आज का पंचाग आपका राशि फल, वेदों और आर्ष ग्रन्थों के सूत्र (Code) जीवन को सरल सुदीर्घ और सुन्दर बनाने के रहस्य हैं, समस्या पदार्थों में नहीं अपितु हमारे उपयोग करने के ढंग में है

*”गलत” लोग आपकी “अच्छाई” से भी  घृणा करते हैं*
*और*
*”सही” लोग आपमें*
*”बुराई” जानकर भी*
*आपसे “प्यार” करते हैं।*
*यही “सम्बन्ध” की परिभाषा” है ।*

नन्दादेवी राजजात यात्रा की स्मृतियाँ 

*श्री हरिहरौ**विजयतेतराम*

*आज का पञ्चाङ्ग*
*_शुक्रवार, ०४ अगस्त २०२३_*

सूर्योदय: 🌄 ०५:५६
सूर्यास्त: 🌅 ०७:१०
चन्द्रोदय: 🌝 २१:१६
चन्द्रास्त: 🌜०८:१६
अयन 🌖 दक्षिणायणे
(उत्तरगोलीय)
ऋतु: ⛈️ वर्षा
शक सम्वत:👉१९४५(शोभकृत)
विक्रम सम्वत:👉२०८०(पिंगल)
मास 👉श्रावण(द्वितीय, अधिक)
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 तृतीया (१२:४५ से
चतुर्थी)
नक्षत्र 👉 शतभिषा (०७:०८
से पूर्वाभाद्रपद)
योग 👉 शोभन (०६:१४ से
अतिगण्ड)
प्रथम करण👉विष्टि(१२:४५तक
द्वितीय करण👉बव(२३:०८तक
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कर्क
चंद्र 🌟 मीन (२३:१७ से)
मंगल🌟सिंह(उदित,पश्चिम,मार्गी)
बुध🌟सिंह (उदय, पश्चिम, मार्गी)
गुरु🌟मेष (उदित, पश्चिम, मार्गी)
शुक्र🌟सिंह (अस्त, पश्चिम)
शनि 🌟 कुम्भ
(उदित, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५६ से १२:५०
अमृत काल 👉 २१:३२ से २२:५९
विजय मुहूर्त 👉 १४:३८ से १५:३२
गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:०८ से १९:२९
सायाह्न सन्ध्या 👉 १९:०८ से २०:११
निशिता मुहूर्त 👉 ००:०२ से ००:४४
ब्रह्म मुहूर्त 👉 ०४:१३ से ०४:५५
प्रातः सन्ध्या 👉 ०४:३४ से ०५:३७
राहुकाल 👉 १०:४१ से १२:२३
राहुवास 👉 दक्षिण-पूर्व
यमगण्ड 👉 १५:४६ से १७:२७
होमाहुति 👉 मंगल
दिशाशूल 👉 पश्चिम
नक्षत्रशूल 👉 दक्षिण (०७:०८ से ०४:४४)
अग्निवास 👉 आकाश
भद्रावास 👉 मृत्यु (१२:४५ तक)
चन्द्रवास 👉 पश्चिम (उत्तर २३:१७ से)
शिववास 👉 क्रीड़ा में (१२:४५ से कैलाश पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – चर २ – लाभ
३ – अमृत ४ – काल
५ – शुभ ६ – रोग
७ – उद्वेग ८ – चर
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – रोग २ – काल
३ – लाभ ४ – उद्वेग
५ – शुभ ६ – अमृत
७ – चर ८ – रोग
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
उत्तर-पश्चिम (दहीलस्सी अथवा राई का सेवन कर यात्रा करें)
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज ०७:०८ तक जन्मे शिशुओ का नाम शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (सु) नामक्षर से तथा इसके बाद ०४:४४ तक जन्मे शिशुओ का नाम पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (से, सो, द, दि) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार (दू) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
कर्क – ०४:१९ से ०६:४१
सिंह – ०६:४१ से ०९:००
कन्या – ०९:०० से ११:१७
तुला – ११:१७ से १३:३८
वृश्चिक – १३:३८ से १५:५८
धनु – १५:५८ से १८:०१
मकर – १८:०१ से १९:४२
कुम्भ – १९:४२ से २१:०८
मीन – २१:०८ से २२:३२
मेष – २२:३२ से ००:०५
वृषभ – ००:०५ से ०२:००
मिथुन – ०२:०० से ०४:१५
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०५:३७ से ०६:४१
रोग पञ्चक – ०६:४१ से ०७:०८
शुभ मुहूर्त – ०७:०८ से ०९:००
मृत्यु पञ्चक – ०९:०० से ११:१७
अग्नि पञ्चक – ११:१७ से १२:४५
शुभ मुहूर्त – १२:४५ से १३:३८
रज पञ्चक – १३:३८ से १५:५८
शुभ मुहूर्त – १५:५८ से १८:०१
चोर पञ्चक – १८:०१ से १९:४२
शुभ मुहूर्त – १९:४२ से २१:०८
रोग पञ्चक – २१:०८ से २२:३२
चोर पञ्चक – २२:३२ से ००:०५
शुभ मुहूर्त – ००:०५ से ०२:००
रोग पञ्चक – ०२:०० से ०४:१५
रोग पञ्चक – ०४:१५ से ०४:४४
शुभ मुहूर्त – ०४:४४ से ०५:३८
आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन अनिर्णय की स्थित किसी भी कार्य को समय पर होने से रोकेगी। मेहनत करने के पक्ष में आज बिल्कुल नही रहेंगे इसके विपरीत महात्त्वकांक्षाये सामर्थ्य से अधिक रहेंगी। आलस्य प्रमाद में कार्यो को आगे के लिये टालेंगे बाद में सर पर आने पर जो भी निर्णय लेंगे अधिकांश तह जल्दबाजी में ही होंगे जिससे कोई न कोई भूल होगी। काम धंधा सामान्य रहने पर भी अपनी ही गलतियों के कारण जिस लाभ के अधिकारी है उससे वंचित रह जाएंगे। अविवाहितों को योग्य साथी मिलेगा लेकिन यहाँ भी असमंजस की स्थित के कारण बात बिगड़ ना जाये इसके लिये आज निर्णय ना ले तो ही बेहतर रहेगा। धन हाथ मे नही रुकेगा। सेहत के ऊपर खर्च होगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपके लिये सफलता दयाक तो रहेगा लेकिन आज आप अपनी ही किसी गलती से परेशानी को न्योता देंगे। दिन के आरंभ में जिस भी कार्य की रूप रेखा बनाएंगे मध्यान बाद तक ले देकर उसे पूरा कर ही लेंगे। व्यवसाय में जटिल समस्याए किसी वरिष्ठ व्यक्ति के परामर्श से सुलझेंगी। धन की आमद निश्चित होगी इसमे थोड़ा विलंब होने पर निराश ना हो। माता अथवा चल संपत्ति संबंधित सुखों में कमी देखने को मिलेगी। शत्रु पक्ष से कहासुनी भी हो सकती है मामला गंभीर होने की जगह तुरंत शांत भी हो जाएगा। परिवार में भाई बहनों को छोड़ अन्य सभी से विचार मेल नही खाएंगे। सेहत लगभग सामान्य ही रहेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आपका मन इधर उधर की बातों में अधिक रहेगा। एक काम करते हुए भी दिमाग अन्य जगह रहने पर कुछ त्रुटि होने की संभावना है। कार्य व्यवसाय से जितनी आशा लगाकर रहेगें उतना लाभ नही मिल पायेगा। धन की आमद होते होते किसी स्वजन परिचित की गलती से आगे के लिये टलेगी। नौकरी पेशा लोग सहकर्मियों के ऊपर अधिक निर्भर रहेंगे जाना बूझ कर अपना काम अन्य के ऊपर सरकाएँगे। भाई बंधुओ से आपसी तालमेल की कमी रहेगी आपके विचारों के उलट कार्य करने पर बहस भी हो सकती है लेकिन संतान सहयोगी बनने पर राहत मिलेगी। आरोग्य में कमी अनुभव करेंगे।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन आरम्भ से ही सेहत में उतार चढ़ाव लगा रहेगा इस वजह से दिनचर्या भी अस्त व्यस्त रहेगी। आप आज जहां भी जाएंगे या उठ बैठ करेंगे वही आलस्य प्रमाद फैलाएंगे। कार्य व्यवसाय को लेकर गंभीर तो रहेंगे लेकिन आर्थिक कमी के चलते विचार सिरे नही चढ़ पाएंगे। नौकरी पेशा जातक सब सुविधा मिलने पर भी प्रतिष्ठा की चाह ने अथवा अन्य किसी न किसी कारण से परेशान ही रहेंगे। व्यवसायी वर्ग को धन लाभ जुगाड़ करने पर अवश्य होगा लेकिन धन को रोक नही पाएंगे अनर्गल कार्यो में खर्च हो जाएगा। परिवार में किसी पुराने आपसी विवाद अथवा शत्रु पक्ष के कारण बेचैनी का वातावरण रहेगा। कल दे परिस्थिति बदलने लगेगी महत्त्वपूर्ण निर्णय आज ना लें।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आप जिस भी कार्य को करने का मन बनायेगे उसी में भ्रम की स्थित रहेगी कार्य आरंभ होने के बाद भी कोई ना कोई टांग अढायेगा लेकिन जिस भी कार्य को करें एकाग्र होकर लगे रहे विजय अवश्य मिलेगी। कार्य व्यवसाय की मध्यान तक धीमी रहेगी धन लाभ को लेकर चिंतित रहेंगे मध्यान बाद अकस्मात लाभ के सौदे मिलने से धन की आमद निश्चित होगी लेकिन तुरंत नही होगा जबरदस्ती भी ना करें अन्यथा हाथ आया भी निकल सकता है। गृहस्थ का वातावरण ठीक ठाक ही रहेगा लेकिन घरेलू सुख सुविधा संघर्ष के बाद ही जुटा पाएंगे। शत्रु पक्ष अथवा प्रतिस्पर्धियों के प्रति ढुलमुल रवैया आगे हानि का कारण बन सकता है इसका ध्यान रहे। पिता की सेहत को लेकर चिंतित रह सकते है।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन आशानुकूल रहेगा धन का खर्च विशेष रहेगा फिर भी सुख सुविधाओं में कुछ ना कुछ वृद्धि ही होगी। काम धन्धा आज ज्यादा बेहतर तो नही चलेगा फिर भी दैनिक खर्च आसानी से निकल जाएंगे। कार्य क्षेत्र पर नौकरी वालो के लिये कोई नई मुसीबत बढ़ने से मानसिक तनाव में रहेंगे। घर के सदस्यों का व्यवहार स्वार्थ सिद्धि से भरा रहेगा इच्छा पूर्ति करते रहने तक ही मीठा व्यवहार करेंगे माता अथवा पति-पत्नी में व्यवहारिकता की कमी रहेगी छोटी सी बात को प्रतिष्ठा से जोड़ने पर कलह होने की संभावना है। सरकारी कार्यो में आकस्मिक लाभ होने की संभावना है। व्यसन दुराचरण से बचे मान हानि हो सकती है। सेहत संबंधित शिकायत खान पान में संयम ना रखने पर ही होगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन आर्थिक दृष्टिकोण से निराश करने वाला रहेगा धन की आमद बुद्धि बल का प्रयोग करने पर ही होगी लेकिन क्रोध पर नियंत्रण ना रहने के कारण स्वयं ही अपना नुकसान कर लेंगे। बुद्धि विवेक आज प्रखर रहेगा लेकिन फिर भी धन संबंधित कार्यो में निराशा ही मिलेगी। घर के सदस्यों को छोड़ अन्य सभी लोग अपनी समस्याओं को लेकर आएंगे। अति आत्मविश्वास की भावना आज हानि करा सकती है इसका भी ध्यान रखें खास कर कर्क एवं कुम्भ राशि के लोगो से बच कर रहे अपने कार्य निकालने के लिये आपको परेशानी में डाल सकते है। जोड़ो में दर्द अथवा पेट संबंधित शिकायत हो सकती है।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपको मौन रहकर बिताने की सलाह है। किसी को भी बिना मांगे सलाह भूल कर भी ना दें अन्यथा लेने के देने पड़ सकते है। घर का माहौल छोटी सी बात पर उग्र होगा खास कर पति-पत्नी के बीच झगड़ा होने के प्रबल योग है संतान अथवा अन्य अनैतिक कार्य इसका कारण बनेंगे। कार्य क्षेत्र पर जिस कार्य से लाभ की उम्मीद लगाएंगे उसी में हानि होगिनिस्के विपरीत जहां से कोई उम्मीद नही रहेगी वहां से खर्च चलाना पड़ेगा। संताने मनमानी करेंगी नजर बनाए रखें सार्वजनिक क्षेत्र पर सम्मान हानि भी हो सकती है। धन लाभ किसी न किसी रूप में अवश्य होगा लेकिन झंझटो के बाद ही। रक्त पित्त संबंधित शिकायत हो सकती है।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आप पूर्व में कई गई अपनी ही किसी गलती को लेकर शर्मिंदा होंगे। व्यवहारिकता की कमी और अहम की भावना आपसी संबंधों में खटास लाएगी। घर को छोड़ अन्य सभी जगह सम्मान में कमी का अनुभव करेंगे। आज किसी से भी बात करते समय हद पार ना करें अन्यथा लोगो मे आपके प्रति गलत धारणा बनेगी। कार्य व्यवसाय से लाभ की उम्मीद जागेगी लेकिन अंत समय मे निराशा में बदल जाएगी। लोग आपसे केवल अपना काम निकालने के लिये ही व्यवहार रखेंगे। खर्चो पर भी नियंत्रण रखें भावुकता में आवश्यकता से अधिक खर्च करेंगे बाद में आर्थिक संतुलन बिगड़ेगा। पति-पत्नी में थोड़ी बहुत कहासुनी के बाद स्थिति सामान्य हो जाएगी। जोड़ो में दुर्बलता महसूस करेंगे।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आप व्यवहारिकता में संतोष का प्रदर्शन करेंगे लेकिन अंदर ही अंदर उथल पुथल लगी रहेगी। कार्य व्यवसाय में भागदौड़ करने पर भी लाभ की जगह खर्च ही बढ़ेंगे आज धन लाभ केवल धैर्य धारण करने पर ही हो सकेगा जल्दबाजी में लिया निर्णय कोई नई मुसीबत ना खड़ी कर दे इसके लिये बाद में मिलने वाले परिणामो को ध्यान में रख कर ही कोई भी कार्य करें। अनैतिक कार्यो में मन जल्दी से भटकेगा आरम्भ में इसमें आनंद आएगा लेकिन बाद में परिणाम नेष्ट मिलेंगे। पिता अथवा पैतृक संबंधित कार्यो में नुकसान होने की संभावना है देखभाल कर ही करें। भाई बहनों से ईर्ष्या युक्त संबंध रहेंगे। शरीर मे तेज अथवा शक्ति की कमी अनुभव करेंगे।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज आपका व्यक्तित्त्व निखरा हुआ रहेगा लेकिन स्वभाव में जिद और अकड़ रहने के कारण कोई भी आपसे अपने मन की बात बोलने से कतरायेगा। दिन के आरंभ में आलस्य रहेगा फिर भी मन ही मन नौकरी व्यवसाय संबंधित तिकडम लगी रहेगी। कार्य व्यवसाय में पुरानी योजनाओ से धन लाभ होगा लेकिन भाग्य पक्ष कमजोर होने के कारण कुछ ना कुछ कमी अनुभव करेंगे आज नए कार्य अनुबंध भी मिलने की सम्भवना है। धन धार्मिक अथवा परोपकार के कार्यो पर खर्च होगा। घर परिवार में वातावरण असामान्य रहेगा पत्नी की उम्मीदों का हनन करना महंगा पड़ सकता है। माता से भी संबंध में चंचलता आएगी। मूत्राशय संबंधित समस्या रहेगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपकी सोच के एकदम विपरीत रहेगा सोचेंगे कुछ होगा उसका उल्टा ही। मानसिक रूप से भी अंदर ही अंदर से जले भुने रहेंगे आवश्यकता होने पर भी अहम के कारण किसी की सहायता अथवा सलाह लेना पसंद नही करेंगे। लाभ की संभावनाए बनेगी अवश्य लेकिन आर्थिक हानि के डर से जोखिम नही लेंगे फलस्वरूप खर्च निकालने के लिये भी अन्य लोगो का मुह ताकना पड़ेगा। शत्रुओ पर पकड़ बनी रहेगी आपके आगे कोई सर नही उठायेगा फिर भी इसे अनदेखा न करें आपके संपर्क को लोभ देकर अपने पक्ष में कर सकते है सतर्क रहें वरना बाद में पछताना पड़ेगा। सेहत और गृहस्थ दोनो में उतार चढ़ाव लगे रहेंगे।

 #सूत्रग्रन्थ-
“अल्पाक्षरं असंदिग्धं सारवत्‌ विश्वतोमुखम्‌।
अस्तोभं अनवद्यं च सूत्रं सूत्र विदो विदुः॥“ -वायु पुराण
सूत्र किसी बड़ी बात को अतिसंक्षिप्त रूप में अभिव्यक्त करने का तरीका है। इसका उपयोग साहित्य, व्याकरण, गणित, विज्ञान आदि में होता है। सूत्र साहित्य में छोटे-छोटे किन्तु सारगर्भित वाक्य होते हैं जो आपस में भलीभांति जुड़े होते हैं।
इनमें प्रायः पारिभाषिक एवं तकनीकी शब्दों का खुलकर किया जाता है ताकि गूढ से गूढ बात भी संक्षेप में किन्तु स्पष्टता से कही जा सके। प्राचीन काल में सूत्र साहित्य का महत्व इसलिये था कि अधिकांश ग्रन्थ कंठस्थ किये जाने के ध्येय से रचे जाते थे; अतः इनका संक्षिप्त होना विशेष उपयोगी था। सूत्रों को चार भागों में विभाजित किया गया-
• श्रौतसूत्र – इनमें यज्ञों की विधियाँ बताई गई है। ऋग्वेद के सांख्यायन और आश्वलायन नाम के श्रौत-सूत्र हैं। सामवेद के मशक, कात्यायन और द्राह्यायन के श्रौतसूत्र हैं।
शुक्ल यजुर्वेद का कात्यायन श्रौतसूत्र और कृष्ण यजुर्वेद के आपस्तम्ब, हिरण्यकेशी, बोधायन, भारद्वाज आदि के 6 श्रौतसूत्र हैं। अथर्ववेद का वैतान सूत्र है।
• गृह्य सूत्र – इनमें गृहस्थों के कृत्य,संस्कार तथा वैसी ही धार्मिक बातें बताई गई है। गृह्यसूत्रों में सांख्यायन, शाम्बव्य तथा आश्वलायन के गृह्यसूत्र ऋग्वेद के हैं। सामवेद के गोभिल और खदिर गृह्यसूत्र हैं।
शुक्ल यजुर्वेद का पारस्कर गृह्यसूत्र है और कृष्ण यजुर्वेद के 7 गृह्य सूत्र हैं जो उसके श्रौतसूत्रकारों के ही नाम पर हैं। अथर्ववेद का कौशिक गृह्य सूत्र है।
• धर्मसूत्र- इनमें समाज की व्यवस्था के नियम बताये गये हैं। आश्रम, भोज्याभोज्य, ऊँच-नीच, विवाह एवं अपराध आदि विषयों का वर्णन किया गया है। धर्मसूत्रकारों में आपस्तम्ब, हिरण्यकेशी, बोधायन, गौतम, वशिष्ठ आदि मुख्य हैं। हिन्दू दर्शन के योगसूत्र,न्यायसूत्र,वैशेषिक सूत्र,पूर्व मीमांसा सूत्र,ब्रह्मसूत्र या वेदान्त सूत्र आदि मुख्य हैं ।
• शुल्बसूत्र-यज्ञशाला का शिल्प। शुल्बसूत्र संस्कृत के सूत्रग्रन्थ हैं जो स्रौत कर्मों से सम्बन्धित हैं। इनमें यज्ञ-वेदी की रचना से सम्बन्धित ज्यामितीय ज्ञान दिया हुआ है। संस्कृत कें शुल्ब शब्द का अर्थ नापने की रस्सी या डोरी होता है। अपने नाम के अनुसार शुल्ब सूत्रों में यज्ञ-वेदियों को नापना, उनके लिए स्थान का चुनना तथा उनके निर्माण आदि विषयों का विस्तृत वर्णन है। 

प्राचीन वैदिक साहित्य की विशाल परंपरा में अंतिम कड़ी सूत्रग्रंथ हैं। यह सूत्र-साहित्य तीन प्रकार का है: श्रौतसूत्र, गृह्यसूत्र तथा धर्मसूत्र। वेद द्वारा प्रतिपादित विषयों को स्मरण कर उन्हीं के आधार पर आचार-विचार को प्रकाशित करनेवाली शब्दराशि को “स्मृति” कहते हैं। स्मृति से विहित कर्म स्मार्त कर्म हैं। इन कर्मों की समस्त विधियाँ स्मार्त सूत्रों से नियंत्रित हैं। स्मार्त सूत्र का नामांतर गृह्यसूत्र है। अतीत में वेद की अनेक शाखाएँ थीं। प्रत्येक शाखा के निमित्त गृह्यसूत्र भी होंगे। वर्तमानकाल में जो गृह्यसूत्र उपलब्ध हैं वे अपनी शाखा के कर्मकांड को प्रतिपादित करते हैं।

प्रमुख गृह्यसूत्र

विभिन्न शाखाओं के गृह्यसूत्रों का प्रकाशन अनेक स्थानों से हुआ है। “शांखायनगृह्यसूत्र” ऋग्वेद की शांखायन शाखा से संबद्ध है। इस शाखा का प्रचार गुजरात में अधिक है। कौशीतकि गृह्यसूत्र का भी ऋग्वेद से संबंध है। शांखायनगृह्यसूत्र से इसका शब्दगत अर्थगत पूर्णत: साम्य है। इसका प्रकाशन मद्रास युनिवर्सिटी संस्कृत ग्रंथमाला से 1944 ई. में हुआ है। आश्वलायन गृह्यसूत्र ऋग्वेद की आश्वलायन शाखा से संबंद्ध है। यह गुजरात तथा महाराष्ट्र में प्रचलित है।

पारस्करगृह्यसूत्र शुक्ल यजुर्वेद का एकमात्र गृह्यसूत्र है। यह गुजराती मुद्रणालय (मुंबई) से प्रकाशित है।

यहाँ से लौगाक्षिगृह्यसूत्र तक समस्त गृह्यसूत्र कृष्ण यजुर्वेद की विभिन्न शाखाओं से संबंद्ध हैं। बौधायान गृह्यसूत्र के अंत में गृह्यपरिभाषा, गृह्यशेषसूत्र और पितृमेध सूत्र हैं। मानव गृह्यसूत्र पर अष्टावक्र का भाष्य है। भारद्वाजगृह्यसूत्र के विभाजक प्रश्न हैं। वैखानसस्मार्त सूत्र के विभाजक प्रश्न की संख्या दस हैं। आपस्तंब गृह्यसूत्र के विभाजक आठ पटल हैं। हिरण्यकेशिगृह्यसूत्र के विभाजक दो प्रश्न हैं। वाराहगृह्यसूत्र मैत्रायणी शाखा से संबंद्ध हैं। इसमें एक खंड है। काठकगृह्यसूत्र चरक शाखा से संबंद्ध है। लौगक्षिगृह्यसूत्र पर देवपाल का भाष्य है।

गोभिलगृह्यसूत्र सामवेद की कौथुम शाखा से संबद्ध है। इसपर भट्टनारायण का भाष्य है। इसमें चार प्रपाठक हैं। प्रथम में नौ और शेष में दस दस कंडिकाएँ हैं। कलकत्ता संस्कृत सिरीज़ से 1936 ई. में प्रकाशित हैं। द्राह्यायणगृह्यसूत्र, जैमिनिगृह्यसूत्र और कौथुम गृह्यसूत्र सामवेद से संबद्ध है। खादिरगृह्यसूत्र भी सामवेद से संबद्ध गृह्यसूत्र है।

कोशिकागृह्यसूत्र का संबंध अथर्ववेद से है। ये सब गृह्यसूत्र विभिन्न स्थलों से प्रकाशित हैं।
✍🏻स्रोत—विकीपीडिया

गृहसूत्र क्या है –

श्रौतसूत्रों के वर्ण्य विषय यज्ञों के विधि-विधान और धार्मिक प्रक्रियाओं से संबंधित हैं।
गृह्य और धर्मसूत्रों की रचना का उद्देश्य
सामाजिक,
पारिवारिक,
राजनीतिक और
विधि संबंधी
नियमों का निरूपण है।
तत्संबंधी प्राचीन भारतीय अवस्थाओं की जानकारी में उनका बहुत बड़ा ऐतिहासिक मूल्य है।
गृह्यसूत्रों में मुख्य हैं:
कात्यायन,
आपस्तंब,
बौधायन,
गोभिल,
खादिर और
शांखायन।

विभिन्न शाखाओं के गृह्यसूत्रों का प्रकाशन अनेक स्थानों से हुआ है।
“शांखायनगृह्यसूत्र” ऋग्वेद की शांखायन शाखा से संबद्ध है।
इस शाखा का प्रचार गुजरात में अधिक है।
कौशीतकि गृह्यसूत्र का भी ऋग्वेद से संबंध है।
शांखायनगृह्यसूत्र से इसका शब्दगत अर्थगत पूर्णत: साम्य है।
इसका प्रकाशन मद्रास युनिवर्सिटी संस्कृत ग्रंथमाला से 1944 ई. में हुआ है।
आश्वलायन गृह्यसूत्र ऋग्वेद की आश्वलायन शाखा से संबंद्ध है।
यह गुजरात तथा महाराष्ट्र में प्रचलित है।

पारस्करगृह्यसूत्र शुक्ल यजुर्वेद का एकमात्र गृह्यसूत्र है। यह गुजराती मुद्रणालय (मुंबई) से प्रकाशित है।

यहाँ से लौगाक्षिगृह्यसूत्र तक
समस्त गृह्यसूत्र कृष्ण यजुर्वेद की विभिन्न शाखाओं से संबंद्ध हैं।
बौधायान गृह्यसूत्र के अंत में
गृह्यपरिभाषा, गृह्यशेषसूत्र और पितृमेध सूत्र हैं।
मानव गृह्यसूत्र पर अष्टावक्र का भाष्य है। भारद्वाजगृह्यसूत्र के विभाजक प्रश्न हैं।
वैखानसस्मार्त सूत्र के विभाजक प्रश्न की संख्या दस हैं। आपस्तंब गृह्यसूत्र के विभाजक आठ पटल हैं। हिरण्यकेशिगृह्यसूत्र के विभाजक दो प्रश्न हैं। वाराहगृह्यसूत्र मैत्रायणी शाखा से संबंद्ध हैं।
इसमें एक खंड है।
काठकगृह्यसूत्र चरक शाखा से संबंद्ध है।
लौगक्षिगृह्यसूत्र पर देवपाल का भाष्य है।

गोभिलगृह्यसूत्र सामवेद की कौथुम शाखा से संबद्ध है। इसपर भट्टनारायण का भाष्य है।
इसमें चार प्रपाठक हैं।
प्रथम में नौ और शेष में दस दस कंडिकाएँ हैं।
कलकत्ता संस्कृत सिरीज़ से 1936 ई. में प्रकाशित हैं। द्राह्यायणगृह्यसूत्र,
जैमिनिगृह्यसूत्र और
कौथुम गृह्यसूत्र सामवेद से संबद्ध है।
खादिरगृह्यसूत्र भी सामवेद से संबद्ध गृह्यसूत्र है।

कोशिकागृह्यसूत्र का संबंध अथर्ववेद से है।
ये सब गृह्यसूत्र विभिन्न स्थलों से प्रकाशित हैं।
✍🏻डॉ अभिलाषा द्विवेदी

*॥ बोध में जियें ॥*आज का भगवद्ग चिंतन 
विवेक से, संयम से जगत का भोग किया जाये तो कहीं समस्या नहीं है। पदार्थों में समस्या नहीं है, हमारे उपयोग करने में समस्या है। कभी-कभी विष की एक अल्प मात्रा भी दवा का काम करती है और दवा की अत्यधिक मात्रा भी विष बन जाती है।

संसार का विरोध करके कोई इससे मुक्त नहीं हुआ। बोध से ही इससे ज्ञानीजनों ने पार पाया है। संसार को छोड़ना नहीं, बस समझना है। परमात्मा ने पेड़-पौधे, फल-फूल, नदी – वन, पर्वत – झरने और ना जाने क्या- क्या हमारे लिए बनाया है। हमारे सुख के लिए, हमारे आनंद के लिए ही तो सबकी रचना की है।

अस्तित्व में निरर्थक कुछ भी नहीं है। हर वस्तु अपने समय पर और अपनी स्थिति में श्रेष्ठ है। हर वस्तु भगवान की है। कब, कैसे, कहाँ, क्यों और किस निमित्त उसका उपयोग करना है, यह समझ में आ जाये तो जीवन को महोत्सव बनने में देर नहीं लगेगी। (साभार) 

🌿 *॥ शुभ श्रावण मास ॥* 🌿