आज का पंचाग आपका राशि फल, भगवान राम और जटायु का मार्मिक प्रसंग : जटायु थे राजा दशरथ के मित्र


श्रीराम कथा केअल्‍पज्ञात प्रसंग जटायु श्रीदशरथजी के त्‍यागी मित्र कैसे ?

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻रविवार, ०५ दिसम्बर २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:५९
सूर्यास्त: 🌅 ०५:२१
चन्द्रोदय: 🌝 ०७:५९
चन्द्रास्त: 🌜१८:१७
अयन 🌕 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु: शरद्
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 मार्गशीर्ष
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 प्रतिपदा (०९:२७ तक)
नक्षत्र 👉 ज्येष्ठा (०७:४७ तक)
योग 👉 शूल (२४:०७ तक)
प्रथम करण 👉 बव (०९:२७ तक)
द्वितीय करण 👉 बालव (१९:३७ तक)
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰️〰️
॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 वृश्चिक
चंद्र 🌟 धनु (०७:४६ से)
मंगल 🌟 वृश्चिक (उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 वृश्चिक (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 कुंम्भ (उदय, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 धनु (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
शुभाशुभ मुहूर्त विचार
⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
〰〰〰〰〰〰〰
अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४७ से १२:२८
अमृत काल 👉 २३:१७ से २४:४१
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०७:४७ से २८:५४
विजय मुहूर्त 👉 १३:५० से १४:३२
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:०६ से १७:३०
निशिता मुहूर्त 👉 २३:४० से २४:३५
राहुकाल 👉 १५:५९ से १७:१७
राहुवास 👉 उत्तर
यमगण्ड 👉 १२:०७ से १३:२५
होमाहुति 👉 सूर्य
दिशाशूल 👉 पश्चिम
नक्षत्र शूल 👉 पूर्व – ०७:४७ तक
अग्निवास 👉 पृथ्वी (२९:५० तक)
चन्द्रवास 👉 उत्तर (पूर्व ०७:४७ से)
शिववास 👉 श्मशान में (०९:२७ से गौरी के साथ, २९:५० से सभा में)
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
☄चौघड़िया विचार☄
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – उद्वेग २ – चर
३ – लाभ ४ – अमृत
५ – काल ६ – शुभ
७ – रोग ८ – उद्वेग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – शुभ २ – अमृत
३ – चर ४ – रोग
५ – काल ६ – लाभ
७ – उद्वेग ८ – शुभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
पूर्व-उत्तर (पान का सेवन कर यात्रा करें)
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰️〰️〰️〰️〰️
तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
〰️〰️〰️〰️
चंद्रदर्शन आदि।
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰️〰️
आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
〰〰〰〰〰〰〰〰〰️〰️
आज ०७:४७ तक जन्मे शिशुओ का नाम
ज्येष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (यू) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम मूल नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (ये, यो, भ, भी) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
उदय-लग्न मुहूर्त
वृश्चिक – २९:३३ से ०७:५२
धनु – ०७:५२ से ०९:५६
मकर – ०९:५६ से ११:३७
कुम्भ – ११:३७ से १३:०३
मीन – १३:०३ से १४:२६
मेष – १४:२६ से १६:००
वृषभ – १६:०० से १७:५५
मिथुन – १७:५५ से २०:१०
कर्क – २०:१० से २२:३१
सिंह – २२:३१ से २४:५०
कन्या – २४:५० से २७:०८
तुला – २७:०८ से २९:२९
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
पञ्चक रहित मुहूर्त
मृत्यु पञ्चक – ०६:५८ से ०७:४७
अग्नि पञ्चक – ०७:४७ से ०७:५२
शुभ मुहूर्त – ०७:५२ से ०९:२७
रज पञ्चक – ०९:२७ से ०९:५६
शुभ मुहूर्त – ०९:५६ से ११:३७
चोर पञ्चक – ११:३७ से १३:०३
शुभ मुहूर्त – १३:०३ से १४:२६
शुभ मुहूर्त – १४:२६ से १६:००
चोर पञ्चक – १६:०० से १७:५५
शुभ मुहूर्त – १७:५५ से २०:१०
रोग पञ्चक – २०:१० से २२:३१
शुभ मुहूर्त – २२:३१ से २४:५०
मृत्यु पञ्चक – २४:५० से २७:०८
मृत्यु पञ्चक – २७:०८ से २८:५४
अग्नि पञ्चक – २८:५४ से २९:२९
अग्नि पञ्चक – २९:२९ से २९:५०
शुभ मुहूर्त – २९:५० से ३०:५९
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
〰️〰️〰️〰️〰️〰️
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन मिश्रित फलदायी रहेगा आज आपके स्वभाव में क्रोध और दया का मिश्रित समावेश रहेगा। धन संबंधित मामलों को लेकर बेचैन रहेंगे मेहनत करने में आज कसर नही छोड़ेंगे फिर भी धन लाभ में विलंब होने पर क्रोध आएगा। आज किसी के द्वारा वादा खिलाफी का आरोप भी लगाया जा सकता है परोपकार की भावना प्रबल रहेगी लेकिन सीमित साधनों के कारण ठीक से कर नही पाएंगे फिर भी सामर्थ्य अनुसार किसी याचक को कुछ न कुछ अवश्य देंगे। भाई बंधु अथवा घर के अन्य सदस्य का जिद्दी व्यवहार कुछ समय के लिये परेशान करेगा। सरकार संबंधित कार्य भाग दौड़ के बाद आश्चर्य जनक परिणाम देंगे। रक्त अथवा पित्त संबंधित शिकायत हो सकती है।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन विषम परिस्थिति वाला रहेगा। दिन के आरंभ से ही सेहत में गिरावट दर्ज होगी लेकिन फिर भी अनदेखी करेंगे जिसका प्रतिकूल परिणाम मध्यान बाद से देखने को मिलेगा। आज पराक्रम की कमी नही रहेगी अति आत्मविश्वास की भावना से भरे रहेंगे कुछ मामलों में इससे हानि ही होगी। कार्य क्षेत्र अथवा अन्य जगह शत्रु पक्ष से तकरार होने की सम्भवना मन मे भय उत्पन्न करेगी लेकिन किसी के बीच बचाव करने पर मामला गंभीर होने से पहले ही शांत हो जाएगा। आज अन्य लोगो के सहयोग की आवश्यकता अधिक पड़ेगी इसलिए व्यर्थ की बयान बाजी से बचें। धन लाभ के लिये प्रयास में कमी नही करेंगे फिर भी आशानुकूल नही हो पायेगा। घर अन्य सदस्यों के कारण दबाव अथवा घुटन अनुभव होगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन परिस्थितियां लगभग प्रत्येक कार्य मे विजय दिलाने वाली बन रही है लेकिन आपकी मानसिक स्थित पल पल में बदलने के कारण विजय स्थायी नही रहेगी। दिन का आरंभिक भाग घरेलू और व्यावसायिक उलझनों की उधेड़ बुन में खराब होगा मध्यान के समय कही से शुभ समाचार मिलेगा अटके कार्यो में किसी अनुभवी का सहयोग भी मिलेगा लेकिन धन लाभ के लिये जब भी प्रयास करेंगे वह आगे के लिये लटकने से मन निराश होगा फिर भी खर्च लायक आय सहज मिल जाएगी। संकलन करने के विचार आज ना बनाये अन्यथा व्यर्थ मानसिक और शारीरिक कसरत करने पर भी हासिल कुछ नही होगा। स्त्री वर्ग चंचल और जिद्दी रहेंगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन आपको पूर्व में कई गई किसी गलती अथवा शत्रु पक्ष के कारण मन मे भय बना रहेगा। कार्य क्षेत्र पर भी खुल कर काम नही कर पाएंगे संकोची प्रवृति हर काम में बाधक बनेगी अपनी ही आदतों पर क्रोध भी आएगा। अपना काम निकालने के लिये अनैतिक साधनों का सहारा भी ले सकते है धन की आमद कुछ व्यवधान के बाद सीमित मात्रा में ही होगी आज आप इसको लेकर ज्यादा भाग दौड़ के पक्ष में भी नही रहेंगे। नौकरी पेशा लोग अधिक कार्य भार के कारण परेशान होंगे। व्यवसायी वर्ग किसी महत्तवपूर्ण कार्य को लेकर संतोष में रहेंगे। घर के सदस्य आवश्यकता के समय सहयोग करेंगे। सेहत में थोड़ी बहुत नरमी बनी रहेगी।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आपका ध्यान खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस पाने पर केंद्रित रहेगा इसके कारण बेतुकी हरकते करने से भी नही चूकेंगे। घर के सदस्य आपके रहस्यमयी स्वभाव से परेशान रहेंगे पल में स्नेह अगले ही पर गुस्सा करने पर परिजनो से मतभेद होंगे। माता पक्ष को छोड़कर अन्य किसी से कम ही बनेगी। नौकरी पेशा एवं व्यवसायी वर्ग अनुभव होने के बाद भी अनाड़ियों जैसे व्यवहार करेंगे। आज आप जिसे अपना शत्रु मानेंगे वही किसी न किसी रूप में धन लाभ कराएगा। थोड़ी भागदौड़ करने पर धन लाभ भी होगा लेकिन बचत नही हो सकेगी। पैतृक संपत्ति को लेकर किसी से ना उलझे मान भंग हो सकता है। व्यर्थ के खर्च में कमी लाये आगे धन संबंधित समस्या होगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन आपके लिये विभिन्न उलझनों से भरा रहेगा पूर्व में किसी से किये वादे को पूरा ना कर पाने पर अपमानित होने की संभावना है।आज आप जो भी विचारेंगे या निर्णय लेंगे परिणाम उसके विपरीत ही रहने वाला है। विशेष कर आज धन संबंधित मामलों में स्पष्टता रखें टालमटोल करने पर कलह क्लेश होगा। कार्य व्यवसाय की गति मंद रहेगी इसके ठीक करना आज बहुत मुश्किल होगा। आध्यात्मिक कार्यो में लगाव रहेगा लेकिन उलझनों के कारण समय नही दे सकेंगे। जमीन संबंधित अथवा अन्य अचल संपत्ति के कार्यो से जुड़े लोगों को प्रयास करने पर अनुकूल परिणाम मिल सकते है लेकिन धन की लेन देन आज ना करें। घर मे किसी गलतफहमी के कारण मतभेद होंगे।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आपका व्यक्तित्त्व निखारा रहेगा लेकिन फिर भी अपनी बातों को या पक्ष को अन्य के सामने रखने में परेशानी आएगी या तो आप किसी से बात ही नही करेंगे या सीधे ही अपना अधिकार जताएंगे। पराक्रम से बिगड़े कार्य और संबंधों को जोड़ने का प्रयास करेंगे इसमे काफी हद तक सफल भी रहेंगे लेकिन मन की चंचलता एक बात पर टिकने नही देगी। कार्य व्यवसाय से धन की आमद अवश्य होगी पारिवारिक सदस्यों से बना कर चले विशेष कर पैतृक कार्यो में किसी प्रकार की जोरजबरदस्ती ना करें लाभ की जगह हानि हो सकती है। भाग दौड़ का फल संध्या के समय असकमात मिलेगा। कोर्ट कचहरी अथवा शत्रु पक्ष के कारण धन खर्च होने की संभावना है।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आप अन्य लोगो को अपनी तुलना में कम आकेंगे घर और कार्य क्षेत्र पर संगी साथियो को दबा कर रखना आपसी मतभेद का कारण बनेगा। लेकिन आज किसी पुराने मुकदमे अथवा झगड़े के सुलझने पर राहत भी मिलेगी। कार्य व्यवसाय केवल बुद्धि बल और व्यवहारिकता से ही लाभ होगा वह भी आशानुकूल नही। सहकर्मी आपसे किसी न किसी बात पर नाराज ही रहेंगे। मध्यान के बाद विवेक होने के बाद भी मनमर्जी से कार्य करेंगे। लेखन अथवा अध्यापन से जुड़े लोग कई दिन की मेहनत का फल कम मिलने से उदास होंगे। आकस्मिक यात्रा के प्रसंग बनेंगे खर्च भी होगा लेकिन इसके बाद भी मन संतुष्ट ही रहेगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आप शारीरिक रूप से तंदरुस्त रहेंगे लेकिन आलस्य के कारण उखड़े मन से कार्य करेंगे। आध्यात्म एवं भाग्य पक्ष प्रबल रहेगा परन्तु फिर भी धर्म-कर्म की तुलना में सुखोपभोग को अधिक महत्त्व देंगे। मध्यान तक कि दिनचर्या में उदासीनता रहेगी इसके बाद मन मे पैतृक कार्यो अथवा संसाधनों से लाभ पाने की युक्ति लगी रहेगी। नौकरी अथवा व्यवसायी वर्ग दोनो ही बुद्धि बल से आवश्यकता अनुसार धन की आमद कर लेंगे लेकिन तुरंत खर्च भी हो जाएगा छोटे भाई बहन से पैतृक मामलों या चुगली के कारण कहा सुनी हो सकती है। माता पक्ष से जो आशा लगाए है उसके पूरे होने में संदेह रहेगा।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आपके लिये आज का दिन प्रतिकूल रहेगा। आज आप अपने मन की बात किसी को समझाने में असफल रहेंगे उल्टे आपकी बात का अन्य अर्थ निकालने पर किसी से तकरार अथवा प्रेम सम्बंध में।खटास आसकती है। दिन के आरंभ से मध्यान बाद तक का समय कलह वाला बना है सोच समझ कर ही किसी से व्यवहार करें धन को लेकर भी उलझने लगी रहेंगी जोड़ तोड़ कर भी धन लाभ होने की जगह आज खर्च ही अधिक होगा। व्यवसायी वर्ग भी लेदेकर सौदे करेंगे जिससे धन लाभ तो होगा लेकिन हानि की भरपाई नही कर सकेंगे। घर मे महिला वर्ग आर्थिक उलझन सुलझाने में मदद कर सकती है लेकिन चार बाते सुनाने के बाद ही। सेहत ठीक रहेगी पर मानसिक तनाव के कारण अंदर ही अंदर कुढ़न लगी रहेगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन राज समाज से सम्मान दिलाएगा आपका नरम स्वभाव अन्य लोगो को आकर्षित करेगा लेकिन किसी की उद्दंडता को बख्शेंगे भी नही। कार्य क्षेत्र पर आज प्रतिस्पर्धी पराजित होंगे पुराने सौदों से धन लाभ होगा भविष्य के लिये नई योजना बनेगी परन्तु इस पर कार्य आज आरम्भ ना करें धन फंसने की संभावना है। आज किसी अन्य व्यवसायी को मिलने वाला अनुबंध आपकी झोली में आसकता है इसके लिए थोड़े अधिक व्यवहारिक होने की आवश्यकता है। माता पिता से स्नेह संबंध रहेंगे लेकिन पति पत्नी के बीच अहम अथवा जिद को लेकर खींचतान होगी संताने भी पिता का पक्ष लेंगी। मन व्यसनों की और शीघ्र आकर्षित होगा इससे बचें। सेहत लगभग सामान्य ही रहेगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का पिछले कुछ दिनों की तुलना में बेहतर रूप से व्यतीत करेंगे। आज आप जिस भी कार्य को करना आरंभ करेंगे परिस्थितियां स्वतः ही उसके अनुकूल बन जाएंगी लेकिन स्वभाव में आलस्य रहने के कारण कुछ ना कुछ अभाव भी रहेगा। नौकरी व्यवसाय में भाग्य का साथ मिलेगा अन्य प्रतिस्पर्धियों की तुलना में आपका काम अच्छा रहेगा आपकी कार्य प्रणाली भी लोगो को पसंद आएगी इस कारण मन मे अहम भाव उत्पन्न होगा। भाई बंधुओ का सुख भी अन्य दिनों की अपेक्षा ठीक रहेगा लेकिन मन मे स्वार्थ सिद्धि की भावना भी रहेगी। सरकारी कार्यो को आज टालने का प्रयास करें भागदौड़ एवं खर्च के बाद भी परिणाम निराश करेंगे। दांन्त अथवा हड्डियों में दर्द या मूत्राशय संबंधित शिकायत रह सकती है।
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
〰〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏

अरण्‍यकाण्‍ड में श्रीराम ऋषि अगस्‍त्‍य के आश्रम में पहुँचने के बाद उनसे आगे जाने का स्‍थान पूछते हैं ऋषि अगस्‍त्‍य श्रीराम को वह सुन्‍दर स्‍थान बड़े ही रहस्‍यपूर्ण शब्‍दों में इस प्रकार बताते है –

है प्रभु परम मनोहर ठाऊँ।पावन पंचवटी तेहि नाऊँ॥
दंडक बन पुनीत प्रभु करहू । उग्र साप मुनिबर कर हरहू ॥ श्रीराम च.मा.अरण्‍यकाण्‍ड 12- 8

हे प्रभो ! एक परम मनोहर और पवित्र स्‍थान हैं , जिसका नाम पंचवटी है । प्रभु ! आप दण्‍डकवन (जहां पंचवटी है) पवित्र कीजिये और श्रेष्‍ठ मुनि गौतमजी के कठोर शाप को हर लीजिये ।

यहाँ पर गृध्रराज जटायु से श्रीराम की प्रथम भेंट हुई । गृध्रराज जटायु से श्रीराम ने प्रीति कर गोदावरी के पास पर्णशाला निर्मित की ।

दो- गीधराज सें भेंट भई बहु बिधि प्रीति बढ़ाइ।
गोदावरी निकट प्रभु रहे परन गृह छाइ ॥
श्रीराम .च.मा.अरण्‍य काण्‍ड दोहा 13

श्रीराम एवं गीधराज जटायु की प्रीति क्‍यों हुई ? श्रीराम ने उसे राक्षस समझकर क्‍या प्रश्‍न किया ?आदि का वर्णन महर्षि वाल्‍मीकिजी ने संक्षिप्‍त में अपनी ही शैली से इस प्रकार किया है –

तं दृष्‍ट्‌वा तौ महाभागौ वनस्‍थं रामलक्ष्‍मणौ ।
मेनाते राक्षसं पक्षि बु्रवाणौ को भवानीति ॥
श्री वा.रा. अरण्‍य 14-2

वन में बैठे हुए उस विशाल पक्षी को देखकर महाभाग श्रीराम और लक्ष्‍मण ने उसे राक्षस ही समझा और उनसे पूछा- आप कौन है ? तब जटायु जी ने उन्‍हें इस प्रकार उत्‍तर दिया –

ततो मधुरया वाचा सौम्‍यया प्रीणयन्‍निवः ।
उवाच वत्‍स मां विद्धि वयस्‍यं पितुरात्‍मनः ॥
श्री. वा.रा. अरण्‍य 14-3

तब जटायु नें बड़ी मधुर व कोमल वाणी में उन्‍हें प्रसन्‍न करते हुए कहा -वत्‍स मुझे अपने पिता का मित्र समझो। श्रीराम इस परिचय से भी संतुष्‍ट न हुए तथा शान्‍त भाव एवं पिता के मित्र मानकर उनका कुल और नाम पूछा। जटायु ने विनता के दो पुत्र गरूड़ और अरूण बताये तथा अरूण के पुत्र सम्‍पाति को अपना बड़ा भाई तथा स्‍ययं को जटायु बताया ।

जटायु ने श्रीराम से कहा हे वत्‍स ! यदि आप चाहे तो मैं आपके वन निवास में सहायक होऊँगा। यह दुर्गम वन मृगो तथा राक्षसों से सेवित है । लक्ष्‍मण सहित आप यदि अपनी पर्णशाला से कभी बाहर चले जायँ तो उस अवसर पर मैं देवी सीता की रक्षा करूँगा ।

जटायुषं तु प्रतिपूज्‍य राधवो मुदा परिष्‌वज्‍य च संनतोऽअभवत्‌ ।
पितुुर्हि शुश्राव सखित्‍वमात्‍मवा -ञज्‌टायुषा संकथितं पुनः पुनः ॥ श्री वा.रा. अरण्‍य 14-35

यह सुनकर श्रीराम जी ने जटायु का बड़ा सम्‍मान किया और प्रसन्‍नतापूर्वक अनके गले लगकर वे उनके सामने नतमस्‍तक हो गये । फिर पिता के साथ उनकी मित्रता हुई थी वह प्रसंग मनस्‍वी श्रीराम ने जटायु के मुख से बार-बार सुना ।

जटायु ने दशरथजी की मित्रता की परीक्षा श्रीसीताहरण के समय अपनें प्राणों की बाजी लगा कर दे ही दी। जब जटायु ने देखा कि दुष्‍ट रावण सीताजी का हरण कर ले जा रहा है तब कहा –

सीते पुत्रि करसि जनि त्रासा । करिहउँ जातुधान कर नासा ।
धावा क्रोधवंत खग कैसें । छूटइ पबि परबत कहुँ जैसे ॥
श्रीरामचरित.मा.अरण्‍य -दोहा 28-5

जटायु जी बोले हे सीते पुत्री । भय मत कर। मैं इस राक्षस का नाश करूँगा इतना कह कर जटायुजी क्रोध में भरकर कैसे दौड़े , जैसे पर्वत की ओर वज्र छूटता हो। जटायु ने रावण के बाल पकड़कर उसको रथ से नीचे उतार दिया । रावण पृथ्‍वी पर गिर पड़ा जटायु जी ने श्रीसीताजी को एक ओर सुरक्षित बैठाकर लौट कर रावण को चौचों से मार मार कर शरीर विदीर्ण कर डाला तथा रावण एक घड़ी के लिये मूिच्‍र्छत हो गया ।

जटायुजी ने रावण से कहा रावण ! बाप -दादाओं से प्राप्‍त इस पक्षियों के राज्‍य का विधिवत पालन करते हुए मुझे जन्‍म से लेकर अब तक साठ हजार वर्ष बीत गये है । मैं बूढ़ा हो गया हूँ तुम नवयुवक हो । तुम्‍हारे पास धनुष ,कवच, बाण तथा रथ सब कुछ है फिर भी तुम सीता को कुशलता पूर्वक नहीं ले जा सकते हो ।

अवश्‍यं तु मया कार्यं प्रियं तस्‍य महात्‍मनः ।
जीवितेनापि रामस्‍य तथा दशरथस्‍य च ॥
श्री वा.रा. अरण्‍य सर्ग 50-27

मुझे अपने प्राण देकर भी महात्‍मा श्रीराम तथा दशरथ का प्रिय कार्य अवश्‍य ही करना होगा। जटायु ने रावण के सारथि, रथ के धोड़े आदि को काल के गाल में गिरा दिया। जटायु के पास मात्र नख,पाँख और चोंच ही हथियार थे तथा वह रावण पर इनका प्रयोग कर रहे थे । अन्‍त में रावण ने तलवार से श्रीराम के लिए पराक्रम करने वाले जटायु के पंख ,पैर तथा पार्श्‍व भाग काट दिया । श्रीराम कपट मृग मारीच का वध कर लक्ष्‍मण सहित पर्णकुटि की ओर लौटे तब देखा कि –

अयं पितुर्वयस्‍यो मे गृध्रराजो महाबलः ।
शेते विनिहतो भूमौ मम भाग्‍यविपर्ययात्‌ ॥
श्री वा.रा. अरण्‍य सर्ग 67 – 27

ये महाबली गृध्रराज जटायु मेरे पिताजी के मित्र थे किन्‍तु आज मेरे दुर्भाग्‍य वश मारे जाकर इस समय पृथ्‍वी पर पड़े है। इस प्रकार बहुत सी बाते कहकर लक्ष्‍मण सहित श्रीराम ने जटायु के शरीर पर हाथ फेरा और पिता के प्रति जैसा स्‍नेह होना चाहिये , वैसा ही उनके प्रति प्रदर्शित किया।

जटायु ने बताया है तात्‌ ! जब मैं रावण से लड़ता-लड़ता थक गया उस अवस्‍था में मेरे दोनों पंख काटकर निशाचर विदेहनन्‍दिनी सीताजी को यहां से दक्षिण दिशा की ओर ले गया । जटायु ने बताया कि रावण विश्रवा का पुत्र और कुबेर का सगा भाई है अंत में इतना कहकर पक्षीराज ने दशरथ जी की मित्रता की परीक्षा देकर दुर्लभ प्राणों का परित्‍याग कर दिया ।

वाल्‍मीकीय के एक संस्‍कृत टीकाकार ने लिखा है कि राजा लोग एक दूसरे से मित्रता रखते है जैसे रावण ने वानरराज बालि से मित्रता की, श्रीरामजी ने सुग्रीव से मित्रता की , दशरथजी ने जटायु से ,गृध्रराज होने से मित्रता थी ।

एक कथा आग्‍नेय रामायण में कही गयी है कि कौशल्‍या जी के विवाह के लिये बारात चली । रावण ने विध्‍न डाला। जिस नदी से राजा नाव पर जा रहे थे उसमें बाढ़ आ गई। नाव टूटी दशरथजी एक बहते हुये टापू पर जा लगे। गुरू वशिष्‍ठ भी उनके साथ थे । उस समय यह चिन्‍ता हुई कि विवाह का मुहुर्त निकट है कोसलपुर कैसे पहुँचे ? तब गृध्रराज जटायु ने दशरथ जी को पीठ पर सवार कर वहाँ पहुँचा दिया था।

भावार्थ रामायण के प्रसंग में वर्णित है कि जब दशरथ जी नमुचि युद्ध में इन्‍द्र की सहायता करने गये तब जटायु ने नमुचि का शिरस्‍त्राण उड़ा दिया, उसी समय दशरथ जी ने बाण से दैत्‍य का विनाश कर दिया। इस प्रकार से अपने आपको दशरथजी का युद्धसखा निरूपित किया हैं। दशरथ जी की आयु 60 हजार वर्ष थी ,जटायु की भी यथा –

षष्‍टिवर्षसहस्‍त्राणि मम जातस्‍य रावण : श्री वा.रा. अरण्‍य 3-50 -20,मनु जो दशरथ हुए कश्‍यप के पौत्र और जटायु भी कश्‍यप के पौत्र अथवा कश्‍यप ही दशरथ है और जटायु कश्‍यप के पौत्र है इत्‍यादि बहुत प्रकार के नाते रिश्‍ते बताकर जटायु ने श्रीराम से प्रीति बढ़ायी।

आज हमारे समाज में जटायु जैसे निस्‍वार्थ त्‍यागी, सच्‍चे , धर्म की रक्षा में रत , देश प्रेम के लिये बलिदान करने वालों की नितांत आवश्‍यकता है । रामायण या श्रीरामचरितमानस की कथायें समाज में मार्गदर्शन कर रही है तथा भौतिकवादी समाज में आध्‍यात्‍म की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है । यदि हम अपने आपाधापी के जीवन में अनेक नहीं अपितु एक ही मित्र जटायु सा प्राप्‍त कर लेते हैं तो हमारी जीवन की सबसे बड़ी कमाई तथा सार्थकता है ।

Ilआचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र:ll