हिमालयी राज्यों के लिए केंद्र में अलग से मंत्रालय की स्थापना होनी चाहिए

 हरीश मैखुरी

हिमालयी राज्यों के लिए केंद्र में अलग से मंत्रालय की स्थापना होनी चाहिए। मसूरी में आयोजित किए गए HimalayanConclave  में प्रतिभागी राज्यों द्वारा ‘मसूरी संकल्प’ (मसूरी रिजोल्यूशन)  में इस प्रस्ताव के पारित होने की उम्मीद थी लेकिन न जाने किन कारणों से ऐसा प्रस्ताव देखने को नहीं मिल रहा है, दरअसल हिमालयी राज्य देश की सुरक्षा की प्रथम पंक्ति ही नहीं, बल्कि हिमालय तो देश के पर्यावरण इसकी पारिस्थितिकी देश की जैविक सुरक्षा सांस्कृतिक संपदा के मूल स्रोत भी है, इसलिए इन राज्यों के लिए अलग से मंत्रालय की भारत सरकार में आवश्यकता महसूस की जा रही है। मसूरी में आयोजित हिमालयन कानक्लेव में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस सम्मेलन की को बहुत सार्थक बताया उन्होंने हिमालय की जरूरतों पर और हिमालयी राज्यों की  देश कीपापारिस्थितिकी पर भरपूर फोकस रखा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ” HimalayanConclave में प्रतिभागी राज्यों द्वारा ‘मसूरी संकल्प’ (मसूरी रिजोल्यूशन) पारित किया गया। इसमें पर्वतीय राज्यों द्वारा हिमालय की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने, देश की समृद्धि में योगदान देने, के साथ जैव विविधता, ग्लेशियर, नदियों, झीलों के संरक्षण का भी प्रण लिया गया। भावी पीढ़ी के लिए लोककला, हस्तकला, संस्कृति आदि का संरक्षण किया जाएगा। पर्वतीय संस्कृति की आध्यात्मिक परम्परा के संरक्षण व मानवता के लिए कार्य करने का संकल्प लिया गया।” हिमालई राज्यों के कनक्लैब में शिरकत करने पहुंचे नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि हिमालई राज्यों के विकास के लिए आयोग की ओर से हिल रीजनल काउंसिल गठित की गई है यह काउंसिल हिमालई राज्यों की सतत विकास के लिए रोडमैप तैयार कर रही है

    हिमालयी राज्य भारत के भविष्य का वाटर टैंक और ऑक्सीजन ऑक्सीजन सिलेंडर हैं फिर भी हिमालई राज्यों को ग्रीन बोनस देने के मुद्दे पर केंद्र में सतर सालों से सहमति नहीं बन पाई, जोकि अत्यंत चिंता का विषय है। फिर भी उम्मीद की जा रही है कि यह एक अच्छी शुरुआत हो सकती है, इस तरह के सम्मेलन समय-समय पर देश के विभिन्न हिमालई राज्यों में होने चाहिए और हमारी राय तो यह है कि इसमें नेपाल को भी सम्मिलित किया जाए ताकि नेपाल के माध्यम से भारत – नेपाल मैत्री तो बढ़ेगी जो अवांछित गतिविधियां चरमपंथी नेपाल के  माध्यम से करते हैं उन पर भी अंकुश लगने में मदद मिलेगी, कुल मिलाकर इसे एक सकारात्मक पहल माना जा सकता है।