आज का पंचाग, आपका राशि फल, स्वास्थ रहने का चमत्कारिक मंत्र, शंख का स्वास्थ्य धर्म और ज्योतिष में उपयोग, इन वृक्षों को लगाने से मनुष्य कभी नर्क नहीं जाता, मिलिए मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह से

अच्युतानंदन गोविंदम् नामोच्चारण भेषजात्,
नश्यन्ति सकलःरोगा,सत्यं सत्यं वदाम्यहम।
नित्य प्रातः उठकर सिर पर हाथ रख कर यह मंत्र बोलने से आरोग्य में चमत्कारिक वृद्धि होती है, रुग्ण देह धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगती है। यह अनुभव जन्य महामंत्र है
🙏🏻ज्ञान गंगा🙏🏻  कोरोना काल में हौंसला और घोंसला मत छोड़िए, बाकी सब ठीक है, ठीक ही रहेगा..!
🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७८ || शक-सम्वत् १९४३ || सौम्यायन् || राक्षस नाम संवत्सर|| वसन्त ऋतु || चैत्र शुक्लपक्ष || तिथि चतुर्दशी मध्याह्न १२:४२ तक उपरान्त पूर्णिमा || सौम्यवासर || वैसाख सौर १३ प्रविष्ठ || तदनुसार २६ अप्रैल २०२१ ई० || नक्षत्र चित्रा || कन्यास्थ चन्द्रमा मध्याह्न १२:२८ तक उपरान्त तुलास्थ चन्द्र || व्रतकी पूर्णिमा ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐
 📖 *नीतिदर्शन………………..*✍🏿
*न वदेत्सर्वजन्तूनां हृदि रोषकरं बुधः।*
*परनिन्दा विनाशाय स्वनिन्दा यशसे मता।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏿 विद्वान् पुरुष ऐसी बात न कहें, जो किसी भी प्राणीके हृदयमें रोष पैदा करनेवाली हो। *परनिन्दा* विनाशके लिए और *आत्मनिन्दा* यशके लिए कही गयी है।
💐👏🏿 *सुदिनम्* 👏🏿💐

. ।। 🕉 ।।
*🌹🙏जय श्री राम🙏🌹*
🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
📜««« *आज का पंचांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………..5123
विक्रम संवत्………………….2078
शक संवत्…………………….1943
रवि…………………………उत्तरायण
मास………………………………चैत्र
पक्ष……………………………..शुक्ल
तिथी………………………….चतुर्दशी
दोप 12.42 पर्यंत पश्चात पूर्णिमा
सूर्योदय…………प्रातः 05.58.00 पर
सूर्यास्त…………संध्या 06.51.19 पर
सूर्य राशि………………………….मेष
चन्द्र राशि……………………….कन्या
गुरु राशि…………………………कुम्भ
नक्षत्र…………………………….चित्रा
प्रातः 11.00 पर्यंत पश्चात स्वाति
योग……………………………….वज्र
रात्रि 12.10 पर्यंत पश्चात सिद्धि
करण…………………………..वणिज
दोप 12.42 पर्यंत पश्चात विष्टि
ऋतु………………………………बसंत
दिन……………………………सोमवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :-*
26 अप्रैल सन 2021 ईस्वी

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
प्रातः 11.59 से 12.50 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
प्रात: 07.37 से 09.13 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*मेष*
05:21:50 07:03:04
*वृषभ*
07:03:04 09:01:42
*मिथुन*
09:01:42 11:15:24
*कर्क*
11:15:24 13:31:34
*सिंह*
13:31:34 15:43:23
*कन्या*
15:43:23 17:54:03
*तुला*
17:54:03 20:08:40
*वृश्चिक*
20:08:40 22:24:50
*धनु*
22:24:50 24:30:28
*मकर*
24:30:28 26:17:37
*कुम्भ*
26:17:37 27:51:10
*मीन*
27:51:10 29:21:50

🚦 *दिशाशूल :-*
पूर्व दिशा- यदि आवश्यक हो तो दर्पण देखकर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक…………………8
🔯 शुभ रंग………………सफ़ेद

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 06.00 से 07.36 तक अमृत
प्रात: 09.12 से 10.48 तक शुभ
दोप. 01.59 से 03.35 तक चंचल
अप. 03.35 से 05.11 तक लाभ
सायं 05.11 से 06.47 तक अमृत
सायं 06.47 से 08.11 तक चंचल ।

📿 *आज का मंत्र :-*
॥ ॐ पद्मलोचनायै नम: ॥

📢 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
दुर्जनः प्रियवादी च नैतद्विश्र्चासकारणम् ।
मधु तिष्ठति जिह्याग्रे हदये तु हलाहलम् ॥
अर्थात :
दुर्जन प्रिय बोलने वाला हो फिर भी विश्वास करने योग्य नहीं होता क्यों कि चाहे उसकी जबान पर भले ही मध हो, पर हृदय में तो हलाहल जहर ही होता है ।

🍃 *आरोग्यं :-*
*चेहरे के दाग धब्बे हटाने के घरलू उपाय -*

*1.दाग धब्बों के लिए नींबू -*
नींबू सबसे लोकप्रिय और बहुमुखी साइट्रस फल में से एक है। यह ताजे स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है। विटामिन सी से भरपूर नींबू का रस पाचन और डिटॉक्सीफाई एजेंट के रूप में कार्य करता है और बेहतर पाचन स्वास्थ्य के लिए लिवर की सफाई में मदद करता है। यह त्वचा में भी बहुत फायदेमंद है। यह आपकी त्वचा के गहरे रंग को हल्का करने का कार्य करता है। इसके लिए त्वचा के दाग धब्बों पर नींबू का रस लगाएं या सीधे नींबू रगड़ें। कुछ ही दिनों में दाग गायब हो जाएंगे।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा, सावधानी रखें। बुरी खबर मिल सकती है। भागदौड़ अधिक रहेगी। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। मेहनत अधिक होगी। लाभ में कमी रह सकती है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यवसाय-व्यापार मनोनुकूल चलेगा। आय बनी रहेगी।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
सामाजिक कार्य करने का मन लगेगा। मान-सम्मान मिलेगा। मेहनत का फल मिलेगा। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। शत्रु तथा ईर्ष्यालु व्यक्तियों से सावधानी आवश्यक है। समय की अनुकूलता है।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
पुरानी संगी-साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। फालतू खर्च होगा। स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। आत्मसम्मान बना रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। भाइयों का सहयोग मिलेगा। कारोबार से लाभ होगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। जल्दबाजी न करें।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड से मनोनुकूल लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। कोई बड़ा काम होने से प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें। उत्साह रहेगा।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
दुष्टजनों से सावधानी आवश्यक है। फालतू खर्च पर नियंत्रण नहीं रहेगा। हल्की मजाक करने से बचें। अपेक्षित काम में विलंब होगा। बेकार की बातों पर ध्यान न दें। अपने काम से काम रखें। लाभ के अवसर मिलेंगे। विवेक का प्रयोग करें। आय में वृद्धि होगी।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
यात्रा लाभदायक रहेगी। संतान पक्ष से बुरी खबर मिल सकती है। डूबी हुई रकम प्राप्त होगी। व्यापार-व्यवसाय से मनोनुकूल लाभ होगा। नौकरी में प्रशंसा मिलेगी। जल्दबाजी से काम बिगड़ सकते हैं। नए उपक्रम प्रारंभ करने संबंधी योजना बनेगी।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
सामाजिक कार्य करने में मन लगेगा। योजना फलीभूत होगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन हो सकता है। कारोबार मनोनुकूल लाभ देगा। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। शेयर मार्केट, म्युचुअल फंड से लाभ होगा। आय में वृद्धि होगी। मान-सम्मान मिलेगा। स्वास्थ्‍य का ध्यान रखें।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
चोट व रोग से कष्ट हो सकता है। बेचैनी रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। सत्संग का लाभ मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। परिवार तथा मित्रों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
चोट व दुर्घटना से बड़ी हानि हो सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। किसी व्यक्ति विशेष से कहासुनी हो सकती है। स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। दौड़धूप रहेगी। नकारात्मकता हावी रहेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
यात्रा लाभदायक रहेगी। राजकीय सहयोग मिलेगा। सरकारी कामों में सहूलियत होगी। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। घर में सुख-शांति रहेंगे। कारोबारी अनुबंध हो सकते हैं। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। पार्टनरों से सहयोग मिलेगा। झंझटों में न पड़ें।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। शारीरिक कष्ट संभव है। भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विवेक से कार्य करें।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बनेगा। आनंद के साथ समय व्यतीत होगा। मनपसंद व्यंजनों का लाभ मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। व्यापार मनोनुकूल लाभ देगा। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। किसी व्यक्ति से बहस हो सकती है। आशंका-कुशंका से बाधा होगी।

☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

शंख का स्वास्थय, धर्म और ज्योतिष में उपयोग-
स्वास्थ्य में महत्व :
१-👉शंख की आकृति और पृथ्वी की संरचना समान है। नासा के अनुसार – शंख बजाने से खगोलीय ऊर्जा का उत्सर्जन होता है जो जीवाणु का नाश कर लोगों में ऊर्जा व शक्ति का संचार करता है। 
२-👉शंख में १००% कैल्शियम है। इसमें रात को पानी भर के पीने से कैल्शियम की पूर्ति होती है।
३-👉शंख बजाने से योग की तीन क्रियाएं एक साथ होती हैं – कुम्भक, रेचक, प्राणायाम। 
४-👉शंख बजाने से हृदयाघात, रक्तचाप की अनियमितता, दमा, मंदाग्नि में लाभ होता है।
५-👉शंख बजाने से फेफड़े पुष्ट होते हैं।
६-👉शंख में पानी रख कर पीने से मनोरोगी को लाभ होता है, उत्तेजना कम होती है।
७-👉शंख की ध्वनि से मस्तिष्क व स्नायु तंत्र सक्रिय रहता है।
धार्मिक महत्व :
८ 👉दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी स्वरूप कहा जाता है। इसके बिना लक्ष्मी जी की आराधना पूरी नहीं मानी जाती। 
९ 👉समुन्द्र मंथन के दौरान १४ रत्नों में से ये एक रत्न है। सुख- सौभाग्य की वृद्धि के लिए इसे अपने घर में स्थापित करें।
१० 👉 शंख में दूध भर कर रुद्राभिषेक करने से समस्त पापों का नाश होता है। 
११ 👉घर में शंख बजाने से नकारात्मक ऊर्जा का व अतृप्त आत्माओं का वास नहीं होता। 
१२ 👉दक्षिणावर्ती शंख से पितरों का तर्पण करने से पितरों की शांति होती है। 
१३ 👉शंख से स्फटिक के श्री यन्त्र अभिषेक करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष्ये महत्व :
👇💮👇💮👇
१४ 👉सोमवार को शंख में दूध भर कर शिव जी को चढ़ाने से चन्द्रमा ठीक होता है।
१५ 👉मंगलवार को शंख बजा कर सुन्दर काण्ड पढ़ने से मंगल का कुप्रभाव कम होता है।
१६ 👉शंख में चावल भर के रखें और लाल कपड़े में लपेट कर तिजोरी में रखें, माँ अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है।
१७ 👉बुधवार को शालिगराम जी का शंख में जल व तुलसी जी डाल कर अभिषेक करने से बुध ग्रह ठीक होता है।
१८👉शंख को केसर से तिलक कर पूजा करने से भगवन विष्णु व गुरु की प्रसन्ता मिलती है।
१९ 👉शंख सफ़ेद कपड़े में रखने से शुक्र ग्रह बली होता है। 
२० 👉शंख में जलभर कर सूर्य देव को अर्घ्य देने से सूर्य देव प्रस्सन होते हैं । शंख विष्णु स्वरूप हैं

#स्कन्द_पुराण_में_एक_अद्भुत_श्लोक_है।

अश्वत्थमेकम् पिचुमन्दमेकम्
न्यग्रोधमेकम् दश चिञ्चिणीकान् ।
कपित्थबिल्वाऽऽमलकत्रयञ्च.
पञ्चाऽऽम्रमुप्त्वा नरकन्न पश्येत्।।

अर्थात 1 पीपल, एक नीम, एक वट, 10 इमली, कैथ, बेल, आंवला के 3-3 और आम के 5 वृक्ष लगाने से मनुष्य नरक को प्राप्त नहीं होता है।

अश्वत्थः = पीपल
पिचुमन्दः = नीम
न्यग्रोधः = वट वृक्ष
चिञ्चिणी = इमली
कपित्थः = कविट (कैथ)
बिल्वः = बेल
आमलकः = आवला
आम्रः = आम
उप्ति = पौधा लगाना

अर्थात- जो कोई इन वृक्षों के पौधो का रोपण करेगा, उनकी देखभाल करेगा उसे नरक के दर्शन नही करना पड़ेंगे।

इस सीख का अनुसरण न करने के कारण हमें आज इस परिस्थिति के स्वरूप में नरक के दर्शन हो रहे हैं।
अभी भी कुछ बिगड़ा नही है, हम अभी भी अपनी गलती सुधार सकते हैं।

गुलमोहर, निलगिरी, जैसे वृक्ष अपने देश के पर्यावरण के लिए घातक हैं।

पश्चिमी देशों का अंधानुकरण कर हम ने अपना बड़ा नुकसान कर लिया है।

पीपल, बड और नीम जैसे वृक्ष रोपना बंद होने से सूखे की समस्या बढ़ रही है। ये पढ़ कर हमें आश्चर्य होगा लेकिन ये सत्य है।

पीपल १००% कार्बन डाय ऑक्साइड शोषित करता है, बड ८०% और नीम ७५% शोषित करता है। ये सारे वृक्ष वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते है साथ ही धरती के तापनाम को भी कम करते है।

हमने इन वृक्षों के पुजन की परंपरा को अंधविश्वास मानकर चलते विदेशी विचार के तुष्टिकरण हेतु  इन वृक्षो से दूरी बनाकर #यूकेलिप्टस (नीलगिरी) के वृक्ष सड़क के दोनों ओर लगाने की शुरूआत की। यूकेलिप्टस झट से बढ़ते है लेकिन ये वृक्ष दलदली जमीन को #सुखाने के लिए लगाए जाते हैं। इन वृक्षों से #धरती_का_जलस्तर_घट_जाता है। गत 40 वर्षों में नीलगिरी के वृक्ष लगा कर पर्यावरण की हानि की गई है।

पीपल को वृक्षों का राजा कहा जाता है। इस संबंध में शास्त्रों में एक श्लोक है –

मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेव च!!
*पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते!!

अर्थात पीपल के मूल में ब्रह्मा का वास है, छाल में विष्णु का वास है, शाखाओं में शंकर का वास है और इसके पत्ते पत्ते पर देवता वास करते हैं। ऐसे वृक्षराज को हम नमस्कार करके उसकी स्तुति करते हैं।

इसका अर्थ समझना चाहिए।

आगामी वर्षों में प्रत्येक ५०० मीटर के अंतर पर यदि एक एक पिपल, बड़ , नीम आदि का वृक्षारोपण किया जाएगा तभी अपना भारत देश प्रदूषणमुक्त होगा। घरों में तुलसी के पौधे लगाना होंगे।
हम अपने संगठित प्रयासों से ही *अपने “भारत” को नैसर्गिक आपदा से बचा सकते है।

भविष्य में भरपूर मात्रा में नैसर्गिक ऑक्सीजन मिले इसके लिए आज से ही अभियान आरंभ करने की आवश्यकता है।

आइए हम बड़, पीपल,आम,इमली, आदी वृक्षों को लगाकर आने वाली पीढ़ी को निरोगी एवं सुजलां सुफलां पर्यावरण देने का प्रयत्न करें। जय माता  (सौजन्य डाॅ भगवती पुरोहित) हाथ जोड़कर घुटनों पर बैठा हुआ व्यक्ति मध्य प्रदेश का ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर है

ग्वालियर में “सूर्या बल्ब” बनाने वाली इनकी कंपनी ने अपनी संपूर्ण यूनिट बंद कर सारी ऑक्सीजन मरीजों की सेवा के लिए समर्पित कर दी
कंपनी के इस सराहनीय योगदान पर ऊर्जा मंत्री ने इस तरह से कृतज्ञता व्यक्त की, प्रबंधन के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया
मैं हमेशा कहता हूं कि उद्योग-व्यवसाय हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग हैं
इसलिए..
उद्योगों को प्रोत्साहन दो…
स्वदेशी उद्योग को बढ़ावा दो..
उन्हें गाली देने के बजाय उनके प्रति कृतज्ञता और सम्मान का भाव रखो…
वामपंथियों के लोकलुभावन नारों के चक्कर में COOL DUDE दिखने के लिए उद्योग-व्यवसाय और अपनी भावी पीढ़ी को नष्ट करने वाले अभियानों के सहभागी मत बनो….
उद्योग-व्यवसाय को नष्ट करने वाले यह अभियान चाहे पर्यावरण के नाम पर हों, बाल मजदूरों के नाम पर हों, कृषि भूमि के नाम पर हों या फिर वन्य प्राणियों के नाम पर
मैं भी सूर्या कंपनी और उसके जैसी हजारों कंपनियां, जो इस विपदा के समय देश के साथ खड़ी हैं, उनको नमन करता हूं।
नोट:- सूर्या कम्पनी परिवार को भी ये संस्कार मिट्टी में खेलते हुए ही मिले हैं

आक्सी-जन लेवल तुरन्त बढ़ाने वाले कुछ उपाय*
 (1) *एक तो मैने पहले ही बताया है कि एक पोटली में दो लौंग, अजवाइन, कपूर, और नीलगिरी का तेल या थोड़ी सी विक्स मिलाकर बार बार उसे सूंघना है।*
  (2) *छाती, गला और पीठ में* 
*गाय का घी* या *सरसो तैल*  को गरम करके उसमें *सैंधा नमक (पावडर)* एक चुटकी  एवं *अमृत धारा* 3-4 बून्द एक डालकर गरम-गरम *मालिश* करना है,मालिश से पहले *छाती में पसलियों के बीच उंगुली से रगड़ना है*
  (3)फिर *गरम पानी की बोटल* या *गरम पानी में कपड़ा भिंगोकर निचोड़े हुये कपड़ेको* या *हेयर ड्रायर* से *सीकाई* करनी है ,पंखे की हवा से बचना है, चादर से ढंककर रहना है। तुरन्त आक्सीजन बढ़ जायेगा।।
 (4) *लहसुन के छिले हुये कलियों की माला* रोगी को पहनाये रखिये।इसकी उग्रगन्ध एंटीवायरल के साथ-साथ एक slow counter irritant का कार्य करता है।
(5) 3-4 बार भाप लेना है। *अजवायन*, एक चुटकी *सैंधा नमक* और *पुदीन हराकी कुछ बूंद, विक्स* डालकर।। 
 
(6)एक *तपेली में गरम पानी में नमक डालकर दोनो पैर को उसमें रखकर* 10-15 मिनट बैठना है ।
 (7) *यष्टिमधु मुलेठी घनवटी* 2 गोली *हर 6 घंटे पर चूसना है*
           “या”
 घरेलूयोग : *मुलेठी* एक टुकड़ा, *काली मरिच* 2 दाने, *लौंग* 1, *दालचीनी* एक छोटा टुकड़ा, *छोटी इलायची* एक, *सोंठ* एक चुटकी, एक चुटकी *सैंधा नमक* 4-6 बार चबाना है 
  (8) *गाय के देसी घी में मिश्री पावडर डाल गरम-गरम 2-3 चम्मच पी लेना* है।उसके बाद आधे घंटे तक कुछ भी नही खाना-पीना है, जरुरत में गरम पानी पी सकते है ।
 (9) *अणु तैल/षडबिन्दु तैल/सरसो तैल* 
4 बूंद सुबह खाली पेट दोनों नाक में डाले, फिर गरम पानी में *हल्दी उबालकर एवं सैंधा नमक* डालकर कुल्ला करे।
नोट: *यह आक्सीजन सिलेण्डर का विकल्प नही है, उसकी अनुपस्थिति मे घर में रह रहे मरीजों पर किया जाने वाला आयुर्वेदिक उपाय है।।*
*श्री रामरक्षास्तोत्र*
*राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।* *सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने॥*
 *सुप्रभात, आपका जीवन मंगलमय हो*

डी.ए.वी. कॉलिज के सूत्रधार पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी का आज जन्मदिन 

आर्य समाज द्वारा संचालित डी.ए.वी. विद्यालयों की स्थापना में महात्मा हंसराज और पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी का विशेष योगदान रहा है। गुरुदत्त जी का जन्म 26 अप्रैल, 1864 को मुल्तान (वर्तमान पाकिस्तान) में लाला रामकृष्ण जी के घर में हुआ था। गुरुदत्त जी ने प्रारम्भिक शिक्षा मुल्तान में पायी और फिर वे लाहौर आ गये। यहाँ हंसराज जी और लाजपत राय जी भी पढ़ रहे थे। तीनों की आपस में बहुत घनिष्ठता हो गयी।

गुरुदत्त जी की विज्ञान में बहुत रुचि थी। वे हर बात को विज्ञान की कसौटी पर कस कर देखते थे। इससे धीरे-धीरे उनका स्वभाव नास्तिक जैसा हो गया; पर जब उनका सम्पर्क आर्य समाज से हुआ, तो वे घोर आस्तिक हो गये। 1883 में जब ऋषि दयानन्द अजमेर में बीमार थे, तो लाहौर से दो लोगों को उनकी सेवा के लिए भेजा गया, उनमें से एक 19 वर्षीय गुरुदत्त जी भी थे।

स्वामी जी के अन्त समय को उन्होंने बहुत निकट से देखा। उनके मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। स्वामी जी के देहान्त के बाद जब लाहौर में शोकसभा हुई, तो उसमें श्रद्धांजलि अर्पण करते हुए वे फूट-फूट कर रोये। उनका भाषण इतना मार्मिक था कि उपस्थित श्रोताओं की भी यही दशा हो गयी।

स्वामी जी के देहान्त से आर्यजनों में घोर निराशा छा गयी थी; पर गुरुदत्त जी ने कुछ दिन बाद सबके सामने स्वामी जी की स्मृति में ‘दयानन्द एंग्लो वैदिक काॅलिज’ की स्थापना का प्रस्ताव रखा। वहाँ उपस्थित सब लोगों ने इसका तालियाँ बजाकर समर्थन किया और उसी समय 8,000.रु0 भी एकत्र हो गये। यह चर्चा कुछ ही समय में पूरे पंजाब में फैल गयी।

इस कार्य के लिए जहाँ भी सभा होती, उसमें गुरुदत्त जी को अवश्य भेजा जाता। उनकी धन की अपील का बहुत असर होता था। वे विद्यालय की योजना बहुत अच्छे ढंग से सबके सामने रखते थे। कुछ लोगों ने अंग्रेजी शिक्षा का विरोध किया; पर गुरुदत्त जी ने बताया कि संस्कृत और वेद शिक्षण के साथ अंग्रेजी भाषा का ज्ञान भी आज की आवश्यकता है। उसके बिना काम नहीं चलेगा। उनके तर्क के आगे लोग चुप रह जाते थे।

लाला लाजपत राय उन दिनों हिसार में वकालत करते थे। वे भी गुरुदत्त जी के साथ सभाओं में जाने लगे। लाला जी के जोशीले भाषण और गुरुदत्त जी की अपील से तीन साल में 20,000 रु. नकद और 44,000 रु. के आश्वासन उन्हें मिले। अन्ततः एक जून, 1886 को लाहौर में डी.ए.वी. स्कूल की स्थापना हो गयी। हंसराज जी उसके पहले प्राचार्य बने।

1886 में ही पंडित गुरुदत्त ने विज्ञान से एम.ए. किया तथा लाहौर के सरकारी विद्यालय में प्राध्यापक हो गये। यह स्थान पाने वाले वे पहले भारतीय थे। उन्होंने ‘रिजेनरेटर ऑफ आर्यावर्त’ नामक पत्र भी निकाला। इसके विद्वत्तापूर्ण लेखों की देश-विदेश में काफी चर्चा हुई। गुरुदत्त जी के दो अंग्रेजी लेख ‘वैदिक संज्ञा विज्ञान’ तथा ‘वैदिक संज्ञा विज्ञान व यूरोप के विद्वान’ को आॅक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया।

काम का क्षेत्र बहुत विस्तृत होने के कारण गुरुदत्त जी को बहुत प्रवास करना पड़ता था। अत्यधिक परिश्रम के कारण उन्हें क्षय रोग (टी.बी) हो गया। इसके बाद भी वे विश्राम नहीं करते थे। विश्राम के अभाव में दवाएँ भी कैसे असर करतीं ? अन्ततः 19 मार्च, 1890 को केवल 26 वर्ष की अल्पायु में उनका देहान्त हो गया।
………………………….

26 अप्रैल/पुण्य-तिथि

भारत दर्शन कार्यक्रम के प्रणेता विद्यानंद शेणाय

 

भारत माता की जय और वन्दे मातरम् तो प्रायः सब लोग बोलते हैं; पर भारतभूमि की गोद में जो हजारों तीर्थ, धाम, पर्यटन स्थल, महामानवों के जन्म और कर्मस्थल हैं, उनके बारे में प्रायः लोगों को मालूम नहीं होता। भारत दर्शन कार्यक्रम के माध्यम से इस बारे में लोगों को जागरूक करने वाले श्री विद्यानंद शेणाय का जन्म कर्नाटक के प्रसिद्ध तीर्थस्थल शृंगेरी में हुआ था। श्रीमती जयम्मा एवं श्री वैकुंठ शेणाय दम्पति को पांच पुत्र और आठ पुत्रियां प्राप्त हुईं। इनमें विद्यानंद सातवें स्थान पर थे। उनके पिताजी केले बेचकर परिवार चलाते थे। सात वर्ष की अवस्था तक वे बहुत कम बोलते थे।

किसी के सुझाव पर उनकी मां पुराना शहद और बच्च नामक जड़ी पीस कर प्रातःकाल उनके गले पर लगाने लगी। इस दवा और मां शारदा की कृपा से उनका स्वर खुल गया। ‘भारत दर्शन कार्यक्रम’ की लोकप्रियता के बाद उनकी मां ने कहा कि मेरा बेटा इतना बोलेगा, यह तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था।

ज्योतिषियों ने विद्यानंद को पानी से खतरा बताया था; पर उन्हें तुंगभद्रा नदी के तट पर बैठना बहुत अच्छा लगता था। एक बार नहाते समय वे नदी में डूबने से बाल-बाल बचे। बी.काॅम. की परीक्षा उत्तीर्ण कर वे बैंक में नौकरी करने लगे; पर इसमें उनका मन नहीं लगा। अतः नौकरी छोड़कर वे एक चिकित्सक के पास सहायक के नाते काम करने लगे। इसी बीच उनके बड़े भाई डा0 उपेन्द्र शेणाय संघ के प्रचारक बन गये।

आपातकाल में भूमिगत कार्य करते समय वे पकड़े गये और 15 मास तक जेल में रहे। इसके बाद उन्होंने सी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। उनके एक बड़े भाई अपने काम के सिलसिले में हैदराबाद रहने लगे थे। अतः पूरा परिवार वहीं चला गया; पर एक दिन विद्यानंद जी भी घर छोड़कर प्रचारक बन गये।

संघ शिक्षा वर्ग में मानचित्र परिचय का कार्यक्रम होता है। विद्यानंद जी प्रायः वर्ग के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से उसे अधिक रोचक बनाने को कहते थे। वे वरिष्ठ प्रचारक श्री कृष्णप्पा जी की प्रेरणा से प्रचारक बने थे। उन्होंने विद्यानंद जी की रुचि देखकर उन्हें ही इसे विकसित करने को कहा। अब विद्यानंद जी ‘भारत दर्शन’ के नाम से शाखा तथा विद्यालयों में यह कार्यक्रम करने लगे। सांस्कृतिक भारत के मानचित्र में पवित्र नदियां, पर्वत, तीर्थ आदि देखते और उनका महत्व सुनते हुए श्रोता मंत्रमुग्ध हो जातेे थे।

कुछ समय बाद उन्हंे बंगलौर में ‘राष्ट्रोत्थान परिषद’ का काम सौंपा गया। शीघ्र ही यह कार्यक्रम पूरे कर्नाटक के गांव-गांव में लोकप्रिय हो गया। यहां तक कि पुलिस वाले भी अपने परिजनों के बीच अलग से यह कार्यक्रम कराने लगेे।

जब इस कार्यक्रम की पूरे देश में मांग होने लगी, तो उन्होंने हिन्दी और अंगे्रजी में भी इसे तैयार किया। अपनी मातृभाषा कोंकणी में तो वे बोल ही लेते थे। भारत दर्शन के 50,000 कैसेट भी जल्दी ही बिक गये। इस प्रकार भारत दर्शन ने युवा पीढ़ी में देश-दर्शन के प्रति जागृति निर्माण की।

परन्तु इसी बीच उनके सिर में दर्द रहने लगा। काम करते हुए अचानक आंखों के आगे अंधेरा छा जाता था। जांच से पता लगा कि मस्तिष्क में एक बड़ा फोड़ा बन गया है। यह एक असाध्य रोग था। चिकित्सकों के परामर्श पर दो बार शल्यक्रिया हुई; पर कुछ सुधार नहीं हुआ और कष्ट बढ़ता गया।

इसी अवस्था में 26 अप्रैल, 2007 को 55 वर्ष की आयु में बंगलौर के चिकित्सालय में अपने मित्र और परिजनों के बीच उनका प्राणांत हुआ।

(संदर्भ : भारतभक्त विद्यानंद शेणाय – चक्रवर्ती सुलीबेले)
………………………..इस प्रकार के भाव पूण्य संदेश के लेखक एवं भेजने वाले महावीर सिघंल