नैनीताल हाइकोर्ट ने लगाई प्रधानाचार्यों की पदोन्नति पर रोक, शिक्षक संगठन इस रोक के विरोध में

 

नैनीताल हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्य पदों पर पदोन्नति प्रक्रिया पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है साथ ही कोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता हेमंत कुमार ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से प्रधानाचार्य के पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह असंवैधानिक तरीके से की जा रही है। उनका कहना है कि जो अध्यापक एलटी ग्रेड से प्रवक्ता के पद पर पूर्व में ही पदोन्नत हो चुके हैं, उनको नियम विरुद्ध तरीके से एलटी ग्रेड का टीचर मानते हुए प्रधानाध्यापक के पद पर प्रमोशन के लिए उपयुक्त करार दिया गया है। ये अध्यापक पूर्व में ही प्रवक्ता के पद पर पदोन्नति पा चुके हैं और साथ ही उन्हें एलटी ग्रेड के 55 प्रतिशत कोटे का लाभ भी दिया जा रहा है। याचिका में कहा गया कि प्रवक्ता पद पर पदोन्नति होने के बाद भी ये अध्यापक बहुत कनिष्ठ हैं। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने अग्रिम आदेश तक प्रधानाचार्य के पदों की पदोन्नति पर रोक लगा दी।

इधर शिक्षक संगठनों का कहना है कि आज शैक्षिक योग्यता के आधार पर प्राथमिक स्कूल शिक्षक से ज्यादा सरल है प्रवक्ता बनना, ऐसे में हाईकोर्ट को ऐसी याचिकाओं का संज्ञान लेने से बचना चाहिए, इस मामले में कोर्ट ने स्रोत संवर्ग की वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए संज्ञान लिया है, जो कि नियमों के विरुद्ध है। न्यायालय कैसे किसी शिक्षक की मूल नियुक्ति की वरिष्ठता खत्म करने का संज्ञान ले सकता है। मूल वरिष्ठता तो पेंशन की तिथि तक बनी रहती है।