बीर विक्रमादित्य
प्रधानमंत्री मोदी जी, आप 20 अक्टूबर 17 को केदारनाथ आ रहे हैं आपका स्वागत है। पर शंकराचार्य की समाधि बनाने का अविवेक न करें। आचार्य शंकर ही नहीं बल्कि उनके 20 पीढ़ी तक के शिष्यों की मृत्यु नहीं हुई। वे तपस्वी बद्रिकाश्रम के कलाप ग्राम में और कैलास मानसरोवर में विचरण करते हुए आज भी विद्यमान हैं। वे तपस्वी देह के बन्धन से मुक्त हो चुके हैं। ऐसे लोगों की समाधि क्यों? शायद आपके आसपास कोई विवेकवान व्यक्ति अब नहीं रह गये। यही अविवेकपूर्ण कर्म पहले स्वरूपानन्द जी ने भी किया।