मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने बांटे पिथौरागढ़ जुम्मा आपदा प्रभावितों को राहत राशि के चैक, उत्तराखंड में वेरिएंट के AY.12 स्‍ट्रेन का पहला केस सामने आने से हड़कंप, रानीपोखरी के टूटे हुए पुल पर गरमाई राजनीति सरकार ने स्थाई पुल बनने तक दिए अस्थायी वैकल्पिक पुल बनाने के निर्देश

✍️ हरीश मैखुरी

मंगलवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने पिथौरागढ़ जनपद के सीमांत तहसील धारचूला के आपदा प्रभावित क्षेत्र ग्राम जुम्मा पंहुचकर विगत दिनों क्षेत्र में हुई भारी वर्षा से हुई क्षति का जायजा लिया गया, तथा आपदा प्रभावितों से मिले व उनका हाल जाना। इस दौरान उन्होंने जुम्मा के जामुनी तोक में आपदा से लापता व्यक्तियों की खोजबीन हेतु चलाए जा रहे रेस्क्यू कार्य का भी जायजा लिया गया। इस दौरान उन्होंने आपदा प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण कर नुकसान का जायजा भी लिया गया। उन्होंने जुम्मा के एलागाड़ स्थित
एसएसबी कैम्प में जुम्मा के जामुनी एवं सिरौउयार तोक के आपदा प्रभावितों से मिलकर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए दुःख व्यक्त किया गया।
       मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार दुःख की इस घड़ी में उनके साथ खड़ी है। इस दौरान प्रभावित परिवारों को प्रति मृतक 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता का चेक प्रदान किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि 1 लाख रुपये की अतिरिक्त धनराशि प्रति मृतक मुख्यमंत्री आर्थिक सहायता कोष से भी परिवार को सहायता के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने आपदा पीड़ितों को आस्वस्त कराया कि सरकार इस दुःख की घड़ी में उनके साथ खड़ी है। उनकी हर संभव मदद की जाएगी।
       इसके उपरांत मुख्यमंत्री  पर्यटक आवास गृह धारचूला पहुंचकर स्थानीय लोगों से मिले और उनकी समस्याएं भी सुनी। इससे पूर्व जुम्मा में आपदा की घटना में मृतक व्यक्तियों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शान्ति के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया। इसके उपरांत उन्होंने धारचूला नगर के नो गांव(तरकोट),मल्ली बाजार के आपदा पीड़ित परिवार से मुलाकात कर उन्हें हर सम्भव मदद करने की बात करते हुए जिलाधिकारी को आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र का भू गर्भीय परीक्षण कराते हुए सुरक्षा के कार्य कराए जाएंगे। इस दौरान उन्होंने क्षेत्रीय जनता की समस्याएं भी सुनी। उन्होंने बरम के गोगोई में भू कटाव को रोके जाने हेतु सुरक्षा दीवार का निर्माण करने की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि दुःख की घड़ी में सरकार प्रभावितों के साथ खड़ी है । हर सम्भव मदद की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी एक माह हेतु क्षेत्र में हैलीसेवा को बढ़ा दिया गया है। आवश्यकता पड़ने पर इसे आगे भी बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिथौरागढ़ से हवाई सेवा सुचारू किए जाने हेतु भी प्रयास जारी है। उन्होंने कहा कि धारचूला काली नदी किनारे तटबन्ध निर्माण हेतु सिंचाई विभाग द्वारा तैयार 42 करोड़ की धनराशि के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान हेतु शासन से कार्यवाही की जाएगी।
    अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्र में आपदा से बंद क्षतिग्रस्त सड़कों को शीघ्रता से खोलना हमारी प्राथमिकता है । उन्होंने कहा कि क्षेत्र में तीन मांह हेतु खाद्यान्न की आपूर्ति की जा चुकी है,जहां खाद्यान्न की कमी होगी उन क्षेत्रों में हैलीकॉप्टर से खाद्यान्न पंहुचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में चिकित्सकों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने आपदा के दौरान प्रशासन द्वारा किए गए त्वरित कार्य हेतु जिलाधिकारी एवं उनकी समस्त टीम की सराहना करते हुए कहा कि आपदा विभाग 24 घंटे कार्य कर रहा है।
        मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया का पहला देश है जहां सबसे अधिक वैक्सीनेशन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कोरोना कम हुआ है पर खत्म नहीं हुआ है। सभी लोगों से अपील है कि वह कोविड नियमों का अनुपालन अवश्य करें। उन्होंने कहा कि अगले 4 महीने में प्रदेश में शत प्रतिशत कोविड वैक्सीनेशन कर लिया जाएगा। केन्द्र से उत्तराखंड को 20 लाख वैक्सीन उपलब्ध करा दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी अधिकारी कार्यों को सरलीकरण करते हुए उनका समाधान कर त्वरित निस्तारण करना सुनिश्चित करें ताकि निचले स्तर की समस्याओं के निस्तारण हेतु लोगों को तहसील, जिला एवं राज्य स्तर तक न आना पड़े। उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों का भू गर्भीय परीक्षण कर सुरक्षा एवं पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि धारचूला के ग्वाल गांव में सुरक्षा के कार्य किए जाएंगे। व्यास खोतिला के भू कटाव की सुरक्षा हेतु धनराशि दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार जो भी घोषणा कर रही है उसे धरातल पर अवश्य ही साकार कर रही है। इस दौरान क्षेत्रीय सांसद अजय टमटा ने कहा कि सरकार इस दुःख की घड़ी में आपदा प्रभावितों के साथ है। उनकी हर संभव मदद की जाएगी।
         भ्रमण के दौरान  सांसद श्री अजय टम्टा, जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान,पुलिस अधीक्षक सुखबीर सिंह,क्षेत्र प्रमुख धन सिंह धामी,अध्यक्ष नगर पालिका राजेर्श्वरी देवी,प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी आशीष पुनेठा,  सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि, जनता व विभागों के अधिकारी आदि मौजूद रहे।

उत्तराखण्ड में भी डेल्‍टा वेरिएंट के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। देश की जनता डेल्‍टा वेरिएंट से ही जूझ रही थी कि डेल्‍टा वेरिएंट के भी वेरिएंट अब देश के अलग अलग हिस्‍सों में मिलने लगे हैं।

महाराष्‍ट्र, केरल और तमिलनाडु के बाद उत्‍तराखण्ड और पंजाब भी इस लिस्‍ट में शुमार हो चुका है। पौड़ी गढ़वाल जिले (Delta Variant AY.12) के कोटद्वार शहर में डेल्‍टा वेरिएंट के AY.12 स्‍ट्रेन का पहला केस सामने आया है।

प्रदेश के स्‍वास्‍थ्‍य विभाग का कहना है “जरूरी गाइडलाइंस जारी कर दी गई हैं और मरीज को अपने घर पर ही आइसोलेशन में रखा गया है। मेडिकल टीम लगातार मरीज की निगरानी कर रही है। मरीज के संबंध में आए लोगों को भी ट्रेस किया जा रहा है।” 

वहीं निम के पूर्व अधिकारी रहे कर्नल अजय कोठियाल ने उत्तराखंड सरकार को सुझाव दिया है कि “27 अगस्त को देहरादून को पहाड़ों से जोड़ने वाले मोटर मार्ग पर डोईवाला- ऋषिकेश के बीच,जाखन नदी पर बना बड़ा पुल टूट गया…5 दिन हो गए पर अभी तक कोई सलूशन नहीं निकल पाया।
गैर कानूनी तरीके से हो रहे खनन के कारण यह हादसा हुआ है। सर्वे होगा, वैकल्पिक मार्ग बनेगा पानी कम होने के बाद, डीपीआर बनेगी…इस प्रकार की बातें हो रही है। ऐसे शब्द जनता में आशंका पैदा कर रहे हैं।जनता विचलित है… डर रही है।
जनता हमसे भी पूछ रही है कर्नल साहब आप क्यों नहीं कुछ करते, जैसा आप ने केदारनाथ पुनर्निर्माण के दौरान करा था।

हमारा सरकार को यह सुझाव है…
2013 की केदारनाथ आपदा के बाद जब हमने 2014 में केदारनाथ पुनर्निर्माण का कार्य शुरू किया था तो महज 48 घंटे में एक 30 मीटर लंबा बैली ब्रिज लगाया था। यह ब्रिज 11000 फीट की ऊंचाई पर भारी बर्फ, माइनस तापमान में लगाया गया था। इसको लगाने के लिए सरकारी एजेंसी 35 से 40 दिन बोल रही थी। सरकार हम को काम करने के लिए बुलाए। हम साइलेंट रहकर इस कार्य को तरतीबवार कर देंगे…No Politics….गाड़ियों का movement एकदम शुरू हो जाएगा और जनता का विश्वास भी सरकार पर बढेगा… बस 48 घंटे में।
अगर केदारनाथ आपदा जैसी विपरीत परिस्थितियों में यह कार्य हो सकता है तो देहरादून में तो आसानी से हो जाएगा।
Roller और Counter weight वाली military तकनीक से यह कार्य करा जाएगा…जैसे केदारनाथ में करा था।
उत्तराखंड की जनता के हित में सरकार हमारे इस सुझाव को गहराई से सोचे।

आपदाएं हम नहीं रोक सकते पर आपदा से लड़ने का तरीका हम जरूर बना सकते हैं… हम सब ने मिलकर ऐसा करना है।
( केदारनाथ में ब्रिज बनने का छवि चित्र)

बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने कल ही  रानीपोखरी पहुंचकर क्षतिग्रस्त हुए पुल का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को शीघ्रातिशीघ्र नव-निर्माण प्रक्रिया को आरंभ करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह पुल केवल देहरादून ही नहीं अपितु समस्त गढवाल व बागेश्वर, पिथौरागढ जनपद को भी जोड़ता है।क्षतिग्रस्त पुल के नव-निर्माण हेतु जिलाधिकारी एवं संबंधित अधिकारियों को पहले ही निर्देशित किया जा चुका है। ताकि जनता को आवागमन में ज्यादा समय तक दिक्कतों का सामना ना करना पड़े।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी क्षतिग्रस्त पुराने पुल का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि टूटने के दो ही कारण हो सकते हैं, एक उसके चारों तरफ हो रहा अवैध खनन और दूसरा यह हो सकता है कि उसकी सेफ्टी ऑडिट न हुआ हो और पुल कमजोर हो गया हो। लेकिन जहां तक मुझे लगता है, ये पुल खनन के कारण टूटे हैं। उन्होंने कहा कि एक पुल पहले गौला में भी टूटा था और भी बहुत सारे जगह जो पुलों को क्षति हुई है, हरीश रावत ने कहा कि अधिकांश मामलों में पुल क्षेत्र में हो रहे खनन के सामने आये हैं।