नहीं रहे विकास पुरूष नारायण दत्त तिवारी

हरीश मैखुरी 

पंडित नारायण दत्त तिवारी जी ने आज दिल्ली के मैक्स चिकित्सालय में 2:50 मिनट पर आख़िरी साँस ली। उनका जन्म 18 अक्तूबर 1925 को कुमाऊं में नैनीताल जनपद के बलूटी गांव में एक बहुत ही सामान्य परिवार में हुआ उनके पिता का नाम पूर्णानन्द तिवारी था। यदि तब वे नैनीताल सीट पर लोकसभा चुनाव जीत जाते तो देश के प्रधानमंत्री होते। वे देश के वित्त मंत्री सहित आधा दर्जन विभिन्न पदों और मंत्रालयों में रहे 3 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और उत्तराखंड राज्य बनने के बाद उत्तराखंड की चुनी हुई सरकार के पहले मुख्यमंत्री रहे। उनके कार्यकाल में उतराखंड ने औद्योगीकरण और विकास के नये कीर्तिमान स्थापित किये। सिडकुल हरिद्वार, पंतनगर और काशीपुर इंडस्ट्रियल एरिया, और देहरादून के आई पार्क और सेलाकुई इंडस्ट्रियल एरिया, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज, दून युनिवर्सिटी, उत्तराखंड टैक्निकल युनिवर्सिटी, उत्तराखंड स्वस्थ निदेशालय, पर्यटन निदेशालय, विश्वकर्मा भवन जैसे 100 से अधिक बड़े संस्थान, 100 पाली टैक्नीक, 100 से अधिक इन्टर कालेज, दून और अल्मोड़ा होटल मैनेजमेंट संस्थान, हरिद्वार रामनगर हल्द्वानी रोड़ सहित सैकड़ों मोटर सड़कें, डोईवाला रेलवे फ्लाई ओवर ब्रिज सहित 100 से अधिक बड़े मोटर पुल उन्हीं की देन हैं । तिवारी जी स्वतंत्रता आन्दोलन के सिपाही रहे। 1942 में वे आन्दोलनकारी के रूप में गिरफ्तार कर लिये गये और 1994 में छूटे। तब से लेकर आज तक तिवारी जी ने सिर्फ राजनीतिक जीवन जिया, इतने बड़े पदों पर रहे लेकिन उनके सारे जीवन की कुल सम्पति 1968 माॅडल की एम्बेसडर कार और 1लाख 68 हजार की नकदी है, वे अपनी जेब में कभी पैंसे नहीं बल्कि लोगों के पत्र रखते थे। एक बार जब मैं मंदिर में दर्शनों के लिए आये तिवारी जी की कवरेज कर रहा था तो मुझे आश्चर्य हो रहा था कि उन्होंने पुजारी के हाथ पर दक्षिणा रखने के लिए भी अपने निजी सचिव आर्येंन्दर से 100 रूपए लिए। वे बहुत अच्छे गायक थे और बैठकी होली गाते थे। उनके लखनऊ और तिलक मार्ग दिल्ली आवास पर मुझे भी बैठकी होली पर उनकी गायकी सुनने का सौभाग्य मिला। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में जब वे गोपेश्वर आये तो पहले पूरे पुलिस मैदान घूम कर लोगों का अभिवादन किया तब मंच पर आये। उमेश डोभाल स्मृति समिति के ऋषिकेश सम्मेलन में तिवारी जी ने 10 लाख रुपये कोष बनाने के लिए दिए उसी के व्याज से आज यह समिती उत्तराखंड में अनेक जन हित के कार्यक्रम चलाती है। वे फरिययादियों की मुख्यमंत्री कोष से दिल खोल कर मदद करते थे। उत्तराखंड के कुल 60 करोड़ के वार्षिक बजट को नारायण दत्त तिवारी ने 6000 करोड़ का आकार दिया। जब भी वे दिल्ली जाते उत्तराखंड को मालामाल बना कर आते। आज अंतिम समय उनकी सेवा में उनके पुत्र शेखर तिवारी पत्नी उज्जवला तिवारी सहित अनेक पारिवारिक जन और सहयोगी रहे। नारायण दत्त तिवारी जैसे कद्दावर नेता पैदा होना उत्तराखंड की धरती के लिए गर्व की बात है आज उनके जाने से राज्य और देश की अपूर्णीय क्षति हुई है। उनका अंतिम संस्कार हल्द्वानी काठगोदाम में 21 अक्टूबर को किया जायेगा। उत्तराखंड सरकार ने उनकी मृत्यु गहरा शोक व्यक्त करते हुए तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। पंडित तिवारी जी को हृदय की गहरायों से भावभीनी श्रद्धांजलि… हरीश मैखुरी