आज का पंचाग आपका राशि फल, आज है कालरात्रि पूजन, धर्म कैसे करता है सुरक्षा यही जानने योग्य ज्ञान है तभी अधर्म मिटेगा महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी की जयन्ती आज, जातिय व्यवस्था भारतीय संस्कृति का अंग नहीं

𝕝𝕝 🕉 𝕝𝕝
श्री हरिहरो
विजयतेतराम

*🌹।।सुप्रभातम्।।🌹*

🗓 आज का पञ्चाङ्ग 🗓
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*रविवार, ०२ अक्टूबर २०२२*
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सूर्योदय: 🌄 ०६:१९
सूर्यास्त: 🌅 ०६:०२
चन्द्रोदय: 🌝 १२:४१
चन्द्रास्त: 🌜२२:४७
अयन 🌖 दक्षिणायने
(दक्षिणगोलीय)
ऋतु: ❄️ शरद
शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)
विक्रम सम्वत:👉२०७९ (नल)
मास 👉 आश्विन
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि👉सप्तमी(१८:४७से अष्टमी
नक्षत्र👉मूल(२५:५३से पूर्वाषाढ)
योग👉सौभाग्य(१७:१४से शोभन
प्रथम करण👉गर(०७:४८तक)
द्वितीय करण 👉 वणिज
(१८:४७ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कन्या
चंद्र 🌟 धनु
मंगल🌟वृष(उदित,पश्चिम,मार्गी)
बुध🌟कन्या(उदित,पूर्व,मार्गी)
गुरु🌟मीन(उदित,पूर्व,वक्री)
शुक्र 🌟 कन्या (अस्त, पूर्व)
शनि🌟मकर(उदित,पूर्व,वक्री)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४२ से १२:३०
अमृत काल 👉 १९:५० से २१:२०
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०६:११ से २५:५३
विजय मुहूर्त 👉 १४:०४ से १४:५२
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:५० से १८:१४
सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:०१ से १९:१४
निशिता मुहूर्त 👉 २३:४२ से २४:३१
राहुकाल 👉 १६:३३ से १८:०१
राहुवास 👉 उत्तर
यमगण्ड 👉 १२:०६ से १३:३५
होमाहुति 👉 शुक्र
दिशाशूल 👉 पश्चिम
अग्निवास 👉 आकाश
भद्रावास 👉 पाताल(१८:४७ से २९:४३)
चन्द्रवास 👉 पूर्व
शिववास 👉 भोजन में (१८:४७ से श्मशान में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – उद्वेग २ – चर
३ – लाभ ४ – अमृत
५ – काल ६ – शुभ
७ – रोग ८ – उद्वेग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – शुभ २ – अमृत
३ – चर ४ – रोग
५ – काल ६ – लाभ
७ – उद्वेग ८ – शुभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पूर्व-उत्तर (पान का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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नवरात्रि के सप्तम दिवस आदिशक्ति माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की उपासना व्रत, सरस्वती आवाहन, भद्रकाली अवतार, बुध मार्गी १४:४० से आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज २५:५३ तक जन्मे शिशुओ का नाम
मूल नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (ये, यो, भ, भी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम पूर्वाषाढ नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (भू) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
कन्या – २९:०७ से ०७:२४
तुला – ०७:२४ से ०९:४५
वृश्चिक – ०९:४५ से १२:०५
धनु – १२:०५ से १४:०८
मकर – १४:०८ से १५:४९
कुम्भ – १५:४९ से १७:१५
मीन – १७:१५ से १८:३९
मेष – १८:३९ से २०:१२
वृषभ – २०:१२ से २२:०७
मिथुन – २२:०७ से २४:२२
कर्क – २४:२२ से २६:४४
सिंह – २६:४४ से २९:०३
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पञ्चक रहित मुहूर्त
चोर पञ्चक – ०६:११ से ०७:२४
शुभ मुहूर्त – ०७:२४ से ०९:४५
रोग पञ्चक – ०९:४५ से १२:०५
शुभ मुहूर्त – १२:०५ से १४:०८
मृत्यु पञ्चक – १४:०८ से १५:४९
अग्नि पञ्चक – १५:४९ से १७:१५
शुभ मुहूर्त – १७:१५ से १८:३९
मृत्यु पञ्चक – १८:३९ से १८:४७
अग्नि पञ्चक – १८:४७ से २०:१२
शुभ मुहूर्त – २०:१२ से २२:०७
रज पञ्चक – २२:०७ से २४:२२
शुभ मुहूर्त – २४:२२ से २५:५३
चोर पञ्चक – २५:५३ से २६:४४
शुभ मुहूर्त – २६:४४ से २९:०३
रोग पञ्चक – २९:०३ से ३०:११
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आपका आज का दिन मानसिक रूप से शांति वाला रहेगा। दिन का पहला भाग धर्म-कर्म में व्यतीत होगा आपमें दया भाव अधिक रहने के कारण दान पुण्य में रूचि भी दिखाएंगे। अपने कार्यो की अनदेखी कर लोगो की समस्याओं को सुलझाने में व्यस्त रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर सामान्य लाभ होगा नौकरी पेशाओ से कोई गलती हो सकती है लेकिन नरम व्यवहार के कारण दंडित होने से बच जाएंगे। कमर अथवा घुटनो की समस्या हो सकती है। पारिवारिक वातावरण धीमी कार्य शैली के चलते कुछ समय के लिए अशांत होगा फिर भी आज सदसयो में आपसी सदभाव अधिक रहेगा। बड़ो से आशीर्वाद मिलेगा। संतान की पढ़ाई को लेकर थोड़े चिंतित दिखेंगे।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आपका आज का दिन विपरीत परिस्थितियों वाला रहेगा। आज प्रातः से ही सेहत में उतार चढ़ाव लगा रहेगा जो मध्यान तक कार्यो के प्रति मन दुविधा में रखेगा उत्साह कम रहने से आज के दिन का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं कर पाएंगे। दोपहर के बाद कार्य क्षेत्र से काम चलाऊ धन की आमद हो जाएगी आज सरकारी कार्यो में लंबे समय से दौड़धूप के बाद भी असफलता से हताशा होगी। पैसे का लेन-देन आज ना करें अन्यथा फंसने की संभावना है।आपकी बात की अनदेखी होने अथवा परिजन की मांग समय पर पूर्ण ना होने पर परिवार में किसी से झगड़ा हो सकता है। दाम्पत्य में शकि स्वभाव खटास ला सकता है। आज कंदीन धैर्य से बिताए कल से स्थिति में सुधार आने लगेगा।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आपका आज का दिन मिलाजुला रहेगा। दिन के पहले भाग में सोची हुई योजनाएं बनती नजर आएंगी परन्तु मध्यान आते आते कार्यो में विघ्न आने लगेंगे। महत्त्वपूर्ण कार्य अथवा धन सम्बंधित आयोजन प्रातः काल में करना ठीक रहेगा सफलता अवश्य मिलेगी। मध्यान के बाद धन लाभ के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। सरकार विरुद्ध कार्य सट्टा लाटरी आदि से अकस्मात धन लाभ होने की सम्भवना है।परिजनों की बनायी योजना आपके कारण बिगड़ने से कलह की स्थिति बनेगी भाई बंधुओ में भी मनमुटाव हो सकता है। माता से स्नेह बना रहेगा। सेहत मध्यान तक ठीक रहेगी इसके बाद सर अथवा बदन दर्द की शिकायत हो सकती है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपके लिए मिश्रित फलदायी रहेगा। सेहत प्रातःकाल में कुछ नरम जैसी रहेगी कमर दर्द पेट संबंधित व्याधि कुछ समय के लिये असहज बनायेगीं लेकिन कार्य भार के आगे इनको नजरअंदाज करना पड़ेगा। नौकरी व्यवसाय में मध्यान से पहले लाभ पाने के लिए अधिक परिश्रम करना पड़ेगा लेकिन तुरंत लाभ ना होकर मध्यान पश्चात इसके अनुकूल परिणाम मिलने लगेंगे। आज का दिन निवेश करने के लिए शुभ नहीं खास कर जोखिम वाले कार्य शेयर सट्टे आदि में हानि की संभावना है। पारिवारिक आवश्यकताओ को नजर अंदाज न करें अन्यथा घर मे कोहराम मच सकता है। यात्रा में सावधानी बरतें।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपके लिए मिश्रित फलदायी रहेगा। दिन के आरंभ से ही किसी जुगाड़ में रहेंगे लेकिन परिस्थिति बार बार सफलता के नजदीक पहुचाकर वापस खींचेगी। मध्यान का समय अधिक बौद्धिक परिश्रम वाला रहेगा लेकिन आपका स्वभाव इसके विपरीत लापरवाह रहने के कारण इसका असर कार्य-व्यवसाय पर पड़ेगा। आज महत्त्वपूर्ण लाभ के अवसर हाथ से निकल भी सकते है इसका ध्यान रखे। आज किसी भी कार्य को जबरदस्ती करने पर ही सफलता मिल सकती है। पीछे मित्र परिवार के साथ किसी समारोह में उपस्थित होंगे। आज मनोरंजन पर विशेष खर्च करेंगे। शरीर की अनदेखी आगे भारी पड़ सकती है। घरेलू सुख में कुछ कमी आएगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आपका व्यवहार अन्य लोगो को अत्यंत लापरवाह दिखेगा आप परिस्थिति अनुसार ही कार्य करेंगे लेकिन घर के सदस्य किसी न किसी बात को लेकर छींटाकशी करते ही रहेंगे। मध्यान के समय किसी बहुप्रतीक्षित कार्य को लेकर मन मे असमंजस की स्थिति बनेगी हानि के डर से आज जोखिम वाले कार्य करने से कतराएंगे। आज आय-व्यय में संतुलन नहीं बन पाएगा। भविष्य की योजनाओं को लेकर चिंतित रहेंगे। मन की खींज किसी पर उतारने से विवाद हो सकता है। मध्यान के बाद आकस्मिक धन लाभ होने से थोड़ी राहत मिलेगी। संध्या बाद परिजनों का स्नेह भी बुरा लगेगा। अधिक भागदौड़ से कमर दर्द थकान अनुभव होगी। विपरीत लिंगीय संबंधों में सतर्कता बरते धोखा या अपमान हो सकता है।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन भी आपके लिए शुभ फलदायी रहेगा। आज लक्ष्मी जी की कृपा आप पर रहने से जिस भी कार्य को करेंगे उससे आर्थिक लाभ होगा लेकिन कुछ ना कुछ कमी लिये हुए। कार्य क्षेत्र पर किसी अन्य के अनुबंध भी आपको मिल सकते है। आज का दिन दलाली से जुड़े जातको के लिए भी विशेष लाभदायक रहने वाला है। परिवार-मित्रो के ऊपर खर्च भी अधिक रहेगा लेकिन आवश्यक कार्यो पर ही। घर मे इच्छा पूर्ति होने पर आनंद का वातावरण रहेगा फिर भी बड़े बुजुर्गों को आज प्रसन्न नही रख पाएंगे। मन मे कही लंबी दूरी की यात्रा के लिए उथल पुथल लगी रहेगी लेकिन कोई न कोई अड़चन आने से आज सम्भव नही होगी। सेहत आज सामान्य ही रहेगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपके लिए पिछले कुछ दिनों से बेहतर रहेगा। दिन के आरम्भ में आलसी रहेंगे लेकिन मध्यान बाद व्यापार में गति आने से आर्थिक समस्या में कमी आएगी। लेकिन लटके हुए सरकारी कार्य आज किसी भी हालत में पूरे नही होंगे जिससे धन के साथ समय भी खराब होगा। व्यवसाय में पूँजी निवेश के लिए भी आज का दिन शुभ है लेकिन तुरंत लाभ की आशा ना रखें भविष्य में अवश्य ही दुगना होकर मिलेगा। नौकरी वालो के बेहतर कार्य से अधिकारी वर्ग प्रसन्न होंगे फिर भी कामनापूर्ति में व्यवधान डालेंगे। गृहस्थ में पारिवारिक सदस्यों से प्रेम बढ़ेगा माता का विशेष सुख सहयोग मिलेगा। किसी बुजुर्ग से आकस्मिक लाभ होगा। भूमि वाहन सुख आज उत्तम रहेंगे इनके रखरखाव पर खर्च भी करना पड़ेगा। आरोग्य बना रहेगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आपका आज का दिन सुख शांति से व्यतीत होगा। स्वास्थ्य में सुधार रहने से मानसिक एवं शारीरिक रूप से चुस्त रहेंगे फिर भी ठंडी वस्तुओ से परहेज करें जुखाम खांसी तुरंत हो सकती है। दिन के आरम्भ में परिजनों की आपके हित में कही बाते मन को चुभ सकती है लेकिन आज किसी भी बात की ज्यादा देर परवाह नही करेंगे आप सुनेंगे सबकी करेंगे मन की। दोपहर तक इंतजार करने के बाद व्यापार में लाभ मिलने से उत्साह बढ़ेगा। व्यावसायिक यात्रा भी आज लाभदायक रहेगी। घर में आज शांति का वातावरण रहेगा लेकिन भाई बंधुओ में व्यवसाय अथवा अन्य कारण से आपस में ठन सकती है। रात्रि के समय गैस अथवा कब्ज की शिकायत रह सकती है। संध्या के समय सुखोपभोग के लिये बाहर घूमने का मन बनेगा।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन भी प्रतिकूलता से भरा रहेगा। आज आपका स्वभाव रहस्यमय रहेगा लोगो के मन की बात मीठा बोलकर जान लेंगे लेकिन अपने मन का भेद किसी से नही बताएंगे आज आपकी प्रशंशा करने वाले भी पीठ पीछे आलोचना करेंगे। परन्तु इससे उदास ना हों अपने कार्य में निष्ठा से लगे रहे जल्द ही समय आपके अनुकूल बनेगा धन लाभ मेहनत के अनुसार ही होगा। आज अहम् को लेकर किसी से टकराव भी हो सकता है खास कर महिलाए अपनी वाणी और व्यवहार को संतुलित रखें किसी को ठेस ना पहुंचे इसका ध्यान रखें। संध्या के समय घर मे मेहमान आएंगे आज आप आध्यत्म से जुड़ें मानसिक शान्ति मिलेगी। रक्त पित्त विकार से परेशानी होगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन हर प्रकार से शुभ फलदायी रहेगा। आज दिन भर स्फूर्ति और स्वस्थता का अनुभव करेंगे। आज आपके पहले से सोचे हुए कार्य सरलता से पूर्ण होंगे। सामाजिक क्षेत्र पर यश वृद्धि होगी। नौकरी अथवा व्यवसाय में सहकर्मियों का सहयोग रहेगा लेकिन गलतफहमी ना पाले अन्यथा मतभेद भी हो सकते है। व्यावसायिकों को नियमित आमदनी के अतिरिक्त आकस्मिक धन लाभ भी हो सकता है।सरकारी कार्य आज ना करें अन्यथा कोई नई उलझन में पड़ सकते है। संध्या का समय मनोरंजन में बिताएंगे। दाम्पत्य सुख उत्तम रहेगा।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन भी आपके लिए बीते दिनों से लाभदायक सिद्ध होगा। व्यावसायिक क्षेत्र में आशानुकूल वातावरण ना मिलने पर भी कुछ एक कार्य मे सफलता मिलने से संतोष रहेगा धन की आमद कम लेकिन समय पर होने से महत्त्वपूर्ण रहेगी। नौकरी वाले जातको को थोड़ा अधिक परिश्रम करना पड़ेगा परंतु आज आप से अधिकारी प्रसन्न रहेंगे मन की बात मनवा सकते है। लेखन से जुड़े जातको को नयी रचना की प्रेरणा मिलेगी। घर गृहस्थी में अंदरूनी बात पर आपसी मतभेद हो सकते है फिर भी आज आप पारिवारिक जिम्मेदारियां बेहतर निभाएंगे। शत्रु पक्ष निर्बल रहेगा सरकारी कार्यो आसानी से बन सकते है।
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|| श्री आदित्य हृदय स्तोत्रं ||
नमस्सवित्रे जगदेक चक्षुसे
जगत्प्रसूति स्थिति नाशहेतवे
त्रयीमयाय त्रिगुणात्म धारिणे
विरिञ्चि नारायण शङ्करात्मने

ततो युद्ध परिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् |
रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम् ‖ 1 ‖

दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् |
उपगम्या ब्रवीद्रामम् अगस्त्यो भगवान् ऋषिः ‖ 2 ‖

राम राम महाबाहो शृणु गुह्यं सनातनम् |
येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसि ‖ 3 ‖

आदित्य हृदयं पुण्यं सर्वशत्रु विनाशनम् |
जयावहं जपेन्नित्यं अक्षय्यं परमं शिवम् ‖ 4 ‖

सर्वमङ्गल माङ्गल्यं सर्व पाप प्रणाशनम् |
चिन्ताशोक प्रशमनं आयुर्वर्धन मुत्तमम् ‖ 5 ‖

रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुर नमस्कृतम् |
पूजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम् ‖ 6 ‖

सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावनः |
एष देवासुर गणान् लोकान् पाति गभस्तिभिः ‖ 7 ‖

एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः |
महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः ‖ 8 ‖

पितरो वसवः साध्या ह्यश्विनौ मरुतो मनुः |
वायुर्वह्निः प्रजाप्राणः ऋतुकर्ता प्रभाकरः ‖ 9 ‖

आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गभस्तिमान् |
सुवर्णसदृशो भानुः हिरण्यरेता दिवाकरः ‖ 10 ‖

हरिदश्वः सहस्रार्चिः सप्तसप्ति-र्मरीचिमान् |
तिमिरोन्मथनः शम्भुः त्वष्टा मार्ताण्डकोंऽशुमान् ‖ 11 ‖

हिरण्यगर्भः शिशिरः तपनो भास्करो रविः |
अग्निगर्भोऽदितेः पुत्रः शङ्खः शिशिरनाशनः ‖ 12 ‖

व्योमनाथ स्तमोभेदी ऋग्यजुःसाम-पारगः |
घनावृष्टि रपां मित्रो विन्ध्यवीथी प्लवङ्गमः ‖ 13 ‖

आतपी मण्डली मृत्युः पिङ्गलः सर्वतापनः |
कविर्विश्वो महातेजा रक्तः सर्वभवोद्भवः ‖ 14 ‖

नक्षत्र ग्रह ताराणाम् अधिपो विश्वभावनः |
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन्-नमोऽस्तु ते ‖ 15 ‖

नमः पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नमः |
ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नमः ‖ 16 ‖

जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नमः |
नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः ‖ 17 ‖

नम उग्राय वीराय सारङ्गाय नमो नमः |
नमः पद्मप्रबोधाय मार्ताण्डाय नमो नमः ‖ 18 ‖

ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सूर्यायादित्य-वर्चसे |
भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः ‖ 19 ‖

तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नाया मितात्मने |
कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नमः ‖ 20 ‖

तप्त चामीकराभाय वह्नये विश्वकर्मणे |
नमस्तमोऽभि निघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे ‖ 21 ‖

नाशयत्येष वै भूतं तदेव सृजति प्रभुः |
पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभिः ‖ 22 ‖

एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठितः |
एष एवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्नि होत्रिणाम् ‖ 23 ‖

वेदाश्च क्रतवश्चैव क्रतूनां फलमेव च |
यानि कृत्यानि लोकेषु सर्व एष रविः प्रभुः ‖ 24 ‖

फलश्रुतिः|| ॐ श्रीपरमात्मने नम: ||

७ – कालरात्रि विशेष 

जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥

अर्थातः👉 जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा और स्वधा- इन नामों से प्रसिद्ध जगदम्बिके! तुम्हें मेरा नमस्कार हो।

माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है | इनके शरीर का रंग घने अन्धकार की तरह एकदम काला है | सिर के बाल बिखरे हुए हैं | गले में विद्युत् की तरह चमकने वाली माला है | इनके तीन नेत्र हैं | ये तीनों नेत्र ब्रह्माण्ड के सदृश गोल हैं | इनमे विद्युत् के समान चमकीली किरणें नि:सृत होती है | इनकी नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएँ निकलती रहती हैं | इनका वाहन गर्दभ – गदहा है | ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं | दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है | बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है |

माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यन्त भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली हैं | इसी कारण इनका एक नाम ‘शुभंकरी’ भी है | अत: इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है |

दुर्गा पूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है | इस दिन साधक का मन ‘सहस्त्रार’ चक्र में स्थित रहता है | उसके लिए ब्रह्माण्ड की समस्त सिध्दियों का द्वार खुलने लगता है | इस चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णत: माँ कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित रहता है | उनके साक्षात्कार से मिलने वाले पुण्य का वह भागी हो जाता है | उनके समस्त पापों-विघ्नों का नाश हो जाता है | उसे अक्षय पुण्य-लोकों की प्राप्ति होती है |

माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं | दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं | ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं | इनके उपासक को अग्नि-भय, जल-भय, जन्तु-भय, शत्रु-भय, रात्री-भय आदि कभी नहीं होते | इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है |

माँ कालरात्रि के स्वरूप विग्रह को अपने ह्रदय में अवस्थित करके मनुष्य को एकनिष्ठ भाव से उनकी उपासना करनी चाहिये | यम, नियम, संयम का उसे पूर्ण पालन करना चाहिये | मन, वचन, काया की पवित्रता रखनी चाहिए | वह शुभंकरी देवी हैं | उनकी उपासना से होने वाले शुबहों की गणना नहीं की जा सकती | हमें निरंतर उनका समें, ध्यान और पूजन करना चाहिये |

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गीताप्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित पुस्तक *नवदुर्गा* कोड २०५ से |

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*नवरात्री 2022: देवी दुर्गा के सिद्ध मंत्र, जिसे जपते ही संवरता है भाग्य, मनुष्य हो जाता है संपन्न, पूजा के सिद्ध मंत्र*

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*नवरात्रि में शक्ति की साधना में मंत्र जप का बहुत महत्व है. ऐसे में किस देवी मंत्र को जपने से पूरी होगी आपकी मनोकामना और बनेंगे बिगड़े कार्य, जानने के लिए अवश्य पढ़ें प्रस्तुत लेख.*

 

*हिंदू धर्म में नवरात्रि का पावन पर्व शक्ति की साधना के लिए अत्यंत ही शुभ और फलदायी होता है. नवरात्रि में देवी की कृपा पाने के लिए हर कोई अपने स्तर से देवी की पूजा, जप, तप आदि करता है. शक्ति की साधना में मंत्र जप का बहुत अधिक महत्व बताया गया है. मान्यता है कि श्रद्धा और विश्वास के साथ देवी दुर्गा के मंत्र को जपने से साधक के सभी कष्ट दूर और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइए आपकी मनोकामना से जुड़े चमत्कारिक देवी मंत्रों के बारे में विस्तार से जानते हैं, जिसे जपते ही आदमी सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.*

 

*📿धन-संपत्ति बढ़ाने वाला देवी मंत्र-* यदि बहुत परिश्रम करने के बाद भी पैसों की किल्लत दूर नहीं हो रही है और हर समय कर्ज का मर्ज बना रहता है तो आपको नीचे दिए गए मां लक्ष्मी के चमत्कारी मंत्र का अधिक से अधिक जप करना चाहिए.

 

*🚩‘या देवि सर्व भूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।’*

 

*📿सुख, सौदर्य और सौभाग्य का देवी मंत्र-* यदि आपकी कामना है कि आप हमेशा सुखी, निरोगी और खूबसूरत बने रहें तो आपको नवरात्रि में देवी दुर्गा के इस सिद्ध मंत्र को विशेष रूप से जपना चाहिए.

 

*🚩देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥*

 

*📿कलह दूर करने का देवी मंत्र-* यदि आपके घर-परिवार में कलह का प्रवेश हो गया है और आए दिन किसी न किसी बात को लेकर विवाद होता रहता है तो आपको आपसी प्रेम और सामंजस्य को बनाए रखने के लिए नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा में नीचे दिए गए मंत्र को विशेष रूप से जप करना चाहिए.

 

*🚩‘या देवि! सर्व भूतेषु शान्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।’*

 

*📿शीघ्र विवाह के लिए देवी मंत्र-* यदि आपकी या फिर आपके घर के किसी प्रिय सदस्य का विवाह किसी कारणवश नहीं हो पा रहा हो और लगातार देरी होती जा रही हो तो इस नवरात्रि देवी दुर्गा की पूजा में मनचाहा लाइफ पार्टनर दिलाने वाला देवी मंत्र अवश्य जपें.

 

*🚩‘ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्य धीश्वरी, नन्द गोप सुतं देवी पतिं मे कुरु ते नमः।’*

 

*📿भय दूर करने वाला देवी मंत्र-* यदि आपको जीवन में किसी भी प्रकार का कोई भय सताता रहता है तो आपको उसे दूर करने के लिए नवरात्रि में देवी की पूजा में नीचे दिए गये मंत्र का जप विशेष रूप से करना चाहिए.

 

*🚩सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते। भयेभ्याहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥*

 

*🛑(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)*

        *ऊँ श्री दुर्गाय नम:

 

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#धर्म_कैसे_रक्षा_करता_है_
ये प्रश्न बहुत से लोगों के मन में उठता होगा कि हम जब धर्म की रक्षा करते है वो तो दिखता है पर धर्म हमारी रक्षा कैसे करता है वो कैसे पता चलेगा…इस प्रश्न के उठने का कारण ही हम लोगों द्वारा धर्म के सच्चे स्वरूप को न समझ पाना है,क्या केवल मंदिर जाने का नाम धर्म है,क्या केवल दान दक्षिणा,यज्ञ या कर्मकाण्ड इत्यादि करने करवाने का नाम धर्म है,क्या केवल तिलक चंदन या माला फेरने का नाम धर्म है,जी नहीं,हमारे आपके जीवन के हर कार्य कलापों का नाम धर्म है यदि उसमें धर्म का निश्चय कर लिया गया तो उठना बैठना,खाना पीना,घूमना फिरना,सामान क्रय विक्रय सब कुछ जो हमारे जीवन की क्रियाएँ हैं वो धर्म व अधर्म में विभाजित हो सकती हैं,हमारी आपकी दुकान है हम किसी अनजान व्यक्ति को उसकी जानकारी के अभाव कारण अगर उसे ठगते हैं और ये सोचते हैं की मंगलवार को सवा किलो लड्डू तो में गरीब बच्चों को बाँटता हूँ अतः धर्म की तो मैं रक्षा कर ही रहा हूँ,नहीं जी ठगने की क्रिया ही अधर्म है वो लड्डू बाँट या किसी पूजा स्थल पर जाकर क्षमा माँगने से नहीं मिटती,जब कहा जाता है की हरी चादर पर पैसा मत डालो,वो क्यों कहा है जबकि दान तो पुण्य होना है पर दान का धर्म अधर्म पात्र कुपात्र पर भी निर्भर करता है,उसी प्रकार जब कहा जाता है व्यवहार में जितना बन सके उनसे दूरी बनाइए तो यकीन कीजिये उतनी ही हम उन की जकात शक्ति को क्षीण करते हैं और धर्म करते हैं, पुनः समझा जाए,सनातन धर्म सातवें आसमान पर नहीं,न ही सनातन धर्म के लिए पर्वत की गुफा में जाना है सनातन को तो हमे बस अपने दैनिक जीवन में उतारना है,आपने बॉलीवुड के भाँडो को ठेंगा दिखाया बहुत कुछ बदला हुआ दिख रहा है,मिया लान्ड सोशल मीडिया से त्राहि माम कर रहे हैं रबीस बुरखा जैसे हरामियों की दुकाने बंद हो गयी यूट्यूब पर पहुँच गए अतः जैसे ही आपने धर्म को अपने दैनिक जीवन में उतारा वैसे ही किताबी और वोक्स पर आप का अनन्त विजय बज उठा…!
जब हनुमान जी समुद्र पार करके लंका पहुँचे और सीता जी को ढूँढने लगे तो उन्होंने बड़ी उत्सुकता से लंका को देखा,चमकती दमकती स्वर्ण नगरी थी,उसमें संध्या काल होते ही नगरी मशालों के आलोक से जगमगाने लगी,लोगों की खूब चहल पहल थी, खूब सजे धजे रथों में धनी राक्षस व्यापारी सुंदर स्त्रियों के साथ आ जा रहे थे,मदिरालयों में भीड़ थी,लोग विशेष भवनों में द्युत क्रीड़ा कर रहे थे,मोहिनी स्त्रियाँ लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रही थीं,लोग उन्हें क्रय करके ले जा रहे थे, स्त्रियाँ पर पुरुष गमन कर रही थीं,पुरुष पर स्त्री गामी हो रहे थे, कुल मिला कर वह लंका नहीं थी,अपने समय का लास वेगास था,मुझे लगा तब तो लंका वासी होना सौभाग्य की बात समझी जाती होगी,हर कोई लंका में ही रहना चाहेगा,अगर उस समय पुष्पक विमान सेवा होती तो लोग सरयू के किनारे की जमीन बेचकर लंका की ओर जाने की व्यवस्था कर रहे होते,अयोध्या में ही लंका जाने का वीसा लेने की लाइन लगी होती…?
फिर प्रभु श्रीराम धरती पर अवतरित हुए,अयोध्या अयोध्या हुई व लंका लंका हो गई,रावण हर युग में होता है,खर दूषण हमेशा होते हैं लोग उनकी दासता स्वीकार करते हैं,उनके बल और उन के ऐश्वर्य से चमत्कृत होते हैं हमारे नैतिक मानक मिट जाते हैं, फिर संसार को अयोध्या और लंका का अंतर समझाने के लिए प्रभु श्रीराम आते हैं,डाउन to अर्थ आतंकित होने की जरूरत नहीं है,आसुरी शक्तियाँ हमेशा हुई हैं और अगर कल को स्वयं भगवान भी उनका समूल नाश कर दें,तो भी वे किसी ना किसी रूप में फिर आएंगी ही,उनका प्रकोप हमेशा भीषण और अजेय दिखता है,पर अगर हमारे पास प्रभु श्रीराम का स्मरण है,तो हमें युद्ध में कभी दुविधा नहीं होगी,खर दूषण हमेशा होंगे,पर प्रभु श्री राम बार बार नहीं आएँगे,उनका नाम और उनके चरित्र का स्मरण ही काफी होगा,हमें उनकी सिर्फ भक्ति ही नहीं करनी होगी,उनका अनुसरण भी करना होगा,एक जुट होना होगा,इस युद्ध को अपना पर्सनल युद्ध समझ लड़ना होगा,सब छोटे बड़े हिन्दू भाई बहनों को जाति भुला साथ लेकर चलना होगा,उनके साथ सिर्फ लक्ष्मण ही नहीं लड़ेंगे,वनवासी जनगण भी लड़ेंगे, केवट उनके पाँव पखारेंगे,माता शबरी उन्हें भोजन देंगी,सभी होंगे तभी प्रभु श्रीराम हमारे साथ हमेशा रहेंगे,तभी इन खर दूषणों का वध हो पायेगा,जाते जाते एक बात और कि कोई भी राजा अकेले युद्ध नहीं लड़ सकता,उस के साथ सेना और सेना पति और सेना के सभी अंग होते हैं,युद्ध शास्त्र में निष्णात मंत्री योद्धा भी होते हैं और राजा की सबसे बड़ी शक्ति तो प्रजा होती है जो सब तरह से राजा में विश्वास,सहायता व युद्ध का समर्थन करती है तब युद्ध जीता जाता है और देश सुरक्षित संपन्न और शांति का अनुभव करता है क्या इतने योगा योग के बिना कहीं विजय श्री विराजती है वर्तमान भारत की स्थिति क्या है…?
इतिहास जो है वह है उसके साथ चाहे जितना विमर्श कीजिए उस में कुछ परिवर्तन नहीं होगा,इतिहास में किसने क्या गलत किया,क्या सही किया उसे कूंढते रहने से इतिहास सही नहीं होगा,हमारी सबसे बड़ी ऐतिहासिक भूल है अहम के साथ निजी स्वार्थ क्या उसमें कुछ परिवर्तन आया है,नहीं आया,मुझे बताने की जरूरत नही अपने आप से पूछो,में अपनी पूरी टीम के साथ अपने हिस्से की लड़ाई तो लड़ ही रहा हु और भी बहुत से बहन भाइयो की लड़ाई भूखा और प्यासा पूरे दम खम से लड़ रहा हु लेकिन जब तक सबका साथ नही होगा हम भी कितना लड़ पाएंगे तो अंत मे इतना ही कहेंगे हमारी सहायता निरन्तर जारी रखे…
#धर्मों_रक्षति_रक्षतः (साभार)

प्राचीन समय भारत मे कभी छुआछुत रहा ही नहीं, और ना ही कभी जातियाँ भेदभाव का कारण होती थी।
चलिए हजारो साल पुराना इतिहास पढ़ते हैं।

सम्राट शांतनु ने विवाह किया एक मछवारे की पुत्री सत्यवती से।उनका बेटा ही राजा बने इसलिए भीष्म ने विवाह न करके,आजीवन संतानहीन रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की।

सत्यवती के बेटे बाद में क्षत्रिय बन गए, जिनके लिए भीष्म आजीवन अविवाहित रहे, क्या उनका शोषण होता होगा?

महाभारत लिखने वाले वेद व्यास भी मछवारे थे, पर महर्षि बन गए, गुरुकुल चलाते थे वो।

विदुर, जिन्हें महा पंडित कहा जाता है वो एक दासी के पुत्र थे, हस्तिनापुर के महामंत्री बने, उनकी लिखी हुई विदुर नीति, राजनीति का एक महाग्रन्थ है।

भीम ने वनवासी हिडिम्बा से विवाह किया।

श्री कृष्ण दूध का व्यवसाय करने वालों के परिवार से थे,

उनके भाई बलराम खेती करते थे, हमेशा हल साथ रखते थे।

यादव क्षत्रिय रहे हैं, कई प्रान्तों पर शासन किया और श्री कृष्ण सबके पूजनीय हैं, गीता जैसा ग्रन्थ विश्व को दिया।

राम के साथ वनवासी निषादराज गुरुकुल में पढ़ते थे।

उनके पुत्र लव कुश महर्षि वाल्मीकि के गुरुकुल में पढ़े जो वनवासी थे

तो ये हो गयी वैदिक काल की बात, स्पष्ट है कोई किसी का शोषण नहीं करता था,सबको शिक्षा का अधिकार था, कोई भी पद तक पहुंच सकता था अपनी योग्यता के अनुसार।

वर्ण सिर्फ काम के आधार पर थे वो बदले जा सकते थे, जिसको आज इकोनॉमिक्स में डिवीज़न ऑफ़ लेबर कहते हैं वो ही।

प्राचीन भारत की बात करें, तो भारत के सबसे बड़े जनपद मगध पर जिस नन्द वंश का राज रहा वो जाति से नाई थे ।

नन्द वंश की शुरुवात महापद्मनंद ने की थी जो की राजा नाई थे। बाद में वो राजा बन गए फिर उनके बेटे भी, बाद में सभी क्षत्रिय ही कहलाये।

उसके बाद मौर्य वंश का पूरे देश पर राज हुआ, जिसकी शुरुआत चन्द्रगुप्त से हुई,जो कि एक मोर पालने वाले परिवार से थे और एक ब्राह्मण चाणक्य ने उन्हें पूरे देश का सम्राट बनाया । 506 साल देश पर मौर्यों का राज रहा।

फिर गुप्त वंश का राज हुआ, जो कि घोड़े का अस्तबल चलाते थे और घोड़ों का व्यापार करते थे।140 साल देश पर गुप्ताओं का राज रहा।

केवल पुष्यमित्र शुंग के 36 साल के राज को छोड़ कर 92% समय प्राचीन काल में देश में शासन उन्ही का रहा, जिन्हें आज दलित पिछड़ा कहते हैं तो शोषण कहां से हो गया? यहां भी कोई शोषण वाली बात नहीं है।

फिर शुरू होता है मध्यकालीन भारत का समय जो सन 1100- 1750 तक है, इस दौरान अधिकतर समय, अधिकतर जगह मुस्लिम आक्रमणकारियो का समय रहा और कुछ स्थानों पर उनका शासन भी चला।

अंत में मराठों का उदय हुआ, बाजी राव पेशवा जो कि ब्राह्मण थे, ने गाय चराने वाले गायकवाड़ को गुजरात का राजा बनाया, चरवाहा जाति के होलकर को मालवा का राजा बनाया।

अहिल्या बाई होलकर खुद बहुत बड़ी शिवभक्त थी। ढेरों मंदिर गुरुकुल उन्होंने बनवाये।

मीरा बाई जो कि राजपूत थी, उनके गुरु एक चर्मकार रविदास थे और रविदास के गुरु ब्राह्मण रामानंद थे|।

यहां भी शोषण वाली बात कहीं नहीं है।

मुग़ल काल से देश में गंदगी शुरू हो गई और यहां से पर्दा प्रथा, गुलाम प्रथा, बाल विवाह जैसी चीजें शुरू होती हैं।

1800 -1947 तक अंग्रेजो के शासन रहा और यहीं से जातिवाद शुरू हुआ । जो उन्होंने फूट डालो और राज करो की नीति के तहत किया।

अंग्रेज अधिकारी निकोलस डार्क की किताब “कास्ट ऑफ़ माइंड” में मिल जाएगा कि कैसे अंग्रेजों ने जातिवाद, छुआछूत को बढ़ाया और कैसे स्वार्थी भारतीय नेताओं ने अपने स्वार्थ में इसका राजनीतिकरण किया।

इन हजारों सालों के इतिहास में देश में कई विदेशी आये जिन्होंने भारत की सामाजिक स्थिति पर किताबें लिखी हैं, जैसे कि मेगास्थनीज ने इंडिका लिखी, फाहियान, ह्यू सांग और अलबरूनी जैसे कई। किसी ने भी नहीं लिखा की यहां किसी का शोषण होता था।

योगी आदित्यनाथ जो ब्राह्मण नहीं हैं, गोरखपुर मंदिर के महंत हैं, पिछड़ी जाति की उमा भारती महा मंडलेश्वर रही हैं। जन्म आधारित जाति को छुआछुत व्यवस्था हिन्दुओ को कमजोर करने के लिए लाई गई थी।

इसलिए भारतीय होने पर गर्व करें और घृणा, द्वेष और भेदभाव के षड्यंत्रों से खुद भी बचें और औरों को भी बचाएं।

राष्ट्र के प्रति भगवान राम के आदर्शों पर चलने वाले अत्यंत निष्ठावान जय जवान जय किसान का उदघोष कर देश की दशा दिशा बदलने वाले और संसाधन सीमित सैन्य शक्ति के उपरांत भी लाहोर तक पाकिस्तान विजय करने वाले प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को आज उनके जन्मदिन पर याद करना उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करना नयी पीढ़ी का दायित्व है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय जिले में हुआ था। वे 1964 में भारत के प्रधानमंत्री बने और 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय उन्होंने देश में ‘भोजन की कमी’ के चलते सैनिकों और किसानों का मनोबल बढ़ाने के लिए ‘जय जवान’ ‘जय किसान’ का उदघोष दिया। उस समय उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में मिलने वाला अपना वेतन तक लेना बंद कर दिया था। उन्होंने अपने विनम्र स्वाभाव, मृदुभाषी व्यवहार और आम लोगों से जुड़ने की क्षमता से भारत की राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी
जय जवान जय किसान भारत के स्वाभिमान को नमन्
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