पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का के इस पत्र ने उड़ा रखी है सरकार की नींद
प्रदेश सरकार को छह मास कब के पूरे हो चुके । जब तीन माह हुए थे उस समय मैंने 109 ऐसे बिंदु जारी किए थे जहां राज्य सरकार ने राज्य के हित के खिलाफ निर्णय लिया था। स्थितियां राज्य के लिए और खराब होती जा रही हैं , जनता के लिए भी और राज्य के विकास के लिए भी। आपको याद होगा जब राज्य सरकार ने एपीएल के गेहूं,चावल के दाम बढ़ाये और चीनी बंद की, तब मैंने एक सांकेतिक धरना दिया जब इन्होंने #गैरसैण में बजट सत्र आयोजित नहीं किया उसके विरोध में भी मैंने एक सांकेतिक धरना दिया। आप सब सम्मिलित हुए, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने उन कार्यक्रमों को अपना आशीर्वाद दिया। आज मैं रूग्ण हूं मगर मेरी भावनाएं आपके संघर्ष के साथ हैं। प्रदेश कांग्रेस ने कुछ मुद्दों को बहुत प्रबलता से उठाया है, मैं उनको बधाई देता हूं। एपीएल के कार्ड धारकों के गेहूं,चावल के दाम बढ़ाने के बाद अब राज्य सरकार एक और षड्यंत्र कर रही है, कह रही है कि आधार कार्ड के आधार पर जो सब्सिडी है वो डायरेक्ट जो उपभोक्ता है, लाभार्थी हैं उनके खाते में भेजा जाएगा, इसका स्पष्ट अर्थ है कि लगभग 40% लोग एपीएल के गेहूं,चावल के दाम बढ़ने के बाद भी जो लाभ उनको था बाजार से गेहूं,चावल के दामों के मध्य उससे वंचित हो जाएंगे उनके पास आधार कार्ड नहीं होगा या उनका बैंक में खाता नहीं होगा तो ऐसे लोग लाभ नहीं उठा पाएंगे, ये एक और प्रहार है। पहले ही राज्य सरकार ने जिस गेहूं को हमने ₹4 किलो के हिसाब से बेचने का निर्णय लिया था उसके दाम बढ़ाकर के ₹8.60 किलो कर दिए और चावल की मात्रा घटा दी और दाम नौ रूपया किलो से बढ़ाकर के ₹15 किलो कर दिया। अब कोढ़ में खाज के तौर पर ये डायरेक्ट जो कैश ट्रांसफर की बात कही जा रही है वो भी एक प्रकार से गरीब और कमजोर लोंगो पर प्रहार है।
इस सरकार ने जो “बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ” का खूब हल्ला मचाती है इसने बेटियों के हितों पर कितनी जबरदस्त चोट की है उसका उदाहरण है, हमारे समय में #कन्या_धन_योजना, #गौरा_देवी_कन्या_योजना और #नंदा_देवी_विवाह_सहायता योजना, तीन अलग-अलग संचालित होती थी। राज्य सरकार ने इनको मिला कर के #गौरा_नंदा योजना के रूप में एक ही योजना संचालित करने का फैसला लिया है। अब मुझे संदेह है कि समाज कल्याण विभाग से नंदा देवी योजना के तहत गरीब की बेटी की शादी के लिए कुछ मदद मिलेगी, अब जो मदद मिलेगी वो मदद टुकड़ों में होगी। हमारी समय में हम पैदा होते ही 5 हजार रुपये की FD और 3 साल का होने पर 10 हजार रुपये की और FD बच्ची के नाम पर बनाते थे। जब बच्ची इंटरमीडिएट पास करती थी तो उसकी पढ़ाई के लिए उसको ₹50000 की आर्थिक सहायता देते थे। ये गरीब के लिए एक बड़ा सहारा था। कन्या को प्रोत्साहित करने का राज्य सरकार का एक सशक्त निर्णय था। इन्होंने अब इन सभी योजनाओं को मिलाकर के एक कर दिया है और टुकड़ों-टुकड़ों में उस सहायता को दिया जाएगा और अधिकतम सहायता राशि किसी भी रुप में 31000 रुपए से ज्यादा एक कन्या को नहीं मिलेगा अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि गरीब की लड़की के ऊपर और गरीब के ऊपर यह राज्य सरकार का कितना बड़ा अन्याय है। हमने अपनी वृद्धा माताओं के लिए वृद्धा पोषण आहार योजना प्रारंभ की, राज्य सरकार ने उस योजना को भी बंद कर दिया है,उसके लिए कोई धन आवंटित नहीं किया है। हमने वृद्धजनों के लिए रोडवेज की बसों में यात्रा मुफ्त की, इन्होंने अब 50% धन देना, टिकट का 50% लेना प्रारंभ कर दिया है। इसी प्रकार इन्होंने हमारी दूसरी योजनाओं का भी नामकरण बदलकर के जैसे मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ की योजना थी जो सीधे-सीधे बुजुर्गों को प्रेरित करती थी कि वो चार धाम यात्रा के लिए जाएं और एक धाम की तीर्थ यात्रा करें उसका पूरा खर्च राज्य सरकार उठाती थी अब इन्होंने नए कलेवर में उस योजना को इस तरीके से ढाल दिया है कि उसका लाभ बहुत कम लोगों को मिल पाएगा। हमारी योजना में कोई एपीएल,बीपीएल नहीं था अब ये चुनिंदा लोगों को ही उस यात्रा का अब लाभ मिल पाएगा। इसी प्रकार जो दुग्ध प्रोत्साहन योजना थी,लोगों का बहुत बड़ा पैसा ₹4 बोनस का बाकी है राज्य सरकार पर, ये उसका भुगतान नहीं कर रहे हैं और आगे उस योजना पर अनिश्चय के बादल मंडरा रहे हैं। राज्य सरकार ने हरेला योजना को जिस रुप में हमने संचालित किया था वो एक कार्यक्रम था हरियाली का, इन्होंने उसको एक दिन के पर्व के रूप में ढालकर के पूरे #हरेला_कार्यक्रम को जो हरेले से घी संक्रांति तक चलता था उसको पटरी से उतार दिया है। हमारे #झुमैलो से लेकर के झोड़े तक का जो कार्यक्रम था जिसको हमने झुमैलो का आर्क रूप दिया था उस योजना को भी इन्होंने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। हमने #रामलीलाओं के प्रोत्साहन और कृष्ण झांकियों के प्रोत्साहन की जो योजना बनाई थी इन्होंने उसके लिए भी कोई धन आवंटित नहीं किया है। #मेरा_वृक्ष_मेरा_धन_योजना के लिए भी राज्य सरकार ने धन आवंटित नहीं किया है। मुझे डर है हमने जो मडुवा, मिर्च, झुंगरे और मोटे अनाजों पर, दालों पर बोनस की योजना प्रारंभ की थी रामदाने सहित, राज्य सरकार ने उसके लिए भी कोई धनराशि नहीं आवंटित की है।मेरा आप #कांग्रेसजनों से आग्रह है कि इन मुद्दों को लेकर के लोगों तक पहुंचे, उन लोगों तक पहुंचे जिनके ऊपर ये प्रहार हो रहा है। हमने महिलाओं को लाभ देने के लिए ये निर्णय किया कि यदि एक परिवार के अंदर तीन भी ऐसे पात्र होते हैं जिनको सामाजिक कल्याण पेंशन योजना का लाभ मिलना चाहिए तो हमने कहा उन तीनों लोगों को उसका लाभ दिया जाएगा और एक-एक हजार रुपया पेंशन दी जाएगी और अब वर्तमान सरकार ने कहा है कि एक परिवार के एक ही व्यक्ति को ये लाभ मिलेगा। 87000 लोग अब समाज कल्याण पेंशन से वंचित हो जाएंगे और इन वंचितों में 68 हजार केवल हमारी बहनें है और 12000 विकलांग हैं। तो ये गरीब विरोधी,वृद्ध विरोधी और किसान विरोधी सरकार है, इन्होंने जिन्होंने किसानों ने आत्महत्या की एक किसान को तो सहायता स्वरूप 5 लाख रुपया दिया बाकी किसानों को इन्होंने कोई मदद नहीं दी तो ये जो इनका रवैया है इस रवैये के खिलाफ अब समय आ गया है कि आप उठें और कांग्रेस का झंडा लेकर के चल पड़े और गांव-गांव में इसके खिलाफ आवाज बुलंद करें। मुझे पूरा भरोसा है कि कांग्रेस जन गांव गांव में संघर्ष की इस आवाज को उन लोगों तक पहुंचाएंगे जिन लोगों को ये सरकार हमारे दिए गए लाभ से वंचित कर रही है ताकि उनको ये एहसास हो सके कि कांग्रेस आज भी हमारे साथ खड़ी है और कल भी हमारे साथ खड़ी होगी। आप सबका बहुत धन्यवाद आप मेरे स्वास्थ्य के प्रति चिंता जाहिर की उसके लिए भी मैं आप सबका बहुत आभारी हूं और आप सबकी सद्भावना से मैं अब पुन: जनता के बीच आ कर जन समस्याओं पर सरकार का ध्यानाकर्षण करूंगा। समझा जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का यह पत्र न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मोबाइल में है बल्कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के पास भी अच्छी खासी तादाद में है और इस पत्र को लेकर सरकार भी खासी पशोपेश में है।