सहाराश्री सुब्रतो राय के महाप्रयाण से उद्योग जगत में जो जगह रिक्त हुई है आने वाले लम्बे समय तक उसकी भरपाई कठिन है। सहारा ग्रुप (Sahara India Pariwar) के प्रमुख सुब्रत रॉय (Subrata Roy) का मंगलवार (14 नवंबर) को देर रात निधन हो गया. उन्होंने मुंबई के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनका शव लखनऊ के सहारा शहर लाया गया , जहां उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी गयी .
सहारा समूह ने एक बयान जारी कर बताया कि वे हाइपर टेंशन और डायबिटीज जैसी बीमारियों से लड़ रहे थे और कार्डियक अरेस्ट के कारण उनका निधन हुआ. 12 नवंबर को स्वास्थ्य खराब होने के चलते उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।
सुब्रत रॉय ने अपने साथ उन लाखों गरीब और ग्रामीण भारतीयों को जोड़ा, जिनके पास बैंकिंग की सुविधा नहीं थी और इन्हीं के सहारे सहारा ग्रुप खड़ा किया, लेकिन बाजार नियामक सेबी ने जब उनके खिलाफ कदम उठाए तो दशकों का बनाया हुआ साम्राज्य हिलने लगा. सहारा ग्रुप की लंबे समय से सेबी के साथ लड़ाई चल रही है
इसी कारण पुराने निवेशकों में दुविधा बनी हुई है पैसा मिलेगा या डूब जायेगा!
देशभर के लाखों निवेशकों का पैसा अभी फंसा हुआ है,
डर है, सहारा में निवेशकों का पैसा डूब तो नहीं जाएगा.?
केन्द्र ने कुछ दिन पहले सहारा रिफंड पोर्टल लॉन्च किया था,
सहारा श्री की मौत से रिफंड प्रोसेस पर कोई असर नहीं होगा,
निवेशकों को लेकर 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था,
ब्याज समेत पैसा निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया था,
करीब 3 करोड़ निवेशकों का फंसा हुआ पैसा वापस मिलना है,
कोर्ट के आदेश के बाद ही केन्द्र ने पोर्टल लॉन्च किया था,
पैसा सहारा की 4 को ऑपरेटिव सोसायटी में फंसा हुआ है,
निवेशक पोर्टल के जरिए अपना पैसा वापस मांग सकता है,
रिफंड के लिए जरुरी दस्तावेज पोर्टल पर अपलोड करने होंगे,
वेरिफिकेशन के बाद निवेशकों का पैसा वापस मिल जाएगा !!
सहकारिता मंत्रालय के अनुसार जिन्होंने निवेश नहीं किया है, उन्हें किसी भी तरह से यहां से रिफंड नहीं मिल सकता और जिन्होंने निवेश किया है, उन्हें रिफंड मिलने से कोई रोक नहीं सकता. निवेशकों के आवेदन भरने के लिए Common Service Centre (CSC) की व्यवस्था की गई है.
सरकार निवेशकों को किश्तों में पैसा वापस कर रही है !!
अपडेट – ‘सहारा श्री की अंतिम क्रिया में नहीं शामिल हुए उनके दोनों पुत्र । पत्नी भी नहीं आईं ।’ यह सिर्फ खबर भर नहीं है । यह आईना है जीवन का जिसमें हमें और आपको अपनी छवि गौर से देखनी चाहिए ।
सुब्रत रॉय अर्थात् सहारा श्री आज पंचतत्व में विलीन हो गए । उनके पोते ने उन्हें मुखाग्नि दी । उनके अंतिम क्रिया के वक्त उनके हजारों शुभचिंतक नजर आये । उनके मित्र, स्टॉफ, राजनेता से लेकर फिल्मी दुनिया की हस्तियां तक…
अगर कोई उनकी अंतिम यात्रा के वक्त नहीं दिखे तो वे थीं उनकी पत्नी और उनके दोनों बेटे । उनकी मौत के वक्त भी उनके परिवार का कोई सदस्य उनके पास नहीं था…। पत्नी और बेटे तक नहीं ।
यह वही सहारा श्री थे जिनके कारोबार की धाक कभी पूरी दुनिया भर में फैली थी । चिट फण्ड, सेविंगस फाइनेंस, मीडिया , मनोरंजन, एयरलाइन, न्यूज़, होटल, खेल, भारतीय क्रिकेट टीम का 11 साल तक स्पान्सर, वगैरह वगैरह…
ये वही सहारा श्री थे जिनकी महफिलों में कभी राजनेता से लेकर अभिनेता और बड़ी बड़ी हस्तियां दुम हिलाते नजर आते थे…
ये वही सहारा श्री थे जिन्होंने अपने बेटे सुशान्तो-सीमांतो की शादी में 500 करोड़ से भी अधिक खर्च किए थे ।
ऐसा भी नहीं था कि सहारा श्री ने अचानक दम तोड़ा ! उन्हें कैंसर था और उनके परिवार के हरेक सदस्य को उनकी मौत का महीना पता होगा लेकिन तब भी अंतिम वक्त में उनके साथ, उनके पास परिवार का कोई सदस्य नहीं था…! बेटों ने उनके शव को कांधा तक नहीं दिया…!
तो, यही सच्चाई है जीवन की । जिनके लिए आप जीवन भर झूठ-सच करके कंकड़-पत्थर जमा करते हैं… जिनके लिए आप जीवन भर हाय-हाय करते रहते हैं… जिनकी खुशी के लिए आप दूसरों की खुशी छीनते रहते हैं… जिनका घर बसाने के लिए आप हजारों घर उजाड़ते हैं… जिनकी बगिया सजाने और चहकाने के लिए आप प्रकृति तक की ऐसी तैसी करने में बाज नहीं आते…
वे पुत्र और वह परिवार आपके लिए, अंतिम दिनों में साथ तक नहीं रह पाते !
कभी ठहरकर सोचिएगा कि आप कुकर्म तक करके जो पूंजी जमा करते हैं, उन्हें भोगने वाले आपके किस हद तक ‘अपने’ हैं…?
अंगुलीमाल से बुद्ध ने यही तो कहा था कि “मैं तो कब का ही रूक गया, तुम कब रूकोगे…”
आज मैं आप सभी से पूछना चाहता हूं – “हम सब कब रूकेंगे…?”✍️हरीश मैखुरी