दिव्या की लैब में उग रही है बेस कीमती कीड़ाजड़ी

 

हरीश मैखुरी
जिस उम्र में बच्चे खेलकूद करते है और छोटे-मोटे रोजगार के लिए जद्दोजहद करते है उस उम्र में उत्तराखंड के चमोली जिले की कंड़ारा गांव की रहने वाली दिव्या रावत ने न केवल कुछ नया करने का अनुपम उदाहरण पेश किया, बल्कि देश के राष्ट्रपति द्वारा पुरुस्कृत भी हुई। दिव्या ने अपनी उम्र के रंगीन व हसीन सपने छोड़कर जीवन की कठोर सच्चाईयों और महिलाओं के दर्द को बांटने का बीड़ा उठाया।. मशरूम गर्ल के नाम से विख्यात हो चुकी दिव्या रावत को जल्द ही अमेरिका की हिलेरी क्लिेंटन वूमन इम्पावरमेंट के क्षेत्र में पुरुस्कृत कर सकती हैं। इस बालिका ने अपने परिवार को भी प्रोत्साहित कर कुछ सदस्यों के सहयोग से अब देहरादून में आसानी से मशरूम पैदा करने की अनेक तकनीक इजाद की है। दुनिया के स्वीडन आदि अनेक ठंडे मुल्कों से प्राप्त तकनीक और शोध के आधार पर दुनियां की सबसे महंगी कीड़ाजड़ी जैसी प्रजाति भी देहरादून स्थित अपनी प्रयोगशाला में पैदा की है।

           जल्द ही इस जड़ी का व्यवसायिक स्तर पर उत्पादन भी शुरू होने की उम्मीद है। कीड़ाजड़ी का बाजार भाव 8 लाख से 18 लाख रूपया प्रति किलो तक है जबकि मशरूम भी 100 रूपये से 800 रूपये प्रति किलो तक बिक जाती है। अभी दिव्या गर्म और ठंडे मौसम की मशरूम का उत्पादन बढ़ाने के लिए अनेक महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण दे रही है। इससे इन महिलाओं की आय में वृद्धि होगी और मशरूम उत्पादन इनकी आय का एक सुनिश्चित जरिया बन सकता है। उत्तराखंड सरकार भी दिव्या को मशरूम उत्पादन के लिए सम्मानित कर चुकी है। कुल मिलाकर दिव्या ने छोटी सी उम्र में जो बड़ा मुकाम हासिल किया है वह निश्चितरूप से मोबाइल पर समय बर्बाद करने वाली नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन सकता है। और उन लोंगो के लिए भी जो 7-8 हजार रूपये प्रतिमाह की नौकरी पाने के लिए पलायन कर रहे है।