आस्था’ से भी खुलता है विकास का ‘रास्ता

‘आस्था’ से भी खुलता है विकास का ‘रास्ता’ 

   आस्था से भी सार्वजनिक हित का रास्ता खुलता है। ये सिद्ध किया है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने। उनकी आस्था का ही परिणाम है कि वर्ष 2013 की आपदा से बुरी तरह प्रभावित हुई चारधाम यात्रा अब तेजी से पटरी पर लौटने लगी है। पहले उन्होंने जल प्रलय से उजड़ चुके केदारनाथ धाम (केदारपुरी) का पुनर्निर्माण करवाया और अब बदरीनाथ को स्मार्ट स्प्रिचुअल सिटी बनाने की योजना को धरातल पर उतारा जा रहा है। प्रधानमंत्री वो हर काम कर रहे हैं जिससे चारधाम यात्रा को चरम पर पहुंचाया जा सके। 

    याद करिए ! जून 2013 में दैवीय आपदा ने केदारनाथ धाम में तांडव मचा दिया था। अन्य तीन धामों से जुड़े मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गए थे। ऐसा वातावरण बन गया था कि उत्तराखण्ड अब पर्यटन और तीर्थाटन के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है। उस समय नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। सबसे पहले उन्होंने ही आपदा से जूझ रही देवभूमि की सुध ली और उत्तराखण्ड सरकार से केदारनाथ के पुनर्निर्माण का प्रस्ताव रखा। तब उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद 2014 में देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने केदारनाथ के पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाया। अभियान बनाकर उसे पूरा किया। इसी मध्य मोदी पांच बार केदारनाथ आए और देश और दुनियां के लोगों को ‘सुरक्षित उत्तराखण्ड’ का संदेश देते रहे। इसमें कोई दोराय नहीं कि मोदी अपने आप में एक बड़े ब्रांड एम्बेसडर हैं। उनके द्वारा किया गया प्रोमोशन फीका नहीं पड़ता। उनकी इन यात्राओं से श्रद्धालु उत्तराखण्ड आने लगे और हर वर्ष यात्रियों की संख्या बढने लगी। इस बार पुराने सभी रिकार्ड ध्वस्त करते हुए 40 लाख से ज्यादा श्रद्धालु अब तक चारधाम यात्रा पर पहुंच चुके हैं। अब एक बार फिर 21 अक्टूबर को मोदी का केदारनाथ और बदरीनाथधाम आने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। 

 वास्तव में, प्रधानमंत्री मोदी उत्तराखण्ड के लिए चारधाम यात्रा का महत्व समझते हैं। वे जानते हैं कि चारधाम यात्रा की व्यापकता केवल आस्था तक सीमित नहीं है। ये यात्रा तमाम उत्तराखण्डियों की आजीविका के लिए वरदान भी है। लाखों लोगों की रोजीरोटी इससे जुड़ी हुई है। इस महत्व को समझते हुए प्रधानमंत्री मोदी चारों धाम केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री में बुनियादी सुविधाओं का भी विस्तार कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो। केन्द्र सरकार चाराधामों में बुनियादी सुविधाओं के बेहतरी के लिए अब तक तकरीबन 709 करोड़ की राशि खर्च कर चुकी है। भविष्य के रोडमैप के तहत ही चारधाम ऑल वेदर प्रोजेक्ट से राज्य की सड़कों को सुरक्षित सफर के लिए तैयार किया जा रहा है। 12072 करोड़ रुपये की लागत से कुल 825 किमी सड़क का निर्माण इस परियोजना के अंतर्गत हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की दूरगामी सोच के चलते ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल परियोजना का काम युद्धस्तर पर जारी है। यह देश का फ्लैगशिप प्रोजेक्ट है। करीब 16 हजार करोड़ रुपये लागत की 125 किलोमीटर लंबा यह प्रोजेक्ट सामरिक दृष्टि से भी बेहद अहम है। चौड़ी और सुरक्षित सड़कें बनने से निश्चित रूप से चारधाम में यात्रियों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। जो निरन्तर नया रिकार्ड बना रही है। अब पहाड़ के लोगों को ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन तैयार होने का तत्परता और उत्सुकता है।