काबुल आतंकवादी विस्फोट के सबक

हरीश मैखुरी

अफगानिस्तान काबुल बम विस्फोट में 9 पत्रकार भी शहीद। दुनियां भर के पत्रकारों में इस वजह से भारी रोस है। इसी दर्द को आम लोगों के बारे में में भी महसूस करना चाहिए। शुक्र है भारत में भारतीय सरकार आने के बाद, इस तरह की बम विस्फोटों पर लगाम लगाने में सफलता मिल रही है, अन्यथा हमें याद है चार साल पहले तक जगह जगह विस्फोटों के बाद टीवी पर विज्ञापन आया करते थे “अनजान वस्तु ना छुयें बम हो सकती है”। आतंकवादी गली मुहल्ले से लेकर ताज होटल तक जाते थे लेकिन अब उन्हें बॉर्डर पार करते ही सीधे जन्नत या जेल भेजा जाता है । देश को यह बात समझनी चाहिए, आतंकवादियों की सरकारों से तौबा करनी चाहिए। आज नक्सल और रेडक्लाईज्ड मुस्लिम चरमपंथी आतंकवाद भारत के लिए भी एक बड़ी चुनौती है इस से निपटना प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य है। हम सीरिया पाकिस्तान अफगानिस्तान आदि देशो में हालात देखते हैं तो पाते हैं कि जो चरमपंथी आतंकवादी संगठन अपनों के नहीं हुए, वे मानवता के क्या होंगे? इसलिए मानवता के दुश्मनों को सठे साठ्यम समाचरेत पद्धति के अंतर्गत तत्क्षण न्याय के लिए Shoot At the site लिए उत्तम योजना सिद्ध हुई है ।