जहाँ घेस से आगे देश नहीं और हिमनी से आगे चिमनी नहीं, वहां कुटकी महोत्सव

केन्द्रीय आयुष मंत्री श्रीपाद नाईक और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पंहुचे कुटकी महोत्सव में घेस। 
रिपोर्ट  -हरीश मैखुरी / संदीप कुमार आर्यन 
जनपद चमोली का अन्तिम गांव घेस अब मटर के साथ ही बेशकीमती आयुर्वेदिक जड़ी कुटकी के लिये भी अपनी खास पहचान बनाने जा रहा है जिसकी शुरूवात मुख्यमंत्री ने घेस गांव से कुटकी महोत्सव के रूप में शुरु की, इस दौरान उनके साथ केन्द्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नायक भी मौजूद रहे
घेस से आगे देश नहीं और हिमनी से आगे चिमनी नहीं, चमोली जिले के अति पिछड़े क्षेत्रों में घेस हिमनी को लेकर ये कहावत आम रही है मगर अब ग्रामीणों के प्रयास व सरकार के सहयोग से घेस गांव में जहाँ आजादी के बाद पहली बार बिजली का बल्ब जला बल्कि विशेष प्रजाति की आयुर्वेदिक जड़ी कुटकी के लिये पहचाना जाने लगा है  ग्रामीणों द्वारा इस क्षेत्र में कुटकी की खेती की जा रही है जो मौसमी फसलों से कई गुना मंहगें दामों में बिकती है। अब इसको बेहतर बाजार मिल सके तथा इसकी खेती का प्रचार हो सके इसी के लिये सरकार ग्रामीणों द्वारा यहां केन्द्रीय आयुष मंत्रालय के सहयोग से कुटकी महोत्सव का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अथिति के रूप में केन्द्रीय आयुषमंत्री श्रीपद नायक व मुख्यमंत्री ने शिरकत  की ,इस दौरान  सीएम रावत ने कहा कि जिस तरह से ग्रामीणों द्वारा कुटकी का उत्पादन किया जा रहा है उसको बेहतर बाजार दिलाना सरकार की जिम्मेदारी है ताकि ग्रामीणो को और भी अधिक दाम मिल सके, इस दौरान केन्द्रीय मंत्री ने कहा  कि केन्द्र सरकार का मकसद किसानों की आय दोगुनी करने का है वैसे भी विश्व बाजार में भारतीय जड़ी बूटियों की अधिक मांग बढ़ रही है।मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि “चीन सीमा से सटा देश का सीमांत गांव ‘घेस’ चहुंमुखी विकास की राह पर दौड़ पड़ा है।
 आजादी के 70 साल बाद इस गांव में बिजली पहुंची है। आज इस विद्युतीकरण योजना का लोकार्पण किया
 घेस क्षेत्र के लिए ₹74.8लाख की लागत की पेयजल योजना, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय का लोकार्पण किया।
 घेस क्षेत्र में राष्ट्रीय जड़ी बूटी संस्थान खोला जाएगा, इसकी स्वीकृति केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपाद नाईक जी ने दी।
 घेस क्षेत्र में कुटकी महोत्सव के दौरान जड़ी बूटी प्रदर्शनी लगाई गई है। जड़ी बूटी इस क्षेत्र के लोगों की अजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं”
जनपद के दूरस्थ गांव घेस में हुये कुटकी महोत्सव से जहां ग्रामीण काश्तकार आशावान है, काश्तकार मंजू कहती हैं कि” अब मटर के बाद कुटकी के अधिक व्यापार और अच्छे दाम मिलने की उम्मीद है। 
        प्रदेश सरकार व  ग्रामीणों के सयुंक्त प्रयास से आयोजित कुटकी महोत्सव के माध्यम से जहां कुटकी जड़ी के उत्पादन व विपणन को लेकर अब सरकार द्वारा आर्गेनिक लैंड सर्टिफिकेट दिया जायेगा इससे भविष्य में कुटकी उत्पादकों को बेहतर बाजार व उचित दाम  मिल सके।