मोदी का तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना तय एनडीए की बैठक में चुने गए बहुमत दल के नेता जाने कब होगा शपथग्रहण

एनडीए की बैठक में सर्वसम्मति से श्री नरेन्द्र मोदी जी को एनडीए का नेता चुने जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें। सपने नहीं हकीकत बुनते हैं,तभी तो सब मोदी को चुनते हैं…आठ जून को होगा शपथग्रहण। 

आपको क्या लगता है… इस चुनाव में नरेंद्र मोदी का मुकाबला क्या केवल विपक्ष से था ?

-जी नहीं… उनका मुकाबला था जॉर्ज सोरोस और डीप स्टेट से
– जर्मनी से लेकर अमेरिका तक फैले सरकार पलटने वाले खुफिया तंत्र से
– यू-ट्यूब और कुछ अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की चुनाव को पलटने की साजिश से
– चीन से फंड पाने वाली पार्टियों से
– अर्बन नक्सलियों से
– एनजीओ गैंग से
– वकीलों और उनके हमसाया जजों से
– देश के विभाजन को आतुर ताकतों से
– पाकिस्तान परस्त विभाजनकारी ताकतों से
– कट्टरपंथी उलेमा गैंग से
– काले धन वाले कार्टेल से
– उद्योगपतियों के एक ऐसे समूह से जो राष्ट्र विरोधी ताकतों को फंडिंग कर रहे थे
– कनाडा और लंदन में बैठी खालिस्तानी ताकतों से
– कतर, जर्मनी, यूएस से पोषित होने वाले यू ट्यूबरों व सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स से भी था।

…..इसका प्रमाण भी है कि

– *एक खालिस्तानी आतंकी असम की जेल से बैठा बैठा पंजाब की खंडूर साहिब से 1 लाख 90 हजार वोटों से चुनाव जीत गया और……एक तिहाड़ जेल में बंद है राशिद शेख उर्फ इंजीनियर राशीद जम्मू कश्मीर में बारामूला सीट से 2 लाख 32 हजार 73 वोटों से चुनाव जीत गया । बिना किसी खास परफार्मेंस के 24 मुस्लिम सांसद संसद में पहुंचे हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी अयोध्या में पांच सौ वर्षों की प्रतीक्षा के बाद भव्य राम मंदिर बनाने और अन्तरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने के बाद भी 2 लाख 15 हजार वोटो से अयोध्या सीट हार गईं….* कश्मीर से 370 हटा कर उसे भारत का एक प्रांत बनाने और देश में आतंकवादियों द्वारा शहर शहर होने वाले बम विस्फोट समाप्त करने बाद भी बहुमत के लिए संघर्ष कर रही है* 😡🤬

इसके बावजूद यदि मोदी सरकार जनमत की गाड़ी को 290 तक खींच लाए हैं, तो इसे 400 पार ही मानिए..

भारत का असली हिन्दू राहुल गांधी द्वारा वोट के लिए एक लाख का खुले आम प्रस्ताव के उपरांत भी डिगा नहीं बल्कि मोदी सरकार के साथ डटा रहा। और वोट के लिए खटाखट नोट का प्रस्ताव देने वालों को उनकी सीमा में भी रखा ये हिन्दुत्व की एक बड़ी जीत है। 

*गुजरात में कांग्रेस को 1 सीट.*

*मध्य प्रदेश में कांग्रेस को 0 सीट.*

*आंध्र प्रदेश में कांग्रेस को 0 सीट.*

*दिल्ली में कांग्रेस को 0 सीट.*

*हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को 0 सीट*

*उत्तराखंड प्रदेश में कांग्रेस को 0 सीट*

*अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के पास 1 सीट है.*

*सिक्किम में कांग्रेस को 0 सीट.*

*उड़ीसा में कांग्रेस को 0 सीट.*

*करारी हार के उपरांत भी गांधी परिवार मीडिया के सामने विक्ट्री साइन दिखाता है। और भारतीय जनता पार्टी के लोग जीत के बाद भी मायूसी में हैं । इसका कारण जानते हैं क्या है इंडि गठबंधन भाजपा को हरा तो नहीं पाया लेकिन उसके टूलकिट षड्यंत्र ने भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ दिया। अकेली भारतीय जनता पार्टी की 241 सीट हैं जबकि सारे इंडि गठबंधन की कुल 232 हम तो यही कहेंगे मनोबल ऊंचा रखिए मोदी से कुछ तो सीखिए। आशा है अब सबका मन कुछ शांत हो गया होगा इसलिए शुरू से शुरू करते है।

सिर्फ नंबर्स की ही बात करते है कांग्रेस 285 सीटों पर लड़ी और 99 जीती, जिनमे से वे सीटें भी है जहाँ बीजेपी है ही नहीं जैसे पंजाब, केरल और तमिलनाडु। बात स्पष्ट है कांग्रेस ने अपने बूते कोई खूंटा नहीं गाड़ा है।

अयोध्या मे भाजपा हारी ये डराने वाला है लेकिन भावुक होने की आवश्यकता नहीं है। बीजेपी का सांसद वहाँ 10 साल से था लेकिन खुद कभी जनता के बीच नहीं गया, भरोसे मे था की मोदीजी आएंगे एयरपोर्ट बनाएंगे और मै घर बैठे जीत जाऊँगा।

क्या अब भी अयोध्यावासी गलत हुए? हमें भ्रम से निकलना होगा की जनता 10 साल बाद भी सिर्फ हिंदुत्व के लिये वोट कर देगी। 2014 मे हिंदुत्व के नाम पर वोट पड़े, 2019 मे भी पड़े लेकिन हर बार केवल धर्म के राजनीति नहीं कर सकते।

सबसे बड़ा सबक मिला वो ये की हमें अखिलेश यादव, एमके स्टालीन और ममता बनर्जी की ताकत का लोहा मानना होगा। तीनों कितने पतित और हिन्दू विरोधी नेता हों लेकिन लोग उन्हें अपना नेता मान रहे हैं। इस चमत्कार की समीक्षा अवश्य होनी चाहिए। 

तीनो कभी NDA का हिस्सा थे, 2014 मे भी बनाये जा सकते थे पर बीजेपी स्वयं बहुमत ले आयी और कही ना कही इन्हें किनारे किया गया। लेकिन अब समय है NDA परिवार बढ़ाने का, तीनो की राजनीति कांग्रेस विरोध से चमकी है। केवल एक एक मंत्रालय के भूखे है, अब ये सही समय है की NDA का विस्तार किया जाए।

भाजपा सनातन धर्म संस्कृति का विषय कदापि ना छोड़े मथुरा काशी और 28000 मंदिरों की वापसी हिन्दू राष्ट्र का मुद्दा बनाये रखे क्यों कि भाजपा को इस बार जो भी मिला है वो शुद्ध हिन्दू सनातन धर्म संस्कृति का वोट और सपोट है। लेकिन मिडिल क्लास की समस्याओं पर भी फोकस करे, स्कूल और हॉस्पिटल जो एक माफिया बन चुके है उसका क्या? अरविन्द केजरीवाल भ्रष्ट है मगर इन दो क्षेत्रों में उसके मॉडल का प्रभाव है, दस बच्चे वाले गरीबों के लिए आप मध्यम वर्ग की पीठ पर आप अधिक बोझ नहीं डाल सकते। बल्कि उनका ध्यान रखना ही होगा। 

सबसे अच्छी बात ये है की इतने सबक लेने के लिये सरकार बनने योग्य स्थिति है, नीतीश कुमार पलटी भी मार ले तो भी सरकार नहीं गिरने वाली। लेकिन NDA का कुनबा अब अवश्य बढेगा, हो सकता है कुछ जोड़ घटाव हो और हमारी सरकार संकट या संघर्ष से गुजरे फिर भी 2 साल के अंदर हम सरकार मे लौट आएंगे इतना नंबर तो है भाजपा के पास।

इसलिए चिल करो तीसरी बार सरकार आना मज़ाक नहीं होता, सीटें कम ज्यादा होती रहती है। लादेन को मारकर भी ओबामा अगले चुनाव मे अपने महत्वपूर्ण गढ़ नहीं बचा पाए थे। सद्दाम हुसैन को मारकर भी जॉर्ज बुश की पार्टी सत्ता के बाहर हो गयी थी।

अच्छी बात ये है कि प्रतिपक्ष के इतने बड़े पैमाने पर षड्यंत्र के बाद भी भाजपा का कम नुकसान हुआ 2024 मे विशाल जीत लेकर 2029 मे हारते वो सही था या 2024 मे छोटी जीत पाकर 2029 मे बड़ी जीत दर्ज करना सही है। स्वयं विचार कीजिये।

लोकतंत्र का खेल ऐसा ही निराला है, अयोध्या या उत्तरप्रदेश के लिये शोक मत करो। हो सकता है अगली बार उत्तरप्रदेश 80 मे से 80 जीत ले। इस चुनाव ने इतना तो सीखा ही दिया है की ऊंट किसी भी तरफ करवट ले सकता है। नए युग के स्वागत की तैयारी करने का समय है। मुस्कुराइये सत्ता हाथ से नहीं फिसली सिर्फ कुछ शक्तियां गयी है या शायद वो भी नहीं गयी।प्रस्तुति- ✍️हरीश मैखुरी