सरकार की जेब ढीली, तनख्वाह बांटने के लिए भी 300 करोड़ का लिया कर्ज

सेवारत और सेवानिवृत्त कार्मिकों की पगार बांटने में ही राज्य सरकार के दम फूल रहे हैं। इसी माह दोबारा बाजार से कर्ज लिया जा रहा है। सरकार 300 करोड़ का कर्ज उठाएगी। कर्ज का मर्ज राज्य सरकार के लिए जी का जंजाल बन चुका है। संसाधन सीमित और आमदनी बढ़ाने के उपायों की सुस्त चाल के बीच कार्मिकों की पगार का बोझ साल-दर-साल बढ़ रहा है। वेतन-भत्ते, मानदेय, पेंशन के बढ़ते बोझ की वजह से इस वित्तीय वर्ष के पहले महीने यानी बीते अप्रैल माह से राज्य सरकार को लगातार बाजार से कर्ज उठाना पड़ रहा है।

आठवें माह यानी नवंबर में बीती 13 तारीख को 300 करोड़ का कर्ज लिया जा चुका है। अब फिर 300 करोड़ कर्ज लिया जा रहा है। इस माह कुल 600 कर्ज लेने के साथ ही बाजार से कर्ज बढ़कर 4750 करोड़ हो जाएगा।

गौरतलब है कि बाजार से कर्ज का आंकड़ा 4750 करोड़ तक पहुंच रहा है। दिसंबर माह से पहले ही तय सीमा से ज्यादा कर्ज लेने की नौबत आने से सरकार के माथे पर बल पड़े हैं। इस वजह से सातवें वेतनमान के भत्ते देने का साहस सरकार जुटा नहीं पा रही है। उधर, केंद्र ने राहत देते हुए बाजार से लिए जाने वाले कर्ज की सीमा बढ़ा दी है। राज्य सरकार चालू वित्तीय वर्ष के आखिरी माह यानी मार्च तक 2400 करोड़ और कर्ज ले सकेगी।