आज का पंचाग आपका राशि फल, उदय काल की मकर संक्रांति, तिलों का उपयोग, इस सीमा तक ब्रेनवास कर दिया कि जड़ों से ही विमुख होने लगे

🌞 *~आज का वैदिक पंचांग 🌞*

     🙏 *!! श्रीहरि !!* 🙏

 🌤️ *दिनांक – 15 जनवरी 2024*

🌤️ *दिन – सोमवार*

🌤️ *विक्रम संवत – 2080*

🌤️ *शक संवत -1945*

🌤️ *अयन – दक्षिणायन*

🌤️ *ऋतु – शिशिर ॠतु* 

🌤️ *मास – पौष*

🌤️ *पक्ष – शुक्ल* 

🌤️ *तिथि – पंचमी 16 जनवरी रात्रि 02:16 तक तत्पश्चात षष्ठी*

🌤️ *नक्षत्र – शतभिषा सुबह 08:07 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद*

🌤️ *योग – वरीयान रात्रि 11:11 तक तत्पश्चात परिघ*

🌤️ *राहुकाल – सुबह 08:41 से सुबह 10:03 तक*

🌞 *सूर्योदय-07:19*

🌤️ *सूर्यास्त- 18:16*

👉 *दिशाशूल – पूर्व दिशा में*

🚩 *व्रत पर्व विवरण- मकर संक्रांति (पुण्यकाल:सूर्योदय से सूर्यास्त तक),धनुर्मास समाप्त,पोंगल,पंचक*

💥 *विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

             🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

 

👉🏻 *मकर संक्रांति पर करे यह उपाय समृद्धि की होगी वृद्धि*

 

🌷 *मकर संक्रांति* 🌷

➡️ *15 जनवरी 2024 सोमवार को (पुण्यकाल सूर्योदय से सूर्यास्त तक मकर संक्राति है।*

🌷 *नारद पुराण के अनुसार*

*“मकरस्थे रवौ गङ्गा यत्र कुत्रावगाहिता । पुनाति स्नानपानाद्यैर्नयन्तीन्द्रपुरं जगत् ।।”*

🌞 *सूर्य के मकर राशिपर रहते समय जहाँ कहीं भी गंगा में स्नान किया जाय , वह स्नान आदि के द्वारा सम्पूर्ण जगत्‌‍ को पवित्र करती और अन्त में इन्द्रलोक पहुँचाती है।* 

🌷 *पद्मपुराण के सृष्टि खंड अनुसार मकर संक्रांति में स्नान करना चाहिए। इससे दस हजार गोदान का फल प्राप्त होता है। उस समय किया हुआ तर्पण, दान और देवपूजन अक्षय होता है।*

🌷 *गरुड़पुराण के अनुसार मकर संक्रान्ति, चन्द्रग्रहण एवं सूर्यग्रहण के अवसर पर गयातीर्थ में जाकर पिंडदान करना तीनों लोकों में दुर्लभ है।* 

👉🏻 *मकर संक्रांति के दिन लक्ष्मी प्राप्ति व रोग नाश के लिए गोरस (दूध, दही, घी) से भगवान सूर्य, विपत्ति तथा शत्रु नाश के लिए तिल-गुड़ से भगवान शिव, यश-सम्मान एवं ज्ञान, विद्या आदि प्राप्ति के लिए वस्त्र से देवगुरु बृहस्पति की पूजा महापुण्यकाल / पुण्यकाल में करनी चाहिए।*

👉🏻 *मकर संक्रांति के दिन तिल (सफ़ेद तथा काले दोनों) का प्रयोग तथा तिल का दान विशेष लाभकारी है। विशेषतः तिल तथा गुड़ से बने मीठे पदार्थ जैसे की रेवड़ी, गजक आदि। सुबह नहाने वाले जल में भी तिल मिला लेने चाहिए।*

🌷 *विष्णु पुराण, द्वितीयांशः अध्यायः 8 के अनुसार*

*कर्कटावस्थिते भानौ दक्षिणायनमुच्यते । उत्तरायणम्प्युक्तं मकरस्थे दिवाकरे ।।*

🌞 *सूर्य के ‪‎कर्क‬ राशि में उपस्थित होने पर ‪‎दक्षिणायन‬ कहा जाता है और उसके ‪मकर ‬राशि पर आने से ‪उत्तरायण‬ कहलाता हैछ ॥*

🌷 *धर्मसिन्धु के अनुसार*

*तिलतैलेन दीपाश्च देया: शिवगृहे शुभा:। सतिलैस्तण्डुलैर्देवं पूजयेद्विधिवद् द्विजम्।। तस्यां कृष्ण तिलै: स्नानं कार्ये चोद्वर्त्नम तिलै: . तिला देवाश्च होतव्या भक्ष्याश्चैवोत्तरायणे*

👉🏻 *उत्तरायण के दिन तिलों के तेल के दीपक से शिवमंदिर में प्रकाश करना चाहिए , तिलों सहित चावलों से विधिपूर्वक शिव पूजन करना चाहिए. ये भी बताया है की उत्तरायण में तिलों सेठ उबटन, काले तिलों से स्नान, तिलों का दान, होम तथा भक्षण करना चाहिए .*

🌞 *अत्र शंभौ घृताभिषेको महाफलः . वस्त्रदानं महाफलं*

👉🏻 *मकर संक्रांति के दिन महादेव जी को घृत से अभिषेक (स्नान) कराने से महाफल होता है . गरीबों को वस्त्रदान से महाफल होता है .*

🌞 *अत्र क्षीरेण भास्करं स्नानपयेव्सूर्यलोकप्राप्तिः*

👉🏻 *इस संक्रांति को दूध से सूर्य को स्नान करावै तो सूर्यलोक की प्राप्ति होती है .*

🌷 *नारद पुराण के अनुसार “क्षीराद्यैः स्नापयेद्यस्तु रविसंक्रमणे हरिम् । स वसेद्विष्णुसदने त्रिसप्तपुरुषैः सह ।।”*

🌞 *जो सूर्यकी संक्रान्तिके दिन दूध आदिसे श्रीहरिको नहलाता है , वह इक्कीस पीढ़ियोंके साथ विष्णुलोक में वास करता है।*

*🌹मकर संक्रांति कैसे मनायें ?🌹*

*🌹इस दिन स्नान, दान, जप, तप का प्रभाव ज्यादा होता है । उत्तरायण के एक दिन पूर्व रात को भोजन थोड़ा कम लेना ।*

*🌹मकर संक्रांति का स्नान रोग, पाप और निर्धनता को हर लेता है । जो उत्तरायण पर्व के दिन स्नान नहीं कर पाता वह ७ जन्म तक रोगी और दरिद्र रहता है ऐसा शास्त्रों में कहा गया है ।*

 

*🌹मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने से १०,००० गौदान करने का फल शास्त्र में लिखा है ।*

 

*🌹उत्तरायण के दिन पंचगव्य का पान पापनाशक एवं विशेष पुण्यदायी माना गया है । त्वचा से लेकर अस्थि तक की बीमारियों की जड़ें पंचगव्य उखाड़ के फेंक देता है ।*

 

*🌹पंचगव्य आदि न बना सको तो कम-से-कम गाय का गोबर, गोझारण, थोड़े तिल, थोड़ी हल्दी और आँवले का चूर्ण इनका उबटन बनाकर उसे लगा के स्नान करो अथवा सप्तधान्य उबटन से स्नान करो (पिसे हुए गेहूँ, चावल, जौ, टिल, चना, मूँग और उड़द से बना मिश्रण) ।*

 

*🌹मकर संक्रांति या उत्तरायण दान-पुण्य का पर्व है । इस दिन किया गया दान-पुण्य, जप-तप अनंतगुना फल देता है ।*

 

*🌹ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नम:।  इस मंत्र से सूर्यनारायण की वंदना कर लेना, उनका चिंतन करके प्रणाम कर लेना । इससे सूर्यनारायण प्रसन्न होंगे, निरोगता देंगे और अनिष्ट से भी रक्षा करेंगे ।*

 

*ॐ आदित्याय विदमहे भास्कराय धीमहि । तन्नो भानु: प्रचोदयात् ।*

 

*🌹इस सुर्यगायत्री के द्वारा सूर्यनारायण को अर्घ्य देना विशेष लाभकारी माना गया है ।*

 

*🌹सूर्यगायत्री का जप करके ताँबे के लोटे से जल चढाते है और चढ़ा हुआ जल जिस धरती पर गिरा, वहा की मिटटी का तिलक लगाते हैं तथा लोटे में ६ घूँट बचाकर रखा हुआ जल महामृत्युंजय मंत्र का जप करके पीते हैं तो आरोग्य की खूब रक्षा होती है । आचमन लेने से पहले उच्चारण करना होता है –*

 

*अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम् ।*

*सूर्यपादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम् ।।*

 

*🌹अकालमृत्यु को हरनेवाले सूर्यनारायण के चरणों का जल मैं अपने जठर में धारण करता हूँ । जठर भीतर के सभी रोगों को और सूर्य की कृपा बाहर के शत्रुओं, विघ्नों, अकाल-मृत्यु आदि को हरे ।*

 

*🌹इस दिन जो ६ प्रकार से तिलों का उपयोग करता है वह इस लोक और परलोक में वांछित फल को पाता है :*

 

*१] पानी में तिल डाल के स्नान करना ।*

 

*२] तिलों का उबटन लगाना ।*

 

*३] तिल डालकर पितरों का तर्पण करना, जल देना ।*

 

*४] अग्नि में तिल डालकर यज्ञादि करना ।*

 

*५] तिलों का दान करना ।*

 

*६] तिल खाना ।*

 

*🌹तिलों की महिमा तो है लेकिन तिल की महिमा सुनकर तिल अति भी न खायें और रात्रि को तिल और तिलमिश्रित वस्तु खाना वर्जित है ।*

 

*🌹प्रार्थना, संकल्प करें कि ‘प्रभो ! जैसे सूर्यनारायण उत्तर की ओर गति करते हैं और सूर्यप्रकाश बढ़ता जाता है ऐसे ही हमसे पहले जो कुछ हो गया अंधकार, अज्ञान के प्रभाव में आ के वह आप माफ कर दो, अब हम प्रकाश की ओर चलेंगे, समझदारी से चलेंगे ।’*

 

*🌹इस पर्व पर सूर्यनारायण को वंदन- प्रणाम करें । इस तपस्या के दिन कोई रुपया- पैसा तो कोई आरोग्य माँगता है लेकिन हम अगर माँगें तो ऐसा माँगें कि माँगने की कोई वासना ही न रहे, हम भगवत्पद माँगें, भगवान को ही माँगें, भगवान की दृढ़ भक्ति मांगे तो सब कुछ हो गया ।*

 

*🌹 इस मकर संक्रांति का आप फायदा उठाओ ।*

 

  *🌞ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🌞*

 

           🌞 *~ वैदिक – पंचांग ~* 🌞

🙏🏻🌷🍀🌹🌻🌺💐🍁🌸🙏🏻*✍️मकर संक्रांति के दिन तिल खाने की परंपरा क्यों है  ?*

💐मकर संक्रांति का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है भले ही अलग-अलग प्रांतों में इसके नाम अलग हों और इसकी मान्यताएं अगल हों। 

🌲लेकिन कुछ चीजें इस त्योहार से ऐसे जुड़ी हैं जिन्हें पूरा देश मानता है और वह है मकर संक्रांति के दिन प्रातः स्नान दान और तिल का सेवन। 

🌼ज्योतिषाचार्य कहते है इस दिंन लोग नए चावल से बनी खिचड़ी और तिल से बनी चीज जरूर खाते हैं आइये जानें इसके पीछे क्या कारण है।

🥀मकर संक्रांति के अवसर पर तिल के दान और तिल से बनी चीजों को खाने की परंपरा के पीछे क्या कारण है इसका उल्लेख  श्रीमद्भागवत एवं देवी पुराण में मिलता है। 

🪷शनिमहाराज का अपने पि्ता से वैर भाव था क्योंकि् सूर्य देव ने उनकी माता छाया को अपनी दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज से भेद-भाव करते देख लि्या था इससे नाराज होकर सूर्य देव ने संज्ञा और उनके पुत्र शनि को अपने से अलग कर दिया था। इससे शनि और छाया ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का शाप दे दिया।

🌼पिता सूर्यदेव को कुष्ट रोग से पीड़ित देखकर यमराज ने तपस्या किया और सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से मुक्त करवा दिया। लेकिन सूर्य ने क्रोधित होकर शनि महाराज के घर कुंभ जिसे शनिे की राशि कहा जाता है उसे जला दिया।

💥 इससे शनि और उनकी माता छाया को कष्ठ भोगना पड़ रहा था। यमराज ने अपनी सौतली माता और भाई शनि को कष्ट में देखकर उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को काफी समझाया तब जाकर सूर्य देव शनि के घर कुंभ में पहुंचे। कुंभ राशि  में सब कुछ जला हुआ था। 

👉कहते है  उस समय शनि देव के पास तिल के अलावा कुछ नहीं था इसलिए उन्होंने काले तिल से सूर्य देव की पूजा की।शनि की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने शनि को आशीर्वाद दिया कि शनि का दूसरा घर मकर राशि मेरे आने पर धन धान्य से भर जाएगा। 

🌿तिल के कारण ही शनि को उनका वैभव फिर से प्राप्त हुआ था इसलिए शनि देव को तिल प्रिय है। इसी समय से मकर संक्राति पर तिल से सूर्य एवं शनि की पूजा का नियम शुरू हुआ।

💯शनि देव की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने शनि महाराज को आशीर्वाद दिया कि जो भी व्यक्ति मकर संक्राति के दिन काले तिल से सूर्य की पूजा करेगा उसके सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाएंगे। इस दिन तिल से सूर्य पूजा करने पर आरोग्य सुख में वृद्धि होती। शनि के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं तथा आर्थिक उन्नति होती है।

🌹यह आपको पसंद आया हो तो अपने बन्धुओं को भी शेयर जरूर कर अनुग्रहित अवश्य करें यह संस्कार का कुछ हिस्सा हैं।🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

इस सीमा तक ब्रेन वास कर दिया कि जड़ो से नफरत करने लगे अरे जडें नहीं रहेंगी तो सूख कर समाप्त हो जाओगे –

4 साल पहले पाकिस्तान में दुल्ला भट्टी की कब्र पर पाकिस्तान में तोड़ फोड़ की गई। कुछ समय पहले महाराज रणजीत सिंह की मूर्ति तोड़ी गई।

भारत और पाकिस्तान के मुस्लिमों मे एक समस्या है जिसका नाम है – पहचान का संकट। उर्दू मे शिनाख्त का बोहरान और इंगलिश मे Identity Crisis.

आज भी ये लोग अपने पूर्वज अरब मे ढूंढते हैं। 

पाकिस्तान के सबसे बड़े आदर्श हैं मुहम्मद बिन कासिम और महमूद गजनवी। दोनों लुटेरे और बलात्कारी। आज सिन्ध मे कासिम की याद मनाई जाती हैं, जिसने सिन्ध की बेटियाँ उठाई थी। 

ऐसे मे उन्हे बेटियों को बचाने वाला क्यों पसंद आएगा। महाराजा रणजीत सिंह हो या दुल्ला भट्ट उन्हे तो दुश्मन ही लगेगा। मामूली सा राजपूत जो अकबर से टकरा गया उससे नफरत ही होगी। 

पाकिस्तानी पंजाब मे लोकगाथा इस प्रकार है –

सुंदरदास किसान था, उस दौर में जब संदल बार में मुगल सरदारों का आतंक था. उसकी दो बेटियां थीं सुंदरी और मुंदरी. गांव के नंबरदार की नीयत लड़कियों पर ठीक नहीं थी. वो सुंदरदास को धमकाता बेटियों की शादी खुद से कराने को. सुंदरदास ने दुल्ला भट्टी से बात कही. दुल्ला भट्टी नंबरदार के गांव जा पहुंचा. उसके खेत जला दिए. लड़कियों की शादी वहां की, जहां सुंदरदास चाहता था.

अकबर की 12 हजार की सेना दुल्ला भट्टी को न पकड़ पाई थी, तो सन 1599 में धोखे से पकड़वाया. लाहौर में दरबार बैठा. आनन-फानन फांसी दे दी गई. मियानी साहिब कब्रगाह में अब भी उनकी कब्र है. जिसको 5 साल पहले तोड़ दिया गया था। 

वाघा अटारी बॉर्डर से लगभग 200 किलोमीटर पार, पाकिस्तान के पंजाब में पिंडी भट्टियां है. वहीं लद्दी और फरीद खान के यहां 1547 में हुए दुल्ला भट्टी .उनके पैदा होने से चार महीने पहले ही उनके दादा संदल भट्टी और बाप को हुमायूं ने मरवा दिया था. खाल में भूसा भरवा के गांव के बाहर लटकवा दिया था. वजह ये कि मुगलों को लगान देने से मना कर दिया था। 

दुला भट्टी जो कि किन्हीं कारणों से मुसलमान बन गया था? वह व्यक्ति बहुत ही दयालु स्वभाव का था, लोगों के कष्टों को देखकर उसका हृदय द्रवित हो उठा करता था। हो सकता है कि वह प्रारंभ में विद्रोही हिंदू रहा हो पर कालांतर में किसी प्रकार के दबाव में आकर मुस्लिम बन गया था। मुस्लिम बनकर भी उसका अपने धर्म बंधुओं के प्रति व्यवहार अत्यंत भद्र रहा। हिंदुओं ने भी उसकी विवशता और बाध्यता को समझा तथा उसके प्रति सभी ने सहयोगी दृष्टिकोण अपनाया।

‘भटनेर का इतिहास’ के लेखक हरिसिंह भाटी इस पुस्तक के पृष्ठ संख्या 183 पर लिखते हैं :-”दुला भट्टी की स्मृति में पंजाब, जम्मू कश्मीर, दिल्ली, हरियाणा राजस्थान और पाकिस्तान में (अकबर का साम्राज्य की लगभग इतने ही क्षेत्र पर था) लोहिड़ी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मकर संक्रांति (14 जनवरी) से एक दिन पूर्व अर्थात प्रति वर्ष 13 जनवरी को मनाया जाता है। उसके काल में यदि धनाभाव के कारण कोई हिंदू या मुसलमान अपनी बहन बेटी का विवाह नही कर सकता था तो दुल्ला भट्टी धन का प्रबंध करके उस बहन बेटी का विवाह धूमधाम से करवाता था। अगर वह स्वयं विवाह के समय उपस्थित नही हो सकता था तो विवाह के लिए धन की व्यवस्था अवश्य करवा देता था।”

दुला भट्टी को मुगलों ने एक डाकू के रूप में उल्लिखित किया है। परंतु उसे डाकू कहना उसकी वीरता का अपमान करना है। कारण कि डाकू का उद्देश्य दूसरों का धन हड़पकर अपनी निजी आवश्यकताओं की पूर्ति करना होता है। इसके लिए डकैत का कोई सिद्घांत नही होता कि उसे ऐसा धन किसी विशेष व्यक्ति से लेना है छीनना है और किसी विशेष व्यक्ति वर्ग से नही छीनना है वह तो धनी, निर्धन छोटे-बड़े किसी से भी धन छीन सकता है। किसी की कमाई की संपत्ति को हड़पने वाला व्यक्ति निश्चित रूप से डकैत होता है।

उसकी पावन-स्मृति में मनाये जाने वाले पर्व लोहड़ी को हमें और भी अधिक गरिमा प्रदान करनी चाहिए, जिससे कि उसके मनाये जाने के पावन उद्देश्य को लोग समझ सकें और हम भी एक शहीद को उसका सच्चा स्थान इतिहास में दे सकें।

कब्र तोड़ कर पाकिस्तान के लोगों ने बता दिया कि उनकी नजर मे बेटियाँ बचाने वाला गलत है और बेटियों को उठाने वाला सही।