आज का पंचाग आपका राशि फल, शिवलिंग का स्वरूप जानेंगे तो आश्चर्यचकित हो उठेंगे ॐनम:शिवाय

🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻गुरुवार, ०७ दिसंबर २०२३🌻

सूर्योदय: 🌄 ०७:०७
सूर्यास्त: 🌅 ०५:२९
चन्द्रोदय: 🌝 २६:१६
चन्द्रास्त: 🌜१३:४०
अयन 🌖 दक्षिणायणे (दक्षिणगोलीय)
ऋतु: 🗻 हेमन्त
शक सम्वत: 👉 १९४५ (शोभकृत)
विक्रम सम्वत: 👉 २०८० (नल)
मास 👉 मार्गशीर्ष
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 दशमी (२९:०६ से एकादशी)
नक्षत्र 👉 हस्त (पूर्ण रात्रि)
योग 👉 आयुष्मान् (२४:०१ से सौभाग्य)
प्रथम करण 👉 वणिज (१६:०९ तक)
द्वितीय करण 👉 विष्टि (२९:०६ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 वृश्चिक
चंद्र 🌟 कन्या
मंगल 🌟 वृश्चिक (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 धनु (अस्त, पूर्व, वक्री)
गुरु 🌟 मेष (उदित, पश्चिम, वक्री)
शुक्र 🌟 तुला (उदित, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 मीन
केतु 🌟 कन्या
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४८ से १२:२९
अमृत काल 👉 २६:१८ से २८:०३
विजय मुहूर्त 👉 १३:५१ से १४:३२
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:१४ से १७:४२
सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:१७ से १८:३९
निशिता मुहूर्त 👉 २३:४१ से २४:३६
राहुकाल 👉 १३:२५ से १४:४२
राहुवास 👉 दक्षिण
यमगण्ड 👉 ०७:०० से ०८:१७
दुर्मुहूर्त 👉 १०:२५ से ११:०६
होमाहुति 👉 राहु
दिशाशूल 👉 दक्षिण
अग्निवास 👉 पृथ्वी
भद्रावास 👉 पाताल (१६:०९ से २९:०६)
चन्द्रवास 👉 दक्षिण
शिववास 👉 क्रीड़ा में (२९:०६ से कैलाश पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – शुभ २ – रोग
३ – उद्वेग ४ – चर
५ – लाभ ६ – अमृत
७ – काल ८ – शुभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – अमृत २ – चर
३ – रोग ४ – काल
५ – लाभ ६ – उद्वेग
७ – शुभ ८ – अमृत
नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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दक्षिण-पूर्व (दही का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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श्री महावीर स्वामी दीक्षा, विवाह मुहूर्त वृश्चिक-मकर लग्न (प्रातः ०७:११ से दोपहर ११:१७) तक, चूड़ाकर्म संस्कार+नींव खुदाई एवं गृहारम्भ+गृहप्रवेश मुहूर्त प्रातः १०:५७ से दोपहर १२:१५, व्यवसाय आरम्भ+वाहन क्रय-विक्रय मुहूर्त प्रातः १०:५९ से दोपहर ०२:५५ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज ३१:०३ तक जन्मे शिशुओ का नाम हस्त नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (पू, ष, ण, ठ) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
वृश्चिक – २९:२७ से ०७:४६
धनु – ०७:४६ से ०९:५०
मकर – ०९:५० से ११:३१
कुम्भ – ११:३१ से १२:५७
मीन – १२:५७ से १४:२०
मेष – १४:२० से १५:५४
वृषभ – १५:५४ से १७:४९
मिथुन – १७:४९ से २०:०४
कर्क – २०:०४ से २२:२५
सिंह – २२:२५ से २४:४४
कन्या – २४:४४ से २७:०२
तुला – २७:०२ से २९:२३
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पञ्चक रहित मुहूर्त
चोर पञ्चक – ०७:०० से ०७:४६
शुभ मुहूर्त – ०७:४६ से ०९:५०
रोग पञ्चक – ०९:५० से ११:३१
शुभ मुहूर्त – ११:३१ से १२:५७
मृत्यु पञ्चक – १२:५७ से १४:२०
रोग पञ्चक – १४:२० से १५:५४
शुभ मुहूर्त – १५:५४ से १७:४९
मृत्यु पञ्चक – १७:४९ से २०:०४
अग्नि पञ्चक – २०:०४ से २२:२५
शुभ मुहूर्त – २२:२५ से २४:४४
रज पञ्चक – २४:४४ से २७:०२
शुभ मुहूर्त – २७:०२ से २९:०६
चोर पञ्चक – २९:०६ से २९:२३
शुभ मुहूर्त – २९:२३ से ३१:००
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आज का राशिफल
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज भी दिन आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा परन्तु आकस्मिक खर्च आज अधिक रहने से परेशानी भी होगी। व्यापारी एवं नौकरी पेशा वर्ग आज अधूरे कार्य पूर्ण करने के कारण जल्दी जुट जाएंगे। लाभ की संभावना भी यथावत बनी रहेगी धन लाभ थोड़े थोड़े अंतराल पर होता रहेगा। अनैतिक कार्यो से भी लाभ होने की संभावना है परंतु सावधानी भी अपेक्षित है। धार्मिक कार्य क्रमो के प्रसंग अचानक बनेंगे धार्मिक क्षेत्र की यात्रा भी कर सकते है। स्त्री वर्ग आज आप पर हावी रहेंगी फिर भी असहजता नहीं मानेंगे। घर में शांति बनी रहेगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन व्यवस्थाओं में सुधार आने से आय की संभावनाएं बढ़ेंगी। व्यवहार में भी शालीनता रहने से सभी लोग आपसे प्रसन्न रहेंगे। आज आप कार्यो को आत्मविश्वास से करेंगे जिससे सफलता निश्चित रहेगी परन्तु ध्यान रहे अतिआत्मविश्वास के कारण हास्य के पात्र भी बन सकते है। परिवार की महिलाओं का व्यवहार थोड़ा असमंजस में डाल सकता है फिर भी स्थित नियंत्रण में ही रहेगी। स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। दिन भर व्यस्तता के बाद भी आप मानसिक रूप से प्रसन्न रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर अधिक बोलने से अवश्य बचे मान हानि हो सकती है।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज प्रातः काल में किसी आवश्यक कार्य में विलम्ब होने अथवा बिगड़ने के कारण दिन भर क्रोध से भरे रहेंगे फिर भी व्यवहार में नरमी रखें अन्यथा अन्य लाभों से भी हाथ धो बैठेंगे। परिवार के बुजुर्गो की सलाह आज बहुत काम आने वाली है इसलिए सम्बन्ध ना बिगड़े इसका ध्यान रखें। नौकरी पेशा जातक सामान्य रूप से कार्यो में सक्रिय रहेंगे दफ्तर के कार्य से यात्रा करनी पड़ सकती है। संध्या के समय आलस्य थकान रहने से एकान्त वास पसंद करेंगे। परिजन कुछ मतभेद के बाद भी सहयोग को तत्पर रहेंगे। धन आगम मध्यम रहेगा। ठंडी वस्तुओ का प्रयोग ना करें।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज आप प्रातः काल से ही यात्रा की योजना बनाएंगे परन्तु अंतिम समय में किसी कार्य के आने से विघ्न आ सकते है। मन इच्छित कार्य ना होने से कुछ समय के लिये परेशान रहेंगे। घर एव बाहर आपका व्यवहार विपरीत रहने के कारण विवाद हो सकता है। आज आप अपने आगे किसी की नहीं चलने देंगे। सहकर्मी आपसे परेशान रह सकते है परन्तु जाहिर नहीं करेंगे। लोगो की भावनाओं को ध्यान में रख व्यवहार करें शांति बनी रहेगी। आज किसी गुप्त रोग होने से नई परेशानी खड़ी हो सकती है। धन सम्बंधित मामलो को लेकर चिंता बढ़ेगी। गृहस्थ जीवन में नीरसता बढ़ने से बाहर का वातावरण ज्यादा पसंद आएगा। धन की आमद किसी न किसी रूप में अवश्य होगी।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आप अपने सभी कार्यों से संतोष करेंगे है। लेकिन घर बाहर विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है। लोग आपकी बातों में नुक्स निकालने के लिए आतुर रहेंगे। परिजनों का रूखा व्यवहार मानसिक रूप से आहत करेगा। सरकारी नतीजे भी विपक्ष में होंगे। प्रतिस्पर्धी आपकी दशा देखकर प्रसन्न रहेंगे परन्तु आज के दिन धैर्य धारण करें शीघ्र ही समय अनुकूल बनेगा। धार्मिक एवं सामाजिक कार्यो में सम्मिलित होने के अवसर मिलेंगे लेकिन बेमन से भाग लेंगे। घर में किसी बाहरी व्यक्ति की दखल होने से वातावरण अशान्त रहेगा। धन सम्बंधित व्यवहार देखभाल कर करें। सेहत सामान्य रहेगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन लाभ की संभावनाएं बनते बनते बिगड़ सकती है आलस्य की प्रवृति इसका कारण बनेगी। परन्तु फिर भी कार्य क्षेत्र पर सम्मानजनक स्थित बनी रहेगी। प्रतिस्पर्धी भी आपकी कार्य शैली से प्रभावित रहेंगे। जिस कार्य में हाथ डालेंगे सफलता सुनिश्चित रहेगी लेकिन धन लाभ को लेकर स्थिति गंभीर रहेगी धन सम्बंधित कार्यो के प्रति लापरवाह भी रहेंगे जिसका लाभ कोई अन्य व्यक्ति उठा सकता है। सेहत भी लगभग सामान्य बनी रहेगी परन्तु फिर भीं कार्यो के प्रति अधिक गंभीर नहीं रहेंगे। पारिवारिक वातावरण बीच बीच में उग्र बन सकता है। शांति बनाए रखें।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आपकी आज की दिनचर्या भी संघर्ष वाली रहेगी। परिश्रम अधिक करने पर भी अल्प लाभ होने से मन दुःख होगा। सरकारी कार्यो में भी किसी की सहायता की आवश्यकता पड़ेगी। उधार लिया धन अथवा अन्य वस्तु आज वापस करना लाभदायक रहेगा। फिर भी घर के सदस्य आपसी सम्बन्धो को अधिक महत्त्व देंगे रिश्तों में भावुकता अधिक रहेगी। नौकरी पेशा जातक व्यवहार शून्यता के कारण अपमानित हो सकते है सतर्क रहें। धन लाभ आशा के विपरीत रहने से कार्यो में बाधा आएगी। खर्च बराबर रहेंगे। शेयर सम्बंधित कार्यो में धन अटक सकता है। घर में मौन रहें।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज आपका पारिवारिक जीवन उत्तम रहेगा व्यवसाय में भी आकस्मिक लाभ होने से उत्साहित रहेंगे। पारिवारिकजन किसी महत्त्वपूर्ण कार्य को लेकर इकट्ठे होंगे फिर भी आगे से अपनी राय ना देकर मौन होकर अन्य लोगो की बात सुने शांति बनी रहेगी। कार्य क्षेत्र का वातावरण इसके उलट रहेगा वर्चस्व को लेकर किसी से तू-तू मैं-मै होने की संभावना है परंतु फिर भी धन के दृष्टिकोण से दिन लाभदायक रहेगा। उधारी की वसूली होने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनेगी परिवार में खर्च भी लगे रहेंगे। भविष्य की योजनाओं पर भी धन खर्च कर सकते है।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आपका आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। व्यवसायिक एवं पारिवारिक उलझने कम होने से आज आपकी योजना सफल बनेगी। परिजनों का व्यवहार भी आपके अनुकूल रहेगा सहयोग की उम्मीद भी रख सकते है। लेकिन आज यथार्थ पर ज्यादा ध्यान रखें स्वप्न लोक की सैर ना करें। कार्य व्यवसाय स्थल पर लोगो की सहानुभूति मिलेगी। धन लाभ आशानुकूल नहीं फिर भी कार्य चलने लायक अवश्य होगा। प्रेम प्रसंगों में कई दिन से चल रही कड़वाहट ख़त्म होगी। कार्यो की थकान मिटाने के लिए मनोरंजन के अवसर तलाशेंगे इन पर खर्च भी करेंगे।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज भी परिस्थितियों में उतार चढ़ाव लगा रहेगा इसलिए प्रत्येक कार्य को देख भाल कर ही करें। स्वभाव में जल्दबाजी रहने के कारण आपके कुछ निर्णय गलत साबित हो सकते है फिर भी प्रयास जारी रखें आशानुकूल ना सही कुछ लाभ अवश्य होगा। खर्च पर नियंत्रण ना रहने से आय व्यय का संतुलन बिगड़ सकता है संताने आज अधिक जिद्दी व्यवहार करेंगी गुस्सा ना करें। पूर्व नियोजित नए कार्य एवं धन सम्बंधित सरकारी कार्य आज ना करें। मध्यान के आस-पास सेहत प्रतिकूल बनेगी पेट अथवा वायु सम्बंधित व्याधि एवं शक्ति हीनता अनुभव कर सकते है। परिवार में शांति रखने के लिए आवश्यकताओ की पूर्ति समय पर करें।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आपका आज का दिन अत्यन्त थकान वाला रहेगा। कार्य की भरमार रहने से शारीरिक एवं मानसिक रूप से परेशान रह सकते है। कार्य क्षेत्र से आज आशा के अनुसार लाभ होने की संभावना भीं है। आकस्मिक यात्रा की भी सम्भवना बनी रहेगी। दिनचर्या में कई बदलाव करने पड़ेंगे। आपकी सामाजिक छवि निखरेगी। संध्या के समय धन लाभ अवश्य होगा। परिजनों को आज आपकी आवश्यकता पड़ेगी परन्तु घरेलु कार्यो में टालमटोल ना करें अन्यथा वातावरण ख़राब हो सकता है। संध्या के समय उत्तम भोजन सुख मिलेगा। गृहस्थ सुख आज सामान्य से कम ही रहेगा।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज आपके सोचे कार्य प्रारंभिक गतिरोध के बाद सफल बंनेगे। व्यवसायी लोग उचित निर्णय क्षमता का लाभ अवश्य पाएंगे। नौकरी वाले जातक भी अधिकारियों के नरम व्यवहार का लाभ उठा सकते है। महिलाएं आज प्रत्येक क्षेत्र में अधिक सक्रिय एवं सफल रहेंगी। सामाजिक आयोजनों में भागीदारी की पहल करना सम्मान बढ़ायेगा। बेरोजगारों को रोजगार एवं अविवाहितो के लिए रिश्ते की बात बनने की अधिक सम्भावना है हार ना मान प्रयास जारी रखें। धन लाभ आंशिक परंतु तुरंत होगा। दाम्पत्य में थोड़े उतार-चढ़ाव के साथ शांति बनी रहेगी। सेहत सामान्य रहेगी।
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शिवलिंगम् –समाधानम्

प्रायः लोग नासमझी के कारण शिवलिंग के विषय में भ्रामक प्रचार किया करते हैं।तथा अपनी मानसिक अतृप्त वासना का अध्यारोप उपासना पथ में भी कर डालते हैं।जबकि समग्र धरा ही जलहरी है आकाश ही लिंग है।शिव ही लिंग है विष्णु ही आधारशिला जलहरी है।

प्रश्न1क्या शिवलिंग तथा तदाधारभूत जलहरी प्रजननेन्द्रिय है?
उत्तर नहीं ।

वास्तविकता ये है कि जब ज्योतिर्मय शिवलिंग का प्रादुर्भाव हुआ उस समय समस्त सृष्टि में कुछ था ही नहीं।

1-नासदासीन्नोसदासीत्तदानीम् (ऋक् 8-7-7-1)

तदानीम्=उस समय। न असत् आसीत्=न असत् था। नो सत् आसीत्=ना ही सत् ही था।

2-सर्वे निमेषा जज्ञिरे विद्युतः पुरुषा दधि,
नैनमूर्ध्वं च तिर्यंच न मध्ये परिजग्रभत्।। (यजु 32-2)

सर्व प्रथम तब ज्योतिः स्वरूप प्रगट हुआ।अधि=तदनन्तर। विद्युतःपुरुषात्=उस विद्युत पुरुष से।सर्वे निमेषाःजज्ञिरे=सभी कला काष्ठा आदि चराचर जगत उत्पन्न हुआ। एनम् न ऊर्ध्वं न तिर्यङ् च न मध्ये परिजग्रभत्=इस विद्युत पुरुष का न ऊपर न नीचे न पार्श्व में न मध्य में कहीं भी कोई भी पार न पा सका।उसका ओर छोर आदि अन्त मध्य पता न कर सका।(विशेष शिवपुराण 2-15से 64 श्लोक तक देखें)

3-तदण्डमभवद्धैमं सहस्रांशु समप्रभम्।।(मनु)

वह सूर्य की किरणों के समान देदीप्यमान स्वर्णाभाण्ड हुआ।
श्रुति स्मृति पुराण वर्णित यह शिवलिंग ही तैजस रूप में विख्यात है।
अब आप ही सोचो सज्जनों कि शिव लिंग को (जननेन्द्रिय समझना कितना गम्भीर दैवीय अपराध है व्यर्थ में भ्रम फैलाना अपनी दूषित मानसिकता को प्रकट करना है)

आपकी शंका न्यायदर्शन विरुद्ध है।

युगपज्ज्ञानानुपपत्तिः मनसो लिंगम् (न्याय दर्शन 1-16)

एककालावच्छेदेन=एक काल में, एक साथ, अनेक वस्तुओं का ज्ञान न होना यह मन का लक्षण है।।लिंग=लक्षण

वैशेषिक दर्शन विरुद्ध,

निष्क्रमणं प्रवेशनम् इत्याकाशस्य लिंगम् (वै द 2-1-10)

जिसमें प्रवेश तथा निर्गम होता है उसे आकाश या अवकाश कहते हैं।
लिंग=चिन्ह ,परिभाषा,लक्षण है।

व्याकरण विरुद्ध

अथ लिंगानुशासनम्।

लिंगों का अर्थात् शब्दों की श्रेणियों का विभाग पूर्वक व्यवस्थापन करते हैं।
यथा पुर्लिंग,स्त्रीलिंग,नपुंसकलिंग,,यदि ये लोग लिंग का अर्थ कामोपभोग साधन जननेन्द्रिय ही मानते हैं तो नपुंसकलिंग का क्या करेंगे। कौन पढेगा व्याकरण ।विशेष क्या लिखें कितनी बङी नादानी करते हैं लोग एक शब्द का एक ही अर्थ नहीं होता शब्दानामनेकार्थत्वात्।
इस प्रकार ळिंग शब्द का अर्थ है लक्षण,चिन्ह, परिभाषा, निशान,
शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का चिन्ह प्रतीक।

उसी प्रकार जलहरी को भग कहते हैं परन्तु भग का अर्थ योनि करने वाले अज्ञानी हैं।
भग के अनेक अर्थ हैं जैसे माया,प्रकृति, ऐश्वर्य कारण आदि।

प्रातर्जितं भगमग्रम् हवामहे,(अथर्व 3-16-2)

प्रातः ऐश्वर्य के अधिष्ठातादेवता की हम स्तुति करते हैं।।
भग =ऐश्वर्य
भगवान् में जो भग है उसका अर्थ
ऐश्वर्यस्य समग्रस्य धर्मस्य यशसः श्रियः।
ज्ञानवैराग्ययोश्चैव षण्णां भग इतीरिणा।।

भग=समग्र ऐश्वर्य,समग्रधर्म, समग्र यश,समग्र श्री, समग्र ज्ञान, समग्र वैराग्य।।
इन छ को भग कहते हैं इनसे युक्त होने के कारण ही ईश्वर को भगवान कहा जाता है।

तस्य योनिं परिपश्यन्ति धीराः..(यजु 31-16)

उस परमात्मा की योनि मूलप्रकृति माया को धीर लोग ही यथार्थ रूप से देख पाते हैं।

लीनार्थं गमकं चिन्हं,लिंगमित्यभिधीयते।
भं वृद्धिं गच्छतीत्यर्थात् भगः प्रकृतिरुच्यते।।
मुख्यो भगस्तु प्रकृतिः भगवान् शिव उच्यते।।(शिपु,विसं 16-106)

अव्यक्त वस्तु को स्पष्ट करने वाले चिन्ह को लिंग कहते हैं,तथा वृद्धि को प्राप्त होने वाली वस्तु को भग कहते हैं।जो कि प्रकृति नाम से कही गयी है।
इसीलिये मुख्य प्रकृति को भग कहते हैं।तथा उस प्रकृति (भग)के अधिष्ठाता होने से ही शिव को भगवान कहा जाता है (भगः अस्यास्तीति भगवान्)

इसप्रकार शिवलिंग का निश्चप्रच अर्थ हुआ अव्यक्त परमात्मा का ज्ञान कराने वाला चिन्ह(प्रतीक)

श्रद्धाश्रमाभ्यां सकलार्थ सिद्धिः = श्रद्धा और श्रम से सकल अर्थों की सिद्धि होती है।।विश्वास की छांव में बैठकर अनादि काल से ऋषि मुनि सन्त महात्मा शिवार्चन करते आ रहे हैं..श्री राम श्रीकृष्ण ने भी शिवार्चन किया है,,,पाणिनि के शिवार्चन का फल तो अष्टाध्यायी के रूप में समग्र विश्व के व्याकरणानुरागी पा ही रहे हैं।

नृत्तावसाने नटराजराजो ननाद ढक्वां नवपंचवारम्।
उद्धर्तुकामान् सनकादिसिद्धानेतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम्।।

ये शिव सूत्र जाल
(अइउण्,ऋलृक्,एओङ्,ऐऔच्,हयवरट्,
लण्,ञमङणनम्,झभञ्, घढधष्,जबगडदश्,
खफछठथचटतव्, कपय्,शषसर्,हल्।।)
तो शिव की कृपा का ही प्रसाद है। शिवार्पणमस्तु
कुत्सित मानसिकता के शोधनार्थ ये प्रयास नहीं है,अपितु शुद्ध अन्तःकरण रूपी पात्र में शास्त्रीय विश्वासामृत भरना मात्र है।जिनको सहमत होने में कठिनाई हो वे पुनः हृदय के नेत्रों से पढें उघरहि विमल विलोचन हिय के।।
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सन्तोषामृततृप्तानांयत्सुखं शान्तचेतसाम्।कुतस्तद्धनलुब्धानांएतश्चेतश्च धावताम्॥
*भगवान गणेश जी की जय*
*⛳⚜सनातन धर्मरक्षक समिति⚜⛳*

*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈*

┈┉══════❀((“”ॐ””))❀══════┉┈
⛳🚩 *सनातन संस्कृति का सत्य* 🚩⛳

गतांक से आगे…….

*इस दुनिया में किसी के भी पास यदि इन छह ऐश्वर्य में से कोई एक भी ऐश्वर्य थोड़ी भी अधिक मात्रा में हो, तो वो इस दुनिया के लिए आकर्षक हो जाता है।*
*इस दुनिया में हम सब उन व्यक्तियों की ओर आकर्षित होते हैं जो या तो बलवान, धनवान, बुद्धिमान, कीर्तिवान, सौंदर्यवान या त्यागी होते हैं। हम उन व्यक्ति की ओर कितने आकर्षित होंगे जिनके पास ये सभी ऐश्वर्य सम्पूर्ण मात्रा में हो।*

*संसार के सबसे बलवान से भी ज़्यादा बलवंत, न केवल पृथ्वी पर, किंतु समस्त ब्रह्मांडों में सबसे प्रसिद्ध, सबसे अमीर से अधिक अमीर, क्योंकि अंततः पूरी सृष्टि के स्वामी वही है।*
*सबसे बुद्धिमान से भी अधिक बुद्धिमान, क्योंकि प्रत्येक जीव की बुद्धि उन्ही से आती है।सबसे सुंदर व्यक्ति या वस्तु से अधिक सुंदर, क्योंकि वो दुनिया की सारी सुंदरता के स्रोत है।और ये सबकुछ अनंत मात्रा में होने के पश्चचात भी, वे पलक झपकते ही इन सभी ऐश्वर्यो का त्याग कर देंगे, वो भी उसके लिए जो निःस्वार्थ प्रेम से फूल, पत्ती, फल या जल की एक बूंद भी उन्हें अर्पण करता है।*

भगवान को खुश कैसे करें?

*पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।*
*तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मनः ।।*

– भगवद् गीता ९.२६ और श्रीमद् भागवतम् १०.८१.४

*ये वे शब्द है जो भगवान कृष्ण के मुख से निकले थे, जिस समय उन्होंने बचपन के उनके दरिद्र गुरुकुल मित्र सुदामा द्वारा दिए गए सूखे चावल ग्रहण किये।*

*अपने मित्र के शुद्ध निस्वार्थ प्रेम से लिप्त, उन्होंने उन सूखे चावल के हर एक निवाले के बदले एक एक ब्रह्मांड देना शुरू कर दिया। यहाँ तक की स्वयं माँ लक्ष्मी को उन्हें रोकना पड़ा तब जाकर वे रुके, नहीं तो वे केवल मुट्ठी भर चावल के लिए अपने मित्र को सारी सृष्टि दे देते।*

*जी हां, उन्हें प्रभावित करना इतना सरल है।वो प्रेम भरे शुद्ध हृदय से दी जाने वाली हर वस्तु को स्वीकार करते है। यदि आपके पास एक फल भी है, तो उसे चढ़ाएं, यदि फल नहीं है तो फूल चढ़ाएं, यदि फूलों की ऋतू नहीं है, तो पत्ता चढ़ाएं; और अगर पत्ते भी कम हों तो हथेली भर पानी दें।*
*क्योंकि भक्त का प्रेम ही है जो भगवान को प्रसन्न करता है, न कि भेंट का मूल्य। उन्हें हमारी भेंट के भौतिक मूल्य से कोई संबंध नहीं है।*
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दानं भोगो नाशस्तिस्रो, गतयो भवन्ति वित्तस्य। यो न ददाति न भुङ्क्ते, तस्य तृतीयागतिर्भवति॥
*रामभक्त हनुमान जी की जय*
*⛳⚜सनातन धर्मरक्षक समिति⚜⛳*

*सनातन समाज क्यों???* 🔥

*सनातनी हिन्दुओं की एकता का दुश्मन कौन है ?* 🔥

*सनातनी हिन्दुओं की जाति-व्यवस्था के घेरा को काफी हद तक केवल गोत्र व्यवस्था से तोड़ा जा सकता था और तोड़ा जा सकता है।* 🔥

*महात्मा बुद्ध जी एक सनातनी हिन्दू राजा के पुत्र थे तथा महात्मा बुद्ध सनातनी हिन्दू क्षत्रीय वर्ण के ही थे और महात्मा बुद्ध भी गुरुकुल पढ़ने गये थे तथा गुरुकुल में महात्मा बुद्ध ने भी वेद को पढ़ा था तो इस तरह से सनातनी महात्मा बुद्ध भी वेद समर्थक थे और भगवान श्रीराम जी ने और भगवान श्रीकृष्ण ने भी गुरुकुल में वेद अध्ययन किया था । अब तो संसार के और खासकर भारत के बड़े वैज्ञानिकों ने भी मान लिया है कि वेद से विज्ञान निकला है तो जागो सनातनी हिन्दुओं जागो और फिर से गुरुकुल चालू करो और वेद भी पढ़ो।* 🔥

*अंग्रेजों और मुगलों तथा अंग्रेजों की बनाई कांग्रेस और वामपंथियों के झूठे इतिहास और संसार में कई देशों में जो सनातन समाज की विरासत है उसको खोज करके फिर से सत्य और सही इतिहास लिखा जाना सनातनी हिन्दुओं के हित में अति आवश्यक भी है।* 🔥

*सनातन समाज हर मानव को अपने आत्मकल्याण के लिए किसी भी तरह से पूजा पद्धति व अध्यात्म साधना के लिए आजादी देता है ईसाईयों और इस्लाम की तरह से जबरदस्ती किसी भी पूजा पद्धति व उपासना और अध्यात्म साधना को जबरदस्ती नहीं थोपता है।* 🔥

🔥 *सनातन समाज केवल हर मानव का हित हो ऐसी ऐसी सामाजिक व्यवस्था और शासन की नीति मानने को विवश करता है न कि आत्म कल्याण के लिए पूजा पद्धति और अध्यात्म साधना की आजादी छीनता है लेकिन किसी भी मानव की पूजा पद्धति से किसी भी अन्य मानव का अहित न हो और सामाजिक संरचना में किसी भी तरह का व्यवधान न उत्पन्न हो व देश की एकता और अखन्डता में व्यवधान न हो और शासन की व्यवस्था का किसी भी तरह से अहित न हो ऐसी ही आत्म कल्याण की पूजा पद्धति और अध्यात्मिक साधना ही सनातन समाज में स्वीकार है जो भी इसके खिलाफ होगा उसे सनातन समाज की न्यायिक व्यवस्था कठोर दन्ड देने का आदेश देती है।* 🔥

*मैं तो लगभग 1450 वर्ष में बनाये गये इस्लाम समाज को अरबियों का और लगभग 2000 वर्ष में बनाये गये ईसाई समाज को केवल जबरदस्ती सभी पश्चिमी देश ईसाईयों का केवल साम्राज्यवादी राजनीतिक गिरोह मानता हूं। संसार में सभी मानवों का हित करने वाली बसुधैव कुटुम्बकम् वाली सांस्कृतिक विरासत किस समाज के पास है ? ईमानदारी से खोजोगे तो सम्पूर्ण संसार तो सनातन समाज का था और संसार तो “सनातन समाज” का है “सनातन” क्यों ? “सनातन” का मतलब निरन्तर होता है “निरन्तर” कौन है? “निरन्तर” तो “परमात्मा” ही है इसलिए परमात्मा ही “सनातन” है और उसी के लिए सनातन समाज बना है। सनातन समाज अपने मन मुताबिक आत्मा के उद्धार के लिए पूजा करने की छूट देता है याद रखो मतलब अध्यात्म साधना की आजादी केवल सनातन समाज में ही है , जिससे आपको आत्म ज्ञान मिले सके और आपका हर तरह से अध्यात्मिक कल्याण हो वही काम और उपासना और पूजा पद्धति सनातन समाज अपनाने को कहता है लेकिन समाज और देश के प्रति उत्तरदायित्व केवल निभाने की बाध्यता है क्योंकि समाज में अन्य किसी का अहित भी न होने पाये।* 🔥

*माननीय सन्त शिरोमणि रामानन्द जी के दो शिष्य थे—–* 🔥

*1)- तुलसी दास साहेब जी महराज जी– जो सगुण राम के उपासक थे इन्होंने राम को पूजा निम्नलिखित प्रकार से समझ कर किया—–* 🔥

*सिय राम मय सब जग जानी; करहु प्रणाम जोरी जुग पानी।* 🔥

*मतलब—– सम्पूर्ण संसार को सियाराम मय जानों मतलब संसार के हर कण, हर वस्तु,हर जगह उसी सिया राम को जानो और उसी सिया राम में देखो।* 🔥

*कबीर दास जी साहेब जी महराज जी– जो निर्गुण राम के उपासक थे इन्होंने राम को पूजा निम्नलिखित प्रकार से समझ कर किया—–* 🔥

*एक कहूँ तो है नहीं, दूजा कहूँ तो गार | है जैसा तैसा रहे, रहे कबीर विचार ||* 🔥

*मतलब—– परमात्मा को एक कहुं तो है ही नहीं और अगर परमात्मा को दो कहुं तो गारी देने के समान है, जैसा है वैसा रहे कहे कबीर विचार मतलब परमात्मा अद्वैव है। मतलब जो हर जगह हर समय हर रूप में बस वही परमात्मा ही है। अब तो विज्ञान भी संसार को एक तत्व से बना मानता है पर साबित नहीं कर पा रहा है। वैज्ञानिक हैरान हैं कि ऊर्जा जब धातु में परिवर्तन होती है तो भारी कैसे हो जाती है इसी रहस्य से चकित हैं‌। लड़ाई परमात्मा की नहीं है। लड़ाई केवल राजनीतिक गिरोह की है जिसे धार्मिक चोला पहना दिया गया है।* 🔥

*भारत के सभी गुरुकुल में निशुल्क शिक्षा और भोजन की व्यवस्था थी इससे हर तरह के लोग शिक्षा पाते थे, जैसे वहीं यादव कुल में जन्में क्षत्रिय वर्ण के श्रीकृष्ण शिक्षा पाते थे तो वहीं ब्राह्मण वर्ण के सुदामा भी शिक्षा पाते थे । आजकल शिक्षा एक व्यवसाय बन गया है जिसे तत्काल रोका जाना चाहिए। जागो सनातनी हिन्दुओं जागो और फिर से गुरुकुल चलाओ और संसार में पुनः बसुधैव कुटुम्बकम् वाली सांस्कृतिक विरासत वाली सनातन समाज को स्थापित करो।* 🔥

*भारत में 1800 शताब्दी में साक्षरता दर लगभग 90 % से ऊपर थी मतलब हर व्यक्ति हर समुदाय हर वर्ग पढ़ा लिखा था तब संयुक्त अखन्ड भारत की राष्ट्रीय भाषा संस्कृत थी लेकिन पहले मुगलों और उनके बाद अंग्रेजों ने बहुत ही अन्याय सनातनी हिन्दुओं के गुरुकुल का किया भारत में छुआ-छूत और जातिवादी व्यवस्था बिल्कुल नहीं थी। भारत के जातिवाद व्यवस्था के झूठ को केवल गोत्र से मिलान करके जाना जा सकता है मतलब एक ही गोत्र के समुदाय के लोग अलग अलग वर्णों में थे कोई क्षत्रिय था कोई ब्राह्मण था कोई वैश्य था कोई शूद्र था मतलब योग्यता के आधार पर वर्ण व्यवस्था बदलती है झूठे इतिहास और सनातनी हिन्दुओं की धार्मिक ग्रंथों में मिलावट पर ध्यान मत दो। संसार में मानवता की भलाई के लिए संसार से झूठ व पाखन्ड खत्म करने हेतु जागो सनातनी जागो ! सनातनी हिन्दुओं चाहे जिस जाति व्यवस्था में हो वहीं से सनातन समाज के उद्धार और सनातन समाज के लिए भी संघर्ष करो।* 🔥

*याद रखो भारत में हिन्दुओं में जाति-व्यवस्था नहीं थी केवल वर्ण-व्यवस्था थी अंग्रेजों ने सन् 1901 में जन गणना के बाद से ही भारत के लोगों को खासकर हिन्दुओं को हजारों जातियों में विभाजन किया था। मंदिरों पर टैक्स लेने के लिए कुछ जातियों को जो धनहीन व गरीब जातियां थीं उनको ही जानबूझकर नफ़रत फैलाने की नियत से अंग्रेजों ने उन्हें मंदिरों में जाने से रोका था जिन्हें अब कांग्रेस और वामपंथियों तथा जातिवादी नेताओं ने साजिश करके इनको दलित समाज बना दिया गया है ताकि सनातनी हिन्दुओं में नफरत फैलाकर बांटा जा सके।अंग्रेजों के बाद फिर कांग्रेस की सरकार ने भी सभी कमाऊ मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण रखा है,जो अनुचित व हिन्दुओं के ऊपर अत्याचार ही है।* 🔥

*सनातन समाज पहले सबको रोजगार देता था ज्यादातर टोटल 36 वर्गों में काम बटा था चार वर्णों को अपने अपने योग्यता के आधार पर काम बांटा जाता था।* 🔥

*ध्यान रहे————- बल्कि यहूदी समाज के ईसा मसीह (यीशू) के पिता यूसुफ बढ़ई थे तो बढ़ई का काम उनका पेशा या रोजगार था जाति नहीं थी।* 🔥

*याद रखो लगभग 1000 वर्ष पहले से घिनौनी साजिश करके हिन्दुओं में नफरत फैलाने और अपने शासन को मजबूत करने हेतु ही मुगलों ने जब भारत के राजाओं को हराया तो सत्ता पर कब्जा करके पहले सनातनी हिन्दुओं के किताबों को जलाया पहले किताबें सबके पास नहीं थी बड़े बड़े गुरुकुल में किताबें थीं जलाया गया और बुद्धिजीवी ब्राह्मण जो गुरुकुल चलाते थे उनको मारा गया और सनातनी हिन्दुओं की किताबों में हिन्दुओं को बांटने हेतु तलवार की नोक पर मिलावट करवाकर वामपंथियों के सहारे फिर हिन्दुओं को बांटकर मुसलमान बनाकर उन्हीं मुसलमानों के जरिए हिन्दुओं को लड़ाया गया मतलब विदेशी आक्रमणकारी मुसलमानों ने हिन्दुओं से लड़ने हिन्दुओं को ही मुसलमान बनवा दिया।इसी तरह से विदेशी आक्रमणकारी मुगलों के बाद अंग्रेजों ने भी बहुसंख्यक हिन्दुओं को बांटा और भारत में सनातनी संस्कृति को नष्ट करने हेतु तरह तरह से नफरती किताबें बनाई गई और भविष्य में हिन्दुओं से लड़ने हेतु अंग्रेजों ने हिन्दुओं को ईसाई मिशनरियों को अधिकार दिलाकर सनातनी हिन्दुओं को ईसाईकरण करने की साजिश किया था जो अंग्रेजों की बनाई कांग्रेस के शासन में अब भी चल रहा है । आजादी के बाद भी कांग्रेस की सरकार ने संविधान में ईसाईयों के धार्मिक कान्वेंट स्कूल की सरकारी मान्यता है।आजादी के बाद भी कांग्रेस की सरकार ने संविधान में ईसाई लोगों के धार्मिक कान्वेंट स्कूल सरकारी खर्चे और सुविधा पाने का भी हक व अधिकार है। इसी तरह से आजादी के बाद भी कांग्रेस की सरकार ने संविधान में मुसलमानों के धार्मिक मदरसा स्कूल की सरकारी मान्यता है। आजादी के बाद भी कांग्रेस की सरकार ने संविधान मुसलमानों के धार्मिक मदरसा स्कूल सरकारी खर्चे और सुविधा पाने का भी हक व अधिकार है। धर्म के आधार पर जब भारत देश का बटवारा हुआ और बटवारा के मौजूदा भारत देश हिन्दुओं मिला तो हिन्दुओं के देश को हिन्दुओं की विरोधी कांग्रेस ने हिन्दुओं के गुरुकुल की सरकारी मान्यता खत्म कर दिया ताकि गुरुकुल में पढ़ा व्यक्ति सरकारी या किसी भी संस्था में नौकरी नहीं पा सके और गुरुकुल को कोई सरकारी सहायता और संरक्षण न मिल सके तथा इस तरह से सनातनी हिन्दुओं को धार्मिक शिक्षा से वंचित करके जानबूझकर सनातनी हिन्दुओं के खिलाफ घिनौनी साजिश करके हिन्दुओं में नफरत फैलाने हेतु वामपंथियों और इस्लामिक मिशनरियों और ईसाई मिशनरियों और फर्जी नवबौद्धों और फर्जी भीमवादियों या फर्जी अम्बेडकर वादियों के हवाले कर दिया। जबकि अब भारत के सबसे बड़े वैज्ञानिकों ने कहा है कि वेद से ही विज्ञान निकला है और संसार के लोगों के भलाई के लिए ही महात्मा बुद्ध ने भी अपनी शिक्षा में ये निम्नलिखित उपदेश वेद के लिए दिया था —–* 🔥

*सुट्टा निपत 1059:———-* 🔥

*यम ब्रह्मणं वेदगुं अभिजंज्य अकिंचनं कामभवे अस्त्तम ।* 🔥

*सांसारिक कष्टों से मुक्त हो जाता है यदि वह एक वैदिक विद्वान को समझ सकता है, जिसके पास धन नहीं है और सांसारिक चीजों के प्रति आकर्षण से मुक्त है।* 🔥

*सुट्टा निपत 1060:———-* 🔥

*विद्वा चा सो वेदागु नरो इधा भवभावे संगम इमाम विसज्जा ।* 🔥

*मैं कहता हूं कि जो वेदों को समझता है वह संसार के प्रति आकर्षण को त्याग देता है और पापों से मुक्त हो जाता है।* 🔥

*सुत्त निपत 846:———–* 🔥
*न वेदागु दिठठिया न मुटिया सा मनमेति नहीं तन्मयोसो।* 🔥

*जो वेदों को जानता है, उसे मिथ्या अहंकार प्राप्त नहीं होता। वह अफवाहों और भ्रमों से प्रभावित नहीं होता है।* 🔥

*इस तरह से सम्पूर्ण संसार में समाज के काम को करने वाले लोग थे जिसे लोग जाति ग़लत बना लिए हैं। मतलब दायित्व या रोजगार को लोग जाति बना लिए ये सब मुगलों की साजिश और मुगलों के बाद फिर ये सब उस समय भारत में टोटल केवल एक लाख अंग्रेजों ने शासन करने के लिए बहुसंख्यक हिन्दुओं को बांटकर शासन करने के लिए और अंग्रेजों की बनाई गई कांग्रेस की साजिश थी और इनके साथ वामपंथियों ने भी सनातन समाज के खिलाफ सदा काम किया जो गलत है केवल सही शिक्षा से बदलाव होगा नफरत से नहीं आजकल पेट पालने की शिक्षा और राजनीतिक नफरत वाली शिक्षा से बदलाव नहीं होगा।* 🔥

*नोट-इस सन्देश को बार बार जरूर शेयर करें।* 🔥(साभार)