गोपेश्वेर महाविद्यालय को दफना कर बनेगा कैम्पस

डाॅ हरीश मैखुरी 

हाल ही में उत्तराखण्ड सरकार ने गोपेश्वर में श्रीदेव सुमन गढ़वाल विश्वविद्यालय कैम्पस का शासनादेश जारी किया है, लेकिन इसे 50 साल पुराने स्नातकोत्तर महाविद्यालय को शहीद कर बनाया जायेगा।   नये कैम्पस का स्वागत है लेकिन जो गलती पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी ने 60 साल पुराने गढ़वाल विश्वविद्यालय को खत्म करके उस पर केंद्रीय विश्वविद्यालय का बोर्ड चस्पा करके की, वही गलती गोपेश्वर के 50 साल पुराने स्नातकोत्तर महाविद्यालय को खत्म करके यहाँ कैंपस कॉलेज बनाने से होगी। इसलिए सुझाव है कि कैंपस कॉलेज का स्वागत किया जाना चाहिए,  लेकिन उस कैंपस कॉलेज को अलग से बनाइए और इस महाविद्यालय को भी ज्यों का त्यों रहने दें । यदि आज हमारे पास गढ़वाल यूनिवर्सिटी बनी रहती और वो फुल्ली फंडेड केंद्रीय विश्वविद्यालय हम गैरसैंण, देहरादून, हल्द्वानी या अल्मोड़ा में कहीं और बना सकते तो एक अलग उपलब्धि ही होती, और  हमारे पास चौथा अलग विश्वविद्यालय भी होता, लेकिन खंडूरी जैसे नानप्लानर आदमी ने इतना पुराना गढ़वाल विश्वविद्यालय खत्म कर दिया, यदि यही  केन्द्रीय विश्वविद्यालय यदि गैरसैंण में बनता गढ़वाल कुमायूंका मेलजोल गाढ़ा होता। वहीं अब गोपेश्वर का इतना पुराना महाविद्यालय खत्म करने की साजिश चल रही है। इसलिए मेरा सुझाव है कि कैंपस कॉलेज अलग से बनाया जाए फिलहाल उसे ला कालेज पर पटियाल धार के टीवी हॉस्पिटल पर या SSB कैंपस पर या गोपेश्वर गांव के पल्ले तरफ या मंदिर की खाली जमीन पर भी बनाया जा सकता है। लेकिन इस महाविद्यालय का श्रीदेव सुमन कैम्पस में मायोजन एक अक्षम्य ऐतिहासिक भूल होगी।