आज का पंचाग आपका राशि फल, 30 अगस्त को भूलोक की भद्रा होने के कारण शुभ कार्यों के लिए ठीक नहीं है 31 अगस्त 2023 को सूर्योदय के बाद भी ढाई घड़ी से अधिक पूर्णिमा होने से पूरे दिन रक्षाबंधन मनाया जा सकता है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा भारत के शास्त्रों में जो खगोलीय सूत्र हैं उन्हें साइंटिफिकली प्रूव करने और नए सिरे से उनके अध्ययन के लिए हमारी युवा पीढ़ी आगे आए, अफगानिस्तान में रहने वाले अंतिम सरदार ने भी भारत में ली शरण

‌‌   *༺𝕝𝕝 卐 𝕝𝕝༻​​*

                     *श्री हरिहरौ*

                   *विजयतेतराम*

                     *सुप्रभातम*

               *आज का पञ्चाङ्ग*

*_सोमवार, २८ अगस्त २०२३_*

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सूर्योदय: 🌄 ०६:०८

सूर्यास्त: 🌅 ०६:४७

चन्द्रोदय: 🌝 १७:०१

चन्द्रास्त: 🌜०३:२३

अयन 🌖 दक्षिणायणे

(उत्तरगोलीय)

ऋतु: 🏔️ शरद

शक सम्वत:👉१९४५(शोभकृत)

विक्रम सम्वत:👉२०८०(पिंगल)

मास 👉 श्रावण(द्वितीय, शुद्ध)

पक्ष 👉 शुक्ल

तिथि 👉 द्वादशी (१८:२२ से

त्रयोदशी)

नक्षत्र 👉 उत्तराषाढ

(०२:४३ से श्रवण)

योग 👉 आयुष्मान (०९:५६

से सौभाग्य)

प्रथम करण👉बव(०८:०१ तक)

द्वितीय करण 👉 बालव

(१८:२२ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥

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सूर्य 🌟 सिंह

चंद्र 🌟 मकर (१०:३९ से)

मंगल🌟कन्या(उदित,पश्चिम,मार्गी

बुध🌟सिंह (उदय, पश्चिम, अस्त)

गुरु🌟मेष (उदित, पश्चिम, मार्गी)

शुक्र🌟कर्क (उदित, पश्चिम)

शनि 🌟 कुम्भ

(उदित, पूर्व, वक्री)

राहु 🌟 मेष

केतु 🌟 तुला

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५२ से १२:४४

अमृत काल 👉 २१:०० से २२:२५

सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०२:४३ से ०५:५२

रवियोग 👉 ०२:४३ से ०५:५२

विजय मुहूर्त 👉 १४:२७ से १५:१८

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:४५ से १९:५१

निशिता मुहूर्त 👉 २३:५६ से ००:४०

ब्रह्म मुहूर्त 👉 ०४:२२ से ०५:०७

राहुकाल 👉 ०७:२८ से ०९:०५

राहुवास 👉 उत्तर-पश्चिम

यमगण्ड 👉 १०:४१ से १२:१८

होमाहुति 👉 शनि (०२:४३ से चन्द्र)

दिशाशूल 👉 पूर्व

अग्निवास 👉 पृथ्वी

चन्द्र वास 👉 पूर्व (दक्षिण १०:४० से) 

शिववास 👉 कैलाश पर (१८:२२ से नन्दी पर)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – अमृत २ – काल

३ – शुभ ४ – रोग

५ – उद्वेग ६ – चर

७ – लाभ ८ – अमृत

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – चर २ – रोग

३ – काल ४ – लाभ

५ – उद्वेग ६ – शुभ

७ – अमृत ८ – चर

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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दक्षिण-पूर्व (दर्पण देखकर अथवा खीर का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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श्रावण सोमवार व्रत, सोम प्रदोष व्रत, दामोदर-बुध द्वादशी, विवाहादि मुहूर्त वृष मिथुन लग्न (मध्यरात्रि ११:३१ से ०२:४३) तक, गृह प्रवेश+व्यवसाय आरम्भ+देवप्रतिष्ठा मुहूर्त प्रातः ०९:१७ से १०:३९ तक आदि ।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज ०२:४३ तक जन्मे शिशुओ का नाम उत्तराषाढ नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (भे, भो, ज, जी) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम श्रवण नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (खी) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

सिंह – ०५:०६ से ०७:२५

कन्या – ०७:२५ से ०९:४३

तुला – ०९:४३ से १२:०४

वृश्चिक – १२:०४ से १४:२३

धनु – १४:२३ से १६:२७

मकर – १६:२७ से १८:०८

कुम्भ – १८:०८ से १९:३४

मीन – १९:३४ से २०:५७

मेष – २०:५७ से २२:३१

वृषभ – २२:३१ से ००:२६

मिथुन – ००:२६ से ०२:४१

कर्क – ०२:४१ से ०५:०२

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पञ्चक रहित मुहूर्त

रज पञ्चक – ०५:५१ से ०७:२५

शुभ मुहूर्त – ०७:२५ से ०९:४३

चोर पञ्चक – ०९:४३ से १२:०४

शुभ मुहूर्त – १२:०४ से १४:२३

रोग पञ्चक – १४:२३ से १६:२७

शुभ मुहूर्त – १६:२७ से १८:०८

मृत्यु पञ्चक – १८:०८ से १८:२२

अग्नि पञ्चक – १८:२२ से १९:३४

शुभ मुहूर्त – १९:३४ से २०:५७

मृत्यु पञ्चक – २०:५७ से २२:३१

अग्नि पञ्चक – २२:३१ से ००:२६

शुभ मुहूर्त – ००:२६ से ०२:४१

रज पञ्चक – ०२:४१ से ०२:४३

शुभ मुहूर्त – ०२:४३ से ०५:०२

चोर पञ्चक – ०५:०२ से ०५:५२

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन आपके लिए विशेष शुभ रहेगा। धन लाभ के साथ-साथ संबंधों में भी निकटता का अहसास होगा। व्यवसाय क्षेत्र पर भी सहयोगी वातावरण मिलने से निश्चित समय पर कार्य पूर्ण कर लेंगे। पूर्व नियोजित कार्यो के अलावा भी अन्य आय के स्त्रोत्र बनेंगे। आज आपके व्यवहार से कुछ ऐसे संबंध बनेंगे जिनसे लंबे समय तक लाभ प्राप्त किया जा सकेगा। घर मे अविवाहितों के लिए रिश्ते आएंगे लेकिन पक्के होने में संशय रहेगा। मनपसंद भोजन वस्त्र एवं अन्य सुख मिलने से प्रसन्नचित रहेंगे।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज का दिन भी आपके लिए लाभदयक रहेगा फिर भी ध्यान रखें आज किसी के गलत मार्गदर्शन अथवा गलतफहमी में पड़ने से लाभ के अवसर किसी अन्य के पास भी जा सकते है। धन लाभ भी आपके परिश्रम की तुलना में अधिक हो सकता है परंतु इसके लिए कार्य क्षेत्र पर अनर्गल बातो को छोड़ लक्ष्य को केंद्रित रकह कार्य करें। दैनिक उपभोग के खर्च आसानी से निकल जाएंगे। आज कोई आपकी भावुकता का गलत फायदा भी उठा सकता है। आंख बंद कर किसी पर विश्वास ना करें। लंबी यात्रा की योजना बनेगी।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आपका आज का दिन भी अशुभ रहने से अधिक सावधानी बरतने की सलाह है। सेहत का आज विशेष ध्यान रखें परिवार में बीमारी का प्रकोप अथवा अन्य आकस्मिक दुर्घटना होने की संभावना है। दवाओं पर भी आज अतिरिक्त खर्च करना पड़ सकता है। भोजन की असंयमितता पेट खराबी का कारण बनेगी। कार्य व्यवसाय से भी आज किसी की खुशामद के बाद ही लाभ के योग बन पाएंगे। पारिवारिक वातावरण आज अस्त-व्यस्त अधिक रहेगा। विद्यार्थी वर्ग पढ़ाई में आना-कानी करेंगे।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज आप कार्यो में व्यस्त रहने के बाद भी दिन का भरपूर आनंद उठाएंगे। मन इच्छित कार्य होने से हास-परिहास का वातावरण बना रहेगा। कार्य-व्यवसाय में थोड़ा अधिक परिश्रम करना पड़ेगा लेकिन इसका उचित लाभ भी अवश्य मिलेगा। कार्य स्थल पर लोगो को आपकी कार्य शैली पसंद आएगी अधिकारी वर्ग भी आप पर कृपा दृष्टि बनाये रखेंगे। आपकी आवश्यकता लोगो को आज अधिक रहने से सम्मान के साथ धन लाभ के अवसर भी मिलते रहंगे। गृहस्थ में पूर्ण ध्यान नही देने से किसी की नाराजगी देखनी पड़ेगी लेकिन कुछ समय के लिए ही।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज का दिन मिश्रित फलदायी रहेगा। दिन के आरंभ में दैनिक कार्यो को पूर्ण करने की जल्दी में कुछ हानि हो सकती है। इसके बाद का समय अधूरे कार्यो को पूर्ण करने में बीतेगा मध्यान तक परिश्रम का फल ना मिलने से निराशा रहेगी परन्तु संध्या के समय धन की आमद होने लगेगी व्यवसाय में आज विस्तार ना करें निवेश भी सोच समझ कर ही करें। नौकरी पेशा जातक कार्यभार बढ़ने से थकान अनुभव करेंगे। घर मे मांगलिक आयोजन हो सकता है। कुछ मतभेद के बाद भी शांति बनी रहेगी।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज के दिन आप किसी ना किसी उलझन में फंसे रहेंगे। दिन का अधिकांश समय अनर्गल कार्यो में बर्बाद होगा। लोग आपके मन के विपरीत कार्य करवाने को बाध्य करेंगे जिसमें निकट भविष्य में हानि ही होगी। कार्य व्यवसाय में देरी के कारण सौदे निरस्त हो सकते है। आज किसी पारिवारिक सदस्य के गलत आचरण के कारण सम्मान में कमी आने की भी संभावना है। क्रोध पर नियंत्रण अतिआवश्यक है वरना उलझने कम होने की जगह ज्यादा गंभीर बनेंगी। धन लाभ आकस्मिक लेकिन अल्प मात्रा में ही होगा।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज के दिन आप कार्य-व्यवसाय में असहयोग की स्थिति बनने पर उग्र हो सकते है। सहयोगी आवश्यक कामो में लापरवाही दिखाएंगे। सभी महत्त्वपूर्ण निर्णय आपको स्वयं ही लेने पड़ेंगे जिससे कुछ समय के लिए असमंजस की स्थिति बनेगी फिर भी इससे किसी वरिष्ठ के सहयोग से बाहर निकल सकेंगे। धन लाभ आज आवश्यकता अनुसार लेकिन प्रयत्न करने पर ही होगा। आज आप पुरानी स्मृतियां ताजा होने से कुछ समय के लिए काल्पनिक दुनिया मे भी खोये रहेंगे। दाम्पत्य जीवन मे अहम के कारण खटास आ सकती है।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन आपको आर्थिक रूप से सबल बनाने में सहयोग करेगा। व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा आज कुछ कम रहेगी जिसका फायदा अवश्य उठाएंगे। नौकरी पेशा जातको को अधिकारी वर्ग का प्रोत्साहन मिलने से आत्मविश्वास बढ़ेगा। आज आप स्वयं के कार्य के साथ ही परिचितों के कार्यो में भी सहयोग करेंगे। घर एवं बाहर के लोग आपकी प्रसंशा अवश्य करेंगे। सरकारी अथवा पैतृक संबंधित मामलों में विजय के साथ ही भविष्य के लिए लाभ सुनिश्चित होगा। गृहस्थ जीवन मे थोड़ा उतार चढ़ाव लगा रहेगा फिर भी संतोष की अनुभूति होगी।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन आप अधिकांश कार्यो में लापरवाही दिखाएंगे जिससे उचित लाभ मिलने में विलंब के साथ ही कमी भी आएगी। स्वयं का काम छोड़ अन्य लोगो के कार्य मे रुचि लेना हानि कराएगा। किसी के झगड़े में टांग ना अड़ाए मान हानि हो सकती है। आर्थिक उलझने किसी के टोकने पर ही परेशान करेंगी अन्य समय इनको लेकर भी बेपरवाह ज्यादा रहेंगे। घर मे किसी सदस्य के मनमाने व्यवहार के कारण माहौल थोड़ा गरम हो सकता है। शारीरिक स्फूर्ति आज कम रहेगी।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज के दिन आपकी मनोवृति सुखोपभोग की अधिक रहेगी जिस वजह से कार्य क्षेत्र पर पूर्ण ध्यान नही दे पाएंगे फिर भी आज धन लाभ के अवसर मिलते रहेंगे। जिस भी कार्य को करने का मन बनाएंगे उनके निर्णय आरंभिक व्यवधान के बाद आपके ही पक्ष में रहेंगे। सरकारी कार्यो भी आज किसी के सहयोग मिलने से आगे बढ़ेंगे। सार्वजनिक कार्यो में अरुचि रहेगी। लंबी धार्मिक तीर्थ स्थानों की यात्रा के प्रसंग बन सकते है। पारिवारिक वातावरण लगभग सामान्य ही रहेगा। संतानो के ऊपर खर्च होगा।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आपका आज का दिन भी विषम परिस्थितियों वाला रहेगा। दिन के आरंभ में ही कोई अशुभ समाचार मिलने से मन हताश रहेगा। कार्य व्यवसाय में से भी आज निराशा ही हाथ लगेगी। ध्यान रहे आज धन लाभ के लिए किसी के सहयोग एवं मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ेगी इसलिए रूखे व्यवहार से बचें आज आप केवल व्यवहारिकता के बल पर ही लाभ कमा सकते है। घर मे भी किसी सदस्य के हाथ नुकसान होने की संभावना है इसको अनदेखा करना ही बेहतर रहेगा अन्यथा पहले से ही उग्र वातावरण अधिक गंभीर हो सकता है। 

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन आपको आकस्मिक धन लाभ कराएगा। आज जिन कार्यो अथवा व्यवहारों से उम्मीद नही रहेगी उनसे भी आकस्मिक लाभ होने की संभावना है। व्यवहार में थोड़ी चंचलता रहने से आस-पास के लोग असहज अनुभव करेंगे फिर भी मसखरा स्वभाव आपकी उदंडता पर पर्दा डालेगा। पारिवारिक सदस्य तीर्थ स्थल की यात्रा पर जाने की योजना बनाएंगे इसके लिए अधिक खर्च भी करना पड़ेगा। आज सामर्थ्य से अधिक खर्च करने पर आर्थिक उलझनों में पड़ सकते है। कार्य व्यवसाय में शुरुआती मंदी के बाद गति आएगी धन लाभ प्रचुर मात्रा में होगा।

30 अगस्त को भूलोक की भद्रा होने के कारण शुभ कार्यों के लिए ठीक नहीं है 31 अगस्त 2023 को सूर्योदय के बाद भी ढाई घड़ी से अधिक पूर्णिमा होने से उस दिन पूरे दिन रक्षाबंधन मनाया जा सकता है, अधिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें 

*https://www.facebook.com/100006488460825/posts/pfbid02BpWe7ec8igQoWHKaPr9p8grcxLoyn7GPSPLVRccvbAxqJDS5pURuUpRde9oax2dxl/?mibextid=Nif5oz

 भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो की वैज्ञानिक अनुसंधान सभा में कहा कि भारत के शास्त्रों में जो खगोलीय सूत्र हैं, उन्हें साइंटिफिकली प्रूव करने और नए सिरे से उनके अध्ययन के लिए हमारी युवा पीढ़ी आगे आए – प्रधानमंत्री मोदी

यह बहुत बड़ी बात है…. हमारे शास्त्रों में बहुत कुछ है…उनका वैज्ञानिक तरीके से interpretation होना चाहिए.. उनमे छुपे ज्ञान को सबूतों के साथ दुनिया के सामने लाया जाना चाहिए… उन पर बाकायदा अनुसन्धान कर उनकी Real Life applications बना कर दुनिया के सामने रखनी चाहिए.

कहते हैं प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं…. लेकिन शास्त्रों में छुपे हुए गूढ़ ज्ञान हमारे सामने होते हुए भी छुपा है.. उसे वैज्ञानिक तरीकों से दुनिया के सामने रखा जाना चाहिए.

जब शास्त्रों के ज्ञान पर research होगा, उन पर Research paper लिखे जाएंगे… उनके ज्ञान का उपयोग करके वस्तुएं बनाई जाएंगी.. उनका Formal Documentation होगा, कई भाषाओं में होगा…..तो फिर आपको उनकी validation किसी से नहीं करवानी होगी.. और ना ही कोई उन्हें Whatsapp ज्ञान बोल कर उपहास उड़ा पायेगा.

यह सही दिशा में एक सही कदम होगा.

सरदार जी को भी भाई चारा प्यारा था, खालिस्तान के सपने देखते थे…इसलिए

सरदारजी 15 सालों तक अफगानिस्तान में सांसद थे.. कई ताकतवर शूरा में भी शामिल रहे

अरबों की जायजाद अफगानिस्तान में थी गाड़ी था,फार्म हाउस था,बंगला हवेली गुरुद्वारा सब कुछ था..

आज इनकी कुल जमा पूंजी वही है जो फोटो में दिख रही है .कुछ दिन पहले यह अपना सब कुछ छोड़ कर रिफ्यूजी बनकर इंडिया में आए है..

….वही इंडिया जहाँ इन्हे आजादी चाहिए वही अपना खालिस्तान का सपना जो अफगानिस्तान ने दिखाया था .. उसकी मांग यहाँ करें वहाँ चूँ तक नही की ओर ना ही इनकी मदद के लिये नीले घाघरे वाले आए

ये बस चुपचाप वहाँ से निकल लिए

अभी भी यदि हम हिंदू और सिख सेकुलरिज्म और गंगा जमुनी तहजीब के चरस में डूबे रहे तो हम सभी का भविष्य भी यही है..🧐🤨

*चंद्रयान का रॉकेट इंजन बनाने वाले लंबी नारायणन को मत भूल जाना*

-चन्द्रयान 3 अपनी जगह तो पहुंच गया, पूरा भारतवर्ष खुशियाँ मना रहा है, लेकिन इस महान उपलब्धि के पीछे हम अपने वैज्ञानिक नंबी नारायणन को न भूलें जिन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों, अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA के तमाम प्रतिरोधों के बावजूद विकास इंजन (क्रायोजेनिक इंजन) को विकसित किया था जिसका उपयोग अब चंद्रयान 3 में किया गया है।

– देशद्रोहियों ने षडयंत्र रच कर एक होनहार वैज्ञानिक को न केवल अपमानित किया बल्कि करियर बर्बाद कर दिया… जिसके कारण भारत का स्पेस मिशन 20 साल पीछे चला गया। आज चंद्रयान तृतीय की इस महान उपलब्धि में इनके अमूल्य योगदान का वही महत्व है जो किसी बड़े भवन निर्माण में नींव की आधार-शिला का होता है।

-अब इस सफलता के क्रेडिट लेने कि होड़ लगी है… इधर क्या उधर दोनों तरफ लालायित है, अच्छा है!!  लेकिन अगर क्रेडिट लेना ही है तो फिर क्रेडिट सभी चीजों (अच्छे /बुरे  सभी ) का लें।

– कांग्रेस को भी बताना चाहिए विदेशों से पैसे लेकर नंबी नारायण जैसे वैज्ञानिकों को किसने गिरफ़्तार करवा दिया था, अपमानित किया था? ताकि भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी दशकों पीछे हो जाये।

-चंद्रयान 1 के बाद चंद्रयान 2 के लिए फंडिंग क्यों और किसने बंद की? पश्चिम के चुनिंदा देशों और चीन के डर से Mission Shakti (Anti Satellite) को मंजूरी क्यों नहीं दी गई थी? जिसका परीक्षण मार्च 2019 मे जाकर पूरा हुआ!!

– सैकड़ों होनहार वैज्ञानिकों, का करियर या तो खत्म कर दिया गया या वे गुमनामी मे खो गए या मर गए जिनमे होमी भाभा भी शामिल हैं… उनकी अज्ञात कारणों से मृत्यु या हत्या हुई उसके पीछे कौन था?

दो मंजिला मकान से अधिक पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। शिमला, सोलन, मंडी, किन्नौर, लाहैल स्पिती, चंबा और कुल्लू की चूरा चट्टानें और भुरभुरी मिट्टी, अधिक बोझ नहीं उठा सकती हैं।
ड्रेनेज सिस्टम के बिना मकान बनाने की अनुमति न हो। घर के चारों तरफ 3/3 मीटर जगह छोड़ना अनिवार्य हो.
तभी हिमाचल में सुखमय जीवन हो सकता 

वर्ल्ड मैप (विश्व के नक्शे) को देखिए, इसमें न्यूयॉर्क से मॉस्को के बीच का दो रास्ता दिखाया जाता है, एक रास्ता सीधा है उसमे दूरी ज्यादा है, दूसरा रास्ता घुमावदार है उसमें दूरी कम है,

क्या ये अजीब बात नही है के घुमावदार रास्ते की दूरी ज्यादा होनी चाहिए थी मगर वो कम है?

इस सवाल आसान जवाब ये है के मैप दरअसल पृथ्वी के शेप के अनुपात से नही बनाई गई है, अर्थ पर हम जैसे जैसे equater से pole की तरफ जाएंगे वैसे वैसे देशांतर (Longitude) के बीच की दूरी घटती जाती है और इस अनुपात में मैप को ऊपर बढ़ते हुए सिकुड़ते हुए बनाया जाना चाहिए था ताकि मैप में दूरी को सही तौर से रिप्रेजेंट किया जा सके,
लेकिन मैप वैसा नही बनाया जाता, ऐसा क्यों होता है ?

छह साल पहले मैंने इसी मुद्दे से जुड़ा एक पोस्ट लिखा था लगे हाथ उसे भी पढ़ लीजिए –

“पश्चिम ने जितना बड़ा बौद्धिक घोटाला कर रखा है, बेइमानी की जितनी सरहदें लांग रखी हैं, अगर उसपर लिखा जाएगा तो उन घोटाले के ऊपर सैंकड़ों किताबों की एक लाइब्रेरी तय्यार हो जाएगी |
लेकिन जब वेस्टर्न सभ्यता के बेइमानी की आलोचना की जाती है तो यहाँ बैठे हुए पश्चिम के मानसिक गुलाम ‘काले अंग्रेज़’ ही सबसे ज़्यादा तिलमिलाने और छटपटाने लगते हैं |

फिलोसफी, साइकोलोजी, इकोनॉमिक्स, फिजिक्स. केमिस्ट्री, बायोलॉजी, हिस्ट्री, लिटरेचर से लेकर लगभग प्रत्येक सब्जेक्ट् में वेस्ट के बुद्धिजीवियों ने बड़ा बड़ा घोटाला कर रखा है लेकिन आज हम जियोग्राफी में हुए एक बड़े घोटाले की तरफ़ आपका ध्यान दिलाना चाहेंगे वैसे तो मैं इस घोटाले से बहुत पहले से वाकिफ था लेकिन आज जर्मन न्यूज़ वेबसाइट के एक लिंक पर नज़र गयी तो पुरानी बातें ताज़ा हो गयी |

घोटाला ये है के दुनिया भर में जो वर्ल्ड मैप पढाया जाता है वो बिलकुल उल्टा और ग़लत मैप है, इस मैप में यूरोप और अमेरिका को ज़्यादा ही बड़ा बनाकर दिखाया जाता है और एशिया तथा अफ्रीका के देशों को ज्यादा ही छोटा बनाकर दिखाया जाता है, जैसे ग्रीनलैंड जिसका क्षेत्रफल लगभग 2 मिलियन वर्ग किलोमीटर है जोकी चाइना के क्षेत्रफल लगभग 9 मिलियन वर्ग किलोमीटर के एक चौथाई से भी कम है, उस ग्रीनलैंड को वर्ल्ड मैप में चाइना से दो गुणा बड़ा बनाकर दिखाया जाता है |
पूरे अफ्रीका महाद्वीप का क्षेत्रफल लगभग 30 मिलियन वर्ग किलोमीटर हैं जो रूस के क्षेत्रफल 17 मिलियन वर्ग किलोमीटर से लगभग दो गुणा ज़्यादा के क़रीब है, लेकिन वर्ल्ड मैप में रूस को अफ्रीका महाद्वीप से तीन गुणा बड़ा बनाकर दिखाया जाता है |

मैप में ये उलटी गंगा क्यों बहाया जा रहा है, पिछले चार सौ साल से क्षेत्रफल और आकार में छोटे यूरोप और अमेरिका के देशों को एशिया और अफ्रीका के देशों से दूगुणा, तीन गुणा, चार गुणा तक बड़ा बनाकर क्यों दिखाया जा रहा है और ये गलत जानकारी स्कूल-कालेज के बच्चे बच्चे तक को क्यों पढाया जा रहा, उनके ज़हन में ऐसी तस्वीर क्यों बिठाई जा रही है ?
दरअसल ये बेइमानी जानबूझ कर की जा रही है और इस बेइमानी के पीछे साम्राज्यवादी ताक़तों का अपना हित है, अपनी सत्ता को स्थापित किए रहने का उनका बुना हुआ जाल है, साम्राज्यवादी ताक़तों के हित पर फिर किसी दुसरे दिन विस्तृत चर्चा करेंगे अभी इस पोस्ट को लिखने का ख़याल मुझे एक न्यूज़ पढने के बाद आया जिसमे ये ख़बर थी के बोस्टन के एक स्कूल में नए मैप से पढाया गया है |

मैप में की गयी इस बेइमानी को समझना तो लगभग सबके लिए आसान है इसलिए आप इसे आसानी से पकड लेंगे लेकिन यूरोप और अमेरिका के बुद्धिजीवियों द्वारा जो बेइमानी बहुत ही महीन तरीके से की गयी है उसे पकड़ना और दुनिया को समझाना तो और भी ज़्यादा मुश्किल और परेशानियों से भरा हुआ है |”
✍🏻विवेकानंद ब्रह्मचारी

संसार का प्रारंभिक नक्‍शा

आज संसार को एक नजर में देखने के लिए नक्‍शा (Map) हमारे पास मौजूद है। मगर, पृथ्‍वी को लेकर कई प्रकार की मान्‍यताएं रही हैं। प्रारंभिक पुराणों में चार महासागर की मान्‍यता रही जबकि गुप्‍तकाल के आसपास सप्‍तसिंधु पृथ्‍वी का स्‍मरण होना आरंभ होता है। इस समय के आसपास ही सप्‍तद्वीपा पृथ्‍वी की मान्‍यता भी पुख्‍ता हो चुकी थी क्‍योंकि दान संबंधी वर्णनों में विभिन्‍न दानों से सप्‍तद्वीपा पृथ्‍वी के दान के बराबर फल के मिलने की मान्‍यताओं को लिखा गया है।

दरअसल सात की अंक की मान्‍यता खास हो चुकी थी। सप्‍तर्षि की धारणा थी ही मगर सात द्वीपों वाली पृथ्‍वी की धारणा पूरी दुनियां में बहुत समय से थी, खासकर बेबिलोनियावासी ऐसा मानते थे। कोई छह सौ ईसा पूर्व ऐसा नक्‍शा उन लोगों ने कल्पित कर लिया था जो संसार के स्‍वरूप का सांकेतिक रूप से प्रतिनिधित्‍व करता था। ब्रिटिश म्‍यूजियम में सिपर, र्इराक से प्राप्‍त एक पट्टिका है जो प्राचीनतम नक्‍शे की प्रतीक मानी जाती है। ( नेट से मिला चित्र यहां दिया है)

इस काल मे आसपास हमारे यहां ‘कूर्मचक्र’ के आधार पर पृथ्‍वी को देखने और समझने की चेष्‍टा हो रही थी। यह कूर्मचक्र सर्वप्रथम गर्गसंहिता में आया जो कि शुंगकाल की देन है, बाद में इसी मान्‍यता को नारदसंहिता, मार्कण्‍डेयपुराण और बृहत्‍संहिताकार वराहमिहिर ने भी स्‍वीकार किया। इस समय सात ग्रहों की स्थिति के आधार पर धरती की स्थिति को देखा जा रहा था। इन ग्रंथों में नक्षत्रों के आधार पर देशों की स्थिति को स्‍वीकारा गया है, हालांकि मार्कण्‍डेयपुराण ने राशियों के आधार पर भी यह विचार किया गया है जो स्‍पष्‍ट ही बाद का विवरण लगता है। महाभारत में पीपल के पत्तों की तरह का विचार आया है।

वायुपुराण में पृथ्‍वी के विवरण का वर्णन करने वाले ऋषियों के नाम बताए गए हैं, ये नाम टोलेमी के समय के आसपास का विवरण देते हैं मगर, ये कितना अच्‍छा है कि पृथ्‍वी के नक्‍शे बनाने का प्रयास बहुत पहले शुरू हो गया था, यानी नाविकों की पृथ्‍वी परिक्रमा और यात्राएं निरंतर थी किंतु हम सिर्फ कोलंबस को ही जानते हैं जबकि कितने कोलंबस पृथ्‍वी के देशों, जलराशि और अंतरिक्ष में स्थित ग्रहों, नक्षत्रों के आधार पर स्थिति का अध्‍ययन कर चुके थे।

राष्‍ट्र की पहचान कराने वाला कोश
* पुस्तक स्मरण
प्राचीन ग्रंथों को पढ़ते समय जब कभी स्‍थानवाची नाम या उसका पर्याय आता है तो जिज्ञासा होती है कि वह कहां पर है? उसकी क्‍या विशेषता है? उसके बारे में और कहां-कहां जानकारी मिल सकती है ? यह जिज्ञासा भारतीय पुरातत्‍व विभाग के जनरल अलेक्‍जेंडर कनिंघम को हुई और उन्‍होंने 1886 के आसपास एक कोश तैयार किया, मगर उसकी कमियों को जानकर तत्‍काल बंगाल के स्‍वनामधन्‍य श्री नन्‍दुलाल डे ने भूगोल कोश तैयार किया : एंशियंट ज्‍योग्राफी ऑफ इंडिया। उन्‍हें लगा कि कोश प्राचीन स्‍थानों का ही होकर रह गया है तो उन्‍होंने संशोधित और परिवर्धित कोश खड़ा किया : एंशियंट एंड मिडाइवल ज्‍योग्राफी ऑफ इण्डिया। पिछली सदी के प्रारंभिक वर्षों में इसका विदेश से प्रकाशन हुआ। इसके बाद हालांकि इसका पुनर्मुद्रण भी हुआ और इसी आधार पर अन्‍य जनों ने अपने कोश तैयार किए मगर यदि इसका हिंदी अनुवाद हो जाता तो यह सबके प्रयासों पर भारी पड़ता।

बस यही विचार लेकर एक दिन मैंने वयोवृद्ध भूगोलविद् आदरणीय श्रीनारायणलाल शर्मा से निवेदन किया कि डे साहब के कोश का अनुवाद क‍ीजिएगा। यह बात तीर की तरह लगी और उन्‍होंने दिन रात परिश्रम कर इस कोश का बेहतरीन अनुवाद आवश्‍यक मानचित्रों, नक्‍शों सहित किया। मैंने भी एक-एक पंक्ति को देखा, उस काल के प्रकाशित ग्रंथों के संदर्भों को खोजा। सच कहूं तो यह कार्य इतना अधिक था कि नाक पर चढ़ा चश्‍मा खुद भी उतरकर विश्राम लेने की प्रार्थना करने लगा मगर मन उसको इजाजत देने पर राजी नहीं था। कहता था कि तुम खरीदे गए हो, काम में लगे रहना पड़ेगा…।

खैर, पुस्‍तक तैयार हुई तो श्री नारायणजी इस बात पर अड़ गए कि आपको भूमिका लिखनी पड़ेगी। मैं अपनी सीमाएं जानता था। फिर, यह भी जानता था कि डे साहब जैसे भारतविद् की पुस्‍तक पर मुझ जैसा अल्‍पज्ञ क्‍या भूमिका लिखेगा। आग्रह इतना ज्‍यादा हो गया कि… वरना ये कोश छपने नहीं जाएगा। दो साल की उहापोह के बाद आखिरकार भूमिका लिखी गई। यह सब देख मित्रवर श्रीगोविंदलाल सिंह इतने मुग्‍ध हुए कि पुस्‍तक को उठा ले गए और प्रकाशित कर दी : भारत का प्राचीन एवं मध्‍ययुगीन भौगालिक कोश।
कुल 432 पन्‍ने और दीर्घाकार नक्‍शे।*

फ्लेप पर लिखा गया –

”भारतीय भूगोलविदों में श्री नंदलाल डे का नाम बहुत सममान के साथ लिया जाता है। भारत के प्राचीन महत्‍व के स्‍थानों को उनके माहात्‍म्‍य सहित वर्णित करने में उन्‍होंने अपनी पूरी ताकत और क्षमता का जो संकल्‍प किया, उसे प्रस्‍तुत कृति ‘भारत का प्राचीन एवं मध्‍ययुगीन भौगालिक कोश’ में साकार देखा जा सकता है। उन्‍होंने बंगाल में राष्‍ट्रीय चेतना के उदयकाल में भारतीय महत्‍व के तीर्थों, ऐतिहासिक स्‍थानों, नगरों व ग्रामों, पर्वतों, नदियों, गुफाओं, मंदिरों, मठों इत्‍यादि का शास्‍त्र सम्‍मत भूगोल तैयार कर जन्‍मभूमि को नमस्‍कार किया है। यह कृति न केवल भूगोल बल्कि अध्‍यात्‍मप्राण भारत वर्ष को रूपायित करने का जीवन्‍त स्‍मारक है। प्रो. डे को उनकी इस कृति ने यशकीर्ति प्रदान की है। नि:सन्‍देह यह कृति कालजयी और सार्वकालिक महत्‍व की है।”
( रिपोस्ट)
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* नाम कृति : भारत का प्राचीन एवं मध्‍ययुगीन भौगालिक कोश। प्रकाशक : आर्यावर्त संस्‍कृति संस्‍थान,
डी 48, गली नंबर 3, दयालपुर, करावलनगर रोड, दिल्‍ली 110094✍🏻डॉ0 श्रीकृष्ण जुगनु