नशे की गिरफ्त में फंसता उत्तराखण्ड

 

 

हरीश मैखुरी

उत्तराखण्ड को ड्रग के तस्करों ने किस हद तक अपनी चपेट में ले लिया है यह बात जांच एजेंसियों के अलावा सब जानते हैं। समझा जा रहा है कि संबधित एजेंसियों को ड्रग माफिया उपरी स्तर पर ही मैंनेज कर लेता है इसलिए चीन की हसीस, नेपाल की चरस, बंगला देश की कोकीन और विदेशी स्मैक यहां गली-मोहले के टीन एजरों के पास आसानी से देखने को मिल जाएगी। कभी-कभी स्थानीय पुलिस और जांच एजेंसियों की नीजि सक्रियता के कारण ऐसे माकले सामने आ भी जाते हैं। हल्द्वानी पुलिस ने मंडी परिसर में घूमकर स्मैक बेच रहे दो युवकों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से बीस ग्राम स्मैक बरामद की गई है। बरामद स्मैक की कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार में तीन लाख रुपये आंकी जा रही है। गिरफ्तार युवकों के नाम वार्ड नंबर 14 निवासी अनीस और जवाहर नगर निवासी कुंदन बताए गए हैं।
इस खबर से एक चीज तो साफ हो गई है कि यदि हमारी थानों की पुलिस भी थोड़ी बहुत सक्रिय हो जाए तो काफी हद तक इन तस्करों पर अंकुश लगाया जा सकता है और हमारी नई पौध को बर्बाद होने से कुछ हद तक बचाया जा सकता है वर्ना नशे के कारोबारियों के हाथ ऊपरी स्तर पर अधिकारियों से लेकर नेताओं तक आराम से पहुंच जाते हैं।  यदि किसी मामले में स्थानीय पुलिस की सक्रियता से ये जहर के कारोबारी पकड़े भी जाते हैं तो ऊपरी स्तर से तब तक इतने फोन आ जाते हैं कि थानों की पुलिस इन केसों को या तो रफा-दफा कर देती है या इतना कमजोर बनाती है कि तस्करों के ये गुर्गे आराम से छूट जाते हैं। यही नहीं नशे के ये कारोबारी न्यायालयों में भी न्याय खरीदने के लिए या तो बड़े वकीलों का सहारा लेते हैं या कोई बड़ा फंडा अपनाते हैं।