उत्तराखंड में आगामी २६ जनवरी २०२५ से होगी समान नागरिक संहिता लागू, भारत के संविधान का सिंहावलोकन

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी यूनिवर्सल सिविल कोड लाने की चर्चा तेज हो गयी है। समझा जा रहा है कि आगामी २६ जनवरी २०२५ से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता विधेयक लागू हो सकता है।

आवो भारत के विद्यमान संविधान को जानें👉
भारत का संविधान बनाने में 388 विद्वानों का 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा, संविधान को अपने हाथों से प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा, पाकिस्तान पृथक होने के बाद भारतीय संविधान सभा में कुल 299 सदस्य रहे जिनमें पन्द्रह से अधिक विद्वान महिला विशेषज्ञ भी थी।
संविधान सभा में 12 भारतीय प्रांतों से चुने गए 229 सदस्य, 29 रियासतों से मनोनीत 70 सदस्य थे, संविधान सभा का गठन नवंबर 1946 में कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत किया गया था इस संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे।
संविधान सभा ने 26 नवंबर, 1949 को अपना काम पूरा किया था, 26 जनवरी, 1950 को यह संविधान लागू हुआ, इस दिन की याद में हर वर्ष गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।
संविधान सभा में मूल रूप से 388 सदस्य थे, लेकिन माउंटबेटन योजना की स्वीकृति के बाद देश के विभाजन के लिए मुस्लिम लीग के सदस्य भारत के लिए संविधान सभा से हट गए थे।

भारत के संविधान को अपने हाथ से लिखने वाले सुलेखक प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा थे, उन्होंने पूरे संविधान को निशुल्क छ माह में लिखा। उन्होंने हर पन्ने पर अपना नाम लिखा एवं सनातन धर्म संस्कृति भगवान राम के एवं देवी-देवताओं और भारत के विख्यात है धार्मिक चिन्ह अंकित किए और अंतिम पन्ने पर अपने गुरु और दादा मास्टर राम प्रसाद सक्सेना का नाम लिखा था। उन्होंने हिन्दी सुलेख के लिए बर्मिंघम से अंग्रेज़ी सुलेख और हिन्दू डिप-पेन निब के लिए नंबर 303 पेन का उपयोग किया था। प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा का जन्म 17 दिसंबर, 1901 को हुआ था और उनका निधन 1966 में हुआ था। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने प्रेम बिहारी से संविधान लिखने का अनुरोध किया था।

👉 यह संविधान किसी की आत्मकथा की पुस्तक नहीं जो एक व्यक्ति लिख दे, यह निजी पुस्तक नहीं है जिसमें अपने विचार या अनुभव बताया गये, और देश उनके कहने से चलने लगे। देश की सरकार शासन प्रशासन न्याय व्यवस्था किस विधि से चले ऐसी पुस्तक सभी लोगों के आचार विचार अनुभव से ही बनायी गयी है, इसमें 388 विद्वानों का महत्वपूर्ण योगदान है*👉

✍️संविधान सभा के अध्यक्ष – डॉ राजेन्द्र प्रसाद*
*उपाध्यक्ष… एच. मुखर्जी*
*संवैधानिक सलाहकार – बी.एन. राव*
  *👉कुल 13 समितियां :
*1. संघ शक्त समिति – सदस्य नेहरू आदि*
*2. संविधान समिति – सदस्य नेहरू आदि*
*3 राज्यों के लिए समिति – सदस्य नेहरू आदि*
*4. राज्यों व रियासतों से परामर्श समिति – सदस्य पटेल आदि*
*5. मौलिक अधिकार एवं अल्पसंख्य समिति – सदस्य पटेल आदि*
*6. प्रांतीय संविधान समिति – सदस्य पटेल आदि*
*7. मौलिक अधिकार उपसमिति – सदस्य जे.बी. कृपलानी आदि*
*8. ध्वज समिति – सदस्य जे.बी. कृपलानी आदि*
*9. प्रक्रिया नियम समिति – सदस्य राजेन्द्र प्रसाद आदि*
*10. सर्वोच्च न्यायालय संबंधित समिति – सदस्य राजेन्द्र प्रसाद आदि*
*11. प्रारूप सविधिक समिति – सदस्य अल्लादी कृष्ण स्वामी अय्यर आदि*
*12. संविधान समीक्षा आयोग- सदस्य एम.एन.वैकटाचलैया आदि*
*13. प्रारूप समिति के प्रमुख सदस्य :
*1 मोहम्मद सादिला*
*2 अल्लादी कृष्णस्वामी*
*3 एन.गोपाल स्वामी अय्यर*
*4 एन.माधवाचार्य*
*5 कन्हैयालाल माणेकलाल मुंशी* *6 टी.टी. कृष्णमाचारी*
👉*7 भीमराव अंबेडकर*
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*👉 जैसा अब प्रचारित किया जाता है यदि “संविधान” को भीमराव अंबेडकर ने ही बनाया! तो फिर 388 सदस्यों ने संविधान सभा में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन क्या किया??*
*👉 संविधान सभी में कुल 13 समितियां थी! उसमें से केवल एक समिति के 7वें सदस्य थे भीमराव अम्बेडकर। संविधान में विभिन्न देशों से कुछ विधान कापी किए गए
1- अंग्रेजों द्वारा बनाई गई “इन्डियन गवर्नमेंट एक्ट 1935” से 256 धारायें*
2) अमेरिका के संविधान से 35 धारायें*
3.) ब्रिटेन के संविधान से 22 धारायें*
4.)आयरलैंड से 18 धारायें*
5.) कनाडा से 24 धारायें*
6. ) आस्ट्रेलिया से 16 धारायें*
7.) जर्मनी से 8 धारायें*
8. )दक्षिणअफ्रीका से 1 धारा*
*भारत के “संविधान” में 124 धारायें विदेशी संविधानों से और 256 धारायें अंग्रेजी कानून 1860 और 1935 जैसी ही हैं, जो अंग्रेजों ने गुलाम भारत के नागरिकों पर शासन करने के लिये लागू की थी।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी भारत के संविधान में उक्त 256 धारायें क्यों लागू की गयी! इस पर आज तक भी चिंतन-मनन नहीं हुआ है*
*इस तरह से भारत के संविधान में कुल 395 धाराओं में मात्र 15 नई धारायें शेष बची। इसमें अधिकतर धारायें जवाहरलाल नेहरू ने बलात् लागू करायी हैं, ताकि उनके परिवारिक दल के वोटबैंक की राजनीती चलती रहे।
👉 लेकिन प्रचलित क्या किया जाता है! कि एक व्यक्ति ने संविधान बनाया, ये बाकी के 388 विद्वान संविधान निर्माताओं का अपमान है और इतिहास को छिपाने का अपराध है।
यही नहीं अंबेडकर के समय बनाये गये संविधान का शरियाकरण और जाति व्यवस्था के लिए रेवड़ीकरण करके आधी जनसंख्या का जो अहित किया गया है उस पर पूरा भारत आश्चर्यजनक रूप से मौन काहे है ये भी शोध का विषय है।
*उदाहरण👉धर्मनिरपेक्ष भारत देश में धारा 30 मुसलमानों और ईसाइयों को अपनी धार्मिक शिक्षा देने हेतु मदरसा और कान्वेंट स्कूल खोलने की कानूनी अनुमति एवं संरक्षण देता है! धारा 30ए हिन्दुओं को धार्मिक आधार पर शिक्षा देने पर कानूनी रोक, हिन्दुओं में विभेदीकरण की नीति से खिन्न होकर डॉ0 भीमराव आम्बेडकर ने 2 सितम्बर 1953 को भारत की संसद (राज्य सभा) में भारत के संविधान को ही जलाने की बात कह दी!
यही नहीं अगस्त 2023 तक, 1951 में पहली बार अधिनियमित होने के बाद से भारत के संविधान में अब तक कुल 127 संशोधन हुए हैं। इनमें से बहुत से कानून पचास प्रतिशत सामान्य आबादी को न केवल अनदेखा करते हैं अपितु जातीय और मजहबी कट्टरता के चलते उनके मौलिक अधिकारों के विरूद्ध भी जाते हैं। भारत के मूल संविधान की प्रस्तावना से छेड़छाड़ प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के काल में हुआ।
आवश्यकता है सभी जातिगत भेदभाव और मजहबी कट्टरता बढ़ाने वाले विसंविधानों को हटाकर भारत में भारतीय धर्म संस्कृति परिस्थितियों के अनुरूप समान नागरिक संहिता विधेयक प्रस्तुत करने की ताकि सबके लिए समान विधान यानी संविधान बने। इस पर केन्द्र सरकार को अवश्य कार्य आरंभ करना चाहिए।
देखते हैं उत्तराखंड की धामी सरकार ने समान नागरिक संहिता विधेयक में कितने जातीय आधार पर भेदभाव करने वाले और मजहबी कट्टरता बढ़ाने वाले कितने विसम प्रावधान हटा कर सभी के लिए एक समान कानून बना कर नागरिकों को समान मानने का आर्दश उदाहरण प्रस्तुत किया या नहीं।! ✍️हरीश मैखुरी