एक निराधार के लिए आधार बनाने की मजबूरी

आधार वालो थोड़ा इनकी भी सोच लेते !

आधार बनाने के लिऐ 70 वर्षीय बुजुर्ग की दौड़

दीपक कैतुरा
दस्तक..ठेठ पहाड़ से

सुना है की बेटा बाप के कंधों का सहारा होता है लेकिन आज जो जनपद रुद्रप्रयाग में देखने को मिला उससे में हैरान हूं भगवान ने एक 70 साल के बुजुर्ग को सजा दी है या जीवन के अंतिम पड़ाव पर खड़ा उस बुजुर्ग की चुनोतियाँ का सामना करने के लिए उसके हालात पर छोड़ दिया है की घर मैं बना खाना भी संघर्ष से ही लेना होगा यह तो भगवान ही जाने बात यह है की जनपद रुद्रप्रयाग के जखोली ब्लॉक के सुदरवती 70-80 किलोमीटर दूर घंगासु बांगर के श्याम सिंह राणा पुत्र भोपाल सिंह ग्राम खोड पोस्ट बक्सीर की है जो हमारे सिस्टम की गलती कहे या लापरवाही जो आज एक बुजुर्ग अपने 35 साल के अपने पुत्र लूला सिंह राणा को इतने दूर से आधार कार्ड बनाने को जनपद रुद्रप्रयाग अपने विकलांग पुत्र को कंधे पर ढोने को मजबूर हो गया बताते है की पूर्व में आधार कार्ड बनाने वाले गाओं में आये थे तब उन्होंने आधार कार्ड बनाने से मना किया की दिब्यांगों के कार्ड बनाने के लिए दूसरा कैम्प लगेगा लेकिन एक वर्ष गुजर गया न कैम्प लगा और न ही कार्ड बना मजबूरन एक बाप को कंधे पर बैठा कर समाज कल्याण के कहने पर जिला मुख्यालय लाना पड़ा कारण नही तो दिब्यांग पेंशन ही बंद हो जाती भाग्य का ऐसा खेल की पुत्र पांव से तो विकलांग होने के साथ हाथ एक आंख से भी विकलांग मैने खाने का जिक्र इस लिये किया जब सिस्टम के लोग उनके घर तक आधार कार्ड बनाने गए थे उस समय लूला सिंह का आधार कार्ड बना देते तो एक 70 साल के बुजुर्ग को इस तरह अपने 35 वर्ष के पुत्र को ढोना नही पड़ता।  (साभार दीपक बेंजवाल की वाल)