आज का पंचाग आपका राशि फल, अनादि काल से सनातनियों द्वारा संरक्षित केदारनाथ मंदिर को पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को देने के औचित्य पर उठे प्रश्न, बैसाखी : आज से सूर्य मीन राशि से चल कर मेष राशि में प्रवेश करेंगे

*न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्।*

*न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गङ्गया समम्।।*

*भावार्थ* 👉🏾 वैशाखमासको ब्रह्माजीने सब मासोंमें उत्तम सिद्ध किया है। जब सूर्य मीनराशिसे मेशराशिमें संक्रमण करते हैं तब यह काल *मेष–संक्रान्ति* कहलाता है और तबसे सौर वैशाखमासकी प्रवृत्ति होतो है। इसी संक्रान्तिको भगवान् सूर्य उत्तरायणकी आधी यात्रा पूर्ण करते हैं।

वैशाखी *(बिखौती-पर्व)* की हार्दिक शुभकामनाएं। 

तम्*🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉  

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻गुरूवार, १४ अप्रैल २०२२🌻

 

सूर्योदय: 🌄 ०६:०१

सूर्यास्त: 🌅 ०६:३९

चन्द्रोदय: 🌝 १६:१८

चन्द्रास्त: 🌜२९:०४

अयन 🌕 उत्तरायने (उत्तरगोलीय

ऋतु: 🌿 बसंत

शक सम्वत: 👉 १९४४ (शुभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०७९ (राक्षस)

मास 👉 चैत्र 

पक्ष 👉 शुक्ल

तिथि 👉 त्रयोदशी (२७:५५ तक)

नक्षत्र 👉 पूर्वाफाल्गुनी (०९:५६ तक)

योग 👉 वृद्धि (०९:५२ तक)

प्रथम करण 👉 कौलव (१६:२७ तक)

द्वितीय करण 👉 तैतिल (२७:५५ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 मेष (०८:४० से)

चंद्र 🌟 कन्या (१५:५४ से)

मंगल 🌟 कुम्भ (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 मेष (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

गुरु 🌟 मीन (उदित, पूर्व, मार्गी)

शुक्र 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, वक्री)

शनि 🌟 मकर (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 वृष

केतु 🌟 वृश्चिक

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५२ से १२:४३

अमृत काल 👉 २६:२९ से २८:०४

विजय मुहूर्त 👉 १४:२६ से १५:१७

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:३० से १८:५४

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:४३ से १९:५०

निशिता मुहूर्त 👉 २३:५५ से २४:३९

राहुकाल 👉 १३:५४ से १५:३०

राहुवास 👉 दक्षिण

यमगण्ड 👉 ०५:५१ से ०७:२८

होमाहुति 👉 शनि

दिशा शूल 👉 दक्षिण

नक्षत्र शूल 👉 उत्तर (०९:५६ से)

अग्निवास 👉 पृथ्वी

चन्द्र वास 👉 पूर्व (दक्षिण १५:५४ से) 

शिववास 👉 नन्दी पर (२७:५६ भोजन में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – शुभ २ – रोग

३ – उद्वेग ४ – चर

५ – लाभ ६ – अमृत

७ – काल ८ – शुभ

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – अमृत २ – चर

३ – रोग ४ – काल

५ – लाभ ६ – उद्वेग

७ – शुभ ८ – अमृत

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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दक्षिण-पूर्व (दही का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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संक्रांति सूर्य मेष मे ०८:४० से (पुण्यकाल प्रातः ०५:५१ से दिन ०१:११ तक) प्रदोष व्रत, महावीर स्वामी जन्मोत्सव आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज ०९:५६ तक जन्मे शिशुओ का नाम

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (टू) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (टे, टो, प, पी) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

मीन – २८:३२ से ०५:५५

मेष – ०५:५५ से ०७:२९

वृषभ – ०७:२९ से ०९:२३

मिथुन – ०९:२३ से ११:३८

कर्क – ११:३८ से १४:००

सिंह – १४:०० से १६:१९

कन्या – १६:१९ से १८:३७

तुला – १८:३७ से २०:५८

वृश्चिक – २०:५८ से २३:१७

धनु – २३:१७ से २५:२१

मकर – २५:२१ से २७:०२

कुम्भ – २७:०२ से २८:२८

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पञ्चक रहित मुहूर्त

शुभ मुहूर्त – ०५:५१ से ०५:५५

शुभ मुहूर्त – ०५:५५ से ०७:२९

रज पञ्चक – ०७:२९ से ०९:२३

शुभ मुहूर्त – ०९:२३ से ०९:५६

चोर पञ्चक – ०९:५६ से ११:३८

शुभ मुहूर्त – ११:३८ से १४:००

रोग पञ्चक – १४:०० से १६:१९

शुभ मुहूर्त – १६:१९ से १८:३७

मृत्यु पञ्चक – १८:३७ से २०:५८

अग्नि पञ्चक – २०:५८ से २३:१७

शुभ मुहूर्त – २३:१७ से २५:२१

रज पञ्चक – २५:२१ से २७:०२

शुभ मुहूर्त – २७:०२ से २७:५५

चोर पञ्चक – २७:५५ से २८:२८

शुभ मुहूर्त – २८:२८ से २९:५०

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन अस्त व्यस्त रहेगा दिन को व्यवस्थित करने का प्रयास भी करेंगे लेकिन सफल नही हो सकेंगे। दिन के आरंभ में घरेलू कार्यक्रम के कारण कार्य क्षेत्र पर देर होगी एक बार किसी कारण से विलंब हुआ तो दिन भर यही क्रम चलता रहेगा कोई भी काम समय पर नही कर पाएंगे गुस्सा भी आएगा लेकिन अशांति फैलने के डर से प्रदर्शन नही करेंगे। कार्य क्षेत्र से आज काफी संभावनाए लगाए रहेंगे आर्थिक लाभ की कामना दिन भर लगी रहेगी लेकिन लाभ रुक रुक कर होने से मन संतुष्ट नही होगा। नौकरिपेशाओ को किसी सहकर्मी के हिस्से का कार्य भी करना पड़ेगा। घर के सदस्य कामना पूर्ति होने से प्रसन्न रहेंगे लेकिन फिर भी किसी न किसी कारण छोटी मोटी नाराजगी लगी रहेगी। संतानों के ऊपर ध्यान रखे। संध्या बाद शारीरिक कष्ट अनुभव होगा।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज के दिन आपकी दिनचर्या और स्वभाव में सुधार आएगा पिछली गलतियों से सीख लेंगे लेकिन हम की भावना आज भी बनी रहेगी। घर का वातावरण आज भी मध्यान तक उथल पुथल रहेगा घर के सदस्य एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करेंगे लेकिन मतलब साधने के लिये पुरानी बातों को भूल जाएंगे। मध्यान बाद बुद्धि विवेक जाग्रत होने पर पूर्ण शांति स्थापित होगी फिर भी मन का द्वेष आज मिटना असम्भव है। कार्य क्षेत्र पर लाभ की संभावना कम ही रहेंगी अपने बुद्धि चातुर्य से खर्च निकालने लायक आय बना लेंगे लेकिन व्यर्थ के खर्च भी लगे रहने से रुकेगा नही। संध्या बाद का समय अनर्गल कार्यो मौज शौक मनोरंजन में बीतेगा इसी में प्रसन्न भी रहेंगे। व्यर्थ के आडंबर से बचने की सलाह देंगे लेकिन खुद उसी में।फंसे रहेंगे।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन मानसिक रूप से दुविधा बनी रहेगी जिस कार्य को करना चाहिये उसे ना कर व्यर्थ के कामो में उलझेंगे। अपने काम छोड़ पराये कामो में टांग अड़ाने से अपमानित भी हो सकते है। कार्य क्षेत्र पर आज निर्णय लेने में परेशानी आएगी लाभ के अवसर इसी कारण हाथ से निकलने की संभावना है। मन मे अहम की भावना रहने से किसी से सहायता लेना पसंद नही करेंगे लेदेकर काम निकालने की मानसिकता से थोड़ा बहुत धन लाभ अवश्य होगा परन्तु थोड़ा विलंब भी होगा। नौकरी पेशा लोग उच्चाधिकारियों से जले भुने रहेंगे मन की बात मन मे ही रखे अन्यथा आगे के लिये नई समस्या खड़ी होगी। गृहस्थ में शांति बनी रहेगी फिर भी अपनी बेतुकी हरकतों से माहौल खराब करेंगे। इच्छापूर्ति पर खर्च होगा। 

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज का दिन आरम्भ में शुभ फलदायक।रहेगा मन मे जो भी सोचेंगे थोड़ा बहुत कम ही सही लेकिन मिलेगा जरूर दिनचर्या आज उथल पुथल ही रहेगी किसी सामूहिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिये नियत कार्यो में बदलाव करना पड़ेगा। कार्य क्षेत्र पर आज आकस्मिक लाभ के योग बनेंगे नियमित बिक्री की जगह आज जनसंपर्कों के द्वारा अधिक लाभ की संभावना है व्यवहार में थोड़ा रूखापन आ सकता है इससे बचे अन्यथा सामाजिक क्षेत्र पर आपकी छवि खराब होगी। मनोरंजन पर आज अधिक आकर्षण रहेगा लेकिन ध्यान रहे घर परिवार का वातावरण संध्या के समय अभद्रता अथवा अनैतिक कर्मो के कारण अशांत होगा। थकान भी अधिक रहेगी।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आप आज का दिन सुख शांति से बिताएंगे दिन के आरंभ से ही किसी भी कार्य को लेकर ज्यादा झंझट में पड़ने से बचेंगे मन भी आज काम के प्रति कम ही समर्पित रहेगा कार्य व्यवसाय में मध्यान तक मंदी का सामना करना पड़ेगा इसके बाद थोड़ा बहुत व्यवसाय होने से दैनिक खर्च लायक आय हो जाएगी। नौकरी वाले लोग आज आलस्य से भरे रहेंगे बेमन से कार्य करने पर अधिकारी वर्ग से मतभेद हो सकते है। पारिवारिक वातावरण वैसे तो शांत ही रहेगा कुछ समय के लिये किसी गकतफहमी अथवा परिजन के उद्दंड व्यवहार के कारण अशांति होगी। घूमने फिरने मौज शौक पूरे करने पर खर्च होगा। आरोग्य छोटी मोटी बातो को छोड़ बना रहेगा।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज का दिन आकस्मिक लाभ वाला है लेकिन आज आपका ध्यान मौज मस्ती में अधिक रहेगा। कार्य क्षेत्र पर आज पिछले कुछ दिनों से चल रही सुस्ती टूटेगी। मध्यान तक लाभ के लिये इंतजार करना पड़ेगा लेकिन इसके बाद व्यस्तता बढ़ने पर बैठने का समय नही मिलेगा। नौकरी पेशा भी आज मध्यान तक अधिक व्यस्त रहेंगे जल्दबाजी में कार्य करने पर गलती होने की संभावना अधिक है विशेष कर कागजी काम देखभाल कर ही करे बड़ी चूक होने के आसार है। मध्यान बाद का समय बाहर घूमने मनोरंजन में बीतेगा उत्तम भोजन पर्यटन का आनंद लेंगे घर मे आज खर्च करने के बाद ही शांति का अनुभव होगा। संध्या बाद स्वास्थ्य में नरमी आएगी।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज के दिन परिस्थितियां हानिकारक बन रही है कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले अच्छी तरह विचार करे या अनुभवी की सलाह अवश्य लें संभव हो तो आज टालना भी बेहतर ही रहेगा। कार्य क्षेत्र अथवा घर मे दुखद समाचार मिलने से मानसिक रूप से बेचैन रहेंगे नुकसान आज किसी न किसी रूप में होकर ही रहेगा। धन संबंधित निवेश को आज रोके लेकिन लेन देन को तुरंत निपटाने से आगे के लिये मार्ग खुला रहेगा। सहकर्मी अथवा कार्य क्षेत्र के किसी अन्य व्यक्ति के कारण किसी परेशानी में फस सकते है मित्र मंडली में बैठते समय भी अनैतिक कार्यो से बचे मान हानि के प्रसंग बनेंगे। संध्या के समय मनोरंजन के अवसर मिलने से मन हल्का तो होगा लेकिन भविष्य को लेकर फिर भी उहा पोह लगी रहेगी।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज के दिन आपके जन सम्पर्क में वृद्धि होगी सामाजिक दायरा बढ़ाने से इसका भविष्य में कुछ ना कुछ लाभ अवश्य मिलेगा लोगो मे आपकी छवि क्रोधी अथवा स्वार्थी जैसी बनेगी लेकिन आज लोग स्वयं ही मतलब से व्यवहार बनायेगे इसलिये किसी की सोच का आपके व्यक्तित्त्व पर ज्यादा प्रभाव नही पड़ेगा। मध्यान तक किसी अधूरे कार्य को पूरा करने में व्यस्त रहेंगे इसके बाद धन लाभ को लेकर इंतजार करना पड़ेगा संध्या के आसपास सोच से अधिक होने पर उत्साहित रहेंगे। परिजनों में आज व्यवहारिकता की कमी रहेगी फिर भी घरेलू वातावरण शांत बना रहेगा घर के सभी सदस्य अपने अपने कार्य मे मस्त रहेंगे। ठंड संबंधित बीमारी की संभावना है।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज का दिन शुभ रहेगा भविष्य की चिंता आज कम ही रहेगी। आज आपका मन पुरानी बातों में खोया रहेगा कुछ समय के लिए पुराने दिन को याद कर भावुक भी होंगे। कार्य क्षेत्र पर आज जो भी करेंगे उसमे सफलता अवश्य मिलेगी आज वैसे तो ज्यादा भाग दौड़ के पक्ष में नही रहेंगे लेकिन जस काम को आरम्भ करेंगे उसे पूरा करके ही दम लेंगे। व्यावसायिक यात्रा के प्रसंग बनेंगे लेकिन कोई व्यवधान आने पर निरस्त भी हो सकती है। नौकरी करने वाले आज जल्दी काम निपटा मित्र परिजनों के साथ समय बिताना चाहेंगे लेकिन अन्य काम आने से कामना पूर्ति से अधिक समय लगेगा। धन की आमद मध्यान से पहले आवश्यकता से अधिक ही होगी। सेहत में कुछ विकार रहेगा फिर भी अनदेखा करेंगे।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन पिछले दिनों की अपेक्षा शांतिदायक रहेगा। आज आपकी धार्मिक भावनाओं का उदय होगा घर मे पूजा के प्रसंग बनेंगे धार्मिक क्षेत्र की लघु यात्रा भी होगी लेकिन ध्यान दूसरी जगह भटकने से आध्यात्म का पूरा लाभ नही उठा सकेंगे। व्यवसाय स्थल पर आज वातावरण उत्साह बढ़ाने वाला मिलेगा धन की आमद थोड़ी कम रहेगी लेकिन मित्र शत्रु सभी का शुभ स्नेह आचरण मिलेगा भले दिखावे को ही हो। मध्यान बाद किसी काम से भागदौड़ करनी पड़ेगी लेकिन व्यर्थ ही जाएगी। घर मे भी आज सुख शांति का अनुभव करेंगे किसी की जिद के कारण थोड़ी असुविधा होगी परन्तु कुछ समय के लिये ही। संध्या बाद उत्तम भोजन वाहन सुख मिलेगा।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन सेहत के लिये प्रतिकूल रहेगा भाग दौड़ भरी दिनचर्या और असंयमित खान-पान के कारण स्थिति ज्यादा बिगड़ सकती है। आज आकस्मिक दुर्घटना के योग भी बन रहे है यात्रा अधिक आवश्यक होने पर ही करें घर अथवा कार्य क्षेत्र पर भी उपकरणों के प्रयोग में सावधानी बरतें। कार्य व्यवसाय से मध्यान तक ही लाभ उठा सकते है इसके बाद सेहत और परिस्थिति दोनो आर्थिक लाभ से वंचित रखेगी उल्टे व्यर्थ खर्च ही बढेगें। घर मे उदासीनता का वातावरण रहेगा परिजनों को किसी न किसी रूप में कष्ट होने की संभावना है। स्वभाव में चिड़चिड़ा पन आने से सीधी बातो का भी बेतुका जवाब देकर माहौल को अधिक खराब करने से बचे। 

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन आपके लिए विजय दिलाने वाला रहेगा स्वार्थ सिद्धि की भावना प्रबल रहेगी अपना काम साधने के लिये दूसरे का बिगाड़ने से भी नही चूकेंगे। मुह से मीठा बोलेंगे लेकिन अंदर ईर्ष्या भरी रहेगी। नौकरी करने वाले लोग अधिकारी सहकर्मियों से कुछ ज्यादा ही खुलापन दिखाने पर अपमानित हो सकते है सतर्क रहें अन्यथा काम निकलने में दिक्कत आएगी। मध्यान बाद जिस भी काम में हाथ डालेंगे अथवा जो भी कामना करेंगे उसमे चालाकी से देर अबेर सफलता मिल ही जाएगी धन लाभ भी चतुराई से जरूरत के अनुसार हो जाएगा फिर भी संतुष्टि नाहाई होगी ज्यादा पाने की लालसा में मैन की शांति खो देंगे। संध्या बाद का समय मौज शौक में बीतेगा खर्च आंख बंद कर करेंगे। घर का वातावरण आंनद दायक रहेगा। सेहत सामान्य रहेगी रात्रि में पेट संबंधित शिकायत हो सकती है।

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मन्दिर को ज्योंहि आप सरकार के कब्जे में डाल देते हैं त्योंही वह संविधानिक रूपसे सेक्युलर हो जाता है।
केदारनाथ मन्दिर को पुरातात्विक स्मारक बनाना कहाँ तक उचित है?
कल को गौभक्षक पुरातात्विक अधिकारी कहेंगे केदार लिंग पर शहद और घी लगाना बन्द करो! इससे पत्थर का क्षरण होने का खतरा है तो आपको अपनी पूजा बदलनी होगी।
अब मन्दिर के अंदर आप भैरव के सरसों के तेल का दिया नहीं जला पाएंगे क्योंकि इससे स्मारक के पत्थर काले हो जाते हैं।
आप कभी भी पुरातत्व विभाग के विधर्मी (गौ भक्षक) अधिकारी को निरीक्षण हेतु मन्दिर में जब चाहे तब जाने से नहीं रोक सकते, भले ही आपका कितना बड़ा अनुष्ठान चल रहा हो।
अब आपके श्रद्धा और दर्शनों से पुरातत्व का कोई अर्थ नहीं उनके कर्मचारियों का काम तो स्मारक की देख रेख करना है। सायं पूजा 7 बजे गेट बंद, उसके बाद पुजारी हो या रावल किसी के बाप के झांकने की ताकत नहीं। उन्हें इस बात से क्या मतलब कि शिव की रात्रि उपासना होती है। सुबह भी पुरातत्व विभाग का गेट 6 बजे खुलता है। तब तक दर्शन का मतलब नहीं।
वे केदार के चारों ओर ईंट गारे और लोहे का पिंजड़ा बना कर कैद कर देंगे।
मंदिर की क्लिंजिंग (सफाई) के नामपर विधर्मी अधिकारीयों द्वारा पुरातत्व संरक्षक ऐसे कैमिकल से पत्थरों की सफाई करते हैं कि वे पत्थर क्षरित होने लगते हैं। गोपेश्वर मंदिर में ऐसा ही देखने को मिला है। विश्वास न होतो उड़ीसा के लिंगराज और कोणार्क मन्दिरों के पत्थरों को देख लो, हजारों सालों की ये धरोहर पुरातत्व विभाग ने पिछले कुछ सालों में धो कर बर्बाद कर दी है।
सबसे बुरा हाल गोपेश्वर मंदिर के ऐतिहासिक त्रिशूलों का है स्कन्दपुराण नागरखण्ड की मानें तो यह त्रिशूल उसी परशु का यष्टि दण्ड वाला भाग है जिस परशु से भगवान परशुराम ने हहैय्य क्षत्रियों का वध किया था। पुराणों ने इस त्रिशूल की दिव्य महिमा का गायन किया है। मैंने इसके लोहे को चाँदी की तरह चमकते देखा लेकिन आज त्रिशूल का भी वज्रलेप उतर गया और आज वह जंग लगकर सड़ रहा है। युगों की विरासत खत्म करके रख दी।
सरकार के सेक्युलरिज्म का उपयोग जेहादी जमकर कर रहे हैं। पुरातात्विक संरक्षण के नाम पर मन्दिरों का विनाश जेहादी कार्ययोजना का वो हिस्सा है जिसको सरकारी संरक्षण प्राप्त है। आप क्या कर लोगे? विशेषज्ञ की डिग्री उसके पास है कि आपके पास?
पिछले वर्षों में ऐसे ही तुगलकी फरमान उज्जैन के महाकाल मन्दिर से भी सुनने को मिले जब एक पुरातत्वविद ने महाकाल विग्रह पर गङ्गा जल या अन्य जलाभिषेक को रोकने का आदेश जारी किया और कहा केवल डिस्ट्रिल वाटर से ही अभिषेक होगा। हम देशभर में चिल्लाये बड़ी मुश्किल से फरमान वापस हुआ। कल को केंद्र में और राज्य में दोनों जगह जेहादी सेक्युलर सरकार आ गयी तो तब क्या कर लोगे?
गोपेश्वर मन्दिर जो 1960 के बाद पुरातत्व विभाग के संरक्षण में चले गया था। अच्छा खासा मन्दिर 2006 के आसपास यहाँ इनका एक सुपरिटेंडेंट आया बड़ा मीठा बोलने वाला विधर्मी उसने मन्दिर के पत्थरों को साफ करने के लिए एक से एक कैमिकल मंगवाये नतीजतन लगभग तीन हजार साल से अधिक पुरानी मूर्तियां और लिंग जिनपर वज्रलेप लगा था और चमक इतनी थी कि आदमी का चेहरा दिख जाता था। आज उनका बज्रलेप खाल की तरह उधड़ रहा है। बक्कल निकल रहे हैं। मूर्तियां बर्बाद कर दी हैं।
गोपेश्वर मूल रूप से विष्णु/कृष्ण मन्दिर था जिसका प्रमाण मैंने “रुद्रमहालय गोपेश्वर” पुस्तक में दिया है। इस मंदिर के बाहर उत्तर में चरण पादुका चौंरी थी, जिसमें भगवान विष्णु की चरण पादुका के साथ अनेक देवी देवताओं की मूर्ति युगों से प्रतिष्ठित थी पुरातत्व विभाग ने सुरक्षा के नाम पर चबूतरा ही उखाड़ दिया।
मूर्तियों को उखाड़ कर एक अंधेरे कोने में फेंका गया है। जिसको वे देखने तक नहीं देते। यही हाल गोपेश्वर मन्दिर के आग्नेय में स्थित नवदुर्गा मन्दिर का भी है। पुरातत्व विभाग ने सरक्षण के नाम पर मन्दिर की मूर्तियां उखाड़ कर पतानहीं कहाँ फेंकी हैं। मैंने कई बार उनसे नव दुर्गा की मूर्ति दिखाने के लिए कहा लेकिन सुरक्षा के नाम पर उन्होंने दिखाई नहीं।
तब 1999 के आस पास चमोली के SP ने एक पीतल की दुर्गा की मूर्ति यहां पर रखी।
मन्दिरों को पुरातत्व विभाग के पास संरक्षण हेतु देना ऐसा ही है जैसे गाय को रक्षा के लिए कसाई के हाथों सौपना है।
अरे मूर्ति स्थापना का विधान है, उसमें प्राण प्रतिष्ठा होती है। बड़ा अनुष्ठान होता है तब जाकर मूर्ति में प्राण या शक्ति आती है, वह सुफल दायक होती है। जब तुम मूर्ति को उखाड़ दोगे तो क्या उस अधिष्ठान की शक्ति या देवत्व बना रह पायेगा?
क्योंकि पीठ का अधिष्ठाता अकेले नहीं होता उसके मूल में पीठ की अधिष्ठात्री शक्ति होती है। अधिष्ठात्री शक्ति की अपनी सेना होती है। कहाँ भैरव रहेगा, कहाँ नन्दी रहेगा, कहाँ भूम्याल रहेगा, कहाँ, कीर्तिभिमुख रहेगा, कहाँ योगिनियां रहेंगी, कहाँ बीर रहेंगे, कहाँ प्रमथ आदि गण रहेंगे, कहाँ यम रहेगा, उनकी उपयुक्त पर्व पर पूजा उपासना विधि विधान का पुरातत्व के किसी अधिकारी को ज्ञान हो तो सामने आये।
मेरी चुनौती है कि केदार की या किसी भी शिव मंदिर की देवपंचायत के बारे में एक भी पुरातत्वविद को पूजा अनुष्ठान के बारे में जानकारी हो बता दे! हम केदार मन्दिर के पुरातत्व विभाग द्वारा अधिग्रहण का विरोध नहीं करेंगे!
अगर पुरातत्व विभाग को हिन्दू धार्मिक मान्यताओं और परम्पराओं का ज्ञान नहीं है तो पुरातत्व विभाग किस बात का संरक्षण करेगा? पत्थरों के ढेर का? सरकार मकबरे, मजार, कब्र, स्मारकों और मन्दिरों को एक ही तराजू में कैसे तोल सकती है।
आज पुरातत्व विभाग और सरकार हक हकूक धारियों को सब्जबाग दिखाकर मन्दिर का अधिग्रहण कर लेगी लेकिन कल क्या हाल होगा? मन्दिर से जुड़ें लोगों को उन ज्योतिर्लिंगों के मन्दिरों से पूछना चाहिए जो पुरातत्व विभाग के कब्जे में हैं। लोग सरकार से पुरातत्व का नियंत्रण खत्म करने की गुहार लगाते लगाते थक गए लेकिन अपने कब्जे की प्रॉपर्टी कोई क्यों छोड़े?
अभी आम आदमी मन्दिर परिसर में फ़ोटो खिंचवाता है नाच लेता है झूमता है। तब आपकी वही स्थिति होगी जो चीन में जाकर कैलास मानसरोवर के दर्शन में होती है।
मन्दिर परिसर में फ़ोटो खींचने पर भी पुरातत्व विभाग 500 रु लेगा।
अभी पण्डे पुरोहित हक-हकूकधारी अपनी झोपड़ियां/मकान बना कर गुजर बसर कर ले रहे हैं। पुरातत्व विभाग के अधिग्रहण के बाद आप केदार में एक भी मकान बना के दिखा दो तो मान जायें। पुरातत्व विभाग से परमीशन मिलनी नहीं है और बिना परमीशन के मकान सरकार जब चाहे तब तोड़ दे।
असलियत में तो केदार मन्दिर का पुरातत्व विभाग द्वारा अधिग्रहण केदार के पण्डों की अक्ल दुरुस्त करने की कार्ययोजना का हिस्सा लगता है। क्योंकि हर तरह से सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं को होना है।
अभी मन्दिर समिति के लोगों पर रौब झाड़कर जब चाहो मन्दिर में घुस जाओ। तब मन्दिर समिति की चलनी नहीं है। पुरातत्व वाले जब चाहे कस लें।
आप ज्यादा बात करेंगे तो वे कहेंगे। देहरादून या दिल्ली ऑफिस से आप हमको आर्डर करवा के ले आयें हम वही मानेंगे। सच्चाई यह है कि केंद्र सरकार के विभाग राज्य सरकार को कुछ मानते नहीं। राज्य सरकार की शिकायत कूड़ेदान में। मन्दिर समिति के माननीयों का जलवा आज तो चल सकता है, लेकिन अगर मन्दिर पुरातत्व विभाग लेता है तो कल यही लोगों की गालियां खाएंगे और खुद को कोसेंगे।
दूसरी बात जहां तक मेरी समझ है मेरे पास केदार के जनमेजय द्वारा बनाये गए मन्दिर का इतिहास है। पहली बार मैंने ही अपनी पुस्तकों से यह तथ्य उजागर किया और बाद में देश के मूर्धन्य विद्वानों ने मेरी बात को प्रमाणित किया।
रावलों का भी 3700 साल का इतिहास मिलता है।
मेरा सवाल है कि जब स्थानीय लोग शताब्दियों से मन्दिर का प्रबन्ध संचालन और संरक्षण कर रहे हैं, तो सरकार को अब इसमें हस्तक्षेप की जरूरत क्यों आन पड़ी है?

देवभूमि के लोग केंद्र सरकार में भी महत्वपूर्ण पदों पर रहे लेकिन किसी ने ऐसी धृष्टता नहीं की। यह मन्दिरों का संरक्षण नहीं बल्कि भक्षण और देवभूमि के प्रति साज़िश है।
सनातनी हिन्दू होने के नाते अगर सच बयाँ न करता तो मुझे पाप लगता। क्योंकि यह श्री बद्रिकाश्रम क्षेत्र है इसके अधिष्ठाता भगवान नारायण हैं। नारायण ही सत्य हैं और सत्य ही नारायण है। इसलिए सच लिखना ही मेरा धर्म है। ✍️डॉ0 भगवती प्रसाद पुरोहित

इस संबंध में श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि श्री केदारनाथ मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने और भारतीय पुरातत्व विभाग को सौंपने का मंदिर समिति का कोई उद्देश्य और प्रस्ताव नहीं है। न इस संबंध में में उच्च स्तर पर किसी तरह की प्रक्रिया विचाधीन है। अध्यक्ष बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति श्री अजेंद्र अजय ने कहा कि इस संबंधित सभी समाचार पूरी तरह से भ्रामक व तथ्यहीन हैं, उन्होंने कहा कि “मेरे द्वारा इस संदर्भ में सचिव, संस्कृति व धर्मस्व श्री हरि चंद्र सेमवाल से दूरभाष पर वार्ता कर प्रकरण की जानकारी ली गई और समाचार को लेकर तीर्थ पुरोहितों व अन्य हक – हकूकधारियों में व्याप्त भ्रम के बारे में अवगत कराया गया। जिस पर सचिव धर्मस्व ने अवगत कराया कि श्री केदारनाथ मंदिर को पुरातत्व विभाग को सौंपने अथवा राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के सम्बन्ध में शासन द्वारा पुरातत्व विभाग को ऐसा पत्र नहीं प्रेषित किया है। अजेंद्र अजय ने कहा कि “धर्मस्व सचिव ने यह भी अवगत कराया गया कि उनके द्वारा आज पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को बुला कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों द्वारा भी उनके स्तर से इस प्रकार की किसी कार्यवाही किए जाने का खंडन किया गया।” 

🙏राधे राधे🙏

उत्तराखंड में इस सकरकाल का अंतिम त्योहार बैसाखी होता है इसके पश्चात पूरे गर्मियों में कोई त्योहार नहीं मनाया जाता है। इससे गर्मियों में होने वाले खाद्य पदार्थों के संक्रमण से भी बचा जा सकता है।

भारत के पूर्वी भाग यथा बंगाल ,
और पूर्वी देशों थाइलैण्ड आदि में वैशाख मास , मेष संक्रान्ति से नववर्ष का आरम्भ माना जाता है ।
थाइ जन इसी दिन होली खेलते हैं ।
अब तो यह उत्सव योरप में भी पहुँच गया है।
इस अवसर पर एक उत्सव होता है-
सतुआनी!!

आज सतुआनी है। आज याद करूँ तो सबसे पहले याद आता है टुइयाँ और उसके साथ लम्बी गरदन वाला सुराही। और ये सब लाने वाली मईया।

टुइयाँ समझने में यदि समस्या हो रही हो तो आप लोग करवा को याद कर लीजिए। मिट्टी का करवा। वो नलके सी टोंटी वाला।

मईया गंगाजी नहाने जाती थी और पूजा-पाठ, दान-पुण्य क्या करती थी सो तो मालूम नहीं। पर हम तीनों भाई-बहनों के लिए टुइयाँ जरूर लाती थी। एक छोटी सुराही भी होती थी उसके हाथ में। बूट-गुड़ का प्रसाद मिलता था और फिर हम होते थे और हमारा टुइयाँ!

टुइयाँ में पानी भरा जाता था। फिर शुरू होता था पानी के ठंडे होने का इंतजार। बार-बार टोंटी से पानी सुड़क-सुड़क के चेक करना पड़ता था कि पानी ठंढा हो भी रहा है कि नहीं🤔। बड़ी मुश्किल से पाँच मिनट गुजारे जाते थे कि बड़ी जोर से प्यास लग आती थी। तब हमलोग को पानी पीना पड़ जाता था। 😎उस के बाद फिर दोबारा से सेम यही सिलसिला चालू हो जाता जब तक कि टुइयाँ टूट नहीं जाये।

जहाँ-जहाँ हम वहाँ-वहाँ टुइयाँ। छत पर, सीढ़ियों पर, बरामदे में, कमरे में। फिर बेचारा टुइयाँ हमलोगों की मेहनत से आजिज आ के एक के बाद एक टें बोल जाता था और हम तीनों को शांति पड़ जाता था।

खैर ये तो हुई बचपन की यादें। जब कि मिट्टी का एक अदना सा बरतन भी टोकरा भर खुशी दे जाता था। लेकिन ध्यान से देखा जाए तो हम हिन्दू लोग बच्चों से कोई कम उत्सवप्रिय नहीं हैं। छोटी छोटी बात में खुशी मनाने का एक आयोजन कर लेते हैं। हमारा पंचांग उत्सवधर्मिता और वैज्ञानिकता का समन्वय कर देता है।

तो वैज्ञानिक कारण ये कि आज से सूर्य मीन राशि से चल कर मेष राशि में प्रवेश कर जाएंगे। और हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से आज से ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत हो जाएगी।

और खुशी की बात ये कि आज से खरमास समाप्त हो जायेगा और सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी।और आज से घड़े का ठंढा पानी पीने का पानी मिलेगा सो अलग।😊
सो आज के दिन को बिहार और झारखंड में सतुआनी या बिसुआ के नाम से मनाया जायेगा।

मेष संक्रांति का यह पर्व असम में बिहू, बंगाल में पोइला बैशाख, पंजाब में बैसाखी, तमिलनाडु में पुदुवर्षम (अर्थात नववर्ष), मध्यवर्ती राज्यों में सतुआ संक्रांति, और जूड़ि शीतल के नाम से भी मनाया जाता है।

बिहार में सतुआनी के दिन गंगा स्नान-दान का विशेष महत्व होता है.

श्रद्धालु आज गंगा स्नान कर सत्तू व गुड़ की पूजा कर उसका सेवन करते हैं. साथ ही टिकोला यानि कच्चा आम भी खाना शुभ माना जाता है. इस समय तक नया सत्तू भी आ जाता है। यह और छोटे आम के टिकोले से बनी चटनी शरीर को ठंडक प्रदान करने के साथ सुपाच्य भी होती है, इसलिए सतुआनी में नया सत्तू खाने का रिवाज है।

बिहार के गांवों में देवी मंदिर में पूजा करने के बाद जौ और बूट यानी चना का सत्तू आम की चटनी के साथ खाया जाता है।

आज ही से घड़ों में पानी रखा जाने लगेगा। शरीर को ठंढक देने वाले आहार लेने की शुरुआत हो जाएगी।

मेष संक्रांति और ठेठ बिहार की संस्कृति का प्रतीक पर्व सतुआनी की आप सबों को शुभकामनाएं।

सत्तू-दान के फल को युधिष्ठिर द्वारा किये अश्वमेध से भी अधिक बताया एक नेवले ने ।
महाभारत आश्वमेधिक पर्व में एक कथा है कि अकाल में एक ब्राह्मण ने कहीं से एक प्रस्थ जौ का सत्तू तैयार किया और एक एक कुडव स्वयं , पत्नी, पुत्र , पुत्रवधू में बांटकर ज्यों ही खाने चले कि कहीं से एक अतिथि प्रकट हुआ और एक एक कर चारों कुडव सत्तू खा गया, कई दिनों के भूखे परिवार को स्वर्गलोक प्राप्त हो गया।
अज सङ्क्रम को सतुआ से सम्बद्ध कर दिया गया, वैशाख मास की अमावस्या से भी सतुआ सेवन आरम्भ करने की रीति है, आषाढ मास में जब सविता देवता रुद्र के नक्षत्र आर्द्रा में होते हैं उस कालावधि में सतुआ नहीं खाया पिआ जाता है।
हिमालयी क्षेत्र में उगने वाली एक वनस्पति को भी स्थानीय बोली में ‘सतुआ’ कहा जाता है, इन दिनों पुष्पित होती है, इसकी जड़ ₹20000/किलो तक बिकती है।
मेष सङ्क्रान्ति का पर्व असोम में बिहू, बंगाल में पोइला बैशाख, पँजाब में बैसाखी, तमिळनाडु में पुदुवर्षम (अर्थात् नववर्ष), विन्ध्योत्तर में सतुआ सङ्क्रान्ति, मिथिलाञ्चल में सतुआनि और जूड़ि शीतल के नाम से मनाया जाता है। इस दिन स्नान-पूजन के बाद धर्मप्राण यजमान सत्तू, जल-पूरित घट, ताड़ के पंखे या बांस के बियने (व्यञ्जन) इस विश्वास के साथ दान करते हैं कि अगले जन्म में प्रचण्ड गर्मी में ये वस्तुएं उनके काम आयेंगी।

खाने-पीने की दृष्टि से यह सङ्क्रान्ति पूर्ण ‘सात्विक’ है. दिन भर एक ही भोजन- जौ-चने का सत्तू। चाहे गूंध कर खाइए या सत्यनारायण पूजा के ‘सीतल प्रसाद’ की तरह घोल कर। लावण्य-सुख चाहते हैं, तो नमक मिलाइए और माधुर्य-सुख चाहते हों, तो गुड़ या घी-चीनी।

अग्नि देवता का चित्र देखेंगे तो पता चलेगा की अग्निदेव का वाहन छाग या मेढा मेष है।
चित्राङ्कन में अग्नि या संवत्सर या कहें कि वसन्त सम्पात की यात्रा का विवरण है।
अग्नि के दो शीर्ष पुनर्वसु के दो तारकों को दर्शाते हैं, यही मिथुन राशि का भी अङ्कन है।
पुराणों में कथा है कि अग्नि का एक भाई जातवेद भी था, जिसके न रहने पर अग्नि भी अदृश्य हो गये। इसका अर्थ है कि सम्पात सरककर पीछे आया तथा वह क्रमशः आर्द्रा(रुद्र) और रोहिणी तथा मृगशिरा के मध्य में जिस तारक पर आया उसे अग्नि नाम से ही जाना जाता है।
पुराणों में ऐसा उल्लेख भी है कि अग्नि पुनः अदृश्य हुये तथा कृत्तिकाओं में पाये गये, उसी समय से सर्वभक्षी हुये।
कृत्तिकाओं की सात तारकायें अग्नि के सात हाथ हो सकते हैं।
कृत्तिका की आकृति छुरिका सदृश है अतः एक हाथ में छुरी दिखाई दे रही है।
मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में सम्पात की स्थिति को उनके वाहन मेष (मेढा) से तथा अश्विनी अर्थात् घोड़ी को प्रदर्शित करने के लिये मेढे के पैरों को घोड़े के पैरों जैसा ही बनाया गया है।
अश्विनी से पुनर्वसु तक ७ नक्षत्र होते हैं।

राशि विभाग क्या है?
सम्पूर्ण खगोलीय वृत्त (जिस पथ पर सूर्य भ्रमण करता प्रतीत होता है) के १२ समान विभाग किये गये , इस प्रकार १ राशि का कोणीय विस्तार ३०° हुआ।
पहली राशि ‘मेष’ मानी जाती है,
मेष राशि का आरम्भ कहाँ से है इसको जानने समझने के लिये चित्रा या स्वाती नक्षत्र की सीध में (चित्रा से १८०°) जो बिन्दु प्राप्त होता है वहीं से मेष राशि का आरम्भ माना जाता है।
यह स्थान अचर है, Fixed reference point है। इस प्रकार उस आदि बिन्दु से ३०°-३०° के चाप पर क्रमशः वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या,तुला,वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ तथा मीन राशियों के विभाग हैं।
👉⏩योरुप की पद्धति इससे भिन्न है.. वे मेष राशि का आरम्भ वसन्त-सम्पात् बिन्दु से करते हैं, इस प्रकार उनके यहाँ राशियों का क्षेत्र सदैव परिवर्तन शील है।
वस्तुतः जब वे मेष का आरम्भ बता रहे होते हैं तो वह बिन्दु मीन राशि का ६वाँ अंश होता है।
भारतीय ज्योतिष में इसका निरूपण एक मानवीय आकृति से किया जाता है, यहाँ मानवीय आकृति का सिर तथा पैर क्रमशः मेष एवं तुला पर हैं, और एक हाथ मिथुन राशि पर है. यह दर्शाता है कि वसन्त सम्पात् तथा शरद सम्पात् क्रमशः मेष तथा तुला में हैं, और दक्षिणायनारम्भ Summer solstice मिथुन राशि के सूर्य होने पर होता है . किन्तु आप जानते हैं कि यह स्थिति 1500 वर्ष पहले की है।

राशिवृत्त के मध्य में एक वर्गाकार आकृति की परिकल्पना है, जिसके चारों कोण किसी न किसी राशि की सीध में हैं।
वर्ग के चारों शीर्ष दो सम्पात् एवं दो अयन बिन्दु को दर्शाते हैं।
चूँकि ये बिन्दु चल हैं अतः वर्ग-आकृति भी घूमती रहेगी। और सम्पात् या अयन बिन्दु भी अलग अलग राशियों से होकर गुजरेंगे।
☞ स्मरण रखिये कि आकाश के नक्षत्र, राशियाँ अचल हैं , उनमें गति नहीं है.. सदा ही मेष का आरम्भ चित्रा की सीध से ही ग्रहण किया जायेगा न कि सम्पात् जहाँ सरकता चले वहाँ से माना जायेगा।
योरुप की टर्मिनॉलॉजी भ्रामक है।