आज का पंचाग, आपका राशि फल, सनातन धर्म संस्कृति के ग्रंथ और उनके रचयिता एक दुर्लभ और अद्भुत पोस्ट, भोजन के वर्तन और उनका प्रभाव, भट्टों का ऐतिहासिक योगदान

मित्रो आज की यह पोस्ट बहुत दुर्लभ और अद्भुत है। पुण्य लाभ के लिए इसे अपने परिजनों और मित्रों को अवश्य भेजें और इस लिंक को सदैव संभाल कर रखिएगा। और समय मिलनेे प पूरा पढ़ने का प्रयत्न करें। भगवान श्रीकृष्ण भी नित्य पंचाग और सनातन धर्म संस्कृति पढ़ते थे। 
🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक 25 मार्च 2021*
⛅ *दिन – गुरुवार*
⛅ *विक्रम संवत – 2077*
⛅ *शक संवत – 1942*
⛅ *अयन – उत्तरायण*
⛅ *ऋतु – वसंत*
⛅ *मास – फाल्गुन*
⛅ *पक्ष – शुक्ल*
⛅ *तिथि – एकादशी सुबह 09:47 तक तत्पश्चात द्वादशी*
⛅ *नक्षत्र – अश्लेशा रात्रि 10:49 तक तत्पश्चात मघा*
⛅ *योग – सुकर्मा सुबह 10:04 तक तत्पश्चात धृति*
⛅ *राहुकाल – दोपहर 02:16 से शाम 03:48 तक*
⛅ *सूर्योदय – 06:39*
⛅ *सूर्यास्त – 18:49*
⛅ *दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण – आमलकी एकादशी*
💥 *विशेष – हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
💥 *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
💥 *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*
💥 *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं
💥 *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *आमलकी एकादशी* 🌷
➡ *25 मार्च आमलकी एकादशी (व्रत करके आँवले के वृक्ष के पास रात्रि-जागरण, उसकी १०८ या २८ परिक्रमा करने से सब पापों का नाश व १००० गोदान का फल )*
🙏🏻
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *आर्थिक परेशानियां हो तो* 🌷
💰 *किसी को आर्थिक परिस्थिति ठीक न हो तो होली की पूनम के दिन एक समय ही खाना खायें, एक समय उपवास करें अथवा  नमक बिना का भोजन करें होली की रात को खीर बनायें और चंद्रमा को भोग लगाकर उसे लें; दिया दिखा दें चंद्रमा को; एक लोटे में जल लेकर उसमें चावल, शक्कर, कुमकुम, फूल, आदि डाल दें और चंद्रमा को ये मंत्र बोलते हुए अर्घ्य दें;*
🌷 *दधीशंख: तुषाराभम् क्षीरोरदार्णव संनिभम्*
*नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम्*
🌙 *हे चंद्र देव! भगवान शिवजी ने आपको अपने बालों में धारण किया है, आपको मेरा प्रणाम है।*
➡ *अगर पूरा मंत्र याद न रहे तो “ॐ सोमाय नमः , ॐ सोमाय नमः” , इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *होली के दिन पूजा विशेष* 🌷
🔥 *होली के दिन हनुमान जी के पूजा का विशेष विधान है, हो सके तो करना | पूजा का मतलब यह जरूरी नहीं की हनुमान जी के आगे दिया जलायें तब ही वे प्रसन्न होंगे | “श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि बरनउ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि”, ” मनोजवं मारुततुल्य वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं | वातात्मजं वानरयूथ मुख्यं श्री राम दूतं शरणं प्रपद्ये || ” ऐसी प्रार्थना कर दी, वे राजी हो जायेंगे | होली के दिन एक बार जरूर कर लें, बहुत लाभ होगा |*
🔥 *होली के दिन शास्त्रों में लक्ष्मी माता की पूजा का भी विधान बताया गया है | वह कपूर का दिया जलाकर करें | थोड़ा सा ही कपूर जलायें | होली का पर्व दरिद्रता का नाश करनेवाला पर्व है |*
🙏🏻 *-
मेष
आज का दिन आपके लिए मिलाजुला रहेगा। आज आप बहुत सी सुख सुविधाओं की खरीदारी पर धन खर्च करेंगे, लेकिन धन खर्च करते समय अपनी जेब का ख्याल रखें। आज आपके कार्यक्षेत्र में आपके शत्रु प्रबल रहेंगे, लेकिन वह आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। विद्यार्थी यदि किसी शिक्षा संस्थान में एडमिशन प्राप्त करना चाहते हैं, तो उसमें सफलता प्राप्त होगी। आज अपनी माता जी के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें और यदि कोई परेशानी हो, तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
वृष 
आज का दिन रोजगार के क्षेत्र में उत्तम लाभदायक रहेगा। रोजगार से संबंधित अधिकतर युवाओं की चिंता आज खत्म होंगी। आपके पारिवारिक बिजनेस में पिताजी की सलाह आपके लिए आवश्यक रहेगी। आज आपको फिजूलखर्ची और लापरवाही से बचना होगा, नहीं तो आप भारी मुसीबत में पड़ सकते हैं। ससुराल पक्ष से यदि कोई धन का लेनदेन करना हो, तो रिश्तो में दरार पड़ जाएगी। आप की संतान के विवाह संबंधित कोई शुभ सूचना आज आपको प्राप्त हो सकती है।
मिथुन
आज का दिन आपके लिए निश्चित परिणाम लेकर आएगा। आज आपका अपनी माता जी से कुछ व्यापारी वैचारिक मतभेद हो सकता है, जिसकी वजह से परिवार का वातावरण टेंशन भरा रहेगा। आज आप अपनी जीवनसाथी की आवश्यकता को पूरा करेंगे और उन्हें साथ लेकर शॉपिंग पर भी जा सकते हैं। प्रेम जीवन सुदृढ़ होगा। आज आपको अनियंत्रित खर्चों से बचना होगा, नहीं तो यह आपकी आर्थिक स्थिति को बिगाड़ कर रख देंगे।
कर्क
राजनीति से जुड़े जातकों को आज समाज सेवा करने का अवसर प्राप्त होगा। आज आपके घर में कोई शुभ व मांगलिक कार्यक्रम हो सकता है, जिसमें अतिथियों का आगमन भी होगा। छात्र गुरुजनों के सहयोग से अपने लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश करेंगे। व्यवसाय से जुड़े जातकों को आज अपना पूरा ध्यान अपने कार्य क्षेत्र पर ही लगाना होगा, तभी भविष्य में आर्थिक स्थिति अच्छी होती दिख रही है। यदि आज आप निवेश करने की सोच रहे हैं, तो उसके लिए दिन उत्तम नहीं है।
सिंह
आज का दिन आपको कड़ी मेहनत करने का होगा, तभी सफलता प्राप्त होती दिख रही है। नौकरी से जुड़े जातकों को आज अपने कार्यस्थल पर ज्यादा ध्यान नहीं देना होगा, नहीं तो विरोधी आपके खिलाफ कोई षड्यंत्र रच सकते हैं, इसलिए सतर्क रहें। आज आपकी अपनी किसी पुराने मित्र से मुलाकात होगी और उनके साथ पुरानी यादों को ताजा करते हुए अच्छा समय व्यतीत करेंगे। आज आपको संतान के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना है।
कन्या
आज का दिन आपके लिए मिश्रित परिणाम लेकर आएगा। आज आपको अपने व्यवसाय के लिए कुछ नई योजनाएं तैयार करनी होगी, जो भविष्य में आप के लिए लाभदायक सिद्ध होंगी। किसी वरिष्ठ व्यक्ति की सलाह से आपके अटके हुए कार्य पूरे होंगे। व्यापार करने वाले लोगों के लिए आज कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन धीरे-धीरे सब सही हो जाएगा। चीजें वापस पटरी पर आ जाएंगी। आपके जीवन साथी कि सलाह आपके बिजनेस के लिए कारगर साबित होगी।
तुला
यदि आप किसी संपत्ति में निवेश करने के लिए सोच रहे हैं, तो उसके लिए दिन उत्तम है। संतान के विवाह संबंधित समस्या समाप्त होगी। आज जीवन साथी के साथ वाद विवाद की आशंका बन सकती है, इसलिए सतर्क रहें। आज सायंकाल का समय आप अपने परिवार के छोटे बच्चों के साथ मौज मस्ती करने में व्यतीत करेंगे।
वृश्चिक
जो लोग व्यापार से जुड़े हैं, आज उनको पहली प्राथमिकता अपने व्यापार को देनी होगी। आलस्य को त्यागना होगा, तभी भविष्य में आपको लाभ होगा। यदि कोर्ट कचहरी में कोई मामला चल रहा है, तो वह आज किसी वरिष्ठ अधिकारी की सलाह से समाप्त होगा। विद्यार्थियों को पढ़ाई में अपने सीनियर्स की सलाह की आवश्यकता होगी। आज शाम के समय वाहन चलाने में सावधानी बरतें।
धनु
आज का दिन आपके लिए शुभ सूचना लेकर आएगा। आपके परिवार में चल रही समस्या का आपके पिताजी की सलाह से अंत होगा। व्यापारियों को नगद धन की कमी का सामना करना पड़ सकता है। प्रेम जीवन में नवीनता आएगी। संतान के भविष्य के लिए कुछ निवेश कर सकते हैं। राजनीति से जुड़े जातकों को अच्छा जन समर्थन मिलेगा। नौकरी में प्रमोशन मिलने की आशंका है।
मकर
आज का दिन आपके लिए उत्तम रहेगा। आज भविष्य को मजबूत बनाने के लिए कुछ नई-नई योजना बनाएंगे, जिनको विशेषज्ञों की सलाह की आवश्यकता होगी। यदि आप कोई नई नौकरी करना चाहते हैं, तो उसके लिए समय उत्तम नहीं है। विद्यार्थियों को आज सफलता प्राप्ति के लिए अधिक मेहनत की आवश्यकता होगी। ससुराल पक्ष से सम्मान मिलता दिख रहा है।
कुंभ
आज आपकी नौकरी में आपके कुछ कार्य में अवरोध उत्पन्न हो सकता है, लेकिन धीरे-धीरे आप सभी समस्याओं से मुक्ति पा लेंगे। आज आपके पिताजी की सेहत में कुछ गिरावट आ सकती है, इसलिए ध्यान रखें। आप परिवार मे कोई कलह उत्पन्न हो सकती है, जिससे मानसिक तनाव रहेगा, लेकिन फिर भी आपको अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना है, तभी कार्य में सफलता मिलती दिख रही है।
मीन
आज का दिन विद्यार्थियों के लिए उत्तम रहेगा। विद्यार्थियों की किसी अनुभवी व्यक्ति से मुलाकात होगी, जिसका अनुभव और मार्गदर्शन उनकी पढ़ाई में सहायता कराएगा। व्यापार के लिए यदि आज यात्रा करते हैं, तो वह उत्तम रहेगी। आज आप घर के लिए कुछ सामान की खरीदारी कर सकते हैं, लेकिन अपनी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर ही करें। यदि कोई निवेश करना चाहते हैं, तो उसके लिए आज दिन उत्तम है। पारिवारिक बिजनेस के लिए जीवनसाथी की सलाह सहायक सिद्ध होगी।

जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं

दिनांक 25 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 7 होगा। यह अंक वरूण ग्रह से संचालित होता है। इस अंक से प्रभावित व्यक्ति अपने आप में कई विशेषता लिए होते हैं। आप खुले दिल के व्यक्ति हैं। आप पैनी नजर के होते हैं। किसी के मन की बात तुरंत समझने की आपमें दक्षता होती है। आपकी प्रवृत्ति जल की तरह होती है। जिस तरह जल अपनी राह स्वयं बना लेता है वैसे ही आप भी तमाम बाधाओं को पार कर अपनी मंजिल पाने में कामयाब होते हैं।

शुभ दिनांक : 7, 16, 25

शुभ अंक : 7, 16, 25, 34

 

शुभ वर्ष : 2023

ईष्टदेव : भगवान शिव तथा विष्णु

शुभ रंग : सफेद, पिंक, जामुनी, मेहरून

कैसा रहेगा यह वर्ष
नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए समय सुखकर रहेगा। नवीन कार्य-योजना शुरू करने से पहले केसर का लंबा तिलक लगाएं। आपके कार्य में तेजी का वातावरण रहेगा। आपको प्रत्येक कार्य में जुटकर ही सफलता मिलेगी। व्यापार-व्यवसाय की स्थिति उत्तम रहेगी। अधिकारी वर्ग का सहयोग मिलेगा। मंदिर में पताका चढ़ाएं

 प्रिय सज्जनों इस पोस्ट को समय निकाल कर एक बार जरूर पढ़ें, ऐसी जानकारी बार-बार नहीं आती, पढ़ने के बाद आगे भेजें, ताकि लोगों को सनातन धर्म की जानकारी हो सके आपका आभार धन्यवाद होगा
 
1-अष्टाध्यायी               पाणिनी
2-रामायण                    वाल्मीकि
3-महाभारत                  वेदव्यास
4-अर्थशास्त्र                  चाणक्य
5-महाभाष्य                  पतंजलि
6-सत्सहसारिका सूत्र      नागार्जुन
7-बुद्धचरित                  अश्वघोष
8-सौंदरानन्द                 अश्वघोष
9-महाविभाषाशास्त्र        वसुमित्र
10- स्वप्नवासवदत्ता        भास
11-कामसूत्र                  वात्स्यायन
12-कुमारसंभवम्           कालिदास
13-अभिज्ञानशकुंतलम्    कालिदास  
14-विक्रमोउर्वशियां        कालिदास
15-मेघदूत                    कालिदास
16-रघुवंशम्                  कालिदास
17-मालविकाग्निमित्रम्   कालिदास
18-नाट्यशास्त्र              भरतमुनि
19-देवीचंद्रगुप्तम          विशाखदत्त
20-मृच्छकटिकम्          शूद्रक
21-सूर्य सिद्धान्त           आर्यभट्ट
22-वृहतसिंता               बरामिहिर
23-पंचतंत्र।                  विष्णु शर्मा
24-कथासरित्सागर        सोमदेव
25-अभिधम्मकोश         वसुबन्धु
26-मुद्राराक्षस               विशाखदत्त
27-रावणवध।              भटिट
28-किरातार्जुनीयम्       भारवि
29-दशकुमारचरितम्     दंडी
30-हर्षचरित                वाणभट्ट
31-कादंबरी                वाणभट्ट
32-वासवदत्ता             सुबंधु
33-नागानंद                हर्षवधन
34-रत्नावली               हर्षवर्धन
35-प्रियदर्शिका            हर्षवर्धन
36-मालतीमाधव         भवभूति
37-पृथ्वीराज विजय     जयानक
38-कर्पूरमंजरी            राजशेखर
39-काव्यमीमांसा         राजशेखर
40-नवसहसांक चरित   पदम् गुप्त
41-शब्दानुशासन         राजभोज
42-वृहतकथामंजरी      क्षेमेन्द्र
43-नैषधचरितम           श्रीहर्ष
44-विक्रमांकदेवचरित   बिल्हण
45-कुमारपालचरित      हेमचन्द्र
46-गीतगोविन्द            जयदेव
47-पृथ्वीराजरासो         चंदरवरदाई
48-राजतरंगिणी           कल्हण
49-रासमाला               सोमेश्वर
50-शिशुपाल वध          माघ
51-गौडवाहो                वाकपति
52-रामचरित                सन्धयाकरनंदी
53-द्वयाश्रय काव्य         हेमचन्द्र
 
वेद-ज्ञान:-
 
प्र.1-  वेद किसे कहते है ?
उत्तर-  ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।
 
प्र.2-  वेद-ज्ञान किसने दिया ?
उत्तर-  ईश्वर ने दिया।
 
प्र.3-  ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया ?
उत्तर-  ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।
 
प्र.4-  ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?
उत्तर- मनुष्य-मात्र के कल्याण         के लिए।
 
प्र.5-  वेद कितने है ?
उत्तर- चार ।                                                  
1-ऋग्वेद 
2-यजुर्वेद  
3-सामवेद
4-अथर्ववेद
 
प्र.6-  वेदों के ब्राह्मण ।
        वेद              ब्राह्मण
1 – ऋग्वेद      –     ऐतरेय
2 – यजुर्वेद      –     शतपथ
3 – सामवेद     –    तांड्य
4 – अथर्ववेद   –   गोपथ
 
प्र.7-  वेदों के उपवेद कितने है।
उत्तर –  चार।
      वेद                     उपवेद
    1- ऋग्वेद       –     आयुर्वेद
    2- यजुर्वेद       –    धनुर्वेद
    3 -सामवेद      –     गंधर्ववेद
    4- अथर्ववेद    –     अर्थवेद
 
प्र 8-  वेदों के अंग हैं ।
उत्तर –  छः ।
1 – शिक्षा
2 – कल्प
3 – निरूक्त
4 – व्याकरण
5 – छंद
6 – ज्योतिष
 
प्र.9- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया ?
उत्तर- चार ऋषियों को।
         वेद                ऋषि
1- ऋग्वेद         –      अग्नि
2 – यजुर्वेद       –       वायु
3 – सामवेद      –      आदित्य
4 – अथर्ववेद    –     अंगिरा
 
प्र.10-  वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया ?
उत्तर- समाधि की अवस्था में।
 
प्र.11-  वेदों में कैसे ज्ञान है ?
उत्तर-  सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान।
 
प्र.12-  वेदो के विषय कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-   चार ।
        ऋषि        विषय
1-  ऋग्वेद    –    ज्ञान
2-  यजुर्वेद    –    कर्म
3-  सामवे     –    उपासना
4-  अथर्ववेद –    विज्ञान
 
प्र.13-  वेदों में।
 
ऋग्वेद में।
1-  मंडल      –  10
2 – अष्टक     –   08
3 – सूक्त        –  1028
4 – अनुवाक  –   85 
5 – ऋचाएं     –  10589
 
यजुर्वेद में।
1- अध्याय    –  40
2- मंत्र           – 1975
 
सामवेद में।
1-  आरचिक   –  06
2 – अध्याय     –   06
3-  ऋचाएं       –  1875
 
अथर्ववेद में।
1- कांड      –    20
2- सूक्त      –   731
3 – मंत्र       –   5977
          
प्र.14-  वेद पढ़ने का अधिकार किसको है ?                                                                                                                                                              उत्तर-  मनुष्य-मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।
 
प्र.15-  क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?
उत्तर-  बिलकुल भी नहीं।
 
प्र.16-  क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?
उत्तर-  नहीं।
 
प्र.17-  सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?
उत्तर-  ऋग्वेद।
 
प्र.18-  वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?
उत्तर-  वेदो की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा द्वारा हुई । अर्थात 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 43 हजार वर्ष पूर्व । 
 
प्र.19-  वेद-ज्ञान के सहायक दर्शन-शास्त्र ( उपअंग ) कितने हैं और उनके लेखकों का क्या नाम है ?
उत्तर- 
1-  न्याय दर्शन  – गौतम मुनि।
2- वैशेषिक दर्शन  – कणाद मुनि।
3- योगदर्शन  – पतंजलि मुनि।
4- मीमांसा दर्शन  – जैमिनी मुनि।
5- सांख्य दर्शन  – कपिल मुनि।
6- वेदांत दर्शन  – व्यास मुनि।
 
प्र.20-  शास्त्रों के विषय क्या है ?
उत्तर-  आत्मा,  परमात्मा, प्रकृति,  जगत की उत्पत्ति,  मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक  ज्ञान-विज्ञान आदि।
 
प्र.21-  प्रामाणिक उपनिषदे कितनी है ?
उत्तर-  केवल ग्यारह।
 
प्र.22-  उपनिषदों के नाम बतावे ?
उत्तर-  
01-ईश ( ईशावास्य )  
02-केन  
03-कठ  
04-प्रश्न  
05-मुंडक  
06-मांडू  
07-ऐतरेय  
08-तैत्तिरीय 
09-छांदोग्य 
10-वृहदारण्यक 
11-श्वेताश्वतर ।
 
प्र.23-  उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए है ?
उत्तर- वेदों से।
प्र.24- चार वर्ण।
उत्तर- 
1- ब्राह्मण
2- क्षत्रिय
3- वैश्य
4- शूद्र
 
प्र.25- चार युग।
1- सतयुग – 17,28000  वर्षों का नाम ( सतयुग ) रखा है।
2- त्रेतायुग- 12,96000  वर्षों का नाम ( त्रेतायुग ) रखा है।
3- द्वापरयुग- 8,64000  वर्षों का नाम है।
4- कलयुग- 4,32000  वर्षों का नाम है।
कलयुग के  4,976  वर्षों का भोग हो चुका है अभी तक।
4,27024 वर्षों का भोग होना है। 
 
पंच महायज्ञ
       1- ब्रह्मयज्ञ   
       2- देवयज्ञ
       3- पितृयज्ञ
       4- बलिवैश्वदेवयज्ञ
       5- अतिथियज्ञ
   
स्वर्ग  –  जहाँ सुख है।
नरक  –  जहाँ दुःख है।.
 
*#भगवान_शिव के  “35” रहस्य!!!!!!!!
 
भगवान शिव अर्थात पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है।

 
*🔱1. आदिनाथ शिव : -* सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें ‘आदिदेव’ भी कहा जाता है। ‘आदि’ का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम ‘आदिश’ भी है।
 
*🔱2. शिव के अस्त्र-शस्त्र : -* शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था।
 
*🔱3. भगवान शिव का नाग : -* शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है।
 
*🔱4. शिव की अर्द्धांगिनी : -* शिव की पहली पत्नी सती ने ही अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया और वही उमा, उर्मि, काली कही गई हैं।
 
*🔱5. शिव के पुत्र : -* शिव के प्रमुख 6 पुत्र हैं- गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा। सभी के जन्म की कथा रोचक है।
 
*🔱6. शिव के शिष्य : -* शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी। शिव के शिष्य हैं- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे।
 
*🔱7. शिव के गण : -* शिव के गणों में भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय प्रमुख हैं। इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है। 
 
*🔱8. शिव पंचायत : -* भगवान सूर्य, गणपति, देवी, रुद्र और विष्णु ये शिव पंचायत कहलाते हैं।
 
*🔱9. शिव के द्वारपाल : -* नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमा-महेश्वर और महाकाल।
 
*🔱10. शिव पार्षद : -* जिस तरह जय और विजय विष्णु के पार्षद हैं उसी तरह बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी आदि शिव के पार्षद हैं।
 
*🔱11. सभी धर्मों का केंद्र शिव : -* शिव की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म के लोग उनमें अपने प्रतीक ढूंढ सकते हैं। मुशरिक, यजीदी, साबिईन, सुबी, इब्राहीमी धर्मों में शिव के होने की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। शिव के शिष्यों से एक ऐसी परंपरा की शुरुआत हुई, जो आगे चलकर शैव, सिद्ध, नाथ, दिगंबर और सूफी संप्रदाय में वि‍भक्त हो गई।
 
*🔱12. बौद्ध साहित्य के मर्मज्ञ अंतरराष्ट्रीय : -*  ख्यातिप्राप्त विद्वान प्रोफेसर उपासक का मानना है कि शंकर ने ही बुद्ध के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने पालि ग्रंथों में वर्णित 27 बुद्धों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें बुद्ध के 3 नाम अतिप्राचीन हैं- तणंकर, शणंकर और मेघंकर।
 
*🔱13. देवता और असुर दोनों के प्रिय शिव : -* भगवान शिव को देवों के साथ असुर, दानव, राक्षस, पिशाच, गंधर्व, यक्ष आदि सभी पूजते हैं। वे रावण को भी वरदान देते हैं और राम को भी। उन्होंने भस्मासुर, शुक्राचार्य आदि कई असुरों को वरदान दिया था। शिव, सभी आदिवासी, वनवासी जाति, वर्ण, धर्म और समाज के सर्वोच्च देवता हैं।
 
*🔱14. शिव चिह्न : -* वनवासी से लेकर सभी साधारण व्‍यक्ति जिस चिह्न की पूजा कर सकें, उस पत्‍थर के ढेले, बटिया को शिव का चिह्न माना जाता है। इसके अलावा रुद्राक्ष और त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है। कुछ लोग डमरू और अर्द्ध चन्द्र को भी शिव का चिह्न मानते हैं, हालांकि ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन करते हैं।
 
*🔱15. शिव की गुफा : -* शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए एक पहाड़ी में अपने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और वे फिर उसी गुफा में छिप गए। वह गुफा जम्मू से 150 किलोमीटर दूर त्रिकूटा की पहाड़ियों पर है। दूसरी ओर भगवान शिव ने जहां पार्वती को अमृत ज्ञान दिया था वह गुफा ‘अमरनाथ गुफा’ के नाम से प्रसिद्ध है।
 
*🔱16. शिव के पैरों के निशान : -* श्रीपद- श्रीलंका में रतन द्वीप पहाड़ की चोटी पर स्थित श्रीपद नामक मंदिर में शिव के पैरों के निशान हैं। ये पदचिह्न 5 फुट 7 इंच लंबे और 2 फुट 6 इंच चौड़े हैं। इस स्थान को सिवानोलीपदम कहते हैं। कुछ लोग इसे आदम पीक कहते हैं।
 
रुद्र पद- तमिलनाडु के नागपट्टीनम जिले के थिरुवेंगडू क्षेत्र में श्रीस्वेदारण्येश्‍वर का मंदिर में शिव के पदचिह्न हैं जिसे ‘रुद्र पदम’ कहा जाता है। इसके अलावा थिरुवन्नामलाई में भी एक स्थान पर शिव के पदचिह्न हैं।
 
तेजपुर- असम के तेजपुर में ब्रह्मपुत्र नदी के पास स्थित रुद्रपद मंदिर में शिव के दाएं पैर का निशान है।
 
जागेश्वर- उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 36 किलोमीटर दूर जागेश्वर मंदिर की पहाड़ी से लगभग साढ़े 4 किलोमीटर दूर जंगल में भीम के मंदिर के पास शिव के पदचिह्न हैं। पांडवों को दर्शन देने से बचने के लिए उन्होंने अपना एक पैर यहां और दूसरा कैलाश में रखा था।
 
रांची- झारखंड के रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी पर ‘रांची हिल’ पर शिवजी के पैरों के निशान हैं। इस स्थान को ‘पहाड़ी बाबा मंदिर’ कहा जाता है।
 
*🔱17. शिव के अवतार : -* वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी, भैरव, महेश, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, सुनटनर्तक, ब्रह्मचारी, यक्ष, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, द्विज, नतेश्वर आदि हुए हैं। वेदों में रुद्रों का जिक्र है। रुद्र 11 बताए जाते हैं- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य, शंभू, चण्ड तथा भव।
 
*🔱18. शिव का विरोधाभासिक परिवार : -* शिवपुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है, जबकि शिव के गले में वासुकि नाग है। स्वभाव से मयूर और नाग आपस में दुश्मन हैं। इधर गणपति का वाहन चूहा है, जबकि सांप मूषकभक्षी जीव है। पार्वती का वाहन शेर है, लेकिन शिवजी का वाहन तो नंदी बैल है। इस विरोधाभास या वैचारिक भिन्नता के बावजूद परिवार में एकता है।
 
*🔱19.*  ति‍ब्बत स्थित कैलाश पर्वत पर उनका निवास है। जहां पर शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है।
 
*🔱20.शिव भक्त : -* ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव भक्त है। हरिवंश पुराण के अनुसार, कैलास पर्वत पर कृष्ण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की थी।
 
*🔱21.शिव ध्यान : -* शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है। शिवलिंग को बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग के समीप मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है।
 
*🔱22.शिव मंत्र : -* दो ही शिव के मंत्र हैं पहला- ॐ नम: शिवाय। दूसरा महामृत्युंजय मंत्र- ॐ ह्रौं जू सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जू ह्रौं ॐ ॥ है।
 
*🔱23.शिव व्रत और त्योहार : -* सोमवार, प्रदोष और श्रावण मास में शिव व्रत रखे जाते हैं। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि शिव का प्रमुख पर्व त्योहार है।
 
*🔱24.शिव प्रचारक : -* भगवान शंकर की परंपरा को उनके शिष्यों बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज, अगस्त्य मुनि, गौरशिरस मुनि, नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने आगे बढ़ाया। इसके अलावा वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, बाण, रावण, जय और विजय ने भी शैवपंथ का प्रचार किया। इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय का आता है। दत्तात्रेय के बाद आदि शंकराचार्य, मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गुरुगोरखनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
 
*🔱25.शिव महिमा : -* शिव ने कालकूट नामक विष पिया था जो अमृत मंथन के दौरान निकला था। शिव ने भस्मासुर जैसे कई असुरों को वरदान दिया था। शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। शिव ने गणेश और राजा दक्ष के सिर को जोड़ दिया था। ब्रह्मा द्वारा छल किए जाने पर शिव ने ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया था।
 
*🔱26.शैव परम्परा : -* दसनामी, शाक्त, सिद्ध, दिगंबर, नाथ, लिंगायत, तमिल शैव, कालमुख शैव, कश्मीरी शैव, वीरशैव, नाग, लकुलीश, पाशुपत, कापालिक, कालदमन और महेश्वर सभी शैव परंपरा से हैं। चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, अग्निवंशी और नागवंशी भी शिव की परंपरा से ही माने जाते हैं। भारत की असुर, रक्ष और आदिवासी जाति के आराध्य देव शिव ही हैं। शैव धर्म भारत के आदिवासियों का धर्म है।
 
*🔱27.शिव के प्रमुख नाम : -*  शिव के वैसे तो अनेक नाम हैं जिनमें 108 नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है लेकिन यहां प्रचलित नाम जानें- महेश, नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, पशुपतिनाथ, गंगाधर, नटराज, त्रिनेत्र, भोलेनाथ, आदिदेव, आदिनाथ, त्रियंबक, त्रिलोकेश, जटाशंकर, जगदीश, a प्रलयंकर, विश्वनाथ, विश्वेश्वर, हर, शिवशंभु, भूतनाथ और रुद्र।
 
*🔱28.अमरनाथ के अमृत वचन : -* शिव ने अपनी अर्धांगिनी पार्वती को मोक्ष हेतु अमरनाथ की गुफा में जो ज्ञान दिया उस ज्ञान की आज अनेकानेक शाखाएं हो चली हैं। वह ज्ञानयोग और तंत्र के मूल सूत्रों में शामिल है। ‘विज्ञान भैरव तंत्र’ एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव द्वारा पार्वती को बताए गए 112 ध्यान सूत्रों का संकलन है।
 
*🔱29.शिव ग्रंथ : -* वेद और उपनिषद सहित विज्ञान भैरव तंत्र, शिव पुराण और शिव संहिता में शिव की संपूर्ण शिक्षा और दीक्षा समाई हुई है। तंत्र के अनेक ग्रंथों में उनकी शिक्षा का विस्तार हुआ है।
 
*🔱30.शिवलिंग : -* वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है, उसे लिंग कहते हैं। इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है। वस्तुत: यह संपूर्ण सृष्टि बिंदु-नाद स्वरूप है। बिंदु hai hi शक्ति है और नाद शिव। बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि। यही दो संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है। इसी कारण प्रतीक स्वरूप शिवलिंग की पूजा-अर्चना है।
 
*🔱31.बारह ज्योतिर्लिंग : -* सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथजी, त्र्यम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर। ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति के संबंध में अनेकों मान्यताएं प्रचलित है। ज्योतिर्लिंग यानी ‘व्यापक ब्रह्मात्मलिंग’ जिसका अर्थ है ‘व्यापक प्रकाश’। जो शिवलिंग के बारह खंड हैं। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है।
 
 दूसरी मान्यता अनुसार शिव पुराण के अनुसार प्राचीनकाल में आकाश से ज्‍योति पिंड पृथ्‍वी पर गिरे और उनसे थोड़ी देर के लिए प्रकाश फैल गया। इस तरह के अनेकों उल्का पिंड आकाश से धरती पर गिरे थे। भारत में गिरे अनेकों पिंडों में से प्रमुख बारह पिंड को ही ज्‍योतिर्लिंग में शामिल किया गया।
 
*🔱32.शिव का दर्शन : -* शिव के जीवन और दर्शन को जो लोग यथार्थ दृष्टि से देखते हैं वे सही बुद्धि वाले और यथार्थ को पकड़ने वाले शिवभक्त हैं, क्योंकि शिव का दर्शन कहता है कि यथार्थ में जियो, वर्तमान में जियो, अपनी चित्तवृत्तियों से लड़ो मत, उन्हें अजनबी बनकर देखो और कल्पना का भी यथार्थ के लिए उपयोग करो। आइंस्टीन से पूर्व शिव ने ही कहा था कि कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
 
*🔱33.शिव और शंकर : -* शिव का नाम शंकर के साथ जोड़ा जाता है। लोग कहते हैं- शिव, शंकर, भोलेनाथ। इस तरह अनजाने ही कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम बताते हैं। असल में, दोनों की प्रतिमाएं अलग-अलग आकृति की हैं। शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में दिखाया जाता है। कई जगह तो शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाया गया है। अत: शिव और शंकर दो अलग अलग सत्ताएं है। हालांकि शंकर को भी शिवरूप माना गया है। माना जाता है कि महेष (नंदी) और महाकाल भगवान शंकर के द्वारपाल हैं। रुद्र देवता शंकर की पंचायत के सदस्य हैं।
 
*🔱34. देवों के देव महादेव :* देवताओं की दैत्यों से प्रतिस्पर्धा चलती रहती थी। ऐसे में जब भी देवताओं पर घोर संकट आता था तो वे सभी देवाधिदेव महादेव के पास जाते थे। दैत्यों, राक्षसों सहित देवताओं ने भी शिव को कई बार चुनौती दी, लेकिन वे सभी परास्त होकर शिव के समक्ष झुक गए इसीलिए शिव हैं देवों के देव महादेव। वे दैत्यों, दानवों और भूतों के भी प्रिय भगवान हैं। वे राम को भी वरदान देते हैं और रावण को भी।
 
*🔱35. शिव हर काल में : -* भगवान शिव ने हर काल में लोगों को दर्शन दिए हैं। राम के समय भी शिव थे। महाभारत काल में भी शिव थे और विक्रमादित्य के काल में भी शिव के दर्शन होने का उल्लेख मिलता है। भविष्य पुराण अनुसार राजा हर्षवर्धन को भी भगवान शिव ने दर्शन दिए थे, (सौजन्य जी आर वशिष्ठ) 
 
 
 
🌹🙏 जय श्री राम🙏🌹*विभिन्न धातु के पात्रों में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है !!
 
#सोना………..
 
सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है।
 
#चाँदी………
 
चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है  इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है।
 
#कांसा…………
 
काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में  शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
 
#ताँबा…………
 
ताँबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, ताँबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. ताँबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।
 
#पीतल………
 
पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
 
#लोहा………..
 
लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से  शरीर  की  शक्ति बढती है, लोह्तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और  पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है। लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।
 
#स्टील………….
 
स्टील के बर्तन नुक्सान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसलिए नुक्सान नहीं होता है. 
इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो नुक्सान भी नहीं पहुँचता।
 
#एलुमिनियम……………
 
एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है। इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुक्सान होता है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियाँ कमजोर होती है. मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुँचती है। उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है। एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।
 
#मिट्टी…………….
 
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त हैं मिट्टी के बर्तन। 
 
मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और, यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।
 
#पानी पीने के पात्र के विषय में ‘भावप्रकाश ग्रंथ’ में लिखा है !!
 
जलपात्रं तु ताम्रस्य तदभावे मृदो हितम्।
पवित्रं शीतलं पात्रं रचितं स्फटिकेन यत्।
काचेन रचितं तद्वत् वैङूर्यसम्भवम्।
(भावप्रकाश, पूर्वखंडः4)
 
अर्थात् पानी पीने के लिए ताँबा, स्फटिक अथवा काँच-पात्र का उपयोग करना चाहिए। सम्भव हो तो वैङूर्यरत्नजड़ित पात्र का उपयोग करें। इनके अभाव में मिट्टी के जलपात्र पवित्र व शीतल होते हैं। टूटे-फूटे बर्तन से पानी नहीं पीना चाहिए।
 
#हर हर महादेव……….🔱 (सौजन्य डाॅ भगवती प्रसाद पुरोहित) 
*स्ट्रिक्टली फोर भट्टस्*
😎आज अगर विश्व में हिन्दू जाती बची है तो उसे बचाने वाले है भट्ट – 
कुमारिल भट्ट 
😎विश्व को 0 शून्य देने वाले है भट्ट – आर्यभट्ट ।
😎आयुर्वेद के बारे में, ऋतुचर्या के बारे में दुनिया को बताने वाले है भट्ट – वाग्भट्ट ।
😎शल्य क्रिया, शल्य चिकित्सा, आयुर्वेद के बारे में दुनिया को बताने वाले थे भट्ट – महर्षि चरक ।
😎गुरुत्वाकर्षण के बारे में न्यूटन ने खोज की लेकिन उससे पहले भी गुरुत्वाकर्षण के बारे में दुनिया को बताने वाले थे भट्ट –  भास्कराचार्य भट्ट ।
😎वेद मीमांशा (वेद मीमांशा मतलब जो चारो वेदों का अध्ययन कर उनके सही और गलत का अध्ययन कर उन्हें उनका अर्थ वैज्ञानिक तरीके से बताते, हिन्दू धर्म वेदों पर ही आधारित है) के 22 आचार्यो में से 14 आचार्य देने वाले थे भट्ट – कुमारिल भट्ट, मंडन मिश्र (असली नाम विश्वेश्वर भट्ट), भवदेव भट्ट, नंदीश्वर भट्ट, माधवाचार्य भट्ट, भट्ट सोमेश्वर, आप देव भट्ट, अप्पय दीक्षित भट्ट, सोमनाथ भट्ट, शंकर भट्ट, गंगा भट्ट, खंडदेव भट्ट, शंभु भट्ट और वासुदेव दीक्षित भट्ट।
😎तुलसीदास जी से भी लगभग 2200 साल पहले रामायण (उत्तर रामायण) की रचना करने वाले थे भट्ट – भवभूति भट्ट ने 700 ई. पूर्व उत्तर रामायण की रचना की है ।
😎तुलसीदास जी को तुलसीदास बनाने वाले थे भट्ट –  नरहरिदास भट्ट तुलसीदास जी के गुरु थे ।
😎दुनिया को संस्कृत की प्रथम गद्य रचना देने वाले थे भट्ट – बाणभट्ट ।
😎दुनिया को पुष्टिमार्ग देने वाले, पुष्टिमार्ग साखा के संस्थापक थे भट्ट – वल्लभाचार्य जी, स्वामी वल्लभाचार्य जी के पिताजी का नाम लक्ष्मण भट्ट था ।
😎अद्वैतवाद के प्रणेता भट्ट थे – स्वामी मध्वाचार्य इनके पिताजी का नाम श्री नारायण भट्ट था, कहते है कि माधवाचार्य जी वायु देवता के तीसरे अवतार थे।
😎विशिष्टद्वैत सम्प्रदाय और रामानंद सम्प्रदाय के प्रवर्तक भट्ट थे – स्वामी रामानुजाचार्य, इनके पिताजी का नाम  केशव भट्ट था, इनके शिष्यों में स्वामी रामानंद कबीर सूरदास जैसे विद्वानों के ये गुरु थे ।
😎विश्व को योग प्राणायाम के बारे में बताने वाले भट्ट थे – महर्षि पतंजलि भट्ट कुल गौरव थे ।
😎आज जो हम अंकगणित, बीजगणित पढ़ रहे है उसे देने वाले थे भट्ट – भास्कराचार्य भट्ट द्वितीय ।
😎युद्ध मे अगर उतर जाए और कभी हार न माने, जो अजेय रहे वो है भट्ट – पेशवा बाजीराव (बल्लाल भट्ट) 41 युद्ध मे अजेय रहे ।
😎जिसने 300 सालो तक अरबो के आक्रमण से भारत को बचाया वो थे भट्ट – नागभट्ट प्रथम (गुर्जर प्रतिहार राजवंश के संस्थापक)।
😎रानी लक्ष्मीबाई तथा तात्या टोपे जैसे वीर इस देश को देने वाले है  भट्ट ।
😎विश्व को हिंदी की पहली काव्य रचना देने वाले थे भट्ट-चंद बरदाई
😎जब सभी मराठा वीर शिवाजी के राज्याभिषेक के खिलाफ थे तब उन्हे क्षत्रिय घोषित करके उनका राज्याभिषेक करवाने वाले थे भट्ट – पं गागाभट्ट ।
😎अर्थशास्त्र के बारे में बताने वाले थे भट्ट- आचार्य चाणक्य (कौटिल्य भट्ट) ।
😎विश्व की अद्वित्य रचना आल्हा के रचयिता थे भट्ट- पं जगनिक भट्ट ।
😎अंतरिक्ष मे जिनके नाम के उपग्रह उड़ते हो वो है भट्ट – आर्यभट्ट, भास्कर ये दो उपग्रह अंतरिक्ष मे उड़ते है (ऐसा सम्मान शायद किसी और को नही मिला है). ।
😎दुनिया को जिसने स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर दिया वो भट्ट थे – लता मंगेशकर के पिताजी का नाम दीनानाथ मंगेशकर और दादा जी का नाम गणेश भट्ट था ।
😎नेपाल के पशुपतिनाथ और इंदौर के प्रसिद्ध श्री गणेश खजराना मंदिर में पूजा करने का अधिकार सिर्फ भट्ट ब्राह्मणों को है ।
जो शास्त्र में पारंगत हो वो ब्राह्मण है, और जो शास्त्र औऱ शस्त्र दोनो में पारंगत हो वो ब्रह्मभट्ट है ।
😎बादशाह अकबर के मुख्यसलाहकर राजा बीरबल  भट्ट थे।
😎दक्षिण भारत के विजयनगर के महाराज श्री कृष्णदेव के मित्र,मुख्यसलाहकर,विदुषक व अष्टदिग्गज पंडित रामाकृष्णा (तेनालीराम) ब्रह्मभट्ट थे ।
 
*😎भट्ट का वट😎*