आज का पंचाग आपका राशि फल, भारतीय संस्कृति में वृक्षों की पूजा, भारत की धरती से कहाँ गये महुवा और कदम्ब के वृक्ष

वृक्षों की पूजा-उपासना क्यों?

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भारतीय संस्कृति में वृक्षों का विशेष महत्त्व है, क्योंकि वे हमारे जीवन के प्राण हैं। पुराणों तथा धर्म-ग्रंथों में पेड़-पौधों को बड़ा पवित्र और देवता के रूप में माना जाता है, इसलिए उनके साथ पारिवारिक संबंध बनाए जाते हैं। जब से वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया है कि पेड़-पौधों में भी जीवन होता है, लोक विश्वासों में दृढ़ता आई है, इसलिए पाप और पुण्य की अवधारणा भी उसके साथ जुड़ गई है और देव तुल्य वृक्षों का संरक्षण पुण्य व उनका विनाश करना पाप स्वरूप माना जाने लगा है।

धर्म ग्रंथों के अनुसार जो मनुष्य वृक्षों का आरोपण करते हैं, वे वृक्ष परलोक में उसके पुत्र होकर जन्म लेते हैं। जो वृक्षों का दान करता है, वृक्षों के पुष्पों द्वारा देवताओं को प्रसन्न करता है और मेघ के बरसने पर छाता के द्वारा अभ्यागतों को तथा जल से पितरों को प्रसन्न करता है। पुष्पों का दान करने से समृद्धिशाली होता है। ऋग्वेद में वृक्षों को काटने या नष्ट करने की निंदा की गई है।

मा काकम्बीरमुद्वृहो वनस्पतिमशस्तीर्वि हि नीनशः । 

मोत सूरो अह एवा चन ग्रीवा आदधते वेः॥

-ऋग्वेद 6/48/17

अर्थात् जिस प्रकार दुष्ट बाज पक्षी दूसरे पखेरुओं की गरदन मरोड़ कर उन्हें दुख देता है और मार डालता है, तुम वैसे न बनो और इन वृक्षों को दुख न दो। इनका उच्छेदन न करो, ये पशु-पक्षियों और जीव-जंतुओं को शरण देते हैं।

मनुस्मृति में वृक्षों की योनि पूर्व जन्म के कारण मानी गई है और इन्हें जीवित एवं सुख-दुख का अनुभव करने वाला माना गया है। परम पिता परमात्मा ने वृक्ष का आविर्भाव संसार में परोपकार के लिए ही किया है, ताकि वह सदैव परोपकार में ही रत रहे। खुद भीषण धूप, गर्मी में रहकर दूसरों को छाया प्रदान करना और अपना सर्वस्व दूसरों के कल्याण के लिए अर्पित कर देना वृक्ष का सत्पुरुष के समान ही आचरण को दर्शाता है। वृक्षों की छाया में बैठकर ही हमारे न जाने कितने ही ऋषि-मुनियों ने तपस्याएं की हैं। विष्णु स्मृति के कूपतडागखननं तदुत्सर्ग विधान में लिखा है।

वृक्षारोपयितुवर्बुक्षा परलोके पुत्रा भवन्ति वृक्षप्रदो वृक्षप्रसूनैर्देवाहे प्रीणयितफलैश्चतिधीन् छाययाचाम्भ्यागतान् देवे वर्षत्युदकेन पितृॄन । पुष्प प्रदानेन श्रीमान् भवति ।

अर्थात् जो व्यक्ति वृक्षों को लगाता है, वे वृक्ष परलोक में उसके पुत्र होकर जन्म लेते हैं। वृक्षों का दान करने वाला, वृक्षों के पुष्पों द्वारा देवताओं को प्रसन्न करता है और मेघ के बरसने पर छाते के द्वारा अभ्यागतों को तथा जल से पितरों को प्रसन्न करता है, पुष्पों का दान करता है वह समृद्धशाली बनता है।

‘वट सावित्री’ के अवसर पर स्त्रियां अचल सौभाग्य देने वाले बरगद के वृक्ष की पूजा करती हैं। गुरुवार के दिन केले के वृक्ष की पूजा की जाती है। इसके पत्ते पर भोजन करना शुभ माना जाता है। पारिजात वृक्ष को कल्पवृक्ष मानकर पूजा जाता है। अशोकाष्टमी के दिन अशोक वृक्ष की पूजा दुख को मिटाकर आशा को पूर्ण करने के लिए की जाती है। आंवले के वृक्ष में भगवान् विष्णु का निवास मानकर कार्तिक मास में इसकी पूजा, परिक्रमा करके स्त्रियां सुहाग का वरदान मांगती हैं। आम के पत्ते, मंजरी, छाल और लकड़ी यज्ञ व अनुष्ठानों में उपयोग की जाती हैं। पीपल के वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है। इस पर जल चढ़ाने, पूजा करने से संतान सुख मिलता है। इसके तने पर सूत लपेटना और परिक्रमा लगाने का भी विधान शास्त्रों में बताया गया है। तुलसी की नित्य पूजा करके जल चढ़ाना और इसके पास दीपक जलाकर रखना भारतीय नारियों का एक धार्मिक कृत्य है। विष्णु भगवान की प्रिया मानकर इसका पूजन किया जाता है। तुलसीदल का काफी महत्त्व माना जाता है।

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#महुआ
कुछ वर्ष पूर्व तक हमारे गाँव में भी महुआ के सेकड़ो बड़े-बड़े पेड़ हुआ करते थे,,,जिन्हें महुड़ी का बाग कहा जाता था ,,पर अधिक कृषिभूमि की लालसा ने सब उजाड़ कर रख दिया….
महुआ ग्रामीणों के लिए किसी कल्प वृक्ष से कम नही….महुआ का पेड़ बहुत ही विशाल होता हैं लगाने से करीब 20-25 वर्ष बाद महुआ फलता है जो लगभग 100 से अधिक वर्षो तक चलता हैं ….।
महुआ को महुया, मऊल,मौल,महुडो संस्कृत में मधुक,गुडपुष्प, मधुपुष्प,मधुस्त्रव,मधुष्ठिल आदि नामों से जाना जाता हैं..।
महुआ भारतवर्ष के सभी भागों में होता है ….इसके फूल, फल, बीज लकड़ी सभी चीजें काम में आती हैइसकी पत्तियां फूलने के पहले
फागुन चैत में झड़ जाती हैं ……पत्तियों के झड़नेपर इसकी डालियों के सिरों पर कलियों के
गुच्छे निकलने लगते हैं ….
महुआ बसंत ऋतु का
अमृत फल है महुए का फूल बीस-पच्चीस दिन तक लगातार टपकता है …महुए का
फूल बहुत दिनों तक
रहता है और बिगड़ता नहीं …महुए के फल को टोड़ी कहा जाता हैं जिसका तेल औषधीय गुणों से भरपूर होता हैं…
महुआ के फूलों का स्वाद पकने पर मीठा होता है,इसके फूल में शहद के समान गंध आती है,रसगुल्ले की तरह रस भरा होता है….. अधिक मात्रा में महुआ के फूलों का सेवन
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता हैं, इससे सरदर्द भी हो सकता है, महुआ की तासीर ठंडी समझी जाती है पर यूनानी इससे सहमत नही हैं।कहते हैं कि महुआ जनित दोष धनिया के सेवन से दूर होते हैं…..महुआ, वात, पित्त और कफ कोशांत करता है, वीर्य धातु को बढ़ाता है और पुष्टकरता है…पेट के वायु जनित विकारों को दूर कर फोड़ों, घावों एवं थकावट को दूर करता है….।
✍🏻नंदकिशोर प्रजापति कानवन

तपस्‍य हुआ फागुन, वसंत की अवधि

फाल्‍गुन का दिन आप सबके नाम। हम साल के समापन और चैत्र की ओर अग्रसर हैं। फागुन या फाल्‍गुन, वह मास जो वीरवर अर्जुन का भी एक नाम था हमारे लिए एक मास ही है। फाल्‍गुनी नक्षत्र पर इस मास का नाम है।

यह वसन्‍त की वेला का मास है, ऐसी वेला जिसकी पहचान कोई पंद्रह सौ साल पहले भी आज के रूप में ही की गई थी, खासकर उन शिल्पियों ने जो #दशपुर में रंग-बिरंगी रेशम की साडियां, दुकूल बनाते थे और देश ही नहीं, समंदर पार भी अपनी पहचान बनाए हुए थे।
उन्‍होंने फागुन की ऋतु को बहुत अच्‍छा माना है, उनके कवि वत्‍सभट्टि ने लिखा है –

फागुन वही है जिसमें महादेव के विषम लोचनानल से भस्‍मीभूत, अतएव पवित्र शरीर वाला होकर कामदेव जैसा अनंग देव अशोक वृक्ष, केवडे, सिंदूवार और लहराती हुई अतिमुक्‍तक लता और मदयन्तिका या मेहंदी के सद्य स्‍फुटित पुंजीभूत फूलों से अपने बाणों को समृद्ध करता है। ये ही वनस्‍पतियां इन दिनों अपना विकास करती है।
यह वही फागुन है जिसमें मकरंद पान से मस्‍त मधुपों की गूंज से नगनों की शाखा अपनी सानी नहीं रखती और नवीन फूलों के विकास रोध्र पेडों में उत्‍कर्ष और श्री की समृद्धि हो रही है। (कुमारगुप्‍त का 473 ई. का मंदसौर अभिलेख श्‍लोक 40-41)

इस अभिलेख में इस मास का नाम ‘तपस्‍य’ कहा गया है। यही नाम पुराना है, नारद संहिता (3, 81-83) में मासों के नाम में यह शामिल है। ज्‍योतिष रत्‍नमाला (1038 ई.) में भी ये पर्याय आए हैं। बारह मासों के बारह सूर्यों में इस मास के सूर्य का नाम सूर्य ही कहा गया है, देवी धात्री और देवता गोविन्‍द को बताया गया है।

यही मास है जो नवीन वर्ष को निमंत्रित करता है, होलिका दहन के साथ इस मास का समापन होगा। बहरहाल गांव गांव होलिकाएं रोंपी जा चुकी हैं, ये एक महीने की अवधि वाली हैं। मगर, ज्ञात रहे होलिका के लिए सेमल के पेडों को काटा जाना ठीक नहीं हैं, सेमल बहुत उपयोगी है।
✍🏻डॉ0 श्रीकृष्ण जुगनु

मघा अघा है।

सिंह राशि के अन्तर्गत आने वाले सवा दो नक्षत्रों में पहले मघा, फिर पूर्वा फाल्गुनी और फिर उत्तरा फाल्गुनी का प्रारम्भिक चतुर्थांश आते हैं।

तो सिंह का मुख है मघा!
सिंह की नाक से उसके गर्दन की अयाल तक है मघा।
अघा है मघा।

सिंह घास नहीं खाता।
उसे चाहिये मांस!

और जबसे
जीवहत्या पाप है
का आदर्शवाक्य चल निकला है तबसे

सिंह को अपनी उदरपूर्ति हेतु किया जाने वाला प्रत्येक प्रयत्न पाप घोषित है,

अतः सिंह का मुख, उसके दाँत, उसकी जिह्वा, उसका कण्ठ, उसकी मूँछ का बाल, उसके गर्दन की अयाल,
सब पापी हैं,

और
इस कारण,
अघा है मघा!

अब सिंह
या तो भूखा मरे, या जगत की परिभाषा में जिसे पाप कहा जाता है वैसा पाप करे!

किन्तु वैदिक काल से ही सिंह का यह मुख, यह मघा बड़े ही महत्व का नक्षत्र रहा।
ऋग्वेद दशम मण्डल के पचासीवां सूक्त में तेरहवीं ऋचा है –

सूर्याया वहतुः प्रागात्सविता यमवासृजत् ।
अघासु हन्यन्ते गावोऽर्जुन्योः पर्युह्यते ॥१३॥
— सूर्य्य ने अपनी पुत्री सूर्य्य के विवाह में जो कन्याधन दिया, वह आगे चला। उसे ढोने वाली गाड़ियों के बैलों को मघा नक्षत्र में मारना पड़ता है। दोनों फाल्गुनी नक्षत्रों में रथ वेग से आगे बढ़ता है।

यहाँ मैं थोड़ा रुकूँगा।

ऋचा में शब्द आया है अर्जुन्योः!
गावोऽर्जुन्योः
अर्थात्
गावो अर्जुन्योः

अब अर्जुन का एक नाम फाल्गुनी भी है क्योंकि उसका जन्म फाल्गुनी नक्षत्र में हुआ था।

और फाल्गुनी नक्षत्र हेतु ऋग्वेद दशम मण्डल के एक सूक्त की एक ऋचा अर्जुन शब्द का प्रयोग करती है। पूर्वा एवं उत्तरा के लिये एक साथ – अर्जुन्योः – प्रथमा विभक्ति द्विवचन।

कुछ समझ में आया?

नहीं आया होगा!

और मैं समझाने के प्रयास में
कुत्ते सा जीभ निकालते हाँफ रहा होऊँगा, फिर भी समझ में नहीं आयेगा।

वैदिक काल में वर्ष प्रारम्भ वर्षा से होता था

यह बड़े बड़े तीसमार खाँ,
बल्कि साठमार खाँ,

स्थापित करने का प्रयास करते रहे हैं क्योंकि
शब्द वर्ष और वर्षा बर्मीज ट्विन्स से लगते हैं।

किन्तु किसी ने नहीं सोचा कि वैदिक काल में मासों के नाम जिस क्रम में प्रारम्भ होते थे उनमें प्रथम नाम तपः था और तब वह माघ मास का नाम हुआ करता था क्योंकि महीनों के वैदिक नामकरण में इसी क्रम में जब मधु और माधव का नाम आता है तब स्पष्ट हो जाता है कि फाल्गुन मधुमास नहीं।

फाल्गुन तो तप के बाद तप को तीव्रता देने का मास #तपस्य है, माघ में तप की परिभाषा जानने के पश्चात वास्तविक तपस्या का मास है।

फाल्गुन
लोकभाषा में फागुन

बौराने का मास है,
बौर आने का मास है,
किन्तु इस बौराते परिवेश में स्वयं को
तपस्या के चरम पर ले जाने का मास है,
और इसी कारण वैदिक मनीषियों ने इस फाल्गुन मास को तपस्य नाम दिया था।

आपको यदि समझने में असुविधा हो रही हो तो प्राचीन वैदिक काल के मासों के नाम का अर्वाचीन मास नामों से सामंजस्य-सन्दर्भ प्रस्तुत करता हूँ।

तपः (माघ),
तपस्य (फाल्गुन),
मधु (चैत्र),
माधव (वैशाख),
शुक्र (ज्येष्ठ),
शुचि (आषाढ),
नभः (श्रावण),
नभस्य (भाद्र),
इष (आश्विन),
उर्ज (कार्तिक),
सहः (मार्गशीर्ष)
और
सहस्य (पाैष)

माघ!
जब पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा मघा नक्षत्र में हो तो उस मास को माघ कहते हैं। और पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र में हो वे नक्षत्र चन्द्रमा के मित्र नक्षत्र हैं।

क्या यह नैसर्गिक है?

नही!

सिद्धान्तों को बनाने, उन पर विमर्श करने अथवा उनके खण्डन या उनके मण्डन का कार्य हम करते हैं – हम मनुष्य!

सारे सिद्धान्त हमने बनाये हैं।

यह और बात है कि सिद्धान्त हमने प्रकृति के अन्वीक्षण के आधार पर बानाये हैं। जो होता है, वह हमने जान लिया, लिख दिया, तो वे सिद्धान्त हो गये, किन्तु क्या हम नहीं लिखते तो जो होता है वह नहीं होता? हम नहीं लिखते तो क्या वारिद बरसते नहीं? क्या पुष्प खिलते नहीं? क्या भू-कम्प नहीं होते? उल्कायें नहीं गिरतीं? धरा सूर्य की परिक्रमा बन्द कर देती? सूर्य्य का अहर्निश जलना रुक जाता?

हम नहीं भी लिखते, तब भी यह सब होता! और ऐसी और भी जिन सबका उल्लेख करना सम्भव नहीं, वे घटनायें भी होतीं! होती ही होतीं!!

पछुआ हवायें चलने लगी हैं। और आज की परिस्थितियों में वे बहुत भली भी लग रहीं हैं।

किन्तु

तपस्य मास की ये पश्चिमी हवायें
मधु तथा माधव मास में उष्ण एवं ऊष्णतर होंगी

और शुक्र मास में उष्णतम भी!

आज की ठंढी मनभावन भाती सी हवा कल लू बनेगी यह ध्यान में रहे!

फाल्गुन अपनी साइकिल की अगली डंडी पर मौका पा कर अपनी किसी ऐसी प्रिया जिसके साथ “पल दो पल का साथ हमारा, पल दो पल के याराने हैं” वाले कॉन्सेप्ट पर अमल करते हुए बिठा कर कुछ दूर सायकिल चला ले जाने का नाम नहीं, यह अपनी डंडी, अपने डंडे पर नियंत्रण का नाम है।

मघा बन्द हो चुकी!
मेरे क्रुद्ध लालित्य को अब कोई शरण नहीं।

किन्तु आज भी

हजारी लोग मुझसे एक उलझी पोस्ट को सुलझाने हेतु सलाह लेते हैं।

लेकिन,
अपने पोस्ट में मेरे प्रति आभार का एक शब्द लिखना आवश्यक नहीं समझते!
मैं उनका नाम लिख कर उन्हें अपमानित नहीं करना चाहता,
लेकिन जब वे मेरी सदाशयता का लाभ उठा कर प्रच्छन्न रूप से मेरे प्रति विद्वेष-वपन करते हैं और मुझे जब इसका पता चलता है,

तो मुझे कष्ट होता है

उनकी लाइक्स उनकी हैं,
लेकिन उनकी उन लाइक्स में मेरे टिप्स और ट्रिक्स भी कारक होते हैं
यह किसी को पता नहीं चलता।

ज्योतिष और खगोल का रुद्र तारा क्या है?
और देशज भयवद्दी एवं चाँड़ का मूल क्या है?

मेरे बताने पर,
मेरी सलाह से
आपकी पोस्ट्स का बूम

मेरे किस काम का?

वह भी तब,

जब आपकी में अटकती है तो आप मुझे निकालने को कहते हैं,

और मौका मिलते ही मेरे में ही एक मोटा सा अँड़साने से बाज नहीं आते?

मघा
अघा है।

शीतल और भली लगती पछुआ हवायें आने वाले दिनों में गर्म होंगी,

इतनी गर्म,

कि सहन न की जा सकें!

मेरे जैसे सीधे सादे आदमी को
प्यार-मोहब्बत की बातें करने वाले को,
गीत और गज़ल लिखने वाले को,

और लिख कर छिपा लेने वाले को,

इस फेसबुक ने

एक नाहंजार बना दिया
जिसके नाखूनों से,
दाँतों से,
होठों से,
बातों से,
लफ्जों से,
सतरों से,
अब
केवल रक्त टपकता है।

लाल,
ताजा,
और गाढ़ा रक्त!

मुझे अगर मुझको वापस पाना है,

तो

मुझे यह शहर छोड़ना ही होगा।
✍🏻त्रिलोचन नाथ तिवारी

अच्छा सुनिये!
ये जो फागुन के महीने में हम जैसे बूढ़े युवक बौरा कर उल्टा पुल्टा मजाक करने लगते हैं, उसका कारण बस इतना ही है कि आप हमारे जीवन का हिस्सा हैं। वरना सोचिये, कि जो लोग अपरिचित होने पर दूर गाँव की अप्सरा को भी मुँह न लगाते हों, वे ही अपनी ताड़का की मौसीआउत बहन जैसी भौजाई में ऐश्वर्या राय कैसे देख लेते हैं? यह अद्भुत नहीं है क्या?
जानती हैं फागुन क्यों आता है? फागुन आता है ताकि काम का मारा मानुस खेत में खिले सरसो की तरह महीने भर खिलखिला सके। ताकि मुस्कुरा सके मुंह में मञ्जरी ले कर मुस्कुरा रहे आम के पल्लवों की तरह… नहीं तो जीवन में जीने से अधिक तो मरता रहता है मनुष्य!
ड्यूटी में बॉस मार रहा है, बाजार में हमारी पहाड़ की तरह खड़ी हो चुकी इच्छाएं मार रही हैं, पैसे कमाने के लोभ में जीवन पर थोपी गयी व्यस्तता हमारे प्रेम को मार रही है, जिस आयु में मन को हवा में उड़ना चाहिए उस आयु में लड़कों को अधिक अंक लाने की विवशता दबा कर मार रही है। इस शमशान हो चुके संसार में कोई व्यक्ति अपने हृदय में आनंद की कोंपल उपजाने के लिए यदि थोड़ी फूहड़ खाद ही डाल ले तो क्या उसे माफ नहीं किया जाना चाहिये? बिल्कुल किया जाना चाहिये, बल्कि बदले में उसके ऊपर थोड़ी खाद और डाल देनी चाहिये। ताकि लहलहा जाय मन… फागुन में देवर के मजाक के बदले भौजाई की गालियों और रङ्ग के बदले गोबर फेंकने की परम्परा का यही एकमात्र कारण है। है न मजेदार?
कुछ लोगों को लगता है कि फागुन-चइत मनुष्य का बनाया हुआ है। ऐसा बिल्कुल नहीं है जी! फागुन को ईश्वर ने फुर्सत में बैठ कर रचा है। जभी इस महीने में आम किसान को कोई काम नहीं होता। फसल के लिए जो करना होता है वह कर चुके होते हैं लोग, अब बस पकने की प्रतीक्षा होती है। अब इस मुक्त समय में भी आनन्द न मनाया जाय तो कब मनाया जाएगा जी? फिर क्यों न बजे झांझ और क्यों न मचे फगुआ? जभी तो भगवान शिव ने भी अपने विवाह के लिए यही महीना चुना था। अब मनुष्य लोभ में अपना काम ही बदल ले तो क्या कहें…
कुछ लोग हैं जो बारहों महीने विमर्श ठेलते रहते हैं। हम कहते हैं रुको मरदे! बहुत बोरिंग है यह सब, फागुन को तो बख्स दो। ग्यारह महीने बनते रहो स्त्रीवादी, पुरुषवादी, राष्ट्रवादी, समाजवादी! फागुन में बस मानुस बने रहो… सरकार मेरी सुनती तो कहते, फागुन में सबकुछ करो बस चुनाव न कराओ… इस महीने में दोस्त को प्रतिद्वंदी बनते देखना बहुत दुख देता है यार!
हां तो महीने भर बौराये रहेंगे हम! कन्हैया का महीना है, सो बिंदास हो कर जीना है। इसमें कुछ बुरा लग जाय तो बुरा मानना नहीं है। समझे न!✍🏻सर्वेश तिवारी श्रीमुख

यही स्थिति सुगंधित वृक्ष कदम्ब की भी हुई है। 

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉  

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻शनिवार, १२ मार्च २०२२🌻

 

सूर्योदय: 🌄 ०६:३७

सूर्यास्त: 🌅 ०६:२३

चन्द्रोदय: 🌝 १२:४२

चन्द्रास्त: 🌜२७:२६

अयन 🌕 उत्तरायने (दक्षिणगोलीय

ऋतु: 🌿 बसंत

शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)

विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)

मास 👉 फाल्गुन 

पक्ष 👉 शुक्ल 

तिथि 👉 नवमी (०८:०७ तक)

नक्षत्र 👉 आर्द्रा (१७:३२ तक)

योग 👉 सौभाग्य (२७:५५ तक)

प्रथम करण 👉 कौलव (०८:०७ तक)

द्वितीय करण 👉 तैतिल (२१:१७ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 कुम्भ 

चंद्र 🌟 मिथुन 

मंगल 🌟 मकर (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 कुम्भ (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

गुरु 🌟 कुंम्भ (अस्त, पश्चिम , मार्गी)

शुक्र 🌟 मकर (उदित, पूर्व, वक्री)

शनि 🌟 मकर (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 वृष

केतु 🌟 वृश्चिक

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०३ से १२:५१

रवियोग 👉 पूरे दिन

विजय मुहूर्त 👉 १४:२५ से १५:१३

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:११ से १८:३५

निशिता मुहूर्त 👉 २४:०२ से २४:५०

राहुकाल 👉 ०९:२९ से १०:५८

राहुवास 👉 पूर्व

यमगण्ड 👉 १३:५६ से १५:२५

होमाहुति 👉 शुक्र (१७:३२ तक)

दिशाशूल 👉 पूर्व

अग्निवास 👉 आकाश 

चन्द्रवास 👉 पश्चिम

शिववास 👉 गौरी के साथ (०८:०७ से सभा में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – काल २ – शुभ

३ – रोग ४ – उद्वेग

५ – चर ६ – लाभ

७ – अमृत ८ – काल

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – लाभ २ – उद्वेग

३ – शुभ ४ – अमृत

५ – चर ६ – रोग

७ – काल ८ – लाभ

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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पश्चिम-दक्षिण (वायविन्डिंग अथवा तिल मिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज १७:३२ तक जन्मे शिशुओ का नाम  

आर्द्रा नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (ङ, छ) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम पूनर्वसु नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमश: (के, को, ह) नामाक्षर रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

कुम्भ – २९:१५ से ०६:४१

मीन – ०६:४१ से ०८:०५

मेष – ०८:०५ से ०९:३८

वृषभ – ०९:३८ से ११:३३

मिथुन – ११:३३ से १३:४८

कर्क – १३:४८ से १६:१०

सिंह – १६:१० से १८:२९

कन्या – १८:२९ से २०:४६

तुला – २०:४६ से २३:०७

वृश्चिक – २३:०७ से २५:२७

धनु – २५:२७ से २७:३०

मकर – २७:३० से २९:११

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पञ्चक रहित मुहूर्त

चोर पञ्चक – ०६:३१ से ०६:४१

शुभ मुहूर्त – ०६:४१ से ०८:०५

शुभ मुहूर्त – ०८:०५ से ०८:०७

चोर पञ्चक – ०८:०७ से ०९:३८

शुभ मुहूर्त – ०९:३८ से ११:३३

रोग पञ्चक – ११:३३ से १३:४८

शुभ मुहूर्त – १३:४८ से १६:१०

मृत्यु पञ्चक – १६:१० से १७:३२

अग्नि पञ्चक – १७:३२ से १८:२९

शुभ मुहूर्त – १८:२९ से २०:४६

रज पञ्चक – २०:४६ से २३:०७

शुभ मुहूर्त – २३:०७ से २५:२७

चोर पञ्चक – २५:२७ से २७:३०

शुभ मुहूर्त – २७:३० से २९:११

रोग पञ्चक – २९:११ से ३०:२९

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आर्थिक दृष्टिकोण से आज का दिन आकस्मिक फायदे कराने वाला रहेगा। आज आप किसी से अधिक व्यवहार करना पसंद नहीं करेंगे इससे कई समस्याओं से भी बचे रहेंगे। सामाजिक क्षेत्र पर भी आज आपके योगदान की प्रशंसा होगी। समाज के वरिष्ठ जनो के साथ नविन संपर्क बनेंगे। स्त्री-पुत्र अथवा बाहरी किसी महिला से लाभदायक समाचार मिल सकते है। विपरीत लिंगीय आकर्षण आज कम रहेगा। परिवार में संध्या बाद का समय थोड़ा खींचतान वाला फिर भी सुखद रहेगा। सेहत आज ठीक रहेगी।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज के दिन आपका मन अनिर्णय की स्थिति में रहेगा मानसिक स्थिति पल पल में बदलने के कारण दिनचर्या में विलंब होगा। दिन के पूर्वार्ध में प्रत्येक कार्य सोच विचार कर करें। नए कार्य का आरम्भ आज करना उचित नहीं। आज किये अधिकांश कार्य अधूरे रहेंगे। स्वभाव की मनमानी के चलते परिवार के बुजुर्गो अथवा कार्य क्षेत्र में आधिकारियो के साथ मनमुटाव हो सकता है। क्रोध एवं वाणी में संयम रखकर आज का दिन शांति से बिताना ही हितकर रहेगा। सेहत भी मानसिक स्थिति की तरह नरम गरम बनी रहेगी।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन घर एवं बाहर के वातावरण में बदलाव लाने वाला रहेगा। दिनभर सेहत थोड़ी नरम रहने से आलस्य रहेगा फिर भी आज आप घरेलु समस्याओं के समाधान के प्रति अधिक सतर्क रहेंगे। आज वाणी एवं व्यवहार में भी कल की अपेक्षा नरमी रहेगी। कार्य क्षेत्र पर आज कुछ महत्त्वपूर्ण बदलाव कर सकते है। धन की आमद रुक रुक कर होते रहने से संतोष करेंगे। संध्या के समय मनोरंजन के अवसर तलाशेंगे। विद्यार्थियों के लिये आज का दिन कुछ परेशानी वाला हो सकता है। 

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज के दिन भी परिस्थितियां प्रतिकूल रहने से कोई राहत नहीं मिलेगी। मन किसी अरिष्ट के भय ये व्याकुल हो सकता है। आर्थिक पक्ष कमजोर होने से मानसिक चिंता बढ़ेगी। मध्यान पश्चात सेहत में अकस्मात गिरावट अथवा अन्य रूप से शारीरिक कष्ट हो सकता है। स्वाभाव में रूखापन एवं वाणी में कड़वाहट झगडे का कारण बनेगी। कार्य क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा के चलते व्यवसाय कुछ समय के लिये ही गति पकड़ेगा इसमे जितना लाभ उठा सकते है उठायें। मध्यान का समय करामात खर्चीला भी रहेगा। आज अनैतिक कार्यो में ना पड़े।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज के दिन स्थिति में सुधार आने से राहत अनुभव करेंगे। कुछ दिनों से चल रही शारीरिक एवं पारिवारिक समस्याओं का समाधान होने से मानसिक शांति मिलेगी। आज सामाजिक कार्य के प्रति अधिक रूचि दिखाएंगे। कला एवं खाद्य पदार्थ के क्षेत्र से जुड़े जातको के लिए आज का दिन लाभदायी सिद्ध होगा। लेकिन आज किसी के ऊपर भी आंख बंद कर भरोसा ना करें खास कर उधारी वाले मामलो में सतर्कता बरते अन्यथा हानि भी हो सकती है। मित्रो के ऊपर खर्च होगा। संतान की प्रगति के समाचार मिलेंगे।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज प्रातः काल से ही किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के कारण भाग-दौड़ रहेगी लेकिन सफलता को लेकर मन में संशय रहेगा। परिजनों से भी आज मामूली घरेलु कारणों से मतभेद होगा इसके कारण दिन भर दिमाग मे उल्टे सीधे विचार आएंगे संध्या के समय मामला सुलझने से राहत मिलेगी। संतानों के भविष्य के कारण भी चिंता रहेगी। मध्यान के बाद किसी स्त्री द्वारा अथवा सहयोग से आर्थिक अथवा अन्य लाभ की संभावना है। नौकरी पेशा जातक अधिकारी वर्ग से सतर्क रहें। आलस्य भारी पड़ सकता है। 

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज का दिन आध्यात्म एवं धार्मिक आस्था में वृद्धि करने वाला रहेगा। पुण्योदय होने से भाग्योन्नति के अवसर मिलेंगे। फिर भी आज आपके निर्णय सही दिशा ले रहे है या नहीं इसकी जांच अवश्य कर लें। धार्मिक यात्रा देव दर्शन के योग है। घर में वैवाहिक कार्यो की रूप रेखा बनेगी। कार्य व्यवसाय पर भी दिन लाभ कराने वाला रहेगा। धन की आमद सुबह से शाम तक रुक रुक कर होती रहेगी लेकिन खर्च भी आज लगे रहने से बचत मुश्किल ही कर पाएंगे। पुराने परिचितों से भेंट होने पर कुछ परेशानी होगी। सेहत और धन संबंधित मामले दोनो से आज निश्चिन्त रहेंगे।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन विपरीत फल प्रदान करने वाला है। आज दिन भर सतर्क रहने की आवश्यकता है। सेहत नरम रहने से स्वभाव मे चिढ़चिढ़ापन आएगा फलस्वरूप किसी प्रियजन से मन मुटाव के प्रसंग बनेंगे। आर्थिक कारणों से चिंता बैचेनी रहेगी। कार्य क्षेत्र पर आज अव्यवस्था बनेगी सहयोगी अथवा सहकर्मी मनमानी करेंगे फलस्वरूप लाभ भी अनिश्चित रहेगा। आकस्मिक घटनाओं से मन दुखी होगा। स्वयं अथवा किसी परिजन की सेहत पर आकस्मिक खर्च रहेगा।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन का पहला भाग सुख शांति से व्यतीत करेंगे। कोई रुका कार्य पूर्ण होने से धन लाभ होगा। आज के दिन आप थोड़े परिश्रम में अधिक लाभ भी कमा सकते है परंतु आलस्य एवं लापरवाही के कारण महत्त्वपूर्ण सौदे हाथ से निकलने की भी सम्भावना है। भागीदारी के कार्य की अपेक्षा एकल व्यवसाय में लाभ अधिक होगा। आस पड़ोसियों के कारण परिवार में किसी बात को लेकर व्यर्थ बहस हो सकती है। ठंडी चीजो से बचे सर्द गरम की समस्या हो सकती है।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आप का आज का दिन मिश्रित फलदायी है। दिन के पूर्वार्ध में सेहत में गिरावट रहने से बेचैनी बढ़ेगी। बीमारी पर आकस्मिक खर्च होगा। भाई-बंधुओ के बीच मामूली सी बात पर मनमुटाव हो सकता है। अपनी वाणी एवं व्यवहार में सावधानी बरतें। जमीन-जायदाद सम्बंधित कार्यो को फिलहाल स्थगित करें। मध्याह्न के बाद का समय अपेक्षकृत बेहतर रहेगा कार्य क्षेत्र अथवा अन्य साधनों से धन या कीमती वस्तुओ का लाभ होगा। लेकिन आज अनचाही यात्रा से थकान बढ़ेगी। धन की उधारी आज ना करें।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज के दिन का अधिकांश समय आपके अनुकूल रहेगा। आज स्वास्थ्य भी उत्तम बना रहेगा। कार्यो के प्रति आज अधिक ईमानदार रहेंगे। व्यावसायिक अथवा नौकरी अथवा अन्य किसी सम्बन्ध में लंबी यात्रा हो सकती है विदेश यात्रा के भी योग बनरहे है। मध्यान के समय शुभ समाचार मिलने से मन में आनंद छाया रहेगा धन लाभ के लिये आज इंतजार करना पड़ेगा या अल्प लाभ से ही संतोष करना पड़ेगा। संतानों के व्यवहार से आज थोड़ी पीड़ा भी होगी।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन विषम परिस्थितियों वाला रहेगा। आज मन में भावुकता एवं क्रोध की अधिकता रहने से छोटी-छोटी बातों को दिल से लगा लेंगे जो बातें आपके काम की नही उन्हें अनदेखा करें अन्यथा मामूली बात गंभीर विवाद का रूप ले सकती है। मध्यान पश्चात संतान और जीवनसाथी के स्वास्थ्य ख़राब हो सकता है। वाणी एवं व्यवहार संयमित रखें अन्यथा सम्मान में कमी आ सकती है। सरकारी कार्यो को संभवतः टाले निर्णय आपके विपरीत रहेंगे। धन लाभ की जगह खर्च अधिक रहेंगे। यात्रा आज ना करें।

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