हरीश मैखुरी
बद्रीनाथ यात्रा मार्ग पर विष्णुप्रयाग के निकट हाथी पहाड़ से कल चट्टान टूटने से अवरूद्व यात्रा मार्ग को खोलने में प्रशासन के पसीने छूट गए हैं। कल दिन सूखे मौसम के बावजूद हुए भूस्खलन से बंद इस मार्ग को खोलने हेतु सीमा सड़क संगठन का काम युद्वस्तर पर जारी है। जिला पुलिस एंव यात्रा प्रशासन भी मौके पर मुस्तैद है, लेकिन 50 मीटर में फैले इस मलबे ने दो दिन से बद्रीनाथ यात्रा ठप्प कर रखी है। जानकारी के अनुसार आज देर सांय तक यात्रामार्ग के खुलने की सम्भावना है। जिलाधिकारी आशीष जोशी ने घटना स्थल पर पहुॅचकर स्थिति का जायजा लिया तथा बीआरओ अधिकारियों से वार्ता कर आवश्यक दिशा निर्देश दिये।
हालांकि जिलाधिकारी ने राहत बचाव के लिए तत्काल प्रभाव से आपदा राहत मद से 5 लाख, 60 हजार रुपये की धनराशि अवमुक्त कर दी है। उन्होंने कहा कि सभी यात्रियों को सुरक्षित स्थानों तक पहुॅचाया जा चुका है तथा रिलीफ शिविरों में उन्हें आवश्यक सुविधाऐं उपलब्ध करायी जा रही है और यात्रियों की हर सम्भव मदद की जा रही है। जोशीमठ में जीआईसी, जीजीआईसी, नगर पालिका, ब्लाक, तहसील, गुरूद्वारा तथा गोवन्दि घाट, विष्णुप्रयाग में राहत शिविर लगाये गये है।
जिला प्रशासन की ओर से यात्रामार्ग पर यात्रियों के लिए जगह-जगह राहत शिविर लगाये गये है। जिसमें यात्रियों को नास्ता, चाय, पानी, भोजन व्यवस्था के साथ-साथ प्राथमिक उपचार की सुविधा दी जा रही है। यात्रियों को घटना स्थल से राहत शिविर तक पहुॅचाने के लिए एनटीपीस, टीएचडीसी तथा जेपी कम्पनी के वाहनों को लगया गया है।
राहत शिविर में जिला आपदा प्रबन्धन टीम द्वारा यात्रियों को हर सम्भव मदद दी जा रही है। अभी तक प्रशासन द्वारा 900 सौ लोगों को दिन का खाना खिलाया जा चुका है। जीजीआईसी जोशीमठ में 300 तथा पेट्रोल पम्प जोशीमठ के निकट 600 यात्रियों को दिन का भोजन कराया जा चुका है। जीआईसी में एनएसएस के बच्चों द्वारा यात्रियों को पहुॅचाने में मदद की जा रही है तथा उन्हें पेयजल, भोजन व ठहरने की व्यवस्था में यात्रियों को मदद दी जा रही है।
भले ही इस भूस्खलन में जानमाल का नुकसान नहीं हुआ, फिर भी जिन यात्रियों के पास समय और धन की कमी है और जिन्होंने किमी0 और समय के हिसाब से वाहन बुक कर रखे हैं उनके ऊपर यह भूस्खलन कहर बनकर ही टूट रहा है। समय और पैसा आज समय की सबसे बड़ी कमजोरी है। जिन यात्रियों की तत्काल हवाई टिकट और विदेश यात्रा प्रस्तावित है उन्हें भी भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।