पुत्र एवं धन के लिए आवंला का नवमी महात्म्य, शरणागति अर्थात् भक्ति के चार चरण, महाभारत युद्धदृष्टा बबरीक ने कहा कि मैंने समूचे युद्ध में केवल सुदर्शन चक्र को घूमते देखा श्री कृष्ण ही युद्घ कर रहे थे और श्री कृष्ण ही सेना का संहार कर रहे थे, आज का पंचाग आपका राशि फल

*᯾ 卐 ᯾* *श्री हरिहरौ**विजयतेतराम*

          *सुप्रभातम**आज का पञ्चाङ्ग*

   *_रविवार, १० नवम्बर २०२४_*

सूर्योदय: 🌄 ०६:४३, सूर्यास्त: 🌅 ०५:२६

चन्द्रोदय: 🌝 १३:५०, चन्द्रास्त: 🌜२५:१८

अयन 🌖 दक्षिणायणे(दक्षिणगोलीय)

ऋतु: 🌳 हेमन्त 

शक सम्वत: 👉 १९४६ (क्रोधी)

विक्रम सम्वत:👉२०८१(काल)

मास 👉 कार्तिक, पक्ष 👉 शुक्ल

तिथि 👉 नवमी (२१:०१ से दशमी)

नक्षत्र 👉 धनिष्ठा (१०:५९से शतभिषा)

योग 👉 ध्रुव (२५:४२ से व्याघात)

प्रथम करण👉बालव(०९:५७ तक

द्वितीय करण 👉 कौलव(२१:०१ तक)

॥ गोचर ग्रहा: ॥ 🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 तुला, चंद्र 🌟 कुम्भ 

मंगल 🌟कर्क(उदित,पूर्व,मार्गी)

बुध 🌟 वृश्चिक(उदय,पूर्व,मार्गी)

गुरु 🌟 वृष(उदित,पश्चिम,वक्री)

शुक्र 🌟 धनु 

(उदित, पूर्व, मार्गी)

शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, वक्री)

राहु 🌟 मीन, केतु 🌟 कन्या  

शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:३९ से १२:२२

अमृत काल 👉 २६:५२ से २८:२३

रवि योग 👉 १०:५९ से ३०:३९

विजय मुहूर्त 👉 १३:४८ से १४:३१

गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:२३ से १७:५०

सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:२३ से १८:४३

निशिता मुहूर्त 👉 २३:३४ से २४:२८

राहुकाल 👉 १६:०२ से १७:२३

राहुवास 👉 उत्तर

यमगण्ड 👉 १२:०१ से १३:२१

दुर्मुहूर्त 👉 १५:५७ से १६:४०

होमाहुति 👉 शुक्र

दिशा शूल 👉 पश्चिम

अग्निवास 👉 पृथ्वी

चन्द्र वास 👉 पश्चिम

शिववास 👉 गौरी के साथ (२१:०१ से सभा में)

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☄चौघड़िया विचार☄〰️〰️〰️〰️〰️〰️

॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – उद्वेग २ – चर ३ – लाभ ४ – अमृत

५ – काल ६ – शुभ, ७ – रोग ८ – उद्वेग

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – शुभ २ – अमृत, ३ – चर ४ – रोग

५ – काल ६ – लाभ, ७ – उद्वेग ८ – शुभ

नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

शुभ यात्रा दिशा🚌🚈🚗⛵🛫

पश्चिम-दक्षिण (पान का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष〰️〰️〰️〰️

अक्षय आंवला नवमी, विवाहादि मुहूर्त तुला- धनुल० (प्रातः ०६:४६ से १०:५७ तक) आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 〰️〰️

आज १०:५९ तक जन्मे शिशुओ का नाम                   धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (गे) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम शतभिषा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (गो, सा, सि, सू) नामाक्षर से रखना शास्त्र सम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

तुला – २८:४९ से ०७:१०

वृश्चिक – ०७:१० से ०९:२९

धनु – ०९:२९ से ११:३३

मकर – ११:३३ से १३:१४

कुम्भ – १३:१४ से १४:४०

मीन – १४:४० से १६:०३

मेष – १६:०३ से १७:३७

वृषभ – १७:३७ से १९:३२

मिथुन – १९:३२ से २१:४७

कर्क – २१:४७ से २४:०९+

सिंह – २४:०९+ से २६:२७+

कन्या – २६:२७+ से २८:४५+

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पञ्चक रहित मुहूर्त

रज पञ्चक – ०६:३८ से ०७:१०

शुभ मुहूर्त – ०७:१० से ०९:२९

चोर पञ्चक – ०९:२९ से १०:५९

शुभ मुहूर्त – १०:५९ से ११:३३

रोग पञ्चक – ११:३३ से १३:१४

शुभ मुहूर्त – १३:१४ से १४:४०

मृत्यु पञ्चक – १४:४० से १६:०३

रोग पञ्चक – १६:०३ से १७:३७

शुभ मुहूर्त – १७:३७ से १९:३२

मृत्यु पञ्चक – १९:३२ से २१:०१

अग्नि पञ्चक – २१:०१ से २१:४७

शुभ मुहूर्त – २१:४७ से २४:०९+

रज पञ्चक – २४:०९+ से २६:२७+

शुभ मुहूर्त – २६:२७+ से २८:४५+

चोर पञ्चक – २८:४५+ से ३०:३९+

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आज का राशिफल🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। पूर्व में किये शुभकर्मों का फल आज किसी ना किसी रूप में अवश्य मिलेगा। सार्वजनिक क्षेत्र से मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। विरोधी चाहकर भी आपको क्षति नही पहुचा सकेंगे। समाज के उच्चप्रतिष्ठित लोगो के साथ मेलजोल बढेगा आपकी क्षवि भी उच्चवर्गीय जैसी बनेगी। लेकिन कार्य क्षेत्र पर सहकर्मी ईर्ष्या का भाव रखेंगे जानबूझ कर बना बनाया कार्य बिगाड़ सकते है सतर्क रहें। धन की कामना समय से थोड़ा विलम्ब लेकिन पूर्ण होगी। गृहस्थ सुख उत्तम रहेगा। भजन पूजन में समय देंगे। सेहत का भी ख्याल रखें।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज का दिन सिद्धिदायक है लेकिन आज किसी भी कार्य को करने से पहले उसकी योजना बनाकर ही करें सफलता निश्चित मिलेगी इसके विपरीत जल्दबाजी में किया कार्य केवल हानि ही कराएगा। आध्यात्म में भी उन्नति के योग बन रहे है पूजा पाठ का सकारात्मक परिणाम मिलेगा। नौकरी वाले जातक अधिकारियों का प्रोत्साहन मिलने से उत्साहित रहेंगे। सरकारी कार्य मे आज आलस ना करें थोड़ी सी भागदौड़ से पूर्ण हो सकते है। सरकारी क्षेत्र से शुभ समाचार मिलेंगे। लोन अथवा अन्य धन संबंधित कागजी कार्य आज करना उत्तम रहेगा। परिवार में शांति रहेगी लेकिन महिलाओ का मन आज असंतुष्ट ही रहेगा। ठंडी चीजो का सेवन करने से बचे।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन आप दैनिक कार्यो में व्यस्त रहेंगे दिनचार्य उटपटांग रहने से निराश भी होंगे मध्यान तक किसी भी कार्य को दिशा ना मिलती देख मेहनत व्यर्थ होती प्रतीत होगी लेकिन हताश ना हो आज देर से ही सही लाभ अवश्य होगा। आर्थिक मामले अन्य कार्यो की अपेक्षा ज्यादा उलझेंगे फिर भी संध्या तक धन की आमद संतोषजनक हो जाएगी। अधिकारियो से सतर्क रहना पड़ेगा गलती करने पर ज्यादा भार सौपेंगे। महिलाओ का मन आध्यात्म में डूबा रहेगा मनोकामना पूर्ति में विलंब से उदास रहेंगी। आकस्मिक कार्य आने से यात्रा अथवा अन्य आवश्यक कार्य निरस्त करने पड़ेंगे।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज आप दिनभर शारीरिक समस्या से जूझेंगे मौसमी बीमारियों का प्रकोप परिवार के सदस्यों को भी प्रभावित करेगा। अव्यवस्था रहने से प्रत्येक कार्य विलम्ब से चलेंगे पूर्ण होने में भी विलम्ब होगा। कार्य व्यवसाय से आज ज्यादा उम्मीद नही रहेगी आज पूर्ण होने वाले कार्य भी दौड़-धूप की कमी के कारण आगे के लिये निरस्त होंगे। धन संबंधित समस्या नही रहेगी फिर भी व्यर्थ के खर्च आने से मन दुखी होगा। महिलाये चाह कर भी घर को व्यवस्थित रूप से चलाने मे असफल रहेंगी। संध्या के समय परेशानी बढ़ेगी। घर अथवा बाहर किसी भी प्रकार के जोखिम से बचें। 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज आप अपनी व्यवहार कुशलता से बिगड़े कार्यो को भी बनाने की क्षमता रखेंगे। मित्र परिजन विषम परिस्थितियों से बाहर निकालने के लिये आपका सहयोग मांगेंगे अपना महत्त्व बढ़ता देख थोड़ी बहुत अहम की भावना भी आएगी जरूरत मंदों को व्यर्थ के चक्कर लगवाएंगे। कार्य क्षेत्र पर जिस काम को हाथ मे लेंगे उसमे निश्चित सफलता मिलेगी। प्रतियोगी परीक्षा में भी सफल होने की संभावना अधिक है। बेरोजगार लोग आज प्रयास करें अवश्य अनुकूल रोजगार से जुड़ सकते है। व्यवसाय में मंदी के बाद भी धन का प्रबंध आवश्यकता के समय कही ना कही से हो ही जायेगा। खान-पान संयमित रखें सेहत खराब हो सकती है।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज का दिन भी आपके धन कोष अथवा अन्य सुख के साधनों में वृद्धि करेगा। कार्य व्यवसाय में पहले से चल रही योजना फलीभूत होने से धन की आमद होगी। भविष्य के लिये भी लाभ के सौदे हाथ लगेंगे। सहकर्मियों का साथ मिलने से निश्चित कार्य समय से पूर्ण कर सकेंगे। महिलाये को शारीरिक कमजोरी के कारण दैनिक कार्यो के अतिरिक्त घर की व्यवस्था सुधारने में परेशानी होगी। कंजूस प्रवृति के कारण घर के किसी सदस्य से मतभेद की संभावना है। आज आप अपनी गलती जानते हुए भी अपनी बात पर अडिग रहेंगे जिससे आस-पास का वातावरण कुछ समय के लिये खराब होगा। व्यवसायिक यात्रा से लाभ हो सकता है। छोटी-मोटी व्याधि को छोड़ सेहत सामान्य रहेगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज आपको अपनी बुद्धि चातुर्य पर गर्व रहेगा। अतिआत्मविश्वास से भरे रहेंगे प्रत्येक कार्य को मामूली समझ कर बाद के लिये टालेंगे परन्तु अंत समय मे पूर्ण करने में पसीने छूटेंगे। सरकारी कार्य को लेकर भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। काम-धंधा पहले से कुछ कम रहेगा जोड़ तोड़ कर ही धन की प्राप्ति हो सकेगी। आज कम समय और परिश्रम से अधिक लाभ कमाने की योजना मन मे रहेगी लेकिन अवसर ना मिलने के कारण लाभ नही उठा सकेंगे। महिलाये जितना कार्य करेंगी उससे ज्यादा सुनाएंगी। घर के सभी सदस्य स्वय को दूसरे से बेहतर प्रदर्शित करेंगे। छोटी-छोटी बातों पर नोकझोंक होगी। दिनचार्य संयमित ना रहने से सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन सावधानी से बिताने की सलाह है। दिन के आरंभ से ही मन मे अकारण क्रोध रहेगा। परिजनों से जिस बात का भय रहेगा मध्यान तक उसके पूर्ण होने पर वातावरण खराब होगा। भाई बंधुओ में भी किसी ना किसी कारण से अनबन रहेगी। कार्य क्षेत्र पर सामान्य दिनचार्य रहते हुए भी किसी से धन को लेकर उग्र वार्ता होने की संभावना है। आज आप वरिष्ठ व्यक्तियों के परामर्श को भी नजरअंदाज करेंगे जिसके परिणाम स्वरूप किसी ना किसी रूप में धन एवं सम्मान हानि देखनी पड़ेगी। लोगो को शक की दृष्टि से देखने आपको महत्त्व नही मिलेगा। औरो को बेचैनी में डालकर स्वयं अपने मे मस्त रहेंगे।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज आपको पूर्व में की किसी गलती अथवा आचरण का अफसोस होगा गलती मान लेने पर आपसी मतभेद शांत होंगे। घरेलू कार्य अथवा परिजनों की आवश्यकता पूर्ति समय से करेंगे। कार्य क्षेत्र से आज लाभ की संभावनाए कम ही रहेंगी धन की आमद अल्प रहने से खर्चो पर नियंत्रण करना पड़ेगा। घर का वातावरण मंगलमय रहेगा धार्मिक पूजापाठ में सम्मिलित होने के अवसर मिलेंगे। दैनिक जीवन की उलझनों के बाद भी विवेक जाग्रत रहने से मन शांत रहेगा। विरोधी किसी भी प्रकार से आपकी शांति को भंग नही कर पाएंगे। आरोग्य अच्छा रहेगा।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन साधारण रहेगा आज आप अपनी व्यक्तिगत उलझनों के कारण अन्य लोगो को परेशान करेंगे लेकिन ध्यान रहें गुप्त बातो को आज परिजनों से भी ना बाटें। आप जिसे अपना हितैशी समझेंगे वही आपका भेद सार्वजनिक करके परेशानी बढ़ायेगा। कार्य व्यवसाय से भी निराशा ही मिलेगी फिर भी एक दो लाभ कमाने के अवसर अवश्य मिलेंगे इन्हें हाथ से ना जाने दें अन्यथा ज्यादा पाने के चक्कर मे इनसे भी हाथ धोना पड़ेगा। पारिवारिक वातावरण में स्वार्थ सिद्धि की भावना रहेगी इच्छा पूर्ति होने तक ही स्नेह सम्मान मिलेगा अन्यथा नही। स्वास्थ्य आज फिर से नरम होगा सचेत रहें।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज के दिन आप अपने हास्य भरे व्यवहार से आस पास का वातावरण खुशनुमा बनाएंगे। व्यवहार में भी नरमी रहने से लोग आपके साथ समय बिताना पसंद करेंगे। कार्य क्षेत्र की चुनोतियाँ कुछ समय के लिये दुविधा में डालेंगी समय पर सहयोग मिलने पर इनसे भी पार पा ही लेंगे। धन संबंधित मामलों को लेकर आज ज्यादा तामझाम में नही पड़ेंगे दोपहर तक लाभ की संभावनाए ही दिखेंगी इसके संध्या के आसपास अकस्मात होने से दैनिक खर्च निकल जाएंगे। महिलाये अधिक चंचल रहेंगी खुद किसी को कुछ भी बोलेंगी लेकिन किसी की मामूली बात को दिल से लगा लेंगी। जुखाम-बुखार होने से परेशानी होगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन आपकी आशाओ के विपरीत रहने वाला है अतिमहत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले किसी अनुभवी की सलाह अवश्य लें अथवा आगे के लिए निरस्त करें। जहाँ से लाभ की उम्मीद लगाए रहेंगे वहां हानि होने की संभावना है। कार्य क्षेत्र के साथ घरेलू कार्य करते समय सावधानी बरतें टूट-फुट अथवा अन्य क्षति हो सकती है। आर्थिक योजनाए आज किसी ना किसी कारण से अधर में लटकी रहेंगी। खर्च निकालने के लिये ले देकर कार्य करना पड़ेगा। मित्र रिश्तेदारों से कोई अशुभ समाचार मन की बेचैनी बढ़ायेगा। परिजन को छोड़ अन्य लोगो से मदद की आशा ना रखें। स्वास्थ्य में उतारचढ़ाव लगा रहेगा।

अक्षय (आंवला) नवमी 

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय एवं आंवला नवमी के नाम से मनाई जाती है! इस दिन भगवान विष्णु का पूजन होता है और आंवले के वृक्ष की पूजा भी की जाती है. स्नान, दान, व्रत-पूजा का विधान रहता है. यह संतान प्रदान करने वाली ओर सुख समृद्धि को बढ़ाने वाली नवमी होती है।

भारतीय सनातन धर्म में पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए महिलाओं द्वारा आँवला नवमी की पूजा को महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि यह पूजा व्यक्ति के समस्त पापों को दूर कर पुण्य फलदायी होती है। जिसके चलते कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को महिलाएं आँवले के पेड़ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करती हैं। अक्षय नवमी को जप, दान, तर्पण, स्नानादि का अक्षय फल होता है । आँवला नवमी को अक्षय नवमी के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। कहा जाता है कि आंवला भगवान विष्णु का पसंदीदा फल है। आंवले के वृक्ष में समस्त देवी-देवताओं का निवास होता है। इसलिए इस दिन आँवले के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व है।

अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर खाने का भी विशेष महत्व है। यदि आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाने में असुविधा हो तो घर में भोजन बनाकर आंवला के वृक्ष के नीचे जाकर पूजन करने के पश्चात् भोजन करना चाहिए। भोजन में सुविधानुसार खीर , पूड़ी या मिष्ठान्न हो सकता है।

इस दिन पानी में आंवले का रस मिलाकर स्नान करने की परंपरा भी है। ऐसा करने से हमारे आसपास से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है, सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता बढ़ती है, साथ ही ये त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है। आंवले के रस के सेवन से त्वचा की चमक भी बढ़ती है।

पूजा विधान

प्रातः काल स्नानादि के अनन्तर दाहिने हाथ में जल, अक्षत्, पुष्प आदि लेकर निम्न प्रकार से व्रत का  संकल्प करें –

‘अद्येत्यादि अमुकगोत्रोsमुक शर्माहं(वर्मा, गुप्तो, वा) ममाखिलपापक्षयपूर्वकधर्मार्थकाममोक्षसिद्धिद्वारा श्रीविष्णुप्रीत्यर्थं धात्रीमूले विष्णुपूजनं धात्रीपूजनं च करिष्ये’

ऐसा संकल्प कर धात्री वृक्ष (आंवला) के नीचे पूरब की ओर मुखकर बैठें और

 ‘ऊँ धात्र्यै नम:’ 

मंत्र से आवाहनादि षोडशोपचार पूजन करके निम्नलिखित मन्त्रों से आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धारा गिराते हुए पितरों का तर्पण करें। 

मंत्र

पिता पितामहाश्चान्ये अपुत्रा ये च गोत्रिण:।

ते पिबन्तु मया द्त्तं धात्रीमूलेSक्षयं पय:।।

आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तं देवर्षिपितृमानवा:।

ते पिबन्तु मया द्त्तं धात्रीमूलेSक्षयं पय:।।

इसके बाद आंवले के वृक्ष के तने में निम्न मंत्र से सूत्र लपेटें-

दामोदरनिवासायै धात्र्यै देव्यै नमो नम:।

सूत्रेणानेन बध्नामि धात्रि देवि नमोSस्तु ते।।

इसके बाद वृक्ष की जड़ों को दूध से सींच कर उसके तने पर कच्चे सूत का धागा लपेटना चाहिए। तत्पश्चात रोली, चावल, धूप दीप से वृक्ष की पूजा करें। और आँवले के वृक्ष की 108 परिक्रमाएं करने के बाद कपूर या घी के दीपक से आंवले के वृक्ष की आरती करें तथा निम्न मंत्र से उसकी प्रदक्षिणा करें-

यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।

तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।

इसके बाद आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्मण भोजन भी कराना चाहिए और अन्त मे स्वयं भी आंवले के वृक्ष के सन्निकट बैठकर भोजन करें। एक पका हुआ कोंहड़ा (कूष्माण्ड) लेकर उसके अंदर रत्न, सुवर्ण, रजत या रुपया आदि रखकर निम्न संकल्प करें-

‘ममाखिलपापक्षयपूर्वकसुखसौभाग्यादीनामुत्तरोत्तराभिवद्धये कूष्माण्डदानमहं करिष्ये’

आज ही विष्णु भगवान ने कुष्माण्डक दैत्य को मारा था और उसके रोम से कुष्माण्ड की बेल उत्पन्न हुई। इसी कारण आज के दिन कुष्माण्ड का दान करने से उत्तम फल मिलता है। इसलिये इसके बाद विद्वान तथा सदाचारी ब्राह्मण को तिलक करके दक्षिणा सहित कूष्माण्ड दे दें और निम्न प्रार्थना करें-

कूष्माण्डं बहुबीजाढ्यं ब्रह्मणा निर्मितं पुरा।

दास्यामि विष्णवे तुभ्यं पितृणां तारणाय च।।

पितरों के शीतनिवारण के लिए यथा शक्ति कम्बल आदि ऊर्णवस्त्र भी सत्पात्र ब्राह्मण को देना चाहिये।

यह अक्षय नवमी ‘धात्रीनवमी’ तथा ‘कूष्माण्ड नवमी’ भी कहलाती है। घर में आंवले का वृक्ष न हो तो किसी बगीचे आदि में आंवले के वृक्ष के समीप जाकर पूजा दान आदि करने की परम्परा है अथवा गमले में आंवले का पौधा रोपित कर घर मे यह कार्य सम्पन्न कर लेना चाहिए।

आंवला नवमी की प्रचलित कथा

काशी नगर में एक निःसंतान धर्मात्मा और दानी वैश्य रहता था। एक दिन वैश्य की पत्नी से एक पड़ोसन बोली यदि तुम किसी पराए बच्चे की बलि भैरव के नाम से चढ़ा दो तो तुम्हें पुत्र प्राप्त होगा। यह बात जब वैश्य को पता चली तो उसने मना कर दिया लेकिन उसकी पत्नी मौके की तलाश में लगी रही। एक दिन एक कन्या को उसने कुएं में गिराकर भैरो देवता के नाम पर बलि दे दी। इस हत्या का परिणाम विपरीत हुआ। लाभ की जगह उसके पूरे बदन में कोढ़ हो गया और लड़की की प्रेतात्मा उसे सताने लगी। वैश्य के पूछने पर उसकी पत्नी ने सारी बात बता दी। इस पर वैश्य कहने लगा गौवध, ब्राह्मण वध तथा बाल वध करने वाले के लिए इस संसार में कहीं जगह नहीं है, इसलिए तू गंगातट पर जाकर भगवान का भजन कर गंगा स्नान कर तभी तू इस कष्ट से छुटकारा पा सकती है।

वैश्य की पत्नी गंगा किनारे रहने लगी। कुछ दिन बाद गंगा माता वृद्ध महिला का वेष धारण कर उसके पास आयीं और बोलीं यदि ‘तुम मथुरा जाकर कार्तिक नवमी का व्रत तथा आंवला वृक्ष की परिक्रमा और पूजा करोगी तो ऐसा करने से तेरा यह कोढ़ दूर हो जाएगा।’ वृद्ध महिला की बात मानकर वैश्य की पत्नी अपने पति से आज्ञा लेकर मथुरा जाकर विधिपूर्वक आंवला का व्रत करने लगी। ऐसा करने से वह भगवान की कृपा से दिव्य शरीर वाली हो गई तथा उसे पुत्र की प्राप्ति भी हुई।

अक्षय आंवला नवमी मुहूर्त

अक्षय नवमी पूर्वाह्न का समय- प्रातः 06:35 से मध्यान 12:00 तक रहेगा।

ब्रह्मावैवर्तपुराण के वचन के अनुसार, अष्टमी विद्धा नवमी ग्रहण करना चाहिये। दशमी विद्धा नवमी त्याज्य है। 

अक्षय नवमी पर जीवन की कठिनाइयों में कमी लाने के उपाय

 अक्षय नवमी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से देवी लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न हो घर में सदा के लिए वास करती है।

अक्षय नवमी के दिन अपने स्नान करने के लिए गए जल में आवंला के रस की कुछ बूंदे डालें। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा तो जाएगी ही साथ ही माता लक्ष्मी भी घर में विराजमान होंगी।

अक्षय नवमी के दिन शाम के समय घर के ईशान कोण में घी का दीपक प्रज्जवलित करें। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें। संभव हो तो दीपक में केसर भी डाल दें। इससे देवी जल्द प्रसन्न हो कृपा करेंगी। 

 5 कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर खीर खिलाएं। सभी कन्याओं को पीला वस्त्र व दक्षिणा देकर विदा करें। इससे माता लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न होती हैं। अपने भक्तों पर कृपा बरसाती है।

किसी लंगड़े व्यक्ति को काले वस्त्र और मिठाई दान करें। इस दिन दान देने से देवी दानी के घर में वास करती है। साथ ही उसे अचल सम्पत्ति का वरदान भी देती है।

श्रीयंत्र का गाय के दूध के अभिषेक करें। अभिषेक का जल की छींटे पूरे घर में करें। श्रीयंत्र पर कमलगट्टे के साथ तिजोरी में पर रख दें। इससे अवश्य धन लाभ होता है।

 श्यामा गाय की सेवा कर उन्हें हरा चारा खिलाएं। मान्यता है कि गौ माता में सभी देवी- देवताओं का वास होता है इसलिए उनकी सेवा करने से देवी जल्द ही प्रसन्न होती है। और घर में धन वर्षा करती है।

यदि आपकी कुंडली में शनि दोष है तो अक्षय नवमी के दिन से आरंभ कर 41 दिन लगातार लाल मसूर की दाल की कच्ची रोटी बनाकर मछलियों को खिलाएं इससे मंगल ग्रह मजबूत होता है कर्ज अथवा भूमि जायदाद संबंधित समस्या में कमी आती है साथ ही माता महालक्ष्मी की कृपा भी बरसती है।

मंगल ग्रह शांति के लिए ब्राह्मणों एवं गरीबों को गुड़ मिश्रित दूध या चावल खिलाएं।

नवमी तिथि की स्वामी देवी दुर्गा हैं ऎसे में जातक को दुर्गा की उपासना अवश्य करनी चाहिए. जीवन में यदि कोई संकट है अथवा किसी प्रकार की अड़चनें आने से काम नही हो पा रहा है तो जातक को चाहिए की दुर्गा सप्तशती के पाठ को करे और मां दुर्गा से अपने जीवन में आने वाले संकटों को हरने की प्रार्थना करे।

*शरणागति के 4 प्रकार है..*

1. जिह्वा से भगवान के नाम का जप- भगवान् के स्वरुप का चिंतन करते हुए उनके परम पावन नाम का नित्य निरंतर निष्काम भाव से परम श्रद्धापूर्वक जप करना तथा हर समय भगवान् की स्मृति रखना।

2. भगवान् की आज्ञाओं का पालन करना-

श्रीमद्भगवद्गीता जैसे भगवान् के श्रीमुख के वचन, भगवत्प्राप्त महापुरुषों के वचन तथा महापुरुषों के आचरण के अनुसार कार्य करना।

3. सर्वस्व प्रभु को समर्पण कर देना-वास्तव मे तो सब कुछ है ही भगवान् का,क्योंकि न तो हम जन्म के समय कुछ साथ लाये और न जाते समय कुछ ले ही जायेंगे।भ्रम से जो अपनापन बना रखा है,उससे उठना है।

4 .भगवान् के प्रत्येक विधान मे परम प्रसन्न रहना-मनचाहा करते-करते तो बहुत-से जन्म व्यतीत कर दिए,अब तो ऐसा नही होना चाहिए।अब तो वही हो जो भगवान् चाहते है।

भक्त भगवान् के विधानमात्र मे परम प्रसन्न रहता है फिर चाहे वह विधान मन,इंद्रिय और शरीर के प्रतिकूल हो या अनुकूल..!!

   *🙏🏼🙏🏽🙏🏾जय श्री कृष्ण*🙏🙏🏻🙏🏿

*बात उस समय कि है जब महाभारत का युद्घ आरंभ होने वाला था..*

 भगवान श्री कृष्ण युद्घ में पाण्डवों के साथ थे जिससे यह निश्चित जान पड़ रहा था कि कौरव सेना भले ही अधिक शक्तिशाली है लेकिन जीत पाण्डवों की होगी।

ऐसे समय में भीम का पौत्र और घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक ने अपनी माता को वचन दिया कि युद्घ में जो पक्ष कमज़ोर होगा वह उनकी ओर से लड़ेगा बर्बरीक ने महादेव को प्रसन्न करके उनसे तीन अजेय बाण प्राप्त किये थे। भगवान श्री कृष्ण को जब बर्बरीक की योजना का पता चला तब वह ब्राह्मण का वेष धारण करके बर्बरीक के मार्ग में आ गये।

श्री कृष्ण ने बर्बरीक का मजाक उड़ाया कि, वह तीन वाण से भला क्या युद्घ लड़ेगा। कृष्ण की बातों को सुनकर बर्बरीक ने कहा कि उसके पास अजेय बाण है। वह एक बाण से ही पूरी शत्रु सेना का अंत कर सकता है। सेना का अंत करने के बाद उसका बाण वापस अपने स्थान पर लौट आएगा।

इस पर श्री कृष्ण ने कहा कि हम जिस पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हैं अपने बाण से उसके सभी पत्तों को छेद कर दो तो मैं मान जाउंगा कि तुम एक बाण से युद्घ का परिणाम बदल सकते हो। बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार करके, भगवान का स्मरण किया और बाण चला दिया। पेड़ पर लगे पत्तों के अलावा नीचे गिरे पत्तों में भी छेद हो गया।

इसके बाद बाण भगवान श्री कृष्ण के पैरों के चारों ओर घूमने लगा क्योंकि एक पत्ता भगवान ने अपने पैरों के नीचे दबाकर रखा था। भगवान श्री कृष्ण जानते थे कि युद्घ में विजय पाण्डवों की होगी और माता को दिये वचन के अनुसार बर्बरीक कौरावों की ओर से लड़ेगा जिससे अधर्म की जीत हो जाएगी।

इसलिए ब्राह्मण वेषधारी श्री कृष्ण ने बर्बरीक से दान की इच्छा प्रकट की। बर्बरीक ने दान देने का वचन दिया तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उसका सिर मांग लिया। बर्बरीक समझ गया कि ऐसा दान मांगने वाला ब्राह्मण नहीं हो सकता है। बर्बरीक ने ब्राह्मण से कहा कि आप अपना वास्तविक परिचय दीजिए। इस पर श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि वह कृष्ण हैं।

सच जानने के बाद भी बर्बरीक ने सिर देना स्वीकार कर लिया लेकिन, एक शर्त रखी कि, वह उनके विराट रूप को देखना चाहता है तथा महाभारत युद्घ को शुरू से लेकर अंत तक देखने की इच्छा रखता है। भगवान ने बर्बरीक की इच्छा पूरी कि, सुदर्शन चक्र से बर्बरीक का सिर काटकर सिर पर अमृत का छिड़काव कर दिया और एक पहाड़ी के ऊंचे टीले पर रख दिया। यहां से बर्बरीक के सिर ने पूरा युद्घ देखा।

युद्घ समाप्त होने के बाद जब पाण्डवों में चर्चा हुई  कि युद्ध में किसका कितना योगदान अधिक है तब श्री कृष्ण ने कहा कि इसका निर्णय बर्बरीक करेगा जिसने पूरा युद्घ देखा है।बर्बरीक ने कहा कि इस युद्घ में सबसे बड़ी भूमिका श्री कृष्ण की है। पूरे युद्घ भूमि में मैंने सुदर्शन चक्र को घूमते देखा।श्री कृष्ण ही युद्घ कर रहे थे और श्री कृष्ण ही सेना का संहार कर रहे थे।

उन्ही को आज जगत बाबा श्याम,खाटू श्यामजी,हारे का सहारा और भी अनेक नामों से जानते है..!!

    *🙏🏻🙏🙏🏾जय श्रीकृष्ण*🙏🏽🙏🏼🙏🏿