महाकुंभ में इस बार मोदी एवं योगी की दूरदर्शिता के चलते सीमा पार के हिन्दूओं ने भी वर्षों से रखे अस्थि कलस विसर्जित कर पिंडदान किया, देवराहाबाबा सभी बड़े राजनेता जिनके यहां साष्टांग दंडवत करने जाते थे, आज का पंचाग आपका राशि फल

🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
*********|| जय श्री राधे ||****
🌺🙏 *महर्षि पाराशर पंचांग* 🙏🌺
🙏🌺🙏 *अथ पंचांगम्* 🙏🌺🙏
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺

*दिनांक:- 10/02/2025, सोमवार*
त्रयोदशी, शुक्ल पक्ष,
माघ”””””””””””””””””(समाप्ति काल)

तिथि———-त्रयोदशी 18:56:49 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——— पुनर्वसु 17:59:53
योग————– प्रीति 10:25:31
करण———–कौलव 07:07:44
करण———– तैतुल 18:56:49
करण————- गर 30:52:25
वार———————- सोमवार
माह———————— माघ
चन्द्र राशि—– मिथुन 11:55:40
चन्द्र राशि—————– कर्क
सूर्य राशि——————- मकर
रितु———————— शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर——————– क्रोधी
संवत्सर (उत्तर) ————–कालयुक्त
विक्रम संवत—————- 2081
गुजराती संवत————– 2081
शक संवत—————– 1946
कलि संवत—————– 5125

सूर्योदय————– 07:03:39
सूर्यास्त————– 18:18:56
दिन काल———— 11:15:17
रात्री काल————- 12:44:07
चंद्रोदय————– 16:15:30
चंद्रास्त—————- 30:14:24

लग्न—-मकर 27°21′ , 297°21′

सूर्य नक्षत्र—————— धनिष्ठा
चन्द्र नक्षत्र—————- पुनर्वसु
नक्षत्र पाया—————— रजत

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

हा—- पुनर्वसु 11:55:40

ही—- पुनर्वसु 17:59:53

हु—- पुष्य 24:05:41

हे—- पुष्य 30:13:07

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= मकर 27°40, धनिष्ठा 2 गी
चन्द्र= मिथुन 27°30 , पुनर्वसु 3 हा
बुध =धनु 27°52 ‘ धनिष्ठा 2 गी
शु क्र= मीन 09°05, उ o फाo’ 2 थ
मंगल=मिथुन 24°30 ‘ पुनर्वसु ‘ 2 को
गुरु=वृषभ 17°30 रोहिणी, 3 वी
शनि=कुम्भ 24°28 ‘ पू o भा o , 2 सो
राहू=(व) मीन 05°15 उo भा o, 1 दू
केतु= (व)कन्या 05°15 उ oफा o 3 पा

*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*

राहू काल 08:28 – 09:52 अशुभ
यम घंटा 11:17 – 12:41 अशुभ
गुली काल 14:06 – 15: 30अशुभ
अभिजित 12:19 – 13:04 शुभ
दूर मुहूर्त 13:04 – 13:49 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:19 – 16:04 अशुभ
वर्ज्यम 26:08* – 27:46* अशुभ
प्रदोष 18:19 – 20:53 शुभ

💮चोघडिया, दिन
अमृत 07:04 – 08:28 शुभ
काल 08:28 – 09:52 अशुभ
शुभ 09:52 – 11:17 शुभ
रोग 11:17 – 12:41 अशुभ
उद्वेग 12:41 – 14:06 अशुभ
चर 14:06 – 15:30 शुभ
लाभ 15:30 – 16:55 शुभ
अमृत 16:55 – 18:19 शुभ

🚩चोघडिया, रात
चर 18:19 – 19:54 शुभ
रोग 19:54 – 21:30 अशुभ
काल 21:30 – 23:05 अशुभ
लाभ 23:05 – 24:41* शुभ
उद्वेग 24:41* – 26:17* अशुभ
शुभ 26:17* – 27:52* शुभ
अमृत 27:52* – 29:28* शुभ
चर 29:28* – 31:03* शुभ

💮होरा, दिन
चन्द्र 07:04 – 07:59
शनि 07:59 – 08:56
बृहस्पति 08:56 – 09:52
मंगल 09:52 – 10:49
सूर्य 10:49 – 11:45
शुक्र 11:45 – 12:41
बुध 12:41 – 13:38
चन्द्र 13:38 – 14:34
शनि 14:34 – 15:30
बृहस्पति 15:30 – 16:26
मंगल 16:26 – 17:23
सूर्य 17:23 – 18:19

🚩होरा, रात
शुक्र 18:19 – 19:23
बुध 19:23 – 20:26
चन्द्र 20:26 – 21:30
शनि 21:30 – 22:34
बृहस्पति 22:34 – 23:37
मंगल 23:37 – 24:41
सूर्य 24:41* – 25:45
शुक्र 25:45* – 26:48
बुध 26:48* – 27:52
चन्द्र 27:52* – 28:56
शनि 28:56* – 29:59
बृहस्पति 29:59- 31:03

*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

मकर > 04:30 से 06:16 तक
कुम्भ > 06:16 से 07:48 तक
मीन > 07:48 से 09:16 तक
मेष > 09:15 से 10:54 तक
वृषभ > 10:54 से 12:52 तक
मिथुन > 12:52 से 15:06 तक
कर्क > 15:06 से 17:24 तक
सिंह > 17:24 से 19:36 तक
कन्या > 19:36 से 21:46 तक
तुला > 21:46 से 00:04 तक
वृश्चिक > 00:04 से 02:18 तक
धनु > 02:18 से 04:22 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-सोम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

13 + 2 + 1 = 16 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शनि ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

13 + 13 + 5 = 31 ÷ 7 = 3 शेष

वृषभा रूढ़ = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*सोम प्रदोष व्रत (शिव पूजन)

*सर्वार्थ सिद्धि योग 18:00 से

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

गुरुरग्निर्द्वि जातीनां वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः ।
पतिरेव गुरुः स्त्रीणां सर्वस्याभ्यागतो गुरुः ।।
।। चा o नी o।।

ब्राह्मणों को अग्नि की पूजा करनी चाहिए . दुसरे लोगों को ब्राह्मण की पूजा करनी चाहिए . पत्नी को पति की पूजा करनी चाहिए तथा दोपहर के भोजन के लिए जो अतिथि आये उसकी सभी को पूजा करनी चाहिए .

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: गुणत्रयविभागयोग :- अo-14

सत्त्वं रजस्तम इति गुणाः प्रकृतिसम्भवाः ।,
निबध्नन्ति महाबाहो देहे देहिनमव्ययम्‌ ॥,

हे अर्जुन! सत्त्वगुण, रजोगुण और तमोगुण -ये प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुण अविनाशी जीवात्मा को शरीर में बाँधते हैं॥,5॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
योजना फलीभूत होगी। मनमाफिक स्थानांतरण या पदोन्नति हो सकती है। कार्यस्थल पर सुधार होगा। सामाजिक कार्य करने की इच्छा रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। घर-परिवार की चिंता रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। दूर से अच्‍छी खबर मिल सकती है।

🐂वृष
डूबी हुई रकम प्राप्त होने के योग हैं। यात्रा लाभदायक रहेगी। आय में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में चैन रहेगा। कोई बुरी खबर मिल सकती है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। दुष्टजनों से सावधानी आवश्यक है।

👫मिथुन
ऐश्वर्य के साधनों पर बड़ा खर्च हो सकता है। भूमि व भवन आदि के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। नौकरी में चैन रहेगा। शत्रु पस्त होंगे। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। सभी कार्य पूर्ण होंगे।

🦀कर्क
फालतू खर्च होगा। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। धन की तंगी होगी। बेकार बातों पर ध्यान न दें। विचारों की स्पष्टता न होने से उलझनें रहेंगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। नौकरी में स्थानांतरण या परिवर्तन संभव है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय ठीक-ठीक चलेगा।

🐅सिंह
प्रियजनों के साथ बेवजह रिश्तों में खटास आ सकती है। लोगों की अपेक्षाएं बढ़ेंगी। हताशा का अनुभव होगा। मन की बात किसी को न बतलाएं। संवेदनशीलता बढ़ेगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। अपरिचित व्यक्तियों पर अंधविश्वास न करें।

🙍‍♀️कन्या
पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। शैक्षणिक व शोध कार्य मनोनुकूल रहेंगे। किसी प्रबु‍द्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। उत्साह व प्रसन्नता में वृद्धि होगी। नौकरी में कोई नया कार्य कर पाएंगे। अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। व्यापार ठीक चलेगा।

⚖️तुला
नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। मेहनत का फल प्राप्त होगा। अपेक्षित कार्य समय पर पूरे होंगे। मित्रों का सहयोग कर पाएंगे। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। सुख के साधन जुटेंगे। कारोबारी लाभ बढ़ेगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड मनोनुकूल लाभ देंगे।

🦂वृश्चिक
दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। शेयर मार्केट से आशातीत लाभ होगा। नौकरी में सहकर्मियों का साथ मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होगी। तनाव व चिंता में कमी होगी। स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। समय अनुकूल है। प्रसन्नता में वृद्धि होगी।

🏹धनु
चोट व दुर्घटना से शारीरिक हानि की संभावना है। दुष्टजनों से दूरी बनाए रखें। बिना वजह कहासुनी हो सकती है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। यात्रा यथासंभव टालें। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। धैर्य रखें।

🐊मकर
राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। कोई रुका काम बन सकता है। तीर्थयात्रा की योजना बनेगी। तंत्र-मंत्र में रुचि जागृत होगी। सत्संग का लाभ प्राप्त होगा। कारोबार लाभदायक रहेगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें।

🍯कुंभ
आत्मसम्मान बना रहेगा। अच्छी खबर प्राप्त होगी। कोई बड़ा काम करने का मन बनेगा। मान-सम्मान मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी। भूले-बिसरे साथी तथा रिश्तेदारों से मुलाकात होगी।

🐟मीन
भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। यात्रा लाभदायक रहेगी। रोजगार में वृद्धि होगी। कोई बड़ा काम होने से प्रसन्नता रहेगी। समय की अनुकूलता का लाभ लें। कारोबारी लाभ बढ़ेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रसन्नता प्राप्त होगी। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। निवेश शुभ रहेगा। जल्दबाजी न करें।

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺
✍️*आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)*

“धन्य धन्य श्री मोदी जी”

“ll🫵🫵🫵🫵🫵ll”

“बीबीसी उर्दू ने बताया कि पाकिस्तान में पिछले कई वर्षों से हजारों हिंदुओं की ‘अस्थि कलश’ भारत के ‘गंगा में प्रवाहित’ होने का इंतजार कर रहे थे..!!”

“ll🧊ll”

“कई हिन्दू लोगो ने अपने पूर्वजों की अस्थियों को इस उम्मीद में वहां के मंदिरों में रख दिए थे कि कभी ना कभी वे इन्हें भारत जाकर गंगा मैया में अवश्य ही प्रवाहित करेंगे..!!”

“ll🧊ll”

“कई मामले तो ऐसे भी थे कि दो-दो पीढ़ियों के अस्थि कलश गंगा में विसर्जित होने की उम्मीद में मंदिरों में ही रखे पड़े थे..!!”

“ll🧊ll”

“इस बार महाकुंभ के पावन अवसर पर श्री मोदी जी की सरकार ने इस क्रम में कदम उठाते हुए पाकिस्तान के 1200 से ज्यादा हिंदुओं को ‘कुम्भ स्पेशल वीजा’ जारी किया तथा इसके अलावा पाकिस्तान में हिंदुओं के जितने भी ‘अस्थि कलश’ अपने-अपने विसर्जन के इंतजार में रखे पड़े थे, उन सब को गंगा जी में विसर्जित करने का खास इंतजाम भी किया गया..!!” “जय जय हो मोदी जी” 

“ll🌍🌍🌍🌍🌍ll”

देवराहा बाबा की सत्यकथाएं 

कुंभ मेला चल रहा है और इसीलिए मैं आपको देवराहा बाबा के जीवन की सभी किवदंतियां और कहानियां आपको सुनाना चाहता हूं ताकी आपका मन हिंदू धर्म की आस्था में और लग जाए । 

देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी 1954 में कुंभ मेले में जाकर सार्वजनिक रूप से बैठकर देवराहा बाबा की पूजा की थी और उनके साथ में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल कन्हैयालाल माणिक लाल मुंशी, यूपी के मुख्यमंत्री रहे डॉक्टर संपूर्णानंद भी उपस्थित थे 

साल 1911 में ब्रिटिश साम्राज्य के किंग जॉर्ज पंचम देवराहा बाबा के दर्शन करने गए थे । प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी भी कई बार देवराहा बाबा का दर्शन करने गई और और 1977 में पराजित होने के बाद भी इंदिरा उनका दर्शन करने गई थी और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी जी भी 6 नवंबर 1989 को चुनाव से पहले पूज्य देवरहा बाबा का दर्शन करने गए थे । उनके साथ उस समय के गृहमंत्री बूटा सिंह जी भी थे  । 40 मिनट तक स्वर्गीय राजीव गांधी जी की देवराहा बाबा से बात हुई थी 

देवराहा बाबा के प्रारंभिक जीवन के बारे में कोई भी प्रामाणिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपने जीवन के अधिक से अधिक वर्ष हिमालय पर तपस्या करते हुए बिताए थे और फिर जब उन्हें सिद्धियां प्राप्त हो गई तो उन्हें लगा कि जनता के बीच में जाकर उन की समस्याओं का समाधान

करना चाहिए और इसीलिए बाबा हिमालय से चलते हुए देवरिया के जंगलों में आकर साधना में रत हो गए बाबा को जल सिद्धि प्राप्त थी वे जल में घंटों तक समाधि लगा सकते थे कहते हैं कि उन दिनों देवरिया जिला गोरखपुर में पड़ता था और वहां पर भयंकर अकाल पड़ा हुआ था सूखे और अकाल के कारण पूरे जनपद में त्राहि त्राहि मची हुई थी बाबा उस समय देवरिया में ही सरयू नदी के तट पर गांव के पास वाले जंगल में समाधि में रत रहते थे और वहीं तपस्या करते थे एक दिन गांव के लोग सरयु के किनारे सुबह-सुबह ही आकर भगवान की प्रार्थना करने लगे कि उन्हें वर्षा दे दिया जाए उन्हें अकाल से मुक्ति दी जाए वे लोग सुबह से ही वहीं जुट गए थे और दोपहर होने को आ गई थी तभी उन्होंने एक आश्चर्य चकित करने वाली घटना देखी सरयू नदी के जल से दोपहर को एक सन्यासी प्रकट हो रहा है क्योंकि वहां पर भारी भीड़ थी और सुबह से ही वे लोग वहां थे लेकिन किसी ने भी बाबा को जल के अंदर जाते नहीं देखा था शायद बाबा ने ब्रह्म मुहूर्त में ही जल में समाधि लगा ली हो कोई भी सामान्य मनुष्य कितना भी प्रशिक्षण ले ले वह जल के अंदर कुछ मिनटों से अधिक नहीं रह सकता है वहीं पर बाबा घंटों तक जल में थे जैसे ही वो बाहर निकले तो उन्हें देखकर लोगों में भय का संचार हुआ क्योंकि जब भी लोग कोई चमत्कार देखते हैं तो सबसे पहले उनके मन में भय ही आता है लंबे समय तक तपस्या करने के कारण बाबा की बाल और दाढ़ी बहुत बढ़ गए थे ऐसे में नदी से निकलते हुए एक अवधूत वेष भारी जटाधारी तपस्वी महापुरुष को देखकर उनके उन्नत ललाट और मुख मंडल पर देदीप्यमान तेज को देखकर उनकी आंखों में सम्मोहन को देखकर वहां पर उपस्थित लोग अपने आप को रोक नहीं सके और उस तपस्वी के

सामने साष्टांग लेट गए । ये सूचना पूरे गांव में फैल गई देखते देखते गांव के समस्त नर नारी दौड़कर आ गए कुछ ही देर में वहां एक विशाल जन समुदाय इकट्ठा हो गया चूंकि बाबा सरयू के जल से प्रकट हुए थे इसीलिए लोगों ने उनका पहला नाम दिया जलेसर महाराज जलेसर महाराज के जयघोष से पूरा वहां का आकाश गूंज उठा बाबा ने जैसे ही लोगों को उनके सामने साष्टांग दंडवत करते हुए देखा तो उन्होंने कहा कि आप लोग अपने अपने घर जाइए शीघ्र ही वर्षा होगी और वे लोग बाबा का गुणगान करते हुए अपने घरों की तरफ लौट पड़े शाम होते ही पूरा आकाश बादलों से भर गया और देखते देखते मुसला धार वर्षा होने

लगी क्योंकि बाबा नदी की रेत की जगह से प्रकट हुए थे जिसे कि देवरा कहा जाता है इसीलिए वे देवराहा बाबा कहे जाने लगे और जलेसर बाबा के नाम से प्रसिद्ध होने वाले बाबा तत्काल ही देवराहा बाबा के नाम से चारों तरफ प्रसिद्ध हो गए ।