आज का पंचाग आपका राशि फल, मनुष्य जीवन में संस्कारों का योगदान और महात्म्य, सुखी वैवाहिक जीवन और धन प्राप्ति के लिए अचूक मंत्र

जिसके जीवन में संस्कार का आत्मानुशासन नहीं है शास्त्र में उसे साक्षात् पशु पुच्छ विहीनम् कहा गया है। संस्कारित आत्मा कुकर शूकर योनियों में नहीं जाती, इसलिए मनुष्य जीवन में सोलह संस्कार किए जाते हैं ता कि पशुता से मुक्ति मिल सके। अब तुम आत्मा के विषय में पूछोगे कि आत्मा क्या है तो बता दें कि जो शरीर का संचालक है उसे आत्म तत्व कहा गया है। जिस समय संचालन शक्ति शरीर छोड़ देती है उसी समय निधन हो जाता है। जिस शरीर माध्यम से हम पतन कारी अधोगामी चिंतन करते हैं वह मिट्टी में मिल जाता है। और वापस मनुष्य जीवन पाने के लिए  84लाख योनियों को पार करने में करीब 2अरब वर्ष लग जाते हैं उसके उपरांत मिलती है मनुष्य देह।
सोचिये आप कितने अमूल्य हैं

चारों वेदों में अमरत्व और पारगामिता का विज्ञान है। पुराण हमारे जागृत इतिहास हैं। दर्शन शास्त्र हमारे सभ्य समाज निर्माण के विज्ञान हैं। छंद हमारे जीवन की प्रसन्नता की कुंजी हैं। निर्णय सिंधु और सिद्धान्त कौमुदी न्याय शास्त्र हमारे सार्वभौमिक संविधान हैं।
व्यर्थ की प्रच्छन्नता, म्लेच्छ और बाम विचारों का अनुसरण ही पतन का मार्ग प्रशस्त करता है। इसलिए भगवत चिंतन ही जीवन का उद्देश्य और सार कहा गया है। इसलिए तुलसीदास ने कहा कि भगवान का मर्म भी उसे ही मिलता है जिसे स्वयं भगवान देना चाहें “जानेंहिं तेही जेहि जनावा”✍️हरीश मैखुरी

वैवाहिक जीवन में सबसे ज्यादा सुखी किसे माना जाता है, इस बात को लेकर लंबी बहस हो सकती है, सच तो यह है कि गृहस्थ जीवन में वो ही सबसे ज्यादा सुखी होता है, जहां प्रेम, त्याग, समर्पण, संतुष्टि और संस्कार, ये पांच बातें हो, इन पांच बातों के बिना दांपत्य या गृहस्थी का अस्तित्व संभव ही नहीं है, आज के समय में काफी लोग ऐसे हैं, जिनके वैवाहिक जीवन में प्रेम और त्याग तो होता है, लेकिन संतुष्टी नहीं होती है, इस कारण सुख कम और दुख अधिक होता है।

गृहस्थी को श्रेष्ठ बनाने के लिए ये पांचों बातें जीवन में उतारना जरूरी है, अगर इन बातों में से कोई एक भी ना हो तो रिश्ता फिर रिश्ता नहीं रह जाता, महज एक समझौता बन जाता है, गृहस्थी कोई समझौता नहीं हो सकती, इसमें मानवीय भावों की उपस्थिति अनिवार्य है, सुखी और सफल वैवाहिक जीवन के एक सूत्र जो विवाह के नाम से जाना जाता है, उस विवाह में दिये जाने वाले सात वचन को अध्यात्म की दृष्टि से समझने की कोशिश करेंगे
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सातों वचन जो निभाता है उसका जीवन कभी दुखमय हो ही नहीं सकता, वैवाहिक जीवन हमारे वैदिक संस्कृति के अनुसार जीवन के सोलह संस्कारों में से एक महत्त्वपूर्ण संस्कार हैं, विवाह संस्कार जिसके बिना मानव जीवन पूर्ण नहीं हो सकता।
विवाह का शाब्दिक अर्थ है- विशेष रूप से (उत्तरदायित्व का) वहन करना, पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से हिंदू विवाह के नाम से जाना जाता है, अन्य धर्मों में विवाह पति और पत्नी के बीच एक प्रकार का करार होता है, जिसे कि विशेष परिस्थितियों में तोड़ा भी जा सकता है, परंतु हिंदू विवाह पति और पत्नी के बीच जन्म-जन्मांतरों का सम्बंध होता है, जिसे किसी भी परिस्थिति में नहीं तोड़ा जा सकता।

अग्नि के फेरे लेकर और ध्रुव तारा को साक्षी मान कर दो तन, मन तथा आत्मा एक पवित्र बंधन में बंध जाते हैं, वैवाहिक जीवन सुखी रहे इसके लिये हिंदू विवाह में पति और पत्नी के बीच शारीरिक संम्बंध से अधिक आत्मिक संम्बंध होता है, और इस संम्बंध को अत्यंत पवित्र माना गया है।

हमारे सनातन धर्म के अनुसार फेरों के बाद ही शादी की रस्म पूर्ण होती है, यह फेरे ही पति-पत्नी के रिश्ते को सात जन्मों तक बांधते हैं, हिंदू विवाह संस्कार के अंतर्गत वर-वधू अग्नि को साक्षी मानकर इसके चारों ओर घूमकर पति-पत्नी के रूप में एक साथ सुख से जीवन बिताने के लिए प्रण करते हैं।

और इसी प्रक्रिया में दोनों फेरे लेते हैं, जिसे पति-पत्नी जीवनभर साथ निभाने का वादा करते हैं, विवाह के बाद कन्या वर के वाम अंग में बैठने से पूर्व उससे सात वचन लेती है, कन्या द्वारा वर से लिए जाने वाले सात वचन इस प्रकार है।

तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या:।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी।।

पहले वचन में यहाँ कन्या वर से कहती है, कि यदि आप कभी तीर्थयात्रा को जाओ तो मुझे भी अपने संग लेकर जाना, कोई व्रत-उपवास अथवा अन्य धर्म कार्य आप करें तो, आज की भांति ही मुझे अपने वाम भाग में अवश्य स्थान दें, यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।

किसी भी प्रकार के धार्मिक कृत्यों की पूर्णता हेतु पति के साथ पत्नि का होना अनिवार्य माना गया है, जिस धर्मानुष्ठान को पति-पत्नि मिल कर करते हैं, वही सुखद फलदायक होता है, पत्नि द्वारा इस वचन के माध्यम से धार्मिक कार्यों में पत्नि की सहभागिता, उसके महत्व को स्पष्ट किया गया है।

पुज्यौ यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या:।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम।।

दुसरें वचन में कन्या वर से दूसरा वचन मांगती है, कि जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें, तथा कुटुम्ब की मर्यादा के अनुसार धर्मानुष्ठान करते हुए ईश्वर भक्त बने रहें, तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ, यहाँ इस वचन के द्वारा कन्या की दूरदृष्टि का आभास होता है।

आज समय और लोगों की सोच कुछ इस प्रकार की हो चुकी है कि अमूमन देखने को मिलता है- गृहस्थ में किसी भी प्रकार के आपसी वाद-विवाद की स्थिति उत्पन होने पर पति अपनी पत्नि के परिवार से या तो सम्बंध कम कर देता है अथवा समाप्त कर देता है, उपरोक्त वचन को ध्यान में रखते हुए वर को अपने ससुराल पक्ष के साथ सदव्यवहार के लिए अवश्य विचार करना चाहिए।

जीवनम अवस्थात्रये मम पालनां कुर्यात।
वामांगंयामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तृ्तीयं।।

तीसरे वचन में कन्या कहती है कि आप मुझे ये वचन दें कि आप जीवन की तीनों अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढावस्था, वृद्धावस्था) में मेरा पालन करते रहेंगे, तो ही मैं आपके वामांग में आने को तैयार हूँ।

कुटुम्बसंपालनसर्वकार्य कर्तु प्रतिज्ञां यदि कातं कुर्या:।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं चतुर्थं।।

कन्या चौथा वचन ये माँगती है कि अब तक आप घर-परिवार की चिन्ता से पूर्णत: मुक्त थे, अब जबकि आप विवाह बंधन में बँधने जा रहे हैं तो भविष्य में परिवार की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति का दायित्व आपके कंधों पर है, यदि आप इस भार को वहन करने की प्रतीज्ञा करें तो ही मैं आपके वामांग में आ सकती हूँ।

इस वचन में कन्या वर को भविष्य में उसके उतरदायित्वों के प्रति ध्यान आकृ्ष्ट करती है, विवाह पश्चात कुटुम्ब पौषण हेतु पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है, अब यदि पति पूरी तरह से धन के विषय में पिता पर ही आश्रित रहे तो ऐसी स्थिति में गृहस्थी भला कैसे चल पायगी।

इसलिए कन्या चाहती है कि पति पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होकर आर्थिक रूप से परिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम हो सके, इस वचन द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि पुत्र का विवाह तभी करना चाहिए जब वो अपने पैरों पर खडा हो, पर्याप्त मात्रा में धनार्जन करने लगे।

स्वसद्यकार्ये व्यवहारकर्मण्ये व्यये मामापि मन्त्रयेथा।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: पंचमत्र कन्या।।

इस वचन में कन्या जो कहती है वो आज के परिपेक्ष में अत्यंत महत्व रखता है, वो कहती है कि अपने घर के कार्यों में, विवाहादि, लेन-देन अथवा अन्य किसी हेतु खर्च करते समय यदि आप मेरी भी मन्त्रणा लिया करें, तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।

पाँच वे वचन पूरी तरह से पत्नि के अधिकारों को रेखांकित करता है, बहुत से व्यक्ति किसी भी प्रकार के कार्य में पत्नी से सलाह करना आवश्यक नहीं समझते, अब यदि किसी भी कार्य को करने से पूर्व पत्नी से मंत्रणा कर ली जायें तो इससे पत्नी का सम्मान तो बढता ही है, साथ साथ अपने अधिकारों के प्रति संतुष्टि का भी आभास होता है।

न मेपमानमं सविधे सखीनां द्यूतं न वा दुर्व्यसनं भंजश्चेत।
वामाम्गमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं च षष्ठम।।

षष्ठम वचन में कन्या कहती है कि यदि मैं अपनी सखियों अथवा अन्य स्त्रियों के बीच बैठी हूँ, तब आप वहाँ सबके सम्मुख किसी भी कारण से मेरा अपमान नहीं करेंगे, यदि आप जुआ अथवा अन्य किसी भी प्रकार के दुर्व्यसन से अपने आप को दूर रखें तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।

वर्तमान परिपेक्ष्य में इस वचन में गम्भीर अर्थ समाहित हैं, विवाह पश्चात कुछ पुरुषों का व्यवहार बदलने लगता है, वे जरा जरा सी बात पर सबके सामने पत्नी को डाँट-डपट देते हैं, ऐसे व्यवहार से पत्नी का मन कितना आहत होता होगा, यहाँ पत्नी चाहती है कि बेशक एकांत में पति उसे जैसा चाहे डांटे किन्तु सबके सामने उसके सम्मान की रक्षा की जाए, साथ ही वो किन्हीं दुर्व्यसनों में फँसकर अपने गृ्हस्थ जीवन को नष्ट न कर ले।

परस्त्रियं मातृसमां समीक्ष्य स्नेहं सदा चेन्मयि कान्त कुर्या।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: सप्तममत्र कन्या।।

अन्तिम सातवां वचन के रूप में कन्या ये वर मांगती है कि आप पराई स्त्रियों को माता के समान समझेंगें, और पति-पत्नि के आपसी प्रेम के मध्य अन्य किसी को भागीदार न बनाएंगें, यदि आप यह वचन मुझे दें तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।

विवाह पश्चात यदि व्यक्ति किसी बाह्य स्त्री के आकर्षण में बँध पगभ्रष्ट हो जाए तो उसकी परिणिति क्या होती है, उसकी हालत क्या होती है, आप सभी जानते है इसलिये इस वचन के माध्यम से कन्या अपने भविष्य को सुरक्षित रखने का प्रयास करती है, सफल वैवाहिक जीवन के इस विवाह के सात वचनों की जानकारी के साथ मंगलमय् हो।

 

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻गुरूवार, २४ फरवरी २०२२🌻

 

सूर्योदय: 🌄 ०६:५३

सूर्यास्त: 🌅 ०६:१३

चन्द्रोदय: 🌝 २६:०८

चन्द्रास्त: 🌜११:३५

अयन 🌕 उत्तरायने (दक्षिणगोलीय

ऋतु: 🌿 बसंत

शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)

विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)

मास 👉 फाल्गुन

पक्ष 👉 कृष्ण

तिथि -👉 अष्टमी (१५:०३ तक)

नक्षत्र 👉 अनुराधा (१३:३१ तक)

योग 👉 हर्षण (२६:५९ तक)

प्रथम करण 👉 कौलव (१५:०३ तक)

द्वितीय करण 👉 तैतिल (२६:०२ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 कुम्भ

चंद्र 🌟 वृश्चिक

मंगल 🌟 धनु (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 मकर (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

गुरु 🌟 कुंम्भ (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

शुक्र 🌟 धनु (उदित, पूर्व, वक्री)

शनि 🌟 मकर (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 वृष

केतु 🌟 वृश्चिक

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०७ से १२:५३

अमृत काल 👉 २७:५० से २९:२०

सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०६:४८ से १३:३१

विजय मुहूर्त 👉 १४:२४ से १५:१०

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:०१ से १८:२५

निशिता मुहूर्त 👉 २४:०५ से २४:५५

राहुकाल 👉 १३:५६ से १५:२१

राहुवास 👉 दक्षिण

यमगण्ड 👉 ०६:४८ से ०८:१४

होमाहुति 👉 गुरु (१३:३१ तक)

दिशाशूल 👉 दक्षिण

नक्षत्र शूल 👉 पूर्व (१३:३१ से)

अग्निवास 👉 आकाश

चन्द्रवास 👉 उत्तर

शिववास 👉 गौरी के साथ (१५:०३ से सभा में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥

१ – शुभ २ – रोग

३ – उद्वेग ४ – चर

५ – लाभ ६ – अमृत

७ – काल ८ – शुभ

॥रात्रि का चौघड़िया॥

१ – अमृत २ – चर

३ – रोग ४ – काल

५ – लाभ ६ – उद्वेग

७ – शुभ ८ – अमृत

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।

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शुभ यात्रा दिशा

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उत्तर-पश्चिम (दही का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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सीताष्टमी (जानकी जयन्ती), अष्टका श्राद्ध आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण

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आज १३:३१ तक जन्मे शिशुओ का नाम

अनुराधा नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (नू, ने) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमश: (नो, या, यी) नामाक्षर रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

कुम्भ – ३०:१८ से ०७:४४

मीन – ०७:४४ से ०९:०८

मेष – ०९:०८ से १०:४१

वृषभ – १०:४१ से १२:३६

मिथुन – १२:३६ से १४:५१

कर्क – १४:५१ से १७:१३

सिंह – १७:१३ से १९:३१

कन्या – १९:३१ से २१:४९

तुला – २१:४९ से २४:१०

वृश्चिक – २४:१० से २६:३०

धनु – २६:३० से २८:३३

मकर – २८:३३ से ३०:१४

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पञ्चक रहित मुहूर्त

अग्नि पञ्चक – ०६:४८ से ०७:४४

शुभ मुहूर्त – ०७:४४ से ०९:०८

मृत्यु पञ्चक – ०९:०८ से १०:४१

अग्नि पञ्चक – १०:४१ से १२:३६

शुभ मुहूर्त – १२:३६ से १३:३१

रज पञ्चक – १३:३१ से १४:५१

शुभ मुहूर्त – १४:५१ से १५:०३

चोर पञ्चक – १५:०३ से १७:१३

शुभ मुहूर्त – १७:१३ से १९:३१

रोग पञ्चक – १९:३१ से २१:४९

शुभ मुहूर्त – २१:४९ से २४:१०

मृत्यु पञ्चक – २४:१० से २६:३०

अग्नि पञ्चक – २६:३० से २८:३३

शुभ मुहूर्त – २८:३३ से ३०:१४

रज पञ्चक – ३०:१४ से ३०:४७

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज आपका स्वास्थ्य पुर्व में असंयमित भोजन अथवा दिनचार्य के कारण दिन के आरम्भ में कुछ नरम रह सकता है। पेट में गड़बड़ थकान होने के कारण किसी भी कार्य के प्रति पूर्ण उत्साह नही बनेगा मध्यान के समय स्थिति में सुधार आने पर आवश्यक कार्य जल्दबाजी में करेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र पर आज आपको प्रेम और सम्मान दोनो मिलेंगे। लेकिन व्यावसायिक कार्य अत्यंत धीमी गति से चलने के कारण आय भी कम ही रहेगी फिर भी आवश्यकता अनुसार हो ही जाएगी। कार्य क्षेत्र अथवा घर मे नौकरों से हर प्रकार से सावधान रहें मन का भेद ना बताये अन्यथा सम्मान हानि हो सकती है। घरेलू वातावरण थोड़े बहुत गरमा गरमी के बाद शांत हो जाएगा। पैतृक व्यवहारों अथवा व्यवसाय के चलते लघु यात्रा हो सकती है।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज का दिन लाभदायक तो है लेकिन विपरीत लिंगीय आकर्षण और स्वभाव की कामुकता किसी परेशानी में ना डाल दे इसका विशेष ध्यान रखें। दिन के आरम्भ में किसी नजदीकी से शुभ समाचार प्राप्त होगा। लेकिन पूर्व में की गई गलती के कारण मन मे भय भी बना रहेगा। कार्य व्यवसाय से धन की संतोषजनक आमद निश्चित होगी परन्तु उटपटांग खर्च भी अधिक रहने से बचत नही कर सकेंगे। व्यवसायी वर्ग प्रतिस्पर्धा के कारण कुछ समय के लिये निराश होंगे फिर भी प्रयास करते रहे आर्थिक लाभ थोड़ा थोड़ा होता रहेगा। सेहत असंयमित खान-पान के कारण बिगड़ सकती है।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन भी उतार-चढ़ाव वाला रहेगा आज आप जिस कार्य से लाभ की उम्मीद लगाए रहेंगे अंत समय मे उससे निराशा ही हाथ लगेगी लेकिन आज मेहनत करने में कसर ना रखें अन्यथा निकट समय मे होने वाले लाभ से वंचित रहना पड़ेगा कार्य व्यवसाय में दुविधा की स्थिति हानि से बाहर नही निकलने देगी अनुभवी व्यक्ति की सलाह के बाद जोखिम लेने से ना डरे इसका आने वाले समय मे कुछ ना कुछ लाभ और अनुभव मिलेगा। सहकर्मी अथवा परिजनों से नुकसान हो सकता है धर्य से समय बिताये बेवजह की कलह से दूर रहने का प्रयास करें शांति बनी रहेगी। स्वास्थ्य मानसिक विकार को छोड़ लगभग सामान्य रहेगा।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज आप अपने बुद्धि विवेक का प्रयोग कर लाभ कमाएंगे लेकिन सही समय की प्रतीक्षा अवश्य करें ऐसा ना हो असमय लिया निर्णय लाभ की जगह निराश करें। दिन के आरंभ से मध्यान तक कार्यो के प्रति लापरवाह रहेंगे लेकिन मध्यान बाद किसी वरिष्ठ की दखल के बाद स्वभाव में गंभीरता आएगी। परिश्रम भी आज अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक करना पड़ेगा लेकिन इसका लाभ निकट भविष्य में धन के रूप में मिलेगा आज धन संबंधित समस्या यथावत रहेगी। परिजन आपसे किसी ना किसी कारण से नाराज हो सकते है। सेहत का भी ख्याल रखें।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज परिस्थितियां आपके विपरीत रहने वाली है प्रत्येक कार्य सोच समझ कर करें। व्यवहारिक जगत में भी आज विवेक का परिचय दें। अधिक बोलने से बेहतर है कि मौन धारण करें कई समस्याओं से बचेंगे। आलस्य थकान के कारण कार्य प्रभावित हो सकते है ठण्ड से बचकर रहें सर्दी के कारण पीड़ा हो सकती है आज आपको अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ सकते है। घर में भी किसी बुजुर्ग की सेहत पर खर्च रहेगा। आर्थिक रूप से आज का दिन काफी दयनीय रहने वाला है। कार्य क्षेत्र पर धन की आमद होगी परन्तु लेन-देन अधिक रहने से बचत मुश्किल से ही कर पाएंगे।

यात्रा में शरीर के साथ सामान की भी सुरक्षा सुनिश्चित करें। स्त्री वर्ग से शारीरिक एवं आर्थिक सहयोग मिलेगा। चिढचिढा स्वभाव वातावरण अशान्त कर सकता है।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज का दिन सामान्य से उत्तम रहेगा लाभ के कई अवसर हाथ आएंगे लेकिन आज आपका मन काम के समय कही और भटकेगा धन के साथ विपरीत लिंगीय के प्रति अधिक आसक्त रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर धन संबंधित मामलों को मन मे चल रही उठापटक के कारण नजरअंदाज करेंगे इसके परिणामस्वरूप लाभ विलम्ब से और आशा से कम होगा। सहकर्मी और घर के सदस्य आपके लापरवाह व्यवहार से परेशान होंगे आपस मे नोकझोंक भी हो सकती है। पर्यटन मनोरंजन के अवसर मिलेंगे लेकिन उदासीन व्यवहार के कारण इनका आनंद नही ले सकेंगे। स्वास्थ्य ठीक रहेगा।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज आप दिन के पूर्वार्ध में ही योजनाबद्ध होकर कार्य करेंगे मध्यान तक परिश्रम का फल नही मिलने से थोड़े निराश भी होंगे लेकिन आज की गई मेहनत शीघ्र ही धन के साथ नए लाभ के संबंध बनाने में सहायक होगी। नौकरी वाले लोग अपने क्षेत्र पर सहकर्मियों से प्रतिस्पर्धा के बाद अव्वल रहेंगे। धन को लेकर ज्यादा परेशान ना हों आज नही तो कल अवश्य ही सकारत्मक परिणाम मिलेंगे। सरकारी कार्य आज अवश्य ही जोड़-तोड़ कर पूर्ण करने का प्रयास करें इसके बाद सहयोग तो मिलेगा परन्तु कार्य सफलता में विलंब होगा। परिजनों की मांगें असहज करेंगी टालने पर कलह हो सकती है। स्वास्थ्य में छोटे मोटे विकार लगे रहेंगे फिर भी दिनचार्य खराब नही होगी।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज आपकी मानसिकता अधिक से अधिक सुखोपभोग की रहेगी इसके लिये धन अथवा समाज की परवाह नही करेंगे। कार्य व्यवसाय मध्यान बाद तक सुचारू रूप से चलेगा इसके बाद का समय थोड़ा विघ्न बाधाओं वाला रहेगा लोग जबरदस्ती आपसे उलझेंगे। किसी भी प्रकार के अनैतिक आचरण से बचे अन्यथा निकट भविष्य में विवाद बढ़ने की संभावना है। पारिवारिक वातावरण आवश्यकता पूर्ति के ऊपर निर्भर रहेगा समय पर मांग पूरी करने पर शांति रहेगी अन्यथा गरमा गर्मी हो सकती है। सेहत संध्या बाद नरम होगी।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा लेकिन थोड़े से परिश्रम से ही अधिक पसीना और घबराहट बनेगी जिससे ज्यादा भर वाला कार्य करने में असमर्थ रहेंगे इनमे जबरदस्ती करने का प्रयास ना करें बाद में परेशानी बढ़ सकती है। काम धंधे में आज असमंजस की स्थिति रहेगी किसी पुराने निर्णय अथवा सौदे में अवश्य सफलता मिलेगी जिससे साहस बढ़ेगा लेकिन आज नए कार्यो में हाथ ना डाले अन्यथा धन के फंसने या डूबने की पूर्ण संभावना है। नौकरी पेशा आज बेहतर कार्य के लिए प्रोत्साहित होंगे। धन की आमद छोटे सौदों से आवश्यकता पूर्ति लायक आसानी से हो जाएगी बड़े लाभ के चक्कर मे धन और चैन दोनो गंवा सकते है इसलिये आज आसानी से जितना मिल जाये उसी में संतोष करें। घर मे सुख शांति बनी रहेगी भाई बंधुओ को आज संतुष्ट करना असंभव रहेगा इसे अनदेखा करना ही बेहतर है।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन शुभफली रहेगा। आप में स्वार्थ सिद्धि की भावना प्रबल रहेगी आज दिमाग में केवल पैसा ही रहेगा सामाजिक स्तर पर भी आपकी पहचान धनवानों जैसी रहेगी। कार्य क्षेत्र अथवा पारिवारिक बड़े लोगो से अपना काम बनाने के लिए दिखावे का गुस्सा करेंगे। वाणी में मिठास रहने से कार्य शीघ्र बन जाएंगे मध्यान से व्यावसायिक गतिविधियों में अत्यधिक व्यस्त रहेंगे। घरेलु कार्य भी इस कारण स्थगित करने पड़ सकते है। कार्य क्षेत्र के कारण भावनाओ को दरकिनार करेंगे जिससे परिवार में वातावरण अशान्त हो सकता है। अनुभवियों से नए कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी। विद्यार्थ एवं नौकरी पेशा जातक बेहतर प्रदर्शन करने पर सम्मान के पात्र बनेंगे। समाज के वरिष्ठ व्यक्तियों से भेंट आनंदित करेगी। सेहत छोटी मोटी बातो को छोड़ सामान्य बनी रहेगी।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज के दिन आपकी सेहत तो ठीक रहेगी लेकिन नेत्र संबंधित शिकायत रह सकती है। कार्य क्षेत्र एवं घरेलू मामलों में आज विविध समस्या एकसाथ उभरने से कुछ समय के लिये दिमाग शून्य जैसा हो जाएगा लेकिन जीवनसाथी अथवा घर के बड़े सदस्य का सहयोग मिलने से परेशानियों का कुछ हद तक हल निकाल लेंगे फिर भी किसी ना किसी कारण से असंतोष अवश्य रहेगा। कार्य व्यवसाय क्षेत्र पर आज सही निर्णय और समय पर योजना बनाने के बाद भी कमी रहेगी। आर्थिक लाभ के लिये किसी अन्य के निर्णय का इंतजार करना पड़ेगा होगा भी तो आशा से बहुत कम। समाज मे बैठे समय बोल चाल सोच समझ कर ही करें। धार्मिक भावनाएं आज स्वार्थ सिद्धि के लिए अथवा काम बनाने तक ही सीमित रहेंगी दिखावे के दान पुण्य से ना करना ही बेहतर रहेगा। आज अनैतिक संबंधों अथवा गलत संगत से दूर रहे परेशानी में पड़ सकते है।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज आपके स्वभाव में उतावलापन रहेगा पहले स्वयं ही काम के प्रति लापरवाही करेंगे बाद में जल्दबाजी करने पर गड़बड़ होगी। मध्यान तक का समय किसी अन्य के ऊपर निर्भर रहने के कारण किसी महत्त्वपूर्ण कार्य को लेकर असमंजस रहेगा दिन भर की मेहनत संध्या से रंग लाने लगेगी धन की आमद आवश्यकता अनुसार हो जाएगी लेकिन पैसा आते ही जाने के रास्ते खोज लेगा। व्यवसायी वर्ग आज संध्या बाद ही प्रसन्न नजर आएंगे। परिवार के सदस्य अनैतिक मांग मनवाने के लिये जिद करेंगे। स्वास्थ्य को लेकर भी आज आशंकित रहेंगे बाहर के खान-पान से परहेज करें।

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〰〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏