रिपोर्ट – डॉ हरीश मैखुरी
पवन मंद सुगंध शीतल हेम मंदिर शोभितम्
निकट गंगा बहत निर्मल श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
शेष सुमिरन करत निशदिन धरत ध्यान महेश्वरम्।
शक्ति गौरी गणेश शारद नारद मुनि उच्चारणम्।
जोग ध्यान अपार लीला श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर धूप दीप प्रकाशितम्।
सिद्ध मुनिजन करत जै जै बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
यक्ष किन्नर करत कौतुक ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम्।
श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
कैलाश में एक देव निरंजन शैल शिखर महेश्वरम्।
राजयुधिष्ठिर करत स्तुति श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
श्री बद्रजी के पंच रत्न पढ्त पाप विनाशनम्।
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य प्राप्यते फलदायकम्।
इस आरती को कुछ लोग जानकारीके अभाव में नंदप्रयाग के किसी बदरुद्दीन द्वारा लिखी लिखित बताते थे। किन्तु अब इस आरती की पांडुलिपि की कार्बन डेटिंग हो जाने से ऐसे लोगों के मुंह पर खासा तमाचा लगा है। कार्बन डेटिंग से स्पष्ट हो गया है कि श्री बद्रीनाथ जी की यह आरती मूल रूप से रुद्रप्रयाग जनपद के तल्ला नागपुर निवासी स्व. धन सिंह बर्तवाल द्वारा संवत 1938 (सन 1881) में लिखित है। बर्तवाल जी के परपौत्र श्री महेंद्र सिंह बर्तवाल एवम इनके परिजनों ने बद्रीनाथ जी की इस आरती की पांडुलिपि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को भेंट की। जिसकी कार्बन डेटिंग हुई है। धन सिंह के परिवार ने इस प्राचीन सभ्यता को संजोकर रखने का महनीय और सराहनीय प्रयास किया। इस कार्बन डेटिंग की प्रति और भगवान बद्री विशाल की मूल आरती की प्रति भी मुख्यमंत्री को उनके आवास पर भेंट की गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि “श्री बद्रीनाथ इस धरती के साक्षात भू बैकुंठ हैं” ऐसे में इस आरती पर से कुहासा का छठना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस अवसर पर मौजूद रहे बद्रीनाथ विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के विधायक महेंद्र भट्ट ने कहा कि श्री बदरीनाथ की आरती पर काफी समय से मतैक्य नहीं था लेकिन मूल पांडुलिपि की अब कार्बन डेटिंग के बाद यह तय हो गया है कि बद्रीनाथ की मूल आरती श्री बर्तवाल जी ने ही लिखी। श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा कि भ्रम फैलाने वाले लोगों को तथ्यपरक जानकारी से अवगत होना चाहिए और इस तरह की बेसिर पैर की बातें फैलाने से बचना चाहिए उन्होंने कहा कि कार्बन डेटिंग ने बदरीनाथ की आरती का यथास्थिति का स्पष्टीकरण हो जाने से बहुत से लोगों को सबक सीखना चाहिए। उन्होंने कहा की है यह आरती बहुत महत्वपूर्ण और श्री बद्रीनाथ को प्रसन्न करने की एक बहुत प्रभावशाली विधा है