विष्णु-मोहन-भजन… इनके सलेक्शन पर इतना आश्चर्य क्यों? ये तो नयी पीढ़ी को अवसर है 

विष्णु-मोहन-भजन… इनके सलेक्शन पर इतना आश्चर्य क्यों? ये तो नयी पीढ़ी को अवसर है 
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कैडर बेस्ड आर्गेनाइजेशन में ऐसा ही होता है… आप हम केवल उन्ही चेहरों को जानते हैँ जो पहले से किसी ना किसी पद पर हों… लेकिन संगठन इससे बहुत ऊपर की चीज है.. इसकी कार्यप्रणाली और तंत्र में कई लोग ऐसे होते हैँ जो बेहद महत्वपूर्ण तो होते हैँ लेकिन नेपथ्य में रहते हैँ.. जब समय आता है इन्हें सामने ला जिम्मेदारी दी जाती है..
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ये तीनों संघी हैँ.. और भाजपा संगठन में भी सालों-साल घिसे हुए हैँ.. पार्टी की अपनी एक पॉलिसी है.. हर राज्य और विभाग की वर्किंग के लिए SOPs हैँ..उन्हें बस पॉलिसी और SOPs को लागू करना है.. हाँ लागू करना और सफल बनाना उनके कौशल पर है..और इसके लिए ये लोग सालों से राडार पर होते हैँ. सालों पहले इनका प्रारब्ध लिख दिया गया होता है..
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भजनलाल से बड़ा सरप्राइज वो था जब मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री घोषित किया गया. भजनलाल को कम से कम पूरा राजस्थान जानता तो है. मोदी तो आधे से ज्यादा गुजरातियों के लिए भी सरप्राइज थे..तब भी एक से एक कद्दावर नेताओं को अनदेखा कर इन्हें वरीयता दी गई..
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आज मोदी शाह आपको सरप्राइज दे रहे हैँ.. तब अटल अडवाणी दिया करते थे.. आने वाले समय में कोई और होगा..
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आपको क्या लगता है कि भजनलाल को 56 साल की उम्र में पहली बार MLA का चुनाव यूँ ही लड़वाया गया.. वो भी भाजपा की सबसे सुरक्षित सीट से पहले वाले का टिकट काटकर… माने कि शीर्ष नेतृत्व हर हाल में बिना रिस्क लिए चाहता था कि भजनलाल MLA बनें.. सब पहले से निश्चित था बस किसी का ध्यान नहीं गया…
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अगर ये ऐसे चुने गए हैँ तो इनमें कोई ना कोई विशेषता तो होगी ही और आने वाले सालों में इस बात की पुष्टि भी हो जायेगी….