पुष्करसिंह धामी की हार का पोस्टमार्टम, पिछली बार के भाजपा प्रत्याशी से इस बार धामी को 12000 मत अधिक मिले हैं

✍️हरीश मैखुरी

भारतीय जनता पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी की खटीमा विधानसभा सीट पर हार पर गहन मंथन किया और पाया कि न तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की हार हुई ना भाजपा का मत प्रतिशत कम हुआ। भाजपा का मानना है कि यह एक तरह से टैकनिकल हार है न कि मतदाताओं ने हराया। भाजपा मीडिया प्रभारी प्रभाकर उनियाल के अनुसार विधानसभा सीट खटीमा में 2017 के 80,907 के स्थान पर इस बार 92,850 लोगों ने मतदान किया, अर्थात 11943 अधिक, जबकि भाजपा प्रत्याशी को पिछली बार (29,539) की अपेक्षा इस बार (41,598) मत मिले जो 12,059 अधिक है। मत प्रतिशत भी पिछली बार (36.51) से इस बार (44.80) होकर 8.29 से बढ़ा है। 44.80 मत प्रतिशत कम नहीं होता, इन चुनावों में भाजपा के 17 तथा कांग्रेस के 6 प्रत्याशी इससे कम प्रतिशत वोट पाकर विजयी रहे हैं। प्रभाकर उनियाल का कहना है कि इतने अच्छे मत प्रतिशत और इस बढ़ोतरी के बावजूद अगर भाजपा को विजय नहीं मिली, तो इसके लिए अन्य व निर्दलीय को पिछली बार मिले 23,648 (29.23%) मतों का घटकर 2,419 (2.61%) रह जाना है। ये मत सीधे-सीधे कांग्रेस के खाते में गए हैं और उनके मतों में इससे 21,347 (18.73%) की वृद्धि हो गई। किसी भी निर्वाचित क्षेत्र में यदि मतदाताओं का कोई बड़ा वर्ग अथवा समूह संगठित होता है तो नजदीकी संघर्ष में वह चुनाव को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकता है। धामी को घेरने के लिए ऐसे वर्ग अथवा समूह के सहारे यदि कोई कारगर व्यूह रचना की गई है तो अपने निर्वाचन क्षेत्र में अधिक समय न दे पाने की विवशता के चलते, अभिमन्यु की भांति वे इसका शिकार हो गए लगते हैं।