद्दी स्वभाव कुछ समय के लिये घर पर अशांति कर सकता है। फिर भी पिछले कुछ दिनों की तुलना में आज शान्ति अनुभव करेंगे।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन आप लापरवाह अधिक रहेंगे फिर भी लाभ आज किसी ना किसी रूप में अवश्य हो जाएगा। कार्य व्यवसाय में अव्यवस्था सुधारने में मध्यान तक व्यस्त रहेंगे सहकर्मीयो की मनमानी व्यवहार के कारण क्रोध आएगा फिर भी स्थिति बिगड़ने नही देंगे। आर्थिक रूप से दिन शुभ रहेगा परन्तु हाथ खुला होने से ज्यादा देर टिकेगा नही। उधारी के व्यवहार ज्यादा ना बढ़ाएं अन्यथा उलझने बढ़ेंगी। सामाजिक व्यवहार दिखावा मात्र ही रहेंगे। परिवार में सुख शान्ति की अनुभूति होगी लेकिन महिला वर्ग का स्वभाव अचानक बदल सकता है सतर्क रहें। घर मे शान्ती बनाये रखने के लिए परिजनों की आवश्यकता पूर्ति करनी पड़ेगी।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज के दिन भी सुख शांति की कमी रहेगी। आज आप जिस भी कार्य को करेंगे उसमे भाग दौड़ अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक करनी पड़ेगी। सेहत में उतारचढ़ाव बना रहेगा। स्नायु तंत्र कमजोर रहने से विविध समस्या उपजेगी। काम धंधा आज लाभ की अपेक्षा हानि ही अधिक करायेगा। धन को लेकर मन विचलित रहेगा। आज आप अपने जीवनी की समीक्षा भी करेंगे जिससे मन हीनभावना से ग्रस्त रहेगा। व्यावसायिक अथवा अन्य पारिवारिक-धार्मिक कारणों से यात्रा के योग बनेंगे अगर संभव हो तो यात्रा आज ना ही करें वाहन से चोटादि का भय है। सेहत अचानक खराब हो सकती है। चक्कर-वमन अथवा अन्य पेट मस्तिष्क संबंधित समस्या खड़ी होगी।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन भी आपके लिए शुभफलदायी रहेगा। पूरानी रुकी योजना आज सिरे चढ़ने से राहत मिलेगी। कार्य क्षेत्र पर आज प्रतिस्पर्धा कम रहने से इसका लाभ उठायेंगे आज का दिन आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान करेगा। व्यापार विस्तार की योजना सफल रहेगी। नौकरी पेशा जातक अधिकारी वर्ग से आसानी से काम निकाल सकेंगे। सामाजिक क्षेत्र हो या पारिवारिक अथवा अन्य सभी जगह आपकी जय होगी। अपरिचित भी आपसे संपर्क बनाने को उत्सुक रहेंगे। महिलाओं का स्वभाव अधिक नखरे वाला रहेगा इस वजह से हास्य की पात्र भी बनेंगी।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन आपके लिए सुख-समृद्धि दायक रहेगा। आज आप जिस भी कार्य को करने का मन बनाएंगे आरम्भ में लाभ-हानि को लेकर भ्रम पैदा होगा परन्तु शीघ्र ही स्थिति स्पष्ट होने लगेगी। आज लाभ कमाने के लिए आपको जोखिम लेना ही पड़ेगा इसका परिणाम आपके पक्ष में ही रहेगा। व्यावसायिक क्षेत्र से जुड़ी महिलाओ को पदोन्नति के साथ प्रोत्साहन के रूप में आर्थिक सहायता भी मिल सकती है। सामाजिक कार्यो में रुचि ना होने पर भी सम्मिलित होना पड़ेगा मान-सम्मान बढेगा। परिजनों का मार्गदर्शन आज प्रत्येक क्षेत्र पर काम आएगा। प्रेम प्रसंगों में निकटता रहेगी।

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〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏