आज का पंचाग आपका राशि फल, सुभाषितानि, कालसर्प दोष शांति के लिए उपचार, आयुर्वेद में हृदय संबंधी जानकारी व उपचार

विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन्। स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पूज्यते॥२८॥ भावार्थ: राजत्व प्राप्ति और विद्वत्व प्राप्ति की किंचित मात्र भी तुलना नहीं

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