विद्यालयी शिक्षा में अधिकारियों के बम्पर स्थानांतरण, लेकिन चुनाव पूर्व हुए शिक्षकों के स्थानांतरण पर आचार संहिता के नाम पर अभी तक भी कुंडली!

विद्यालयी शिक्षा में अधिकारियों के बम्पर स्थानांतरण, लेकिन आचार संहिता के नाम पर चुनाव पूर्व हुए शिक्षकों के स्थानांतरण पर अभी तक भी कुंडली।

     देहरादून : १९-४-२०२२ विद्यालय शिक्षा के अंतर्गत शिक्षा विभाग ने भारी संख्या में अधिकारियों में के दायित्वों में फेरबदल किया है अनेक अधिकारियों का अंतर्जनपदीय स्थानांतरण भी किया है। शिवप्रसाद खाली को अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा के स्थान पर अपर निदेशक प्राथमिक शिक्षा बनाया गया है।पूरी उक्तवत सूचि संलग्न है। 

लेकिन चुनाव पूर्व हुए धारा 27 के अंतर्गत सैकड़ों गंभीर बीमारी वाले शिक्षकों, विधवा एवं विकलांग शिक्षकों के स्थानांतर पर चुनाव आचार संहिता के चलते शिक्षा सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने रोक लगा दी थी। और जिन कतिपय शिक्षकों ने तब नये विद्यालयों में कार्यभार ग्रहण कर लिया था, उनकी ज्वाईनिंग भी चुनाव आचार संहिता तक निरस्त करने व अपने पूर्व विद्यालय में वापसी का आदेश जारी किया गया था।

चुनाव आचार संहिता दस मार्च समाप्त हो गई है लेकिन आचार संहिता के नाम पर लगी रोक अभी तक हटी नहीं है। जबकि नियम २७ के अन्तर्गत गंभीर बीमारी प्रकरणों के स्थानतरण हुए थे।

         बता दें कि उक्त शिक्षकों के ट्रांसफर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के 4 साल के कार्यकाल से रुके पड़े थे जो मुख्यमंत्री धामी और तत्कालीन शिक्षामंत्री की पहल पर चुनाव पूर्व किए गए थे। पर आचार संहिता के मद्देनजर कार्यभार ग्रहण करने पर रोक लगाई गयी थी। तब शिक्षकों को उम्मीद थी कि आचार संहिता समाप्त होते ही उनके स्थान तरण बहाल हो जाएंगे, लेकिन शिक्षकों के स्थानांतरण आचार संहिता के नाम पर अभी तक लटकाये गये है जो आचार संहिता समाप्त होने के करीब डेढ़ महीने बाद भी बहाल नहीं किए गए।

      बता दें कि मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में भी चुनाव से पहले 400 शिक्षकों के स्थानांतरण हुए थे उसके बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और चुनाव पूर्व हुए सभी शिक्षकों की नए स्थान पर तैनाती बहाल हुई। इसी कारण इस बार शिक्षकों को उम्मीद थी कि 4 साल बाद हुए उनके स्थानांतरण चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद बहाल हो जाएंगे, लेकिन चुनाव आचार संहिता समाप्त हो चुकी है परंतु शिक्षा सचिव मीनाक्षीसुंदरम की ओर से अभी तक स्थानांतरित शिक्षकों के आदेश बहाली का पत्र निदेशालय को जारी नहीं हुआ। शिक्षा निदेशक माध्यमिक शिक्षा आरके कुंवर का कहना है कि क्योंकि आचार संहिता के निमित्त रोक शासन से लगी है इसलिए शासन से ही यह स्थानांतरण बहाल भी होने हैं, तभी ये शिक्षक कर्मी नए स्थान पर कार्यभार ग्रहण करेंगे। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत कार्यों को तुरंत निपटाने की के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस मामले में अभी तक डॉक्टर धन सिंह रावत ने  संज्ञान नहीं लिया है, संभवतः प्रकरण उनके संज्ञान में न हो। लेकिन प्रभावित शिक्षकों को उम्मीद है कि बोर्ड परीक्षाओं के समाप्त होते ही निश्चित रूप से उनके स्थानांतरण बहाल अवश्य होंगे। प्रभावित शिक्षकों को उम्मीद है कि इस संबंध में माननीय मुख्यमंत्री जी और शिक्षा मंत्री जी सकारात्मक पहल करेंगे। अनेक संगठनों ने चुनाव आचार संहिता के नाम पर रोके गए शिक्षकों के स्थानांतरण प्रक्रिया पर अभी तक लगी रोक पर आश्चर्य व्यक्त किया। इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी की मीडिया प्रवक्ता का कहना है कि निश्चित रूप से एक-दो दिन में सकारात्मक परिणाम आएंगे।

शिक्षा विभाग से आज अछा समाचार ये है विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने  प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय सभागार ननूरखेडा देहरादून में प्रदेश के प्रतिष्ठित निजी स्कूल संचालकों के साथ बैठक की। बैठक में इसी सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू करने को लेकर विस्तृत चर्चा की। विभाग की ओर से महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने नई शिक्षा नीति पर पावर प्वाइंट के माध्यम से प्रस्तुतिकरण दिया। विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने राज्य को शिक्षा का हब बनाने के लिए निजी स्कूल संचालकों से संयुक्त प्रयास करने एवं प्रदेश के पर्वतीय जनपदों में भी अपने प्रतिष्ठित संस्थानों की एक-एक शाखा खोलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए राज्य सरकार द्वारा निजी शिक्षण संस्थान संचालकों को भूमि उपलब्ध कराने सहित मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने में सहयोग किया जायेगा। उन्होंने प्रदेशभर के निजी स्कूल संचालकों से शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे बच्चों को 25 प्रतिशत सीटों पर अनिवार्य रूप से प्रवेश देने को कहा।