Jio या Jio के कारण सस्ते हुए डेटा का उपयोग कर अम्बानी को “चोर” बताना हमारा राष्ट्रीय चरित्र है !

 

हार्दिक सावानी

भारत में मोबाइल फ़ोन 1995 में आया। धनाढ्यों का था, 1999 में जब इनकमिंग 6 रुपये प्रति 30 सेकंड और आउटगोइंग 9 रुपये प्रति 30 सेकंड होता था। लोग आपस में आवश्यकता पड़ने पर मिस कॉल मार के पीसीओ से बात करते थे। 2002 तक इनकमिंग समाप्त हो गया था।

अटल जी की सरकार ने TRAI के नियम बदले, प्रतिस्पर्धा आरम्भ हुई। 2003 में Reliance सबसे सस्ता मोबाइल भारत में लाया। 2003 अंत तक 501 रुपए में मोबाइल और 1.5 रुपये आउटगोइंग चार्ज के साथ इनकमिंग फ्री हो गए।

मोबाइल धनाढ्यों के हाथ में स्टेटस सिंबल नही रहा। गाँव गाँव, छोटे पान गुमटी वाले, मोची, रिक्शेवाले और घरों में काम करने वाली के हाथ में मोबाइल था। रिलायंस ने CDMA तकनीकी भारत में उतारा था। 3GCDMA कहते थे।

रिलायंस का सस्ता मोबाइल जो 2 वर्ष पहले आम लोगों के लिए सपना था उसे हाथ में लेकर जनता ने 3GCDMA को एक नाम दिया था “3 गुजराती चोर धीरू, मुकेश और अनिल” सस्ता फ़ोन और सस्ते कॉल करते हुए आम आदमी अम्बानी को गाली देता हुआ प्यारा लगता था।

2016 में मुकेश अम्बानी ने Jio उतारा और डेटा कालिंग के माध्यम से सबसे सस्ती मोबाइल सेवा लोगों को दिया। पहले 6 महीने तक निःशुल्क था।

इस से पहले एक gb इंटरनेट 298 रुपये में मिलता था पर मंथ आज कल एक gb इंटरनेट की कीमत 4 रुपये प्रति दिन है ..2014 से पहले 7% लोग इंटरनेट से जुड़े थे आज 60%भारतिय लोग इंटरनेट से जुड़े है

उसी Jio का निःशुल्क डेटा या फिर Jio के कारण सस्ते हुए डेटा का उपयोग करके उसी अम्बानी को जनता “चोर” बोलकर अपने अपने वाल पोस्ट और कमेन्ट डालती है। …. यही हमारा राष्ट्रीय चरित्र है .. !!