बारह साल की उम्र में ‘व्यास’ बन गए आयुष

मधू डोभाल की कलम से

बारह साल की उम्र में ‘व्यास’ बन गए आयुष

उत्तरकाशी के नौगांव ब्लॉक के कंडाऊ गांव निवासी 12 वर्षीय आयुष कृष्ण नयन। इस अवस्था में नयन श्रद्धालुओं को श्रीमद भागवत कथा का श्रवण कराकर खासे आकर्षण का केंद बन गये हैं!
उत्तरकाशी,: उम्र महज 12 साल मगर खास बात यह कि आयुष कृष्ण नयन को श्रीमद भागवत के 18 अध्याय याद हैं तथा वेदों की अच्छी जानकारी है। आयुष कृष्ण नयन ने अभी तक दस से अधिक स्थानों श्रीमद भागवत कथा का वाचन कर दिया है!

उत्तरकाशी के नौगांव ब्लॉक के कंडाऊ गांव निवासी 12 वर्षीय आयुष कृष्ण नयन। जो उम्र बालकों की खेलने कूदने की होती है, उसी अवस्था में नयन श्रद्धालुओं को श्रीमद भागवत कथा का श्रवण कराकर उनके आकर्षण का केंद बनते हैं। जिस बाल्या अवस्था में अन्य बालक गुरुजनों, माता-पिता और बड़ों का आशीर्वाद लेकर जीवन की सीख लेते हैं, उसी उम्र में कथावाचक नयन श्रद्धालुओं को परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग बताते हैं!

नयन अब तक वृंदावन, अयोध्या और उज्जैन सहित कई राज्यों में 10 से अधिक श्रीमद भागवत कथाएं कर चुका है। कथावाचक आयुष कृष्ण नयन ने बताया कि जनवरी 2005 में उनका जन्म हुआ था। पिता दिनेश नौटियाल शिक्षा मित्र हैं और मां नीलम देवी एक गृहिणी है। इकलौती संतान होने के कारण जागृति संस्थान नौगांव में उन्होंने कक्षा पांच तक की पढ़ाई की। आगे की पढ़ाई के लिए 2014 में नवोदय में प्रवेश लिया। लेकिन उन्होंने स्कूल में प्रवेश न लेकर वेद, पुराण की शिक्षा के लिए वृंदावन की ओर रुख कर दिया!

नौ वर्ष की आयु में उन्होंने वृंदावन स्थित शालीकराम आश्रम में 11 महीने तक श्रीमदभागवत कथा का अध्ययन किया। आश्रम में रामकृपाल दास महाराज ने उन्हें श्रीमद भागवत की शिक्षा-दीक्षा दी। वृंदावन में उन्होंने पहली भागवत कथा का श्रवण कराया। आयुष कृष्ण नयन ने बताया कि कथावाचक बनने की प्रेरणा उन्हें दादी जलमी देवी और दादा महिमानंद से मिला।

उन्होंने बताया बचपन से ही उनके दादा-दादी उन्हें भगवान राम और कृष्ण की कथाएं सुनाते थे। जिससे उनका मन इस ओर मुड़ गया और यह उनका ही आशीर्वाद है कि वह आज लोगों को श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करा रहे हैं!